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Toggleसूरह बकरा हिंदी में (पेज 13) Surah Al-Baqarah in Hindi
- व लिल्मुतल्लक़ाति मताअुम् बिल्मअ्-रूफ़ि, हक़्क़न अलल् मुत्तक़ीन○
और जिन औरतों को मुकर्रर मेहर और हाथ लगाए बगैर तलाक़ दे दी जाए उनके साथ जोड़े रुपए वगैरह से सुलूक करना लाज़िम है। - कज़ालि-क युबय्यिनुल्लाहु लकुम् आयातिही लअल्लकुम् तअ्क़िलून○ *
(ये भी) परहेज़गारों पर एक हक़ है उसी तरह अल्लाह तुम लोगों की हिदायत के वास्ते अपने एहक़ाम साफ़-साफ़ बयान फरमाता है। - अलम् त-र इलल्लज़ी-न ख़-रजू मिन् दियारिहिम् व हुम् उलूफुन् ह-ज़रल्मौति, फ़क़ा-ल लहुमुल्लाहु मूतू, सुम् -म अह्-या-हुम, इन्नल्ला -ह लजू फ़ज़्लिन् अलन्नासि व लाकिन्-न अक्सरन्नासि ला यश्कुरून○
ताकि तुम समझो (ऐ रसूल!) क्या तुम ने उन लोगों के हाल पर नज़र नही की जो मौत के डर के मारे अपने घरों से निकल भागे और वह हज़ारो आदमी थे। तो अल्लाह ने उन से फरमाया कि सब के सब मर जाओ (और वह मर गए) फिर अल्लाह न उन्हें जिन्दा किया। बेशक अल्लाह लोगों पर बड़ा मेहरबान है मगर अक्सर लोग उसका शुक्र नहीं करते। - व क़ातिलू फी सबीलिल्लाहि वअ्लमू अन्नल्ला-ह समीअ़ुन् अलीम○
और मुसलमानों! अल्लाह की राह मे जिहाद करो और जान रखो कि अल्लाह ज़रुर सब कुछ सुनता (और) जानता है। - मन् ज़ल्लजी युक़्रिज़ुल्ला-ह क़र्ज़न् ह-सनन् फ़-युज़ाअि-फहू लहू अज़्आफन् कसीर-तन्, वल्लाहु यक़्बिज़ु व यब्सुतु व इलैहि तुर्ज़अून○
है कोई जो अल्लाह को क़र्ज़ ए हुस्ना(जिहाद के लिये धन ख़र्च करना) दे ताकि अल्लाह उसके माल को इस के लिए कई गुना बढ़ा दे। और अल्लाह ही तंगी करता है और वही अधिक देता है और उसकी तरफ सब के सब लौटा दिये जाओगे। - अलम् त-र इलल-म-लइ मिम्-बनी इस्राई-ल मिम्-बअ्दि मूसा• इज़ क़ालू लि-नबिय्यिल्-लहुमुब्अस् लना मलिकन्नुक़ातिल् फी सबीलिल्लाहि, क़ा–ल हल असैतुम् इन् कुति-ब-अलैकुमुल्- क़ितालु अल्ला तुक़ातिलू , क़ालू व मा लना अल्ला नुक़ाति-ल फ़ी सबीलिल्लाहि व क़द् उख़्रिज्ना मिन् दियारिना व अब्ना-इना, फ़-लम्मा कुति-ब अलैहिमुल्-क़ितालु तवल्लौ इल्ला क़लीलम् मिन्हुम, वल्लाहु अलीमुम्-बिज़्ज़ालिमीन○
