सूरह बकरा हिंदी में (पेज 14)​

सूरह बकरा हिंदी में (पेज 14) Surah Al-Baqarah in Hindi

  1. म-सलुल्लज़ी-न युन्फ़ि क़ू-न अम्वालहुम फी सबीलिल्लाहि क-म सलि हब्बतिन् अम्ब-तत् सब्-अ सनाबि-ल फ़ी कुल्लि सुम्बुलतिम् मि-अतु हब्बतिन्, वल्लाहु युज़ाअिफु लिमंय्यशा-उ, वल्लाहु वासिअुन् अलीम
    जो लोग अपने माल अल्लाह की राह में खर्च करते हैं उनके (खर्च) की मिसाल उस दाने की सी मिसाल है जिसकी सात बालियाँ निकलें (और) हर बाली में सौ (सौ) दाने हों। और अल्लाह जिसके लिये चाहता है, दूना कर देता है। और अल्लाह बड़ी गुन्जाइश वाला (हर चीज़ से) वाक़िफ़ है।
  2. अल्लज़ी-न युन्फ़िक़ू-न अम्वालहुम् फ़ी सबीलिल्लाहि सुम्-म ला युत्बिअू-न मा अन्फ़क़ू मन्नंव्-व ला अ-ज़ल् लहुम् अजरूहुम् अिन्-द रब्बिहिम्, व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून
    जो लोग अपने माल अल्लाह की राह में ख़र्च करते हैं और फिर ख़र्च करने के बाद किसी तरह का एहसान नहीं जताते हैं। और न जिनपर एहसान किया है उनको सताते हैं, उनका अज्र (व सवाब) उनके परवरदिगार के पास है और आख़ेरत में उनपर कोई ख़ौफ़ न होगा और न वह ग़मगीन होंगे।
  3. क़ौलुम् मअ्-रूफुंव-व मग़्फ़ि-रतुन् ख़ैरूम् मिन् स-द-क़तिंय्-यत्बअुहा अज़न्, वल्लाहु ग़निय्युन् हलीम
    (माँगनेवाले को) नरमी से जवाब दे देना और (उसके इसरार पर न झिड़कना बल्कि) उससे दरगुज़र करना उस खैरात से कहीं बेहतर है जिसके बाद (माँगनेवाले को) दुख पहुंचे और अल्लाह हर शै से बेपरवा (और) सहनशील है।
  4. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तुब्तिलू स-दक़ातिकुम् बिल्मन्नि वल्-अज़ा, कल्लज़ी युन्फिक़ु मालहू रिआ-अन्नासि व ला युअ्मिनु बिल्लाहि वल् – यौमिल्-आख़िरि, फ़-म-सलुहू क-म-सलि सफ्वानिन् अलैहि तुराबुन् फ़-असाबहू वाबिलुन् फ़-त-र-कहू सल्दन्, ला यक़्दिरू-न अला शैइम् मिम्मा क-सबू, वल्लाहु ला यह्दिल्-क़ौमल् काफ़िरीन
    ऐ ईमानदारों! आपनी खैरात को एहसान जताने और (सायल को) तकलीफ देने की वजह से उस शख्स की तरह नष्ट मत करो जो अपना माल महज़ लोगों को दिखाने के वास्ते ख़र्च करता है और अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखता तो उसकी खैरात की मिसाल उस चिकनी चट्टान की सी है जिसपर कुछ मिट्टी (पड़ी हुई) हो फिर उसपर ज़ोर शोर का (बड़े बड़े क़तरों से) मेंह बरसे और उसको (मिट्टी को बहाके) चिकना चुपड़ा छोड़ जाए (इसी तरह) रियाकार अपनी उस ख़ैरात या उसके सवाब में से जो उन्होंने की है किसी चीज़ पर क़ब्ज़ा न पाएंगे (न दुनिया में न आख़ेरत में) और अल्लाह इनकार की नीति अपनानेवालों को मार्ग नहीं दिखाता।
  5. व म-सलुल्लज़ी-न युन्फिक़ू-न अम्वालहुमुब्तिग़ा-अ मर्ज़ातिल्लाहि व तस्बीतम् मिन् अन्फुसिहिम् क-म सलि जन्नतिम्-बिरब्वतिन् असाबहा वाबिलुन् फ़-आतत् उकु-लहा ज़िअ्फैनि, फ़-इल्लम् युसिब्हा वाबिलुन् फ़-तल्लुन, वल्लाहु बिमा तअ्मलू-न बसीर
