66 सूरह अत-तहरीम हिंदी में​

66 सूरह अत-तहरीम | Surah At-Tahrim

सूरह अत-तहरीम में अरबी के 12 आयतें और 2 रुकू है। यह सूरह मदनी है। यह सूरह पारा 28 में है।

सूरह अत-तहरीम हिंदी में | Surah At-Tahrim in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. या अय्युहन्नबिय्यु लि-म तुहर्रिमु मा अ-हल्लल्लाहु ल-क तब्तग़ी मर्ज़ा-त अज़्वाजि-क, वल्लाहु ग़फ़ूरुर्-रहीम 
    ऐ रसूल! जो चीज़ अल्लाह ने तुम्हारे लिए वैध की है तुम उससे अपनी बीवियों की प्रसन्नता के लिए क्यों अवैध करो। और अल्लाह तो बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है। [ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अस्र की नमाज़ के बाद अपनी सब पत्नियों के यहाँ कुछ देर के लिये जाया करते थे। एक बार कई दिन तक अपनी पत्नी ज़ैनब (रज़ियल्लाहु अन्हा) के यहाँ अधिक देर तक रह गये। कारण यह था कि वह आप को मधु पिलाती थीं। आप की पत्नी आइशा तथा ह़फ़्सा (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) ने योजना बनाई कि जब आप आयें तो जिस के पास जायें वह यह कहे कि आप के मुँह से मग़ाफ़ीर (एक दुर्गन्धित फूल) की गन्ध आ रही है। और उन्होंने यही किया। जिस पर आप ने शपथ ले ली कि अब मधु नहीं पिऊँगा। उसी पर यह आयत उतरी। (बुख़ारीः 4912) इस में यह संकेत भी है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को भी किसी ह़लाल को ह़राम करने अथवा ह़राम को ह़लाल करने का कोई अधिकार नहीं था।]
  2. क़द् फ़-रज़ल्लाहु लकुम् तहिल्-ल-त ऐमानिकुम् वल्लाहु मौलाकुम् व हुवल् अ़लीमुल्-हकीम 
    अल्लाह ने तुम लोगों के लिए क़समों को तोड़ डालने का नियम बना दिया है। और अल्लाह ही तुम्हारा कारसाज़ है और वही सर्वज्ञानी गुणी है।
  3. व इज़् असर्रन्- नबिय्यु इला बअ्ज़ि अज़्वाजिही हदीसन् फ़-लम्मा नब्ब-अत् बिही व अज़्ह-र-हुल्लाहु अ़लैहि अ़र्र फ़ बअ् – ज़हू व अअ्र-ज़ अ़म्-बअ्ज़िन् फ़-लम्मा नब्ब – अहा बिही क़ालत् मन् अम्ब-अ-क हाज़ा, क़ा-ल नब्ब-अनि-य ल् अ़लीमुल् – ख़बीर 
    और जब पैग़म्बर ने अपनी बाज़ बीवी (हफ़सा) से चुपके से कोई बात(अर्थात मधु न पीने की बात) कही फिर जब उसने (बावजूद मना करने के) उस बात की (आयशा को) ख़बर दे दी। और अल्लाह ने इस बात को रसूल पर ज़ाहिर कर दिया तो रसूल ने (आयशा को) बाज़ बात (किस्सा मारिया) जता दी और बाज़ बात (किस्साए शहद) टाल दी। ग़रज़ जब रसूल ने इस वाकि़ये (हफ़सा के आयशाए राज़) कि उस (आयशा) को ख़बर दी तो हैरत से बोल उठीं आपको इस बात (आयशाए राज़) की किसने ख़बर दी। रसूल ने कहा मुझे सब कुछ जानने वाले (अल्लाह) ने बता दिया।
  4. इन् ततूबा इलल्लाहि फ़-क़द् स ग़त् क़ुलूबुकुमा व इन् तज़ा-हरा अ़लैहि फ़-इन्नल्ला-ह हु-व मौलाहु व जिब्रीलु व सालिहुल्-मु अ्मिनी-न वल्मलाइ-कतु बअ्-द ज़ालि-क ज़हीर 
    (तो ऐ हफ़सा व आयशा) अगर तुम दोनों (इस हरकत से) तौबा करो तो उत्तम क्योंकि तुम दोनों के दिल कुछ झुक गये हैं। और अगर तुम दोनों रसूल के विरुद्ध एक दूसरे की सहायता करती रहोगी तो कुछ परवा नहीं। (क्यों कि) अल्लाह और जिबरील और तमाम इमानदारों में नेक शख़्स उनके मददगार हैं। और उनके अलावा कुल फ़रिश्ते मददगार हैं।
  5. अ़सा रब्बुहू इन् तल्ल-क़कुन्-न अंय्युब्दि लहू अज़्वाजन् ख़ैरम्-मिन्कुन्-न मुस्लिमातिम्-मुअ्मिनातिन् क़ानितातिन् ता-इबातिन् आबिदातिन् सा-इहातिन् सय्यिबातिंव्-व अब्कारा 
    अगर रसूल तुम लोगों को तलाक़ दे दे, तो जल्द ही उनका पालनहार तुम्हारे बदले उनको तुमसे अच्छी बीवियाँ दे। जो आज्ञा पालक, ईमानदार, अल्लाह रसूल की गुनाहों से क्षमा माँगने वालियाँ, इबादत गुज़ार, व्रत रखने वालियाँ विधवायें, और बिन ब्याही कुंवारियाँ हो।
  6. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू क़ू अन्फ़ु-सकुम् व अह्लीकुम्