(ऐ रसूल!) क्या तुमने मूसा के बाद बनी इसराइल के सरदारों की हालत पर नज़र नही की? जब उन्होंने अपने नबी (शमूयेल) से कहा कि हमारे वास्ते एक बादशाह नियुक्त कीजिए ताकि हम राहे अल्लाह में जिहाद करें (पैग़म्बर ने) फ़रमाया कहीं ऐसा तो न हो कि जब तुम पर जिहाद वाजिब किया जाए तो तुम न लड़ो, कहने लगे जब हम अपने घरों और अपने बाल बच्चों से निकाले जा चुके तो फिर हमे कौन सा उज़्र बाक़ी है कि हम अल्लाह की राह में जिहाद न करें। फिर जब उन पर जिहाद वाजिब किया गया तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा सब के सब ने लड़ने से मुँह फेरा और अल्लाह तो ज़ालिमों को खूब जानता है। - व क़ा-ल लहुम् नबिय्युहुम् इन्नल्ला-ह क़द् ब-अ-स लकुम् तालू-त मलिकन्, क़ालू अन्ना यकूनु लहुल्मुल्कु अलैना व नह्नु अहक़्क़ु बिल्मुल्कि मिन्हु व लम् युअ-त स-अतम् मिनल्-मालि, क़ा-ल इन्नल्लाहस्तफ़ाहु अलैकुम् व ज़ा-दहू बस्त-तन् फ़िल-इल्मि वल्-जिस्मि, वल्लाहु युअ्ती मुल्कहू मंय्यशा-उ, वल्लाहु वासिअुन् अलीम○
और उनके नबी ने उनसे कहा कि बेशक अल्लाह ने तुम्हारी दरख्वास्त के मुताबिक़ तालूत को तुम्हारा बादशाह मुक़र्रर किया (तब) कहने लगे उस की हुकूमत हम पर क्यों कर हो सकती है हालाकि सल्तनत के हक़दार उससे ज्यादा तो हम हैं क्योंकि उसे तो माल के एतबार से भी ख़ुशहाली तक नसीब नहीं, (नबी ने) कहा अल्लाह ने तुम्हारे मुक़ाबले में उसको ही चुना है और माल में न सही मगर इल्म और जिस्म का फैलाव तो उस का अल्लाह ने ज्यादा फरमाया है और अल्लाह अपना मुल्क जिसे चाहें दे और अल्लाह बड़ी गुन्जाइश वाला और सर्वज्ञ है। - व क़ा-ल लहुम् नबिय्युहुम् इन्-न आय-त मुल्किही अंय्यअ्ति-यकुमुत्ताबूतु फ़ीहि सकीनतुम् मिर्रब्बिकुम् व बक़िय्यतुम् मिम्मा त-र-क आलु मूसा व आलु हारू-न तह्-मिलुहुल्-मलाइ-कतु, इन्न फ़ी ज़ालि-क लआ-यतल्लकुम् इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन○ *
और उन के नबी ने उनसे ये भी कहा इस के बादशाह होने की ये पहचान है कि तुम्हारे पास वह सन्दूक़ आ जाएगा जिसमें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तसकीन दे चीजें और उन तब्बुरक़ात से बचा खुचा होगा जो मूसा और हारुन की औलाद यादगार छोड़ गयी है और उस सन्दूक को फरिश्ते उठाए होगें अगर तुम ईमान रखते हो तो बेशक उसमें तुम्हारे वास्ते पूरी निशानी है। - फ लम्मा फ़-स-ल तालूतु बिल्जुनूदि, क़ा-ल इन्नल्ला-ह मुब्तलीकुम बि-न हरिन्, फ़-मन् शरि-ब मिन्हु फलै-स मिन्नी, व मल्लम् यत्अम्हु फ़-इन्नहू मिन्नी इल्ला मनिग़्त-र-फ़ ग़ुर्-फ़तम् बि-यदिही, फ़-शरिबू मिन्हु इल्ला क़लीलम् मिन्हुम, फ़-लम्मा जा-व ज़हू हु-व वल्लज़ी-न आमनू म-अहू, क़ालू ला ता-क़-त लनल्-यौ-म बिजालू-त व जुनूदिही, क़ालल्लज़ी-न यज़ुन्नू-न अन्नहुम् मुलाक़ुल्लाहि, कम् मिन फ़ि-अतिन् क़लीलतिन् ग़-लबत् फ़ि-अतन् कसी-रतम् बि-इज़्निल्लाहि, वल्लाहु म-अस्साबिरीन○
