सूरह बकरा हिंदी में (पेज 5)​

सूरह बकरा हिंदी में (पेज 5) Surah Al-Baqarah in Hindi

  1. बला मन् क-स-ब सय्यि-अतंव्-व अहातत् बिही खतीअतुहू फ़-उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून
    हाँ (सच तो यह है) कि जिसने बुराई हासिल की और उसके गुनाहों ने चारों तरफ से उसे घेर लिया है वही लोग तो दोज़ख़ी हैं और वही (तो) उसमें हमेशा रहेंगे।
  2. वल्लजी-न आमनू व आमिलुस्सालिहाति उलाइ-क अस्हाबुल-जन्नति, हुम् फ़ीम ख़ालिदून○ *
    और जो लोग ईमानदार हैं और उन्होंने अच्छे काम किए हैं वही लोग जन्नती हैं कि हमेशा जन्नत में रहेंगे।
  3. व इज़् अख़ज्ना मीसा-क़ बनी इस्-राई-ल ला तअ्बुदू-न इल्लल्ला-ह, व बिल्वालिदैनि इहसानंव् वज़िल्क़ुरबा वल्यतामा वल्मसाकीनि व क़ूलू लिन्नासि हुस्नंव् व-अक़ीमुस्सला-त व आतुज़्ज़का-त, सुम्-म तवल्लैतुम् इल्ला क़लीलम्-मिन्कुम् व अन्तुम् मुअ्- रिज़ून
    और (वह वक्त याद करो) जब हमने बनी ईसराइल से (जो तुम्हारे पूर्वज थे) अहद व पैमान लिया था कि खदा के सिवा किसी की इबादत न करना और माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों के साथ अच्छे सुलूक करना और लोगों के साथ अच्छी तरह (नरमी) से बातें करना और बराबर नमाज़ पढना और ज़कात देना । फिर तुममें से थोड़े आदिमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले।
  4. व इज़् अख़ज्ना मीसा-क़कुम्-ला तस्फिकू-न दिमा-अकुम् व ला तुख़्रिजू-न अन्फु-सकुम् मिन् दियारिकुम् सुम्-म अक़्ररतुम् व अन्तुम तश्हदून
    और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुर्जुगों) से अहद लिया था कि आपस में खून खराबी न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुर्जुगों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो।
  5. सुम्-म अन्तुम् हा-उला-इ तक़्तुलू-न अन्फु-सकुम् व तुख़्रिजू-न फरीक़म् मिन्कुम् मिन् दियारिहिम, तज़ाहरू-न अलइहिम बिल्इस्मि वल्-अुद्-वानि, व इंय्यअ्तूकुम् उसारा तुफादूहुम व हु-व मुहर्रमुन् अलैकुम् इख्राजुहुम, अ-फ़-तुअ्मिनू-न बिबअ्ज़िल्-किताबि व तक्फुरू-न बिबअ्ज़िन्, फ़मा जज़ा-उ मंय्यफ्अलु ज़ालि-क मिन्कुम् इल्ला ख़िज़्युन् फ़िल्हयातिद्दुन्या, व यौमल् क़ियामति युरद्दू-न इला अशद्दिल-अज़ाबि, व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून
    (कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये है कि) अगर वही लोग कैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुडा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या? तुम (किताबे अल्लाह की) कुछ बातों पर ईमान रखते हो और कुछ से इन्कार करते हो फिर तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि ज़िन्दगी भर की रूसवाई हो और (आख़िरकार) क़यामत के दिन सख्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो अल्लाह उससे ग़ाफ़िल नहीं है।
  6. उला-इ-कल्लज़ीनश-त-र वुल्हयातद्दुन्या बिल्आख़िरति, फ़ला युख़फ्फफु अन्हुमुल अज़ाबु व ला हुम् युन्सरून○ *
    यही वह लोग हैं जिन्होंने आखेरत के बदले दुनिया की ज़िन्दगी ख़रीद फिर न उनके अज़ाब ही में तख्फ़ीफ़ (कमी) की जाएगी और न वह लोग किसी तरह की मदद दिए जाएँगे।
