सूरह बकरा हिंदी में (पेज 4)

सूरह बकरा हिंदी में (पेज 4) Surah Al-Baqarah in Hindi​

  1. व इज़् क़ुल्तुम् या मूसा लन्-नस्बि-र अला तआमिव्वाहिदिन् फ़द्अु लना रब्ब-क युख़्रिज् लना मिम्मा तुम्बितुल अर्ज़ू मिम्-बक़्लिहा व क़िस्सा-इहा व फूमिहा व अ-द सिहा व ब-स-लिहा, क़ा-ल अ-तस्तब्दिलूनल्लज़ी हु-व अद्ना बिल्लज़ी हु-व ख़ैरून, इह्बितू मिस्रन् फ़-इन्-न लकुम् मा सअल्तुम, व ज़ुरिबत् अलैहिमुज़्ज़िल्लतु वल्मस्-क-नतु, व बाऊ बि-ग़-ज़-बिम्मि-नल्लाहि, ज़ालि-क बिअन्न-हुम् कानू यक्फुरू-न बिआयातिल्लाहि व यक़्तुलूनन्-नबिय्यी-न बिग़ैरिल हक़्क़ि, ज़ालि-क बिमा असव् वकानू यअ्तदून ○*
    (और वह वक्त भी याद करो) जब तुमने मूसा से कहा कि ऐ मूसा! हमसे एक ही खाने पर न रहा जाएगा तो आप हमारे लिए अपने परवरदिगार से दुआ कीजिए कि जो चीज़े ज़मीन से उगती है जैसे साग-पात, तरकारी, और ककड़ी और गेहूँ या (लहसुन) और मसूर और प्याज़ (मन व सलवा) की जगह पैदा करें। (मूसा ने) कहा क्या तुम ऐसी चीज़ को जो हर तरह से बेहतर है अदना चीज़ से बदलन चाहते हो तो किसी शहर में उतर पड़ो फिर तुम्हारे लिए जो तुमने माँगा है सब मौजूद है। और उन पर रूसवाई और मोहताजी की मार पड़ी और उन लोगों ने क़हरे अल्लाह की तरफ पलटा खाया, ये सब इस सबब से हुआ कि वह लोग अल्लाह की निशानियों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक शहीद करते थे, और इस वजह से (भी) कि वह नाफ़रमानी और सरकशी किया करते थे।
  2. इन्नल्लज़ी-न आमनू वल्लज़ी-न हादू वन्नसारा वस्साबिईन मन् आम-न बिल्लाहि वल्यौमिल्-आख़िरि व अमि-ल सालिहन् फ़-लहुम् अजरुहुम अिन्-द रब्बिहिम, वला खौफुन् अलैहिम वला हुम् यह्ज़नून 
    बेशक मुसलमानों और यहूदियों और नसरानियों और ला मज़हबों में से जो कोई अल्लाह और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाए और अच्छे-अच्छे काम करता रहे तो उन्हीं के लिए उनका अज्र व सवाब उनके अल्लाह के पास है और न (क़यामत में) उन पर किसी का ख़ौफ होगा न वह रंजीदा दिल होंगे।
  3. व इज़् अख़ज्ना मीसा-क़कुम् व र-फअ्ना फौ-क़कुमुत्तू-र, ख़ुज़ू मा आतइनाकुम् बिक़ुव्वातिंव्वज़्कुरू मा फीहि लअल्लकुम् तत्तकून 
    और (वह वक्त याद करो) जब हमने (तामीले तौरात) का तुमसे एक़रार कर लिया और हमने तुम्हारे सर पर तूर से (पहाड़ को) लाकर लटकाया और कह दिया कि तौरात जो हमने तुमको दी है उसको मज़बूत से पकड़े रहो और जो कुछ उसमें है उसको याद रखो ताकि तुम परहेज़गार बनो।
  4. सुम्-म तवल्लैतुम् मिम्-बअ्दि ज़ालि-क, फलौला फज़्लुल्लाहि अलैकुम् व रह्-मतुहू लकुन्तुम् मिनल ख़ासिरीन 
    फिर इसके पश्चात भी तुम फिर गए, फिर अगर तुम पर अल्लाह का फज़ल और उसकी मेहरबानी न होती तो तुमने सख्त घाटा उठाया होता।
  5. व लक़द् अलिम्तुमुल्लज़ीनअ्-तदौ मिन्कुम् फिस्सब्ति फ़क़ुल्ना लहुम् कूनू क़ि-र-दतन् ख़ासिईन 
    और अपनी क़ौम से उन लोगों की हालत तो तुम बखूबी जानते हो जो ‘सब्त’ (सनीचर) के दिन अपनी हद से गुज़र गए (कि बावजूद मना करने के शिकार खेलने निकले) तो हमने उन से कहा कि तुम राइन्दे गए, “बन्दर हो जाओ, धिक्कारे और फिटकारे हुए!”।
  6. फ-जअल्नाहा नकालल्-लिमा बै-न यदैहा व मा ख़ल्फहा व मौअि-ज़तल् लिल्मुत्तक़ीन 