फिर जब तालूत सेनाएँ लेकर (शहर ऐलिया से) रवाना हुआ तो अपने साथियों से कहा, देखो आगे एक नहर मिलेगी इस से यक़ीनन अल्लाह तुम्हारे सब्र की आज़माइश करेगा फ़िर जो शख्स उस का पानी पीयेगा मुझे (कुछ वास्ता) नही रखता और जो उस को नही चखेगा वह बेशक मुझ से होगा। मगर हाँ जो अपने हाथ से एक (आधा चुल्लू भर के पी) ले तो कुछ हर्ज नही फ़िर उन लोगों ने न माना और थोड़े आदमियों के सिवा सब ने उस का पानी पिया। फिर जब तालूत और जो ईमानवाले उन के साथ थे, नहर से पास हो गए तो (ख़ास मोमिनों के सिवा) सब के सब कहने लगे कि हम में तो आज भी जालूत और उसकी फौज से लड़ने की शक्ति नहीं मगर वह लोग जिनको यक़ीन है कि एक दिन अल्लाह को मुँह दिखाना है। बेधड़क बोल उठे, “ऐसा बहुत हुआ कि अल्लाह के हुक्म से छोटे गिरोह, बड़े गिरोह पर विजय पाई है और अल्लाह सब्र करने वालों का साथी है।” - व लम्मा ब-रज़ू लिजालू-त व जुनूदिही क़ालू रब्बना अफ्रिग़् अलैना सबरंव्-व सब्बित् अक़्दामना वन्सुरना अलल्-क़ौमिल् काफ़िरीन○
और जब ये लोग जालूत और उसकी फौज के मुक़ाबले को निकले तो दुआ की ऐ मेरे परवरदिगार! हमें कामिल सब्र अता फरमा और मैदाने जंग में हमारे क़दम जमाए रख और हमें काफिरों पर विजय प्रदान कर। - फ-ह-ज़मूहुम् बि-इज़्निल्लाहि, व क़-त-ल दावूदु जालू-त व आताहुल्लाहुल-मुल्-क वल्-हिक्म-त व अल्ल-महू मिम्मा यशा-उ, व लौ ला दफ़्अुल्लाहिन्ना-स बअ्-ज़हुम् बिबअ्ज़िल् ल-फ-स-दतिल-अर्ज़ु व लाकिन्नल्ला-ह ज़ू फज़्लिन् अलल्-आलमीन○
फिर तो उन लोगों ने अल्लाह के हुक्म से दुश्मनों को शिकस्त दी और दाऊद ने जालूत को क़त्ल किया और अल्लाह ने उनको सल्तनत व तत्वदर्शिता (हिकमत) प्रदान की, और इल्म व हुनर जो चाहा उन्हें गोया घोल के पिला दिया और अगर अल्लाह एक गरोह के लोगों के ज़रिए से दूसरे गरोह को हटाता न रहता तो तमाम धरती पर फ़साद फैल जाता मगर अल्लाह तो सारे जहाँन के लोगों पर बड़ा दयाशील है। - तिल्-क आयातुल्लाहि नत्लूहा अलै-क बिल्हक़्क़ि, व इन्न-क ल-मिनल्-मुरसलीन○
ऐ रसूल! ये अल्लाह की सच्ची आयतें हैं जो हम तुम को ठीक ठीक पढ़के सुनाते हैं और बेशक तुम ज़रुर रसूलों में से हो। (पारा 2 समाप्त)
पारा 3 शुरू