  7. व लक़द् आतैना मूसल् किता-ब व क़फ्फ़ैना मिम्-बअ्दिही बिर्रूसुलि, व आतैना अीसब्-न मर्यमल्बय्यिनाति व अय्यद्नाहु बिरूहिल्कुदुसि, अ-फकुल्लमा जाअकुम् रसूलुम बिमा ला तहवा अन्फुसुकुमुस्तक्बर्तुम्, फ़-फरीक़न् कज़्ज़ब्तुम् व फरीकन् तक़्लूतुन
    और ये हक़ीक़ी बात है कि हमने मूसा को किताब (तौरात) दी और उनके बाद बहुत से पैग़म्बरों को उनके क़दम ब क़दम ले चलें और मरियम के बेटे ईसा को (भी बहुत से) खुले व रौशन मौजिजे दिए और पाक रूह जिबरील के ज़रिये से उनकी मदद की क्या तुम उस क़दर बददिमाग़ हो गए हो कि जब कोई पैग़म्बर तुम्हारे पास तुम्हारी ख्वाहिशे नफ़सानी के खिलाफ कोई हुक्म लेकर आया तो तुम अकड़ बैठे फिर तुमने कुछ पैग़म्बरों को तो झुठलाया और कुछ को जान से मार डाला।
  8. व क़ालू क़ुलूबुना ग़ुल्फुन्, बल् ल-अ नहुमुल्लाहु बिकुफ्रिहिम फ़-क़लीलम्मा युअ्मिनून
    और कहने लगे कि हमारे दिलों पर ग़िलाफ चढ़ा हुआ है (ऐसा नहीं) बल्कि उनके कुफ्र की वजह से अल्लाह ने उनपर लानत की है फिर कम ही लोग ईमान लाते हैं।
  9. व लम्मा जाअहुम् किताबुम् मिन् अिन्दिल्लाहि
    मुसद्दिक़ुल्लिमा म-अहुम्, व कानू मिन् क़ब्लु यस्तफ़्तिहू-न अलल्लज़ी-न क-फरू, फ़-लम्मा जा-अहुम् मा अ-रफू क-फ-रू बिही, फ़-लअ्नतुल्लाहि अलल्-काफिरीन

    और जब उनके पास अल्लाह की तरफ़ से किताब (कुरान आई और वह उस किताब तौरात) की जो उन के पास तसदीक़ भी करती है। और उससे पहले (इसकी उम्मीद पर) काफ़िरों पर फतेहयाब होने की दुआएँ माँगते थे। फिर जब उनके पास वह चीज़ जिसे पहचानते थे आ गई तो लगे इन्कार करने, फिर काफ़िरों पर अल्लाह की लानत है।
  10. बिअ-स-मश्तरौ बिही अन्फु-सहुम् अंय्यक्फुरू बिमा अन्ज़लल्लाहु बग्यन् अंय्युनज्जिलल्लाहु मिन् फ़ज़्लिही अला मंय्यशा-उ-मिन् अिबादिही, फ़-बाऊ बि-ग़-ज़-बिन् अला ग़-ज़-बिन्, व लिल्काफ़िरी-न अज़ाबुम् मुहीन
    क्या ही बुरा है वह काम जिसके मुक़ाबले में (इतनी बात पर) वह लोग अपनी जानें बेच बैठे हैं कि अल्लाह अपने बन्दों से जिस पर चाहे अपनी इनायत से किताब नाज़िल किया करे इस रश्क से जो कुछ अल्लाह ने नाज़िल किया है सबका इन्कार कर बैठे फिर उन पर ग़ज़ब पर ग़ज़ब टूट पड़ा और काफ़िरों के लिए (बड़ी) रूसवाई का अज़ाब है।
  11. व इज़ा क़ी-ल लहुम् आमिनू बिमा अन्ज़लल्लाहु क़ालू नुअ्मिनु बिमा उन्ज़ि-ल अलैना व यक्फुरू-न बिमा वरा-अहू, व हुवल-हक़्क़ु मुसद्दिक़ल्-लिमा म-अहुम, क़ुल फ़लि-म तक़्तुलू-न अम्बिया-अल्लाहि मिन् क़ब्लु इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन
    और जब उनसे कहा गया कि (जो कुरान) अल्लाह ने नाज़िल किया है उस पर ईमान लाओ तो कहने लगे कि हम तो उसी किताब (तौरात) पर ईमान लाए हैं जो हम पर नाज़िल की गई थी और उस किताब (कुरान) को जो उसके बाद आई है नहीं मानते हैं हालाँकि वह (कुरान) हक़ है और उस किताब (तौरात) की जो उनके पास है तसदीक़ भी करती है मगर उस किताब कुरान का जो उसके बाद आई है, इन्कार करते हैं। (ऐ रसूल!) उनसे ये तो पूछो कि तुम (तुम्हारे बुर्जुग़) अगर ईमानदार थे तो फिर क्यों अल्लाह के पूर्व पैग़म्बरों का क़त्ल करते थे।