    फिर हमने इस वाक़ये से उन लोगों के वास्ते जिन के सामने हुआ था और जो उसके बाद आनेवाले थे अज़ाब क़रार दिया, और परहेज़गारों के लिए नसीहत।
  7. व इज़् क़ा-ल मूसा लिक़ौमिही इन्नल्ला-ह यअ्मुरूकुम् अन् तज़्बहू ब-क़-रतन्, क़ालू अ-तत्तख़िज़ुना हुज़ुवन्, क़ा-ल अअूज़ु बिल्लाहि अन् अकू-न मिनल्जाहिलीन 
    और (वह वक्त याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि अल्लाह तुम लोगों को ताकीदी हुक्म करता है कि तुम एक गाय ज़िबह करो। वह लोग कहने लगे क्या तुम हमसे दिल्लगी करते हो। मूसा ने कहा मैं अल्लाह से पनाह माँगता हूँ कि मैं जाहिल बनूँ।
  8. क़ालुद् अु-लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा हि-य, क़ा-ल इन्नहू यक़ूलु इन्नहा ब-क़-रतुल्ला-फ़ारिजुंव् वला बिकरून्, अवानुम्, बै-न ज़ालि-क, फ़फ्अलू मा तुअ्मरून 
    तब वह लोग कहने लगे कि (अच्छा) तुम अपने अल्लाह से दुआ करो कि हमें बता दे कि वह गाय कैसी हो। मूसा ने कहा बेशक अल्लाह ने फरमाता है कि वह गाय न तो बहुत बढी हो और न बछिया बल्कि उनमें से औसत दरजे की हो, ग़रज़ जो तुमको हुक्म दिया गया उसको पूरा करो।
  9. क़ालुद् अु-लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा लौनुहा, क़ा-ल इन्नहू यक़ूलु इन्नहा ब-क़-रतुन् सफ़्रा-उ फ़ाक़िअुल लौनुहा तसुर्रुन्नाज़िरीन 
    वह कहने लगे (वाह) तुम अपने अल्लाह से दुआ करो कि हमें ये बता दे कि उसका रंग आख़िर क्या हो। मूसा ने कहा बेशक अल्लाह फरमाता है कि वह गाय खूब गहरे ज़र्द रंग की हो कि देखने वाले उसे देखकर खुश हो जाए।
  10. क़ालुद् अु-लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा हि-य, इन्नल ब-क़-र तशा-ब-ह अलैना, व इन्ना इंशा-अल्लाहु लमुह्तदून 
    तब कहने लगे कि तुम अपने अल्लाह से दुआ करो कि हमें ज़रा ये तो बता दे कि वह (गाय) और कैसी हो (वह) गाय तो और गायों में मिल जुल गई और अल्लाह ने चाहा तो हम ज़रूर (उसका) पता लगा लेगे।
  11. क़ा-ल इन्नहू यक़ूलु इन्नहा ब-क़-रतुल् ला ज़लूलुन् तुसीरूल्-अर्-ज़ वला तस्क़िल्-हर-स, मुसल्-ल-म-तुल्लाशिय-त फ़ीहा, क़ालुल्आ-न जिअ्-त बिल्हक़्क़ि , फ़-ज़-बहूहा वमा कादू यफ्अलून ○*
    मूसा ने कहा अल्लाह ज़रूर फरमाता है कि वह गाय न तो इतनी सधाई हो कि ज़मीन जोते न खेती सीचे भली चंगी एक रंग की कि उसमें कोई धब्बा तक न हो, वह बोले अब (जा के) ठीक-ठीक बयान किया, फिर उन लोगों ने वह गाय हलाल की। हालाँकि उनसे उम्मीद न थी वह कि वह ऐसा करेंगे।
  12. व इज़् कतल्तुम् नफ्सन् फ़द्दा-रअ्तुम् फ़ीहा , वल्लाहु मुख़्रिजुम् मा कुन्तुम् तक्तुमून 
    और जब एक शख्स को मार डाला और तुममें उसकी बाबत फूट पड़ गई एक दूसरे को क़ातिल बताने लगा जो तुम छिपाते थे।
  13. फ़-कुल्नज़्रिबूहु बि-बअ्ज़िहा, कज़ालि-क युह्-यिल्लाहुल-मौता व युरीकुम् आयातिही लअल्लकुम् तअ्क़िलून 
    अल्लाह को उसका ज़ाहिर करना मंजूर था। फिर हमने कहा कि उस गाय को कोई टुकड़ा लेकर इस (की लाश) पर मारो। यूँ अल्लाह मुर्दे को ज़िन्दा करता है और तुम को अपनी कुदरत की निशानियाँ दिखा देता है।
  14. सुम्-म क़सत् क़ुलूबुकुम् मिम्-बअ्दि ज़ालि-क फहि-य कलहिजा-रति औ अशद्दू कस्वतन्, व इन्-न मिनल-हिजारति लमा य-तफज्जरू मिन्हुल-अन्हारू, व इन्-न मिन्हा लमा यश्शक़्क़क़ु फ़-यख़् रूजु मिन्हुल्मा-उ, व इन्-न मिन्हा लमा यहबितु मिन् ख़श्यतिल्लाहि, व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून 