    नारंव्-व क़ूदुहन्नासु वल्हिजा-रतु अ़लैहा मलाइ-कतुन् ग़िलाज़ुन् शिदादुल् ला यअ्सूनल्ला-ह मा अ-म-रहुम् व यफ़् अलू-न मा युअ्मरून
    ऐ ईमानदारों! अपने आपको और अपने लड़के बालों को (जहन्नुम की) आग से बचाओ जिसके इंधन आदमी और पत्थर होंगे। उन पर वह कड़े दिल, कड़े स्वभाव वाले फ़रिश्ते (नियुक्त) हैं कि अल्लाह जिस बात का हुक़्म देता है उसकी अवज्ञा नहीं करते। और जो हुक़्म उन्हें मिलता है उसे कर देते हैं।
  7. या अय्युहल्लज़ी-न क-फ़रू ला तअ्तस्ज़िरुल्-यौ-म, इन्नमा तुज्ज़ौ-न मा कुन्तुम् तअ्मलून
    (जब कुफ़्फ़ार नरक के सामने आएँगे तो कहा जाएगा) काफि़रों! आज बहाने न ढूँढो। जो कुछ तुम करते थे, तुम्हें उसी का बदला दिया जा रहा है।
  8. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू तूबू इलल्लाहि तौ-बतन्-नसूहन्, अ़सा रब्बुकुम् अंय्युकफ़्फ़ि-र अ़न्कुम् सय्यिआतिकुम् व युद्ख़ि-लकुम् जन्नातिन् तज्री मिन् तह्तिहल्-अन्हारु यौ-म ला युख़िज़ल्लाहुन्-नबिय्-य वल्लज़ी-न आमनू म-अ़हू नूरुहुम् यस्आ बै-न ऐदीहिम् व बि-ऐमानिहिम् यकूलू-न रब्बना अत्मिम् लना नू-रना वग़्फिर् लना इन्न-क अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर
    ऐ ईमान वालो! अल्लाह के आगे सच्चे दिल से तौबा करो तो (उसकी वजह से) उम्मीद है कि तुम्हारा परवरदिगार तुमसे तुम्हारी बुराईयाँ दूर कर दे। और तुमको (स्वर्ग के) उन बाग़ों में दाखिल करे जिनके नीचे नहरें जारी हैं। उस दिन जब अल्लाह रसूल को और उन लोगों को जो उनके साथ ईमान लाए हैं अपमानित नहीं करेगा। (बल्कि) उनका नूर उनके आगे आगे और उनके दाहिने तरफ़ (रौशनी करता) चल रहा होगा। और ये लोग ये दुआ करते होंगे। परवरदिगार! हमारे लिए हमारा नूर पूरा कर और हमें बख्श दे। बेशक! तू हर चीज़ पर क़ादिर है।
  9. या अय्युहन्नबिय्यु जाहिदिल्- कुफ़्फ़ा-र वल्-मुनाफ़िक़ी-न वग्लुज़् अ़लैहिम्, व मअ्वाहुम् जहन्नमु, व बिअ्सल्-मसीर
    ऐ रसूल! काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों से जेहाद करो और उन पर सख़्ती करो। और उनका ठिकाना नरक है और वह बुरा ठिकाना है।
  10. ज़-रबल्लाहु म-सलल्-लिल्लज़ी-न क-फ़रुम्-र-अ-त नूहिंव्-वम्-र-अ-त लूतिन्, का-नता तह्-त अ़ब्दैनि मिन् अिबादिना सालिहैनि फ़-ख़ानताहुमा फ़-लम् युग्निया अ़न्हुमा मिनल्लाहि शैअंव्-व क़ीलद्ख़ुलन्ना-र मअद्-दाख़िलीन
    अल्लाह ने काफ़िरों (के सबक) के लिए नूह की बीवी (वाएला) और लूत की बीवी (वाहेला) का उदाहरण दिया है कि ये दोनो हमारे बन्दों के विवाह में थीं तो दोनों ने अपने शौहरों से विश्वासघात किया तो उनके शौहर अल्लाह के
    मुक़ाबले में उनके कुछ भी काम न आए। और उनको हुक़्म दिया गया कि और जाने वालों के साथ जहन्नुम में तुम दोनों भी दाखिल हो जाओ।
  11. व ज़- रबल्लाहु म-सलल्-लिल्लज़ी-न आमनुम्-र-अ-त फिर्औ-नo इज़् क़ालत् रब्बिनि ली इन्द-क बैतन् फिल्-जन्नति व नज्जिनी मिन् फिर्औ-न व अ़-मलिही व नज्जिनी मिनल् कौमिज़्ज़ालिमीन
    और अल्लाह ने ईमान वालो (की तसल्ली) के लिए फिरौन की बीवी (आसिया) का उदाहरण बयान फ़रमाया है कि जब उसने दुआ की परवरदिगार! मेरे लिए अपने यहाँ स्वर्ग में एक घर बना। और मुझे फिरौन और उसकी कर्म से मुक्त कर दे। और मुझे अत्याचारी लोगो (के हाथ) से मुक्त कर दे।
  12. व मर्य-मब्न-त अिम्रानल्लती अह्-सनत् फ़र्-जहा फ़-नफ़ख़्ना फ़ीहि मिर्-रूहिना व सद्द-क़त् बि-कलिमाति-रब्बिहा व कुतुबिही व कानत् मिनल्-क़ानितीन
    और (दूसरी मिसाल) इमरान की बेटी मरियम जिसने अपने सतीत्व की रक्षा की। तो हमने उसमें रूह फूंक दी और उसने अपने परवरदिगार की बातों और उसकी किताबों को सच माना और इबादत करने वालों में थीं। (पारा 28 समाप्त)

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