- तिल्कर्रूसुलु फज़्ज़ल्ना बअ्ज़-हुम अला बअ्ज़िन् • मिन्हुम् मन् कल्लमल्लाहु व र-फ-अ बअ्-ज़हुम द रजातिन्, व आतैना अीसब्-न मर्यमल-बय्यिनाति व अय्यद् नाहु बिरूहिल्क़ुदुसि, व लौ शाअल्लाहु मक़्त-तलल्लज़ी-न मिम्- बअ्दिहिम् मिम्-बअ़दि मा जाअत्हुमुल बय्यिनातु व लाकिनिख़्त -लफू फ़-मिन्हुम् मन् आम-न व मिन्हुम् मन् क-फ़-र, व लौ शाअल्लाहु मक़्त-तलू, व लाकिन्नल्ला-ह यफ्अलु मा युरीद○
यह सब रसूल (जो हमने भेजे) उनमें से बाज़ को बाज़ पर फज़ीलत दी उनमें से बाज़ तो ऐसे हैं जिनसे ख़ुद अल्लाह ने बात की उनमें से बाज़ के (और तरह पर) दर्जे बुलन्द किये और मरियम के बेटे ईसा को (कैसे कैसे रौशन मौजिज़े अता किये) और रूहुलकुदस (जिबरईल) के ज़रिये से उनकी मदद की और अगर अल्लाह चाहता तो लोग इन (पैग़म्बरों) के बाद हुये वह अपने पास रौशन मौजिज़े आ चुकने पर आपस में न लड़ मरते मगर उनमें फूट पड़ गई पस उनमें से बाज़ तो ईमान लाये और बाज़ काफ़िर हो गये और अगर अल्लाह चाहता तो यह लोग आपस में लड़ते मगर अल्लाह वही करता है जो चाहता है। - या अय्युहल्लज़ी-न आमनू अन्फिक़ू मिम्मा र- ज़क़्नाकुम् मिन् क़ब्लि अंय्यअ्ति-य यौमुल्ला बैअुन् फीहि व ला खुल्लतुंव-व ला शफाअतुन, वल-काफ़िरू -न हुमुज़्ज़ालिमून○
ऐ ईमानदारों! जो कुछ हमने तुमको दिया है उस दिन के आने से पहले (अल्लाह की राह में) ख़र्च करो जिसमें न तो ख़रीदो फरोख्त होगी और न यारी (और न आशनाई) और न सिफ़ारिश (ही काम आयेगी) और कुफ़्र करने वाले ही तो जुल्म ढाते हैं। - अल्लाहु ला इला-ह इल्ला हु-व, अल्-हय्युल-क़य्यूमु, ला तअ्ख़ुज़ुहू सि-नतुंव्-व ला नौमुन्, लहू मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि, मन् ज़ल्लज़ी यश्फ़अु अिन्दहू इल्ला बि-इज़्निही, यअ्लमु मा बै-न ऐदीहिम व मा ख़ल्फहुम, व ला युहीतू-न बिशैइम् मिन् अिल्मिही इल्ला बिमा शा-अ, वसि-अ कुर्सिय्यूहुस्समावाति वल्अर्-ज़, व ला यऊदुहू हिफ़्ज़ुहुमा, व हुवल् अलिय्युल अज़ीम○
अल्लाह ही वो ज़ाते पाक है कि उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वह) ज़िन्दा है (और) सारे जहान का संभालने वाला है उसको न ऊँघ आती है न नींद जो कुछ आसमानो में है और जो कुछ ज़मीन में है (गरज़ सब कुछ) उसी का है कौन ऐसा है जो बग़ैर उसकी इजाज़त के उसके पास किसी की सिफ़ारिश करे जो कुछ उनके सामने मौजूद है (वह) और जो कुछ उनके पीछे (हो चुका) है (अल्लाह सबको) जानता है और लोग उसके इल्म में से किसी चीज़ पर भी अहाता नहीं कर सकते मगर वह जिसे जितना चाहे (सिखा दे) उसकी कुर्सी सब आसमानॊं और ज़मीनों को घेरे हुये है और उन दोनों (आसमान व ज़मीन) की निगेहदाश्त उसपर कुछ भी मुश्किल नहीं और वह आलीशान बुजुर्ग़ मरतबा है। (इस आयत को आयतुल कुर्सी कहते है।) - ला इक्रा-ह फिद्दीनि, क़त्तबय्यन र्रूश्दु मिनल-ग़य्यि, फ़-मंय्यक्फुर बित्ताग़ूति व युअ्मिम्-बिल्लाहि फ-क़ दि स् तम्स-क बिल्-अुर्वतिल-वुस्क़ा, लन्फ़िसा-म लहा, वल्लाहु समीअुन्, अलीम○
