31 सूरत लुकमान हिंदी में पेज 2

सूरत लुकमान हिंदी में | Surah Luqman in Hindi

  1. व इज़ा क़ी-ल लहुमुत्तबिअू मा अन्ज़लल्लाहु क़ालू बल् नत्तबिअु मा वजद्ना अ़लैहि आबा-अना, अ-व लौ कानश्शैतानु यद्अूहुम् इला अ़ज़ाबिस – सईर
    और जब उनसे कहा जाता है कि जो (किताब) अल्लाह ने उतारी है उसका पालन करो। तो (छूटते ही) कहते हैं कि नहीं, हम तो उसी (तरीक़े से चलेंगे), जिस पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया। भला अगर ये शैतान उनके बाप दादाओं को जहन्नुम के अज़ाब की तरफ बुलाता रहा हो (तो भी उन्ही की पैरवी करेंगे)।
  2. व मंय्युस्लिम् वज्हहू इलल्लाहि व हु-व मुह्सिनुन् फ़- क़दिस्तम् – स-क बिल्अुर्- वतिल्-वुस्का, व इलल्लाहि आ़क़ि-बतुल्-उमूर
    और जो शख़्स स्वयं को अल्लाह के समर्पित कर देगा  और वह एकेश्वरवादी (भी) हो तो बेशक उसने (ईमान की) मज़बूत रस्सी पकड़ ली। और (आखि़र तो) सब कामों का परिणाम अल्लाह ही की तरफ है।
  3. व मन् क-फ़ – र फ़ला यह्ज़ुन् -क कुफ्रुहू, इलैना मर्जिअुहुम् फ़नुनब्बिउहुम् बिमा अ़मिलू, इन्नल्ला-ह अ़लीमुम् – बिज़ातिस्- सुदूर
    और (ऐ रसूल!) जो काफिर बन बैठे तो तुम उसके कुफ्र से शोकाकुल न करो। उन सबको तो हमारी तरफ लौट कर आना है। तो जो कुछ उन लोगों ने किया है (उसका नतीजा) हम बता देगें। बेशक अल्लाह दिलों के भेदों से (भी) खूब वाकि़फ है।
  4. नुमत्तिअुहुम् क़लीलन् सुम्-म नज़्तर्रुहुम् इला अ़ज़ाबिन् ग़लीज़
    हम उन्हें कुछ दिनो तक चैन करने देगें। फिर उन्हें मजबूर करके घोर यातना की तरफ खीच लाएँगें।
  5. व ल-इन् स-अल्तहुम् मन् ख़-लक़स्- समावाति वल्अर्-ज़ ल-यक़ूलुन्नल्लाहु क़ुलिल्हम्दु लिल्लाहि, बल् अक्सरुहुम् ला यअ्लमून
    और (ऐ रसूल!) तुम अगर उनसे पूछो कि सारे आसमान और ज़मीन को किसने पैदा किया? तो ज़रुर कह देगे कि अल्लाह ने। (ऐ रसूल) इस पर तुम कह दो कि सब प्रशंसा अल्लाह के लिएहै, मगर उनमें से अधिकतर (इतना भी) नहीं जानते हैं।
  6. लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति वल्अर्ज़ि, इन्नल्ला-ह हुवल् ग़निय्युल् हमीद
    जो कुछ सारे आसमान और ज़मीन में है (सब) अल्लाह ही का है। बेशक अल्लाह तो (हर चीज़ से) बेपरवा (और बहरहाल) सराहनीय है।
  7. व लौ अन्-न मा फ़िल्अर्ज़ि मिन् श-ज-रतिन् अक़्लामुंव् – वल्बह्-रु यमुद्-दुहू मिम्ब अ्दिही सब्अ़तु अब्हुरिम्-मा नफ़िदत् कलिमातुल्लाहि, इन्नल्ला-ह अ़ज़ीज़ुन् हकीम
    और जितने पेड़ ज़मीन में हैं सब के सब क़लम बन जाएँ और समन्दर उसकी सियाही बनें और उसके (ख़त्म होने के) बाद और सात समन्दर (स्याही हो जाएँ। और अल्लाह का इल्म और उसकी बातें लिखी जाएँ) तो भी अल्लाह की बातें ख़त्म न होगीं। बेशक अल्लाह प्रभुत्वशाली, गुणी है।
  8. मा ख़ल्क़ुकुम् व ला बअ्सुकुम् इल्ला क-नफ़िसंव् – वाहि-दतिन्, इन्नल्ला-ह समीअुम्-बसीर
    तुम सबका पैदा करना और फिर (मरने के बाद) जिला उठाना एक शख़्स के (पैदा करने और जिला उठाने के) बराबर है। बेशक अल्लाह (तुम सब की) सुनता और सब कुछ देख रहा है।
  9. अलम् त-र अन्नल्ला-ह यूलिजुल्लै-ल फ़िन्नहारि व यूलिजुन्नहा-र फ़िल्लैलि व सख़्ख़रश्शम्-स वल्क़-म-र कुल्लुंय्यज्री इला अ-जलिम् मुसम्मंव्-व अन्नल्ला-ह बिमा तअ्मलू-न ख़बीर