    और जो लोग अल्लाह की प्रसन्नता के लिए और अपने दिली एतक़ाद से अपने माल ख़र्च करते हैं उनकी मिसाल उस (हरे भरे) बाग़ की सी है जो किसी टीले या टीकरे पर लगा हो और उस पर ज़ोर शोर से पानी बरसा तो अपने दुगने फल लाया और अगर उस पर बड़े धड़ल्ले का पानी न भी बरसे तो उसके लिये हल्की फुआर (ही काफ़ी) है और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी देखभाल करता रहता है।
  6. अ-यवद्दु अ-हदुकुम अन् तकू-न लहू जन्नतुम्-मिन्नख़ीलिव्-व अअ् नाबिन् तज्री मिन् तह्तिहल्-अन्हारू, लहू फ़ीहा मिन् कुल्लिस्स-मराति, व असाबहुल कि-बरू व लहू ज़ुर्रिय्यतुन् ज़ु-अफा-उ, फ़-असाबहा इअ्सारून, फ़ीहि नारून् फह्त-रक़त्, कज़ालि-क युबय्यिनुल्लाहु लकुमुल्-आयाति लअल्लकुम त- तफ़क्करून○ *
    भला तुम में कोई भी इसको पसन्द करेगा कि उसके लिए खजूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो उसके नीचे नहरें जारी हों और उसके लिए उसमें तरह तरह के मेवे हों और (अब) उसको बुढ़ापे ने घेर लिया है और उसके (छोटे छोटे) नातवॉ कमज़ोर बच्चे हैं कि एकबारगी उस बाग़ पर ऐसा बगोला आ पड़ा जिसमें आग (भरी) थी कि वह बाग़ जल भुन कर रह गया अल्लाह अपने एहकाम को तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान करता है ताकि तुम ग़ौर करो।
  7. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू अन्फिक़ू मिन् तय्यिबाति मा कसब्तुम व मिम्मा अख़्रज्ना लकुम् मिनल-अर्ज़ि, व ला त-यम्म-मुल-ख़बी-स मिन्हु तुन्फ़िक़ू-न व लस्तुम् बि-आख़िज़ीहि इल्ला अन् तुग़्मिज़ू फ़ीहि, वअ्लमू अन्नल्ला-ह ग़निय्युन् हमीद
    ऐ ईमान वालों! अपनी पाक कमाई और उन चीज़ों में से जो हमने तुम्हारे लिए ज़मीन से पैदा की हैं (अल्लाह की राह में) ख़र्च करो तथा उसमें से उस चीज़ को दान करने का निश्चय न करो, जिसे तुम स्वयं न ले सको, परन्तु ये कि अनदेखी कर जाओ और जाने रहो कि अल्लाह बेशक बेनियाज़ (और) सज़ावारे हम्द है।
  8. अश्शैतानु यअि़दुकुमुल् फ़क़्-र व यअ्मुरूकुम् बिल्फ़ह्शा-इ, वल्लाहु यअिदुकुम् मग़्फ़ि-रतम् मिन्हु व फ़ज़् लन्, वल्लाहु वासिअुन् अलीम
    शैतान तुमको निर्धनता से डराता है और बुरी बात का तुमको हुक्म करता है। और अल्लाह तुम्हें अपनी क्षमा और अधिक देने का वचन देता है। और अल्लाह बड़ी गुन्जाइश वाला और सब बातों का जानने वाला है।
  9. युअ्तिल्-हिक्म-त मंय्यशा-उ, व मंय्युअ्तल-हिक्म-त फ़-क़द् ऊति-य ख़ैरन् कसीरन्, व मा यज़्ज़क्करू इल्ला उलुल-अल्बाब
    वह जिसको चाहता है धर्म की समझ प्रदान करता है और जिसको (अल्लाह की तरफ) से हिकमत अता की गई तो इसमें शक नहीं कि उसे ख़ूबियों से बड़ी दौलत हाथ लगी और अक्लमन्दों के सिवा कोई नसीहत मानता ही नहीं।