दीन में किसी तरह की जबरदस्ती नहीं क्योंकि हिदायत गुमराही से (अलग) ज़ाहिर हो चुकी तो जिस शख्स ने झूठे खुदाओं बुतों से इंकार किया और अल्लाह ही पर ईमान लाया तो उसने वो मज़बूत रस्सी पकड़ी है जो टूट ही नहीं सकती और अल्लाह सब कुछ सुनता और जानता है। - अल्लाहु वलिय्युल्लज़ी-न आमनू, युख़्रिजुहुम् मिनज़्ज़ुलुमाति इलन्नूरि, वल्लज़ी-न क-फरू औलिया उहुमुत्ताग़ूतु युख़्रिजू-नहुम् मिनन्नूरि इलज़्ज़ुलुमाति, उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून○ *
अल्लाह उन लोगों का सरपरस्त है जो ईमान ला चुके कि उन्हें (गुमराही की) तारीक़ियों से निकाल कर (हिदायत की) रौशनी में लाता है और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनके सरपरस्त शैतान हैं कि उनको (ईमान की) रौशनी से निकाल कर (कुफ़्र की) तारीकियों में डाल देते हैं यही लोग तो जहन्नुमी हैं (और) यही उसमें हमेशा रहेंगे। - अलम् त-र इलल्लज़ी हाज्-ज इब्राही-म फी रब्बिही अन् आताहुल्लाहुल-मुल्क• इज़् क़ा-ल इब्राहीमु रब्बियल्लज़ी युह्-यी व युमीतु, क़ा-ल अ-ना उह-यी व उमीतु, क़ा-ल इब्राहीमु फ़-इन्नल्ला-ह यअ्ती बिश्शम्सि मिनल्मशरिक़ि फअ्ति बिहा मिनल्-मग़्रिबि फ़-बुहितल्लज़ी क-फ-र, वल्लाहु ला यह्दिल क़ौमज़्ज़ालिमीन○
(ऐ रसूल) क्या तुम ने उस शख्स (के हाल) पर नज़र नहीं की जो सिर्फ़ इस बिरते पर कि अल्लाह ने उसे सल्तनत दी थी इब्राहीम से उनके परवरदिगार के बारे में उलझ पड़ा कि जब इब्राहीम ने (उससे) कहा कि मेरा परवरदिगार तो वह है जो (लोगों को) जिलाता और मारता है तो वो भी (शेख़ी में) आकर कहने लगा मैं भी जिलाता और मारता हूं (तुम्हारे अल्लाह ही में कौन सा कमाल है) इब्राहीम ने कहा (अच्छा) अल्लाह तो आफ़ताब को पूरब से निकालता है भला तुम उसको पश्चिम से निकालो इस पर वह काफ़िर हक्का बक्का हो कर रह गया (मगर ईमान न लाया) और अल्लाह ज़ालिमों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुंचाया करता। - औ कल्लज़ी मर्-र अला क़र्यतिंव्-व हि-य ख़ावि-यतुन् अला अुरूशिहा, क़ा-ल अन्ना युह्-यी हाज़िहिल्लाहु बअ्-द मौतिहा, फ़-अमातहुल्लाहु मि-अ-त आमिन् सुम्-म ब-अ-सहू, क़ा-ल कम् लबिस्-त, क़ा-ल लबिस्तु यौमन् औ बअ्-ज़ यौमिन्, क़ा-ल बल्लबिस्-त मि-अ-त आमिन फन्ज़ुर इला तआमि-क व शराबि-क लम् य-तसन्नह्, फन्ज़ुर इला हिमारि-क व लि-नज्अ-ल-क आयतल् लिन्नासि वन्ज़ुर् इलल्-अिज़ामि कै-फ नुन्शिज़ुहा सुम्-म नक्सूहा लह्-मन्, फ़-लम्मा तबय्य-न लहू, क़ा-ल अअ्लमु अन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन् क़दीर○