    क्या तूने ये भी ख़्याल न किया कि अल्लाह ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाखि़ल कर देता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिन को (बढ़ा के) रात में दाखि़ल कर देता है (तो दिन बढ़ जाता है)। उसी ने वश में कर रखा है सूर्य तथा चाँद को, कि एक निर्धारित समय तक (यूँ ही) चलता रहेगा। और (क्या तूने ये भी ख़्याल न किया कि) जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उससे भली-भाँति अवगत है।
  10. ज़ालि-क बिअन्नल्ला-ह हुवल्-हक़्क़ु व अन्न मा यद्अू-न मिन् दूनिहिल्-बातिलु व अन्नल्ला-ह हुवल् अ़लिय्युल्-कबीर
    ये (सब बातें) इस सबब से हैं कि अल्लाह ही यक़ीनी सत्य है और उस के सिवा जिसको लोग पुकारते हैं, वे असत्य हैं। और इसमें शक नहीं कि अल्लाह ही सबसे ऊँचा, सबसे बड़ा है।
  11. अलम् त-र अन्नल – फ़ुल्-क तज्री फ़िल्ब ह्-रिर बिनिअ्मतिल्लाहि लियुरि-यकुम् मिन् आयातिही, इन्- न फ़ी ज़ालि-क लआयातिल् – लिकुल्लि सब्बारिन् शकूर
    क्या तूने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि अल्लाह ही के फज़ल से नाव दरिया में बहती रहती है। ताकि (लकड़ी में ये क़ूवत देकर) तुम लोगों को अपनी (कु़दरत की) कुछ निशानियाँ दिखा दे। बेशक इसमें भी प्रत्येक धैर्यवान, कृतज्ञ के लिए (अल्लाह की) बहुत सी निशानियाँ हैं।
  12. व इज़ा ग़शि-यहुम् मौजुन् कज़्ज़ु-ललि द- अ़वुल्ला-ह मुख़्लिसी-न लहुद्दी -न, फ़-लम्मा नज्जाहुम् इलल्बर्रि फ़मिन्हुम् मुक़्तसिदुन्, व मा यज्हदु बिआयातिना इल्ला कुल्लु ख़त्तारिन् कफ़ूर
    और जब उन्हें लहर (ऊँची होकर) छत्रों की तरह (ऊपर से) ढाँक लेती है तो वे अल्लाह को उसी के लिए अपने निष्ठाभाव को विशुद्ध करते हुए पुकारते हैं। फिर जब अल्लाह उनको बचाकर सुरक्षित पहुँचा देता है तो उनमें से कुछ तो कुछ देर संतुलित मार्ग पर रहते हैं। (और कुछ पक्के काफिर) और हमारी (क़ुदरत की) निशानियों से इन्कार तो बस विश्वासघाती, कृतघ्न लोग ही करते हैं।
  13. या अय्युहन्नासुत्तक़ू रब्बकुम् वख़्शौ यौमल् – ला यज्ज़ी वालिदुन् अंव्व – लदिही व ला मौलूदुन् हु-व जाज़िन् अंव्वालिदिही शैअन्, इन्-न वअ्दल्लाहि हक़्क़ुन् फ़ला तग़ुर्रन्नकुमुल्- हयातुद्-दुन्या, व ला यग़ुर्रन्न- कुम् बिल्लाहिल्-ग़रूर
    लोगों अपने पालनहार से डरो और उस दिन का भय रखो जब न कोई बाप अपने बेटे के काम आएगा। और न कोई बेटा अपने बाप के कुछ काम आ सकेगा। अल्लाह का (क़यामत का) वायदा बिल्कुल पक्का है। अतः सांसारिक जीवन कदापि तुम्हें धोखे में न डाले। और कहीं तुम्हें फरेब देने वाला (शैतान) कुछ फ़रेब न दे।
  14. इन्नल्ला- ह अिन्दहू अिल्मुस्सा- अ़ति व युनज्जिलुल्- गैस व यअलमु मा फिल् – अर्हामि, व मा तदूरी नफ़्सुम् – माज़ा तक्सिबु गदन्, व मा तद्री नफ़्सुम् बिअय्यि अर्जिन् तमूतु, इन्नल्ला – ह अलीमुन् ख़बीर
    बेशक अल्लाह ही के पास प्रलय (के आने) का ज्ञान है।और वही (जब मौक़ा मुनासिब देखता है) पानी बरसाता है। और जो कुछ औरतों के पेट में (नर मादा) है जानता है। और कोई शख्स (इतना भी तो) नहीं जानता कि वह ख़़ुद कल क्या करेगा। और कोई शख़्स ये (भी) नहीं जानता है कि वह किस सर ज़मीन पर मरे (गड़े) गा। वास्तव में, अल्लाह ही सब कुछ जानने वाला, सबसे सूचित है।

सूरत लुकमान वीडियो | Surah Luqman Video

Share this:

Leave a Comment

error: Content is protected !!