  12. व लक़द् जाअकुम् मूसा बिल-बय्यिनाति सुम्मत्तख़ज़्तुमुल-अिज्-ल मिम्-बअ्दिही व अन्तुम् ज़ालिमून
    और तुम्हारे पास मूसा तो वाजेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को अल्लाह बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर जुल्म करने वाले थे।
  13. व इज़् अख़ज़्ना मीसा-क़कुम् व र-फ़अ्ना फ़व्-क़कुमुत्-तू-र, खु़ज़ू मा आतैनाकुम् बिक़ुव्वतिंव्-वस्मअू क़ालू समिअ्ना व असइना, व उश्रिबू फ़ी क़ुलूबिहिमुल्-अिज्-ल बिकुफ्रिहिम, क़ुल् बिअ्समा यअ्मुरूकुम् बिही ईमानुकुम इन् कुनतुम् मुअ्मिनीन
    और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुमसे अहद लिया और (कोहे) तूर को (तुम्हारी उदूले हुक्मी से) तुम्हारे सर पर लटकाया और (हमने कहा कि ये किताब तौरात) जो हमने दी है मज़बूती से लिए रहो और (जो कुछ उसमें है) सुनो तो कहने लगे सुना तो (सही लेकिन) हम इसको मानते नहीं और उनकी बेईमानी की वजह से (गोया) बछड़े की उलफ़त घोल के उनके दिलों में पिला दी गई। (ऐ रसूल!) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ईमानदार थे, तो तुमको तुम्हारा ईमान क्या ही बुरा हुक्म करता था।
  14. क़ुल इन्-कानत् लकुमुद्-दारूल्-आख़िरतु अिन्दल्लाहि ख़ालि-सतम् मिन् दुनिन्नासि फ-तमन्नवुल्मौ-त इन् कुन्तुम् स्वादिक़ीन
    (ऐ रसूल!) इन लोगों से कह दो कि अगर अल्लाह के नज़दीक आख़रत का घर (स्वर्ग) ख़ास तुम्हारे वास्ते है और लोगों के वास्ते नहीं है। फ़िर अगर तुम सच्चे हो तो मौत की आरजू क़रो।
  15. व लंय्य-तमन्नौहु अ-बदम् बिमा क़द्द-मत् ऐदीहिम, वल्लाहु अलीमुम् बिज़्ज़ालिमीन
    (ताकि जल्दी स्वर्ग में जाओ) लेकिन वह उन बुरे काम की वजह से जिनको उनके हाथों ने पहले से आगे भेजा है हरगिज़ मौत की आरजू न करेंगे और अल्लाह ज़ालिमों से खूब वाक़िफ है।
  16. व ल-तजिदन्नहुम् अहरसन्नासि अला हयातिन्, व मिनल्लज़ी-न अश्रकू, यवद्दु अ-हदुहुम् लौ युअम्मरू अल्-फ़ स-नतिन्, वमा हु-व बिमुज़हज़िहिही मिनल-अज़ाबि अंय्युअम्म-र, वल्लाहु बसीरूम् बिमा यअ्मलून○ *
    और (ऐ रसूल!) तुम उन ही को ज़िन्दगी का सबसे ज्यादा हरीस पाओगे और मुशरिक़ों में से हर एक शख्स चाहता है कि काश उसको हज़ार बरस की उम्र दी जाती हालाँकि अगर इतनी तूलानी उम्र भी दी जाए तो वह अल्लाह के अज़ाब से छुटकारा देने वाली नहीं, और जो कुछ वह लोग करते हैं अल्लाह उसे देख रहा है ”।
  17. क़ुल मन् का-न अदुव्वल्लिजिब्री-ल फ़-इन्नहू नज़्ज़-लहू अला क़ल्बि-क बि-इज़्निल्लाहि मुसद्दिक़ल्लिमा बै-न यदैहि व हुदंव् व बुश्रा लिल्-मुअ्मिनीन
    (ऐ रसूल! उन लोगों से) कह दो कि जो जिबरील का दुश्मन है (उसका अल्लाह दुश्मन है) क्योंकि उस फ़रिश्ते ने अल्लाह के हुक्म से ( इस कुरान को ) तुम्हारे दिल पर डाला है और वह उन किताबों की भी तसदीक करता है जो (पहले नाज़िल हो चुकी हैं और सब) उसके सामने मौजूद हैं और ईमानदारों के वास्ते खुशखबरी है।
  18. मन् का-न अदुव्वल्लिल्लाहि व मला-इ-कतिही व रूसुलिही व जिब्री-ल व मीका-ल फ़-इन्नल्ला-ह अदुव्वुल-लