65 सूरह अत-तलाक हिंदी में​

65 सूरह अत-तलाक | Surah At-Talaq

सूरह अत-तलाक में अरबी के 12 आयतें और 2 रुकू है। यह सूरह मदनी है। यह सूरह पारा 28 में है।

इस सूरह अत-तलाक का नाम ही नहीं, बल्कि इसकी चर्चा का शीर्षक भी है, क्योंकि इसमें सिर्फ तलाक के नियमों का जिक्र है।

सूरह अत-तलाक हिंदी में | Surah At-Talaq in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. या अय्युहन्नबिय्यु इज़ा तल्लक़्तुमुन्- निसा-अ फ़-तल्लिक़ूहुन्-न लिअिद्-दति- -हिन्-नव अह्सुल्- इद्-द-त वत्तक़ुल्ला-ह रब्बकुम् ला तुख़िरजूहुन्-न मिम्-बुयूतिहिन्-न व ला यख़रुज्-न इल्ला अंय्य अ्ती-न बिफ़ाहि-शतिम् मुबय्यि-नतिन्, व तिल्-क हुदूदुल्लाहि, व मंय्य-त-अ़द्-द हुदूदल्लाहि फ़- क़द् ज़-ल-म नफ़्सहू, ला तद्री लअल्लल्ला-ह युह्दिसु ब अ्-द ज़ालि-क अम्रा
    ऐ रसूल! (मुसलमानों से कह दो) जब तुम अपनी बीवियों को तलाक़ दो तो उनकी इद्दत (पाकी) के वक़्त तलाक़ दो और इद्दा की गणना रखो। और अपने परवरदिगार अल्लाह से डरो। और (इद्दे के अन्दर) उनके घर से उन्हें न निकालो और वह ख़ुद भी घर से न निकलें। मगर जब वह कोई बुराई का काम कर बैठें (तो निकाल देने में बुराई नहीं)। और ये अल्लाह की (मुक़र्रर की हुयी) सीमायें हैं। और जो अल्लाह की हदों से उल्लंघन करेगा तो उसने अपने ऊपर आप ज़ुल्म किया। तो तू नहीं जानता शायद अल्लाह उसके बाद कोई बात पैदा करे (जिससे मर्द पछताए और मेल हो जाए)।
  2. फ़-इज़ा बल ग़्-न अ-ज-लहुन्-न फ़-अम्सिकूहुन्-न बि- मअ्-रूफ़िन् औ फ़ारिक़ू हुन्-न बि- म अ्-रूफिंव्-व अश्हिदू ज़वै अ़द्लिम् – मिन्कुम् व अक़ीमुश्शहा-द-त लिल्लाहि, ज़ालिकुम् यू – अ़ज़ु बिही मन् का-न युअ्मिनु बिल्लाहि वल्यौमिल्- आख़िरि, व मंय्यत्तकिल्ला-ह यज्अल्-लहू मख़् – रजा
    फिर जब वे अपनी नियत इद्दत को पहुँचें तो या तो उन्हें भली रीति से रोक लो या भली रीति से अलग कर दो। अपने लोगों में से दो न्यायप्रिय आदमियों को गवाह क़रार दे लो। और गवाहों तुम अल्लाह के वास्ते ठीक ठीक गवाही देना। इन बातों से उस शख़्स को शिक्षा की जाती है जो अल्लाह और अन्त-दिवस पर ईमान रखता हो और जो अल्लाह से डरेगा। तो अल्लाह उसके लिए नजात की सूरत निकाल देगा।
  3. व यर्ज़ुक़्हु मिन् हैसु ला यहतसिबु, व मंय्य – तवक्कल् अ़लल्लाहि फ़हु-व हस्बुहू, इन्नल्ला – ह बालिग़ु अम्रिही, क़द् ज- अ़लल्लाहु लिकुल्लि शैइन् क़द्रा
    और उसको ऐसी जगह से जीविका देगा जहाँ से अनुमान भी न हो। और जिसने अल्लाह पर भरोसा किया तो वह उसके लिए काफी है। बेशक अल्लाह अपने काम को पूरा करके रहता है। अल्लाह ने हर चीज़ का एक अनुमान नियत कर रखा है।
  4. वल्लाई य-इस्-न मिनल्-महीज़ि मिन्-निसाइकुम् इनिर्तब्तुम् फ़-अिद्दतुहुन्-न सला- सतु अश्हुरिंव् – वल्लाई लम् यहिज़्-न, व उलातुल्-अ ह्मालि अ-जलुहुन् न अंय्यज़अ् – न हम्ल हुन्-न, व मंय्यत्त क़िल्ला – ह यज् अ़ल्-लहू मिन् अम्रिही युस्रा
    और जो औरतें हैज़ से निराश हो चुकी अगर तुम को उनके इद्दे में संदेह हो तो उनका इद्दा तीन महीने है। और वह औरतें जिनको मासिक धर्म हुआ ही नहीं और गर्भवती स्त्रियों की निर्धारित अवधि उनका बच्चा जनना है। और जो अल्लाह से डरता है अल्लाह उसके काम मे सरलता पैदा करेगा।
  5. ज़ालि – क अम्रुल्लाहि अन्ज़-लहू इलैकुम्, व मंय्यत्तकिल्ला-ह युकफ़्फ़िर् अन्हु सय्यिआतिही व यु अ्ज़िम् लहू अज्रा
    ये अल्लाह का आदेश है जो अल्लाह ने तुम पर उतारा है और जो ख़ुद अल्लाह से डरता रहेगा। तो वह उसके गुनाह उससे दूर कर देगा और उसे बड़ा प्रतिफल देगा।
  6. अस्किनूहुन्-न मिन् हैसु स-कन्तुम् मिं व्वुज्दिकुम् व ला तुज़ारूहुन्-न लि-तुज़य्यिकू अ़लैहिन्-न, व इन् कुन्-न उलाति हम्लिन् फ़-अन्फिक़ू अ़लैहिन्- न हत्ता यज़अ्-न हम् – लहुन्-न फ-इन् अर्ज़अ्-न लकुम् फ़-आतूहुन्-न उजू-रहुन्न वअ्तमिरू बैनकुम् बि-मअरूफ़िन् व इन् तआसर्-तुम् फ़-सतुर्जि ऊ लहू उ ख़्रा
    अपनी हैसियत के अनुसार जहाँ तुम स्वयं रहते हो उन्हें भी उसी जगह रखो। और उनको तंग करने के लिए उनको तकलीफ न पहुँचाओ। और अगर वह गर्भवती हो तो बच्चा जनने तक उनका खर्च देते रहो फिर (जनने के बाद) अगर वह बच्चे को तुम्हारी ख़ातिर दूध पिलाए तो उन्हें उनकी (मुनासिब) पारिश्रमिक दे दो। और आपस में उचित रूप से विचार-विमर्श कर लो, और यदि तुम दोनों में तनाव हो जाये, तो बच्चे को उसके (बाप की) ओर से कोई और औरत दूध पिला देगी।
  7. लियुन्फ़िक् ज़ू स-अतिम्-मिन् स – अ़तिही, व मन् क़ुदि-र अ़लैहि रिज़्कुहू फ़ल्युन्फ़िक़् मिम्मा – आताहुल्लाहु, ला युकल्लिफ़ुल्लाहु नफ़्सन् इल्ला मा आताहा, स-यज् – अ़लुल्लाहु ब अ्-द उ स् रिंय्-युस्रा
    गुन्जाइश वाले को अपनी गुन्जाइश के मुताबिक़ ख़र्च करना चाहिए। और जिसकी रोज़ी तंग हो वह जितना अल्लाह ने उसे दिया है उसमें से खर्च करे। अल्लाह ने जिसको जितना दिया है बस उसी के मुताबिक़ तकलीफ़ दिया करता है। अल्लाह अनकरीब ही तंगी के बाद आसानी पैदा कर देगा।
  8. व क – अय्यिम् मिन् क़र्-यतिन् अ़तत् अ़न् अम्रि रब्बिहा व रुसुलिही फ़-हासब्नाहा हिसाबन् शदीदंव्-व अज़्ज़ब्नाहा अ़ज़ाबन्-नुक्रा
    और बहुत सी बस्तियों (वाले) ने अपने परवरदिगार और उसके रसूलों के हुक़्म से अवज्ञा की तो हमने उनका बड़ी सख़्ती से हिसाब लिया। और उन्हें बुरी यातना की सज़ा दी।
  9. फ़-ज़ाक़त् व बा-ल अम्रिहा व का-न आ़क़ि- बतु अम्रिहा ख़ुस्रा
    तो उन्होने अपने काम की सज़ा का मज़ा चख लिया और उनके काम का अन्जाम विनाश ही था।
  10. अ-अद्दल्लाहु लहुम् अ़ज़ाबन् शदीदन् फ़त्तक़ुल्ला-ह या उलिल्- अल्बाबिल्लज़ी-न आमनू क़द् अन्ज़लल्लाहु इलैकुम् ज़िक्रा
    अल्लाह ने उनके लिए भीषण यातना तैयार कर रखा है। तो ऐ अक़्लमन्दों! जो ईमान ला चुके हो, अल्लाह से डरते रहो। अल्लाह ने तुम्हारे पास (अपनी) याद कुरान और अपना रसूल भेज दिया है।
  11. रसूलंय् – यत्लू अ़लैकुम् आयातिल्लाहि मुबय्यिनातिल्-लियुख़्-रिजल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति मिनज़्ज़ुलुमाति इलन्नूरि, व मंय्युअ्मिम् बिल्लाहि व यअ्मल् सालिहंय् – युद्ख़िल्हु जन्नातिन् तज्री मिन् तह्तिहल्-अन्हारु ख़ालिदी-न फ़ीहा अ-बदन्, क़द् अह्-सनल्लाहु लहू रिज़्क़ा
    जो तुम्हारे सामने खुली आयतें पढ़ता है ताकि जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम करते रहे। उनको (कुफ्र की) अन्धकारों से ईमान की रौशनी की तरफ़ निकाल लाए और जो अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम करे तो अल्लाह उसको (स्वर्ग के) उन बाग़ों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं। और वह उसमें सदैव रहेंगे। अल्लाह ने उनको उत्तम रोज़ी दी है।
  12. अल्लाहुल्लज़ी ख़-ल-क़ सब्-अ़ समावातिंव्-व मिनल्-अर्ज़ि मिस्-लहुन्-न, य-तनज़्ज़लुल्-अम्रू बैनहुन्-न लितअ्लमू अन्नल्ला-ह अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीरुंव्-व अन्नल्ला – ह कुद् अहा – त बिकुल्लि शैइन् अिल्मा
    अल्लाह ही तो है जिसने सात आसमान पैदा किए और उन्हीं के बराबर धरती को भी। उनमें अल्लाह का हुक़्म उतरता रहता है ताकि तुम लोग जान लो कि अल्लाह अल्लाह जो कुछ चाहे, कर सकता है। और बेशक अल्लाह अपने इल्म से हर चीज़ पर हावी है।

सूरह अत-तलाक वीडियो | Surah At-Talaq Video

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