सूरह बकरा हिंदी में (पेज 15)​

सूरह बकरा हिंदी में (पेज 15) Surah Al-Baqarah in Hindi

  1. वत्तक़ू यौमन् तुर्जअू-न फीहि इलल्लाहि, सुम् -म तुवफ्फा कुल्लु नफ्सिम् मा क-सबत् व हुम् ला युज़्लमून○ *
    और उस दिन से डरो जिस दिन तुम सब के सब अल्लाह की तरफ़ लौटाये जाओगे फिर जो कुछ जिस शख्स ने किया है उसका पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनके साथ कदापि कोई अन्याय न होगा।
  2. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू इज़ा तदायन्तुम् बिदैनिन् इला अ-जलिम् मुसम्मन् फ़क्तुबूहु, वल्यक्तुब् बैनकुम् कातिबुम् बिल्अद्लि, व ला यअ्-ब कातिबुन् अंय्यक्तु -ब कमा अल्ल-महुल्लाहु फल्यक्तुब्, वल्युमलि लिल्लज़ी अलैहिल्-हक़्क़ु वल्यत्तक़िल्ला-ह रब्बहू व ला यब्ख़स् मिन्हु शैअन्, फ़-इन् कानल्लज़ी अलैहिल्हक़्क़ु सफ़ीहन् औ ज़अीफ़न् औ ला यस्ततीअु अंय्युमिल्-ल हु-व फ़ल्युम्लिल् वलिय्युहू बिल्अद्लि, वस्तश्हिदू शहीदैनि मिर्रिजालिकुम्, फ-इल्लम् यकू ना रजु लै नि फ़- रजुलुंव्वम्र अतानि मिम्मन् तरज़ौ-न मिनश्शु-हदा-इ अन् तज़िल्-ल इह्दाहुमा फतुज़क्कि-र इह्दाहुमल्-उख्रा, व ला यअ्बश्-शु-हदा-उ इज़ा मा दुअू, व ला तस्अमू अन् तक्तुबूहु सग़ीरन् औ कबीरन् इला अ-जलिही, ज़ालिकुम् अक़्सतु अिन्दल्लाहि व अक़् वमु लिश्शहा-दति व अद् ना अल्ला तर्ताबू इल्ला अन् तकू-न तिजारतन् हाज़ि-रतन तुदीरूनहा बैनकम् फलै-स अलैकुम् जुनाहुन् अल्ला तक्तुबूहा, व अश्हिदू इज़ा तबायअ्तुम्, व ला युज़ार्-र कातिबुंव-व ला शहीदुन्, व इन् तफ्अलू फ़-इन्नहू फुसूकुम् बिकुम, वत्तक़ुल्ला-ह, व युअल्लिमुकुमुल्लाहु, वल्लाहु बिकुल्लि शैइन् अलीम 
    ऐ ईमानदारों! जब एक निश्चित अवधि के लिए आपस में क़र्ज क़ा लेन देन करो तो उसे लिखा पढ़ी कर लिया करो और लिखने वाले को चाहिये कि तुम्हारे दरमियान तुम्हारे क़ौल व क़रार को, इन्साफ़ से ठीक ठीक लिखे और लिखने वाले को लिखने से इन्कार न करना चाहिये (बल्कि) जिस तरह अल्लाह ने उसे (लिखना पढ़ना) सिखाया है, उसी प्रकार वह दूसरों के लिए लिखने के काम आए और बोलकर वह लिखाए जिसके ज़िम्मे क़र्ज़ आयद होता है। और अल्लाह से डरे जो उसका सच्चा पालने वाला है डरता रहे और (बताने में) और क़र्ज़ देने वाले के हुक़ूक़ में कुछ कमी न करे अगर क़र्ज़ लेने वाला कम अक्ल या माज़ूर या ख़ुद (तमस्सुक) का मतलब लिखवा न सकता हो तो उसका सरपरस्त ठीक ठीक इन्साफ़ से लिखवा दे और अपने लोगों में से जिन लोगों को तुम गवाही लेने के लिये पसन्द करो (कम से कम) दो मर्दों की गवाही कर लिया करो फिर अगर दो मर्द न हो तो (कम से कम) एक मर्द और दो औरतें (क्योंकि) उन दोनों में से अगर एक भूल जाएगी तो एक दूसरी को याद दिला देगी, और जब गवाह हुक्काम के सामने (गवाही के लिए) बुलाया जाएं तो हाज़िर होने से इन्कार न करे और क़र्ज़ का मामला ख्वाह छोटा हो या उसकी मियाद मुअय्युन तक की (दस्तावेज़) लिखवाने में काहिली न करो, अल्लाह के नज़दीक ये लिखा पढ़ी बहुत ही मुन्सिफ़ाना कारवाई है और गवाही के लिए भी बहुत मज़बूती है और बहुत क़रीन (क़यास) है कि तुम आईन्दा किसी तरह के शक व शुबहा में न पड़ो मगर जब नक़द सौदा हो जो तुम लोग आपस में उलट फेर किया करते हो तो उसकी (दस्तावेज) के न लिखने में तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है (हॉ) और जब उसी तरह की ख़रीद (फ़रोख्त) हो तो गवाह कर लिया करो और क़ातिब (दस्तावेज़) और गवाह को हानि न पहुँचाया जाए और अगर तुम ऐसा कर बैठे तो ये ज़रूर तुम्हारी शरारत है और अल्लाह से डरो अल्लाह तुमको मामले की सफ़ाई सिखाता है और वह हर चीज़ को ख़ूब जानता है।
