32 सूरह अस सज्दह हिंदी में पेज 2

  1. व ल-नुज़ीक़न्नहुम् मिनल् अ़ज़ाबिल्-अद्ना दूनल् अ़ज़ाबिल्-अक्बरि लअ़ल्लहुम् यर्जिअून
    और हम स्पष्ट (क़यामत के) बड़ी यातना से पहले दुनिया के (मामूली) यातना का मज़ा चखाएँगें जो निकट होगा। ताकि ये लोग अब भी (मेरी तरफ) आयें।
  2. व मन् अज़्लमु मिम्मन् ज़ुक्कि र बिआयाति रब्बिही सुम्-म अअ्र-ज़ अ़न्हा, इन्ना मिनल् मुज्रिमी-न मुन्तक़िमून
    और जिस शख़्स को उसके पालनहार की आयतें याद दिलायी जाएँ। और वह उनसे मुँह फेर उससे बढ़कर और अत्याचारी कौन होगा। हम अपराधियों से इन्तक़ाम ज़रुर लेगें।
  3. व ल – क़द् आतैना मूसल् – किता – ब फ़ला तकुन् फ़ी मिर्यतिम् मिल्लिक़ा – इही व जअ़ल्नाहु हुदल् लि-बनी इस्राईल
    और (ऐ रसूल) हमने तो मूसा को भी (आसमानी किताब) तौरात अता की थी। तुम भी इस किताब (कुरान) के (अल्लाह की तरफ से) मिलने में शक में न पड़े रहो। और हमने इस (तौरात) तो तुम को भी इस्राईल की संतान के लिए मार्गदर्शन बनाया था।
  4. व जअ़ल्ना मिन्हुम् अ- इम्मतंय् यह्दू-न बिअम्रिना लम्मा स – बरू, व कानू बिआया- तिना यूक़िनून
    और उन्ही (बनी इसराईल) में से हमने कुछ लोगों को चूँकि उन्होंने (मुसीबतों पर) धैर्य किया था नायक बनाया जो हमारे हुक़्म से (लोगो की) हिदायत करते थे। और (इसके अलावा) हमारी आयतो का दिल से यक़ीन रखते थे।
  5. इन्-न रब्ब – क हु-व यफ़्सिलु बैनहुम् यौमल् – क़ियामति फ़ीमा कानू फ़ीहि यख़्तलिफ़ून
    (ऐ रसूल) हसमें शक नहीं कि जिन बातों में लोग (दुनिया में) मतभेद करते रहते हैं। क़यामत के दिन तुम्हारा पालनहार निर्णय करेगा।
  6. अ-व लम् यह्दि लहुम् कम् अह्लक्ना मिन् कुब्लिहिम् मिनल् – कुरूनि यम्शू-न फ़ी मसाकिनिहिम्, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआयातिन्, अ-फ़ला यस्मअून
    क्या उन लोगों को ये मालूम नहीं कि हमने उनसे पहले कितनी नस्लों को ध्वस्त कर डाला। जिन के घरों में ये लोग चल फिर रहें हैं। वास्तव में, उसमे (कुदरते अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं। तो क्या ये लोग सुनते नहीं हैं।
  7. अ-व लम् यरौ अन्ना नसूकुल्-मा-अ इलल् – अर्जिल्- जुरुज़ि फ़नुख़िरजु बिही ज़र्अन् तअ्कुलु मिन्हु अन्आमुहुम् व अन्फुसुहुम्, अ-फला युब्सिरून
    क्या इन लोगों ने नहीं देखा कि हम सूखी पड़ी ज़मीन की तरफ पानी को जारी करते हैं। फिर उसके ज़रिए से हम खेती उगाते हैं जिसे उनके जानवर और ये स्वयं भी खाते हैं। तो क्या ये लोग इतना भी नहीं देखते।
  8. व य़कूलू-न मता हाज़ल् -फ़त्हु इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
    और ये लोग कहते है कि अगर तुम लोग सच्चे हो (कि क़यामत आएगी) तो (आखि़र) ये फैसला कब होगा।
  9. क़ुल यौमल् – फत्हि ला यन्फ़ अुल्लज़ी – न क – फ़रू ईमानुहुम् व ला हुम् युन्ज़रून
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि फैसले के दिन काफ़िरों को उनका ईमान लाना कुछ काम न आएगा। और न उनको (इसकी) अवसर दिया जायेगा।
  10. फ़-अअ्-रिज़् अ़न्हुम् वन्तज़िर् इन्नहुम् मुन्तज़िरून
    अच्छा तुम उनकी बातों का ख़्याल छोड़ दो। और तुम प्रतीक्षा करो (आखि़र) वह लोग भी तो इन्तज़ार कर रहे हैं।

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