(ऐ रसूल! तुमने) मसलन उस (बन्दे के हाल पर भी नज़र की जो एक गॉव पर से होकर गुज़रा और वो ऐसा उजड़ा था कि अपनी छतों पर से ढह के गिर पड़ा था ये देखकर वह बन्दा (कहने लगा) अल्लाह अब इस गॉव को ऐसी वीरानी के बाद क्योंकर आबाद करेगा इस पर अल्लाह ने उसको (मार डाला) सौ बरस तक मुर्दा रखा फिर उसको जिला उठाया (तब) पूछा तुम कितनी देर पड़े रहे अर्ज क़ी एक दिन पड़ा रहा एक दिन से भी कम फ़रमाया नहीं तुम (इसी हालत में) सौ बरस पड़े रहे अब ज़रा अपने खाने पीने (की चीज़ों) को देखो कि बुसा तक नहीं और ज़रा अपने गधे (सवारी) को तो देखो कि उसकी हड्डियाँ ढेर पड़ी हैं और सब इस वास्ते किया है ताकि लोगों के लिये तुम्हें क़ुदरत का नमूना बनाये और अच्छा अब (इस गधे की) हड्डियों की तरफ़ नज़र करो कि हम क्योंकर जोड़ जाड़ कर ढाँचा बनाते हैं फिर उनपर गोश्त चढ़ाते हैं पस जब ये उनपर ज़ाहिर हुआ तो बेसाख्ता बोल उठे कि (अब) मैं ये यक़ीने कामिल जानता हूं कि अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है। - व इज़् क़ा-ल इब्राहीमु रब्बि अरिनी कै-फ़ तुहियल्मौता, क़ा-ल अ-व लम् तुअ्मिन, क़ा-ल बला व लाकिल्लियत मइन्-न क़ल्बी, क़ा-ल फ़-ख़ुज़् अर्ब-अतम् मिनत्तैरि फ़सुरहुन्-न इलै-क सुम्मज्अल् अला कुल्लि ज-बलिम् मिन्हुन्-न जुज़्अन् सुम्मद् उहुन्-न यअ्ती-न-क सअ्यन्, वअ्लम् अन्नल्ला-ह अज़ीज़ुन् हकीम○ *
और (ऐ रसूल!) वह वाकेया भी याद करो जब इब्राहीम ने (अल्लाह से) दरख्वास्त की कि ऐ मेरे परवरदिगार तू मुझे भी तो दिखा दे कि तू मुर्दों को क्योंकर ज़िन्दा करता है अल्लाह ने फ़रमाया क्या तुम्हें (इसका) यक़ीन नहीं इब्राहीम ने अर्ज़ की (क्यों नहीं) यक़ीन तो है मगर ऑंख से देखना इसलिए चाहता हूं कि मेरे दिल को पूरा इत्मिनान हो जाए फ़रमाया (अगर ये चाहते हो) तो चार परिन्दे लो और उनको अपने पास मँगवा लो और टुकड़े टुकड़े कर डालो फिर हर पहाड़ पर उनका एक एक टुकड़ा रख दो उसके बाद उनको बुलाओ (फिर देखो तो क्यों कर वह सब के सब तुम्हारे पास दौड़े हुए आते हैं और समझ रखो कि अल्लाह बेशक ग़ालिब और हिकमत वाला है।
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