    ताकि तुम समझो फिर उसके बाद तुम्हारे दिल सख्त हो गये। फिर वह मिसल पत्थर के (सख्त) थे या उससे भी ज्यादा करख्त। क्योंकि पत्थरों में कुछ तो ऐसे होते हैं कि उनसे नहरें जारी हो जाती हैं और कुछ ऐसे होते हैं कि उनमें दरार पड़ जाती है और उनमें से पानी निकल पड़ता है। और कुछ पत्थर तो ऐसे होते हैं कि अल्लाह के ख़ौफ से गिर पड़ते हैं और जो कुछ तुम कर रहे हो उससे अल्लाह बेखबर नहीं है।
  15. अ-फ़-तत्मअू-न अंय्युअ्मिनू लकुम् व क़द् का-न फ़रीकुम् मिन्हुम् यस्मअू-न कलामल्लाहि सुम्-म युहर्रिफूनहू मिम्-बअ्दि मा अ-क़-लूहु व हुम् यअ्लमून 
    (मुसलमानों!) क्या तुम ये लालच रखते हो कि वह तुम्हारा (सा) ईमान लाएँगें हालाँकि उनमें का एक गिरोह (साबिक़ में) ऐसा था कि अल्लाह का कलाम सुनाता था और अच्छी तरह समझने के बाद उलट फेर कर देता था हालाँकि वह खूब जानते थे और जब उन लोगों से मुलाक़ात करते हैं।
  16. व इज़ा लक़ुल्लज़ी-न आमनू क़ालू आमन्ना, व इज़ा ख़ला बअ्ज़ुहुम् इला बअ्जिन् कालू अतुह्द्दिसू नहुम् बिमा फ़-तहल्लाहु अलैकुम् लियुहाज्जूकुम् बिही अिन्-द रब्बिकुम, अ-फ़ला तअ्क़िलून 
    जो ईमान लाए तो कह देते हैं कि हम तो ईमान ला चुके और जब एकान्त में आपस में एक-दूसरे से मिलते हैं, तो कहते हैं कि जो कुछ अल्लाह ने तुम पर (तौरात) में ज़ाहिर कर दिया है, क्या तुम (मुसलमानों को) बता दोगे इसलिए कि प्रलय के दिन तुम्हारे पालनहार के पास इसे तुम्हारे विरुध्द प्रमाण बनायें? क्या तुम इतना भी नहीं समझते।
  17. अ-वला यअ्लमू-न अन्नल्ला-ह यअ्लमु मा युसिर्रू-न वमा युअ्लिनून 
    लेकिन क्या वह लोग (इतना भी) नहीं जानते कि वह लोग जो कुछ छिपाते हैं या ज़ाहिर करते हैं अल्लाह सब कुछ जानता है।
  18. व मिन्हुम् उम्मिय्यू-न ला यअ्लमूनल किता-ब इल्ला अमानिय्-य व इन हुम् इल्ला यज़ुन्नून ○ •
    और कुछ उनमें से ऐसे अनपढ़ हैं कि वह किताबे अल्लाह को अपने मतलब की बातों के सिवा कुछ नहीं समझते और वह बस ख्याली बातें किया करते हैं।
  19. फ वै लुल-लिल्लज़ी-न यक्तुबूनल-किता-ब बिऐदीहिम, सुम्-म यक़ूलू-न हाज़ा मिन् अिन्दिल्लाहि लियश्तरू बिही स-म-नन् क़लीलन्, फवैलुल्लहुम् मिम्मा क-त-बत् ऐदीहिम व वैलुल्लहुम् मिम्मा यक्सिबून 
    फिर विनाश हो उन लोगों पर जो अपने हाथ से किताब लिखते हैं फिर (लोगों से कहते फिरते) हैं कि ये अल्लाह के यहाँ से (आई) है ताकि उसके ज़रिये से थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी फ़ायदा) हासिल करें फिर अफसोस है उन पर कि उनके हाथों ने लिखा और फिर अफसोस है उनपर कि वह ऐसी कमाई करते हैं।
  20. व क़ालू लन् तमस्स-नन्नारू इल्ला अय्यामम् मअ्दू-दतन्, क़ुल अत्तख़ज़्तुम् अिन्दल्लाहि अहदन फ़-लंय्-युख़्लिफ़ल्लाहु अह्दहू अम् तक़ूलू-न अलल्लाहि मा ला तअ्लमून 
    और कहते हैं कि गिनती के चन्द दिनों के सिवा हमें आग छुएगी भी तो नहीं (ऐ रसूल!) इन लोगों से कहो कि क्या तुमने अल्लाह से कोई इक़रार ले लिया है कि फिर वह किसी तरह अपने इक़रार के ख़िलाफ़ हरगिज़ न करेगा या बिना समझे बूझे अल्लाह पर बोहताव जोड़ते हो।

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