37 सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में पेज 6

सूरह अस साफ़्फ़ात हिंदी में | Surat As-Saffaat in Hindi

  1. अल्ला-ह रब्बकुम् व रब्-ब आबा-इकुमुल् अव्वलीन
    और (जो) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे अगले बाप दादाओं का (भी) परवरदिगार है।
  2. फ़-कज़्ज़बूहु फ़-इन्नहुम् ल-मुह्ज़रून
    तो उसे लोगों ने झुठला दिया तो ये लोग यक़ीनन (जहन्नुम) में गिरफ्तार किए जाएँगे।
  3. इल्ला अिबादल्लाहिल्- मुख़्लसीन
    मगर अल्लाह के निरे खरे बन्दे महफूज़ रहेंगे।
  4. व तरक्ना अ़लैहि फ़िल्- आख़िरीन
    और हमने उनका जि़क्र ख़ैर बाद को आने वालों में बाक़ी रखा।
  5. सलामुन् अ़ला इल्यासीन
    कि (हर तरफ से) आले यासीन पर सलाम (ही सलाम) है।
  6. इन्ना कज़ालि-क नज्ज़िल् मुह्सिनीन
    हम यक़ीनन नेकी करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं।
  7. इन्नहू मिन् अिबादिनल्-मुअ्मिनीन
    बेशक वह हमारे (ख़ालिस) ईमानदार बन्दों में थे।
  8. व इन्-न लूतल्-लमिनल्- मुर्सलीन
    और इसमें भी शक नहीं कि लूत यक़ीनी पैग़म्बरों में से थे।
  9. इज़् नज्जैनाहु व अह्लहू अज्मईन
    जब हमने उनको और उनके लड़के वालों सब को नजात दी।
  10. इल्ला अ़जूज़न् फ़िल्-ग़ाबिरीन
    मगर एक (उनकी) बूढ़ी बीबी जो पीछे रह जाने वालों ही में थीं।
  11. सुम्-म दम्मर्नलू-आख़रीन
    फिर हमने बाक़ी लोगों को तबाह व बर्बाद कर दिया।
  12. व इन्नकुम् ल-तमुर्रु-न अ़लैहिम् मुस्बिहीन
    और ऐ एहले मक्का तुम लोग भी उन पर से (कभी) सुबह को और (कभी) शाम को (आते जाते गुज़रते हो)।
  13. व बिल्लैलि, अ-फ़ला तअ्क़िलून
    तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते।
  14. व इन्-न यूनु-स लमिनल्- मुर्सलीन
    और इसमें शक नहीं कि यूनुस (भी) पैग़म्बरों में से थे।
  15. इज़् अ-ब-क़ इलल्-फ़ुल्किल्-मश्हून
    (वह वक़्त याद करो) जब यूनुस भाग कर एक भरी हुयी कश्ती के पास पहुँचे।
  16. फ़-सा-ह-म फ़का-न मिनल्-मुद्-हज़ीन
    तो (एहले कश्ती ने) कु़रआ डाला तो (उनका ही नाम निकला) यूनुस ने ज़क उठायी (और दरिया में गिर पड़े)।
  17. फ़ल्त-क़-महुल्-हूतु व हु-व मुलीम
    तो उनको एक मछली निगल गयी और यूनुस खु़द (अपनी) मलामत कर रहे थे।
  18. फ़-लौ ला अन्नू का-न मिनल्-मुसब्बिहीन
    फिर अगर यूनुस (अल्लाह की) तसबीह (व जि़क्र) न करते।
  19. ल-लबि-स फ़ी बत्निही इला यौमि युब्अ़सून
    तो रोज़े क़यामत तक मछली के पेट में रहते।
  20. फ़-नबज़्नाहु बिल्अ़रा-इ व हु-व सक़ीम
    फिर हमने उनको (मछली के पेट से निकाल कर) एक खुले मैदान में डाल दिया।
  21. व अम्बत्ना अ़लैहि श-ज-रतम् मिंय्यक़्तीन
    और (वह थोड़ी देर में) बीमार निढाल हो गए थे और हमने उन पर साये के लिए एक कद्दू का दरख़्त उगा दिया।
  22. व अर्सल्नाहु इला मि-अति अल्फ़िन् औ यज़ीदून
    और (इसके बाद) हमने एक लाख बल्कि (एक हिसाब से) ज़्यादा आदमियों की तरफ (पैग़म्बर बना कर भेजा)।
  23. फ़-आमनू फ़-मत्तअ्नाहुम् इला हीन
    तो वह लोग (उन पर) इमान लाए फिर हमने (भी) एक ख़ास वक़्त तक उनको चैन से रखा।
  24. फ़स्तफ़्तिहिम् अ-लिरब्बिकल्-बनातु व लहुमुल्-बनून
    तो (ऐ रसूल) उन कुफ़्फ़ार से पूछो कि क्या तुम्हारे परवरदिगार के लिए बेटियाँ हैं और उनके लिए बेटे।
  25. अम् ख़लक़्नल्-मलाइ-क-त इनासंव्-व हुम् शाहिदून
    (क्या वाक़ई) हमने फरिश्तों की औरतें बनाया है और ये लोग (उस वक़्त) मौजूद थे।

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