  3. व इन् कुन्तुम् अला स-फरिंव्वलम् तजिदू कातिबन् फ़रिहानुम् मक़्बू-ज़तुन, फ़-इन अमि-न बअ्ज़ुकुम बअ् ज़न् फ़ल्युअद्दिल्लज़िअ्तुमि-न अमान-तहू वल्यत्तक़िल्ला-ह रब्बहू, व ला तक्तुमुश्शहाद-त, व मंय्यक्तुम्हा फ़-इन्नहू आसिमुन् क़ल्बुहू, वल्लाहु बिमा तअ्मलू-न अलीम○ *
    और अगर तुम सफ़र में हो और कोई लिखने वाला न मिले (और क़र्ज़ देना हो) तो रहन या कब्ज़ा रख लो और अगर तुममें एक का एक को एतबार हो तो (यूं ही क़र्ज़ दे सकता है मगर) फिर जिस शख्स पर एतबार किया गया है (क़र्ज़ लेने वाला) उसको चाहिये क़र्ज़ देने वाले की अमानत (क़र्ज़) पूरी पूरी अदा कर दे और अपने पालने वाले अल्लाह से डरे (मुसलमानो!) तुम गवाही को न छिपाओ और जो छिपाएगा तो बेशक उसका दिल गुनाहगार है और तुम लोग जो कुछ करते हो अल्लाह उसको ख़ूब जानता है।
  4. लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति व मा फिल्अर्ज़ि, व इन् तुब्दू मा फ़ी अन्फुसिकुम् औ तुख़्फ़ूहु युहासिब्कुम् बिहिल्लाहु, फ़-यग़्फ़िरू लिमंय्यशा-उ व युअज़्ज़िबु मंय्यशा-उ, वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् क़दीर
    आकाशों तथा धरती में जो कुछ है, सब अल्लाह का है और जो कुछ तुम्हारे दिलों में है, उसे बोलो अथवा मन ही में रखो, अल्लाह तुमसे उसका हिसाब लेगा, फिर जिसे चाहे, क्षमा कर देगा और जिसे चाहे, दण्ड देगा और अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।
  5. आ-मनर्रसूलु बिमा उन्ज़ि-ल इलैहि मिर्रब्बिही वल्मुअ्मिनून, कुल्लुन् आम-न बिल्लाहि व मलाइ-कतिही व कुतुबिही व रूसुलिही, ला नुफ़र्रिक़ु बइ-न अ-हदिम् मिर्रूसुलिही, व क़ालू समिअ्ना व अ-तअ्ना, ग़ुफ्रान-क रब्बना व इलैकल मसीर
    हमारे पैग़म्बर (मोहम्मद) जो कुछ उनपर उनके परवरदिगार की तरफ से नाज़िल किया गया है उस पर ईमान लाए और उनके (साथ) मोमिनीन भी (सबके) सब अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान लाए (और कहते हैं कि) हम अल्लाह के पैग़म्बरों में से किसी में अन्तर नहीं करते और कहने लगे ऐ हमारे परवरदिगार! हमने (तेरा इरशाद) सुना। और मान लिया परवरदिगार हमें तेरी ही मग़फ़िरत की (ख्वाहिश है) और तेरी ही तरफ़ लौट कर जाना है
  6. ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन् इल्ला वुस्अहा, लहा मा क-सबत् व अलइहा मक्त-सबत्, रब्बना ला तुआख़िज़्ना इन्-नसीना औ अख़्तअ्ना, रब्बना व ला तह्-मिल् अलैना इस्रन् कमा हमल्तहू अलल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिना, रब्बना व ला तुहम्मिल्ना मा ला ताक़-त लना बिही, वअ्फु अन्ना, वग़्फिर लना, वर्हम्ना, अन्-त मौलाना फ़न्सुर्ना अलल् क़ौमिल् काफ़िरीन○*
    अल्लाह किसी को उसकी ताक़त से ज्यादा तकलीफ़ नहीं देता। उसने अच्छा काम किया तो अपने नफ़े के लिए और बुरा काम किया तो (उसका वबाल) उसी पर पडेग़ा। ऐ हमारे परवरदिगार! अगर हम भूल जाऐं या ग़लती करें तो हमारी गिरफ्त न कर। ऐ हमारे परवरदिगार! हम पर वैसा बोझ न डाल जैसा हमसे अगले लोगों पर बोझा डाला था, और ऐ हमारे परवरदिगार! इतना बोझ जिसके उठाने की हमें ताक़त न हो हमसे न उठवा। और हमारे कुसूरों से दरगुज़र कर और हमारे गुनाहों को बख्श दे। और हम पर रहम फ़रमा तू ही हमारा मालिक है। तू ही काफ़िरों के मुक़ाबले में हमारी मदद कर।
–:सूरह बकरा खत्म:–

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