  10. व मा अन्फ़क़्तुम् मिन् न-फ़-क़तिन् औ नज़र्तुम् मिन्-नज़् रिन् फ़-इन्नल्ला-ह यअ्लमुहू, व मा लिज़्ज़ालिमी-न मिन् अन्सार
    और तुम जो कुछ भी दान करो या कोई मन्नत मानो अल्लाह उसको ज़रूर जानता है और (ये भी याद रहे) कि ज़ालिमों का (जो) अल्लाह का हक़ मार कर औरों की नज़्र करते हैं (क़यामत में) कोई मददगार न होगा।
  11. इन् तुब्दुस्स-दक़ाति फ़-निअिम्मा हि-य, व इन् तुख़्फ़ूहा व तुअ्तू हल्फ़ु-क़रा-अ फहुव ख़ैरूल्लकुम, व युकफ्फिरू अन्कुम् मिन् सय्यिआतिकुम, वल्लाहु बिमा तअ्मलूना ख़बीर
    अगर ख़ैरात को ज़ाहिर में दो तो यह (ज़ाहिर करके देना) भी अच्छा है और अगर उसको छिपाओ और हाजतमन्दों को दो तो ये छिपा कर देना तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ऐसे देने को अल्लाह तुमसे तुम्हारे पापों को दूर कर देगा और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उससे ख़बरदार है।
  12. लै-स अलै-क हुदाहुम् व लाकिन्नल्ला-ह यह्दी मंय्यशा-उ, व मा तुन्फ़िक़ू मिन् ख़ैरिन् फ़- लिअन्फुसिकुम, व मा तुन्फिक़ू-न इल्लब्-तिग़ा-अ वज्हिल्लाहि, व मा तुन्फ़िक़ू मिन् खैरिंय्युवफ्-फ़ इलैकुम् व अन्तुम् ला तुज़्लमून
    ऐ रसूल! उनका मंज़िले मक़सूद तक पहुंचाना तुम्हारा काम नहीं (तुम्हारा काम सिर्फ रास्ता दिखाना है) मगर हाँ अल्लाह जिसको चाहे मंज़िले मक़सूद तक पहुंचा दे और (लोगों) तुम जो कुछ नेक काम में ख़र्च करोगे तो अपने लिए और तुम अल्लाह की ख़ुशनूदी के सिवा और काम में ख़र्च करते ही नहीं हो (और जो कुछ तुम नेक काम में ख़र्च करोगे) (क़यामत में) तुमको भरपूर वापस मिलेगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा।
  13. लिल्फु-क़रा-इल्लज़ी-न उह्सिरू फ़ी सबीलिल्लाहि ला यस्ततीअू-न ज़र्बन् फ़िल्अर्ज़ि, यह्सबुहुमुल्-जाहिलु अग़्निया-अ मिनत्त-अफ्फुफ़ि, तअ्-रिफुहुम बिसीमाहुम्, ला यस्अलूनन्ना-स इल्हाफ़न्, व मा तुन्फिक़ू मिन् ख़ैरिन् फ-इन्नल्ला-ह बिही अलीम○ *
    दान उन निर्धनों (कंगालों) के लिए है, जो अल्लाह की राह में ऐसे घिर गये हों कि धरती में दौड़-भाग न कर सकते हों, उन्हें अज्ञान लोग न माँगने के कारण धनी समझते हैं, वे लोगों के पीछे पड़ कर नहीं माँगते। और जो कुछ भी तुम नेक काम में ख़र्च करते हो अल्लाह उसको ज़रूर जानता है।
  14. अल्लज़ी-न युन्फिक़ू-न अम्वालहुम् बिल्लैलि वन्नहारि सिररंव-व अलानि-यतन् फ़-लहुम् अज्रूहुम् अिन्-द रब्बिहिम्, व ला खौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून
    जो लोग रात को या दिन को छिपा कर या दिखा कर (अल्लाह की राह में) ख़र्च करते हैं तो उनके लिए उनका बदला उनके परवरदिगार के पास है और (क़यामत में) न उन पर किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न वे उदासीन होंगे।
  15. अल्लज़ी-न यअ्कुलूनर्रिबा ला यक़ूमू-न इल्ला कमा यक़ूमुल्लज़ी य-तख़ब्बतुहुश्-शैतानु मिनल्मस्सि, ज़ालि-क बि-अन्नहुम् क़ालू इन्नमल्-बैअु़ मिस्लुर्रिबा• व अहल्लल्लाहुल्बै-अ व हर्रमर्रिबा, फ़-मन् जा-अहू मौअि-ज़तुम् मिर्रब्बिही फन्तहा फ़-लहू मा स-ल-फ़, व अम्रुहू इलल्लाहि, व मन् आ-द फ़-उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
    जो लोग सूद खाते हैं वह (क़यामत में) खड़े न हो सकेंगे मगर उस शख्स की तरह खड़े होंगे जिस को शैतान ने लिपट कर बावला कर दिया है ये इस वजह से कि वह उसके क़ायल हो गए कि जैसा बिक्री का मामला वैसा ही सूद का मामला हालॉकि बिक्री को तो अल्लाह ने हलाल और सूद को हराम कर दिया बस जिस शख्स के पास उसके परवरदिगार की तरफ़ से नसीहत आये और वह बाज़ आ गया तो इस हुक्म के नाज़िल होने से पहले जो सूद ले चुका वह तो उस का हो चुका और उसका मामला अल्लाह के हवाले है और जो मनाही के बाद फिर सूद ले तो ऐसे ही लोग जहन्नुम में रहेंगे।
  16. यम्हक़ुल्लाहुर्रिबा व युर्बिस्सदक़ाति, वल्लाहु ला युहिब्बु कुल् ल कफ्फारिन् असीम
    अल्लाह सूद को मिटाता है और ख़ैरात को बढ़ाता है और जितने नाशुक्रे गुनाहगार हैं अल्लाह उन्हें दोस्त नहीं रखता।
  17. इन्नल्लज़ी–न आमनू व अमिलुस्सालिहाति व अक़ामुस्सला-त व आतवुज़्ज़का-त लहुम् अज्रूहुम् अिन् -द रब्बिहिम्, व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून
    (हाँ) जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ी और ज़कात दिया किये उनके लिए अलबत्ता उनका बदला व सवाब उनके परवरदिगार के पास है और (क़यामत में) न तो उन पर किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न वह शोकाकुल होंगे।
  18. या अय्युहल्लज़ी-न आमनुत्तक़ुल्ला-ह व ज़रू मा बक़ि-य मिनर्रिबा इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन
    ऐ ईमानदारों! अल्लाह से डरो और जो सूद लोगों के ज़िम्मे बाक़ी रह गया है अगर तुम सच्चे मोमिन हो तो छोड़ दो।
  19. फ़ इल्लम् तफ्अलू फ़अ्-ज़नू बि-हर्बिम् मिनल्लाहि व रसूलिही, व इन् तुब्तुम् फ़-लकुम् रूऊसु अम्वालिकुम्, ला तज़्लिमू-न व ला तुज़्लमून
    और अगर तुमने ऐसा न किया तो अल्लाह और उसके रसूल से लड़ने के लिये तैयार रहो और अगर तुमने तौबा की है तो तुम्हारे लिए तुम्हारा असल माल है न तुम किसी का ज़बरदस्ती नुकसान करो न तुम पर ज़बरदस्ती की जाएगी।
  20. व इन् का-न ज़ू अुस्रतिन् फ़-नज़ि-रतुन् इला मैस-रतिन्, व अन् तसद्दक़ू ख़ैरूल्लकुम् इन् कुन्तुम् तअ्लमून
    और अगर कोई तंगदस्त तुम्हारा (क़र्ज़दार हो) तो उसे ख़ुशहाली तक मोहल्लत (दो) और सदक़ा करो और अगर तुम समझो तो तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है कि असल भी बख्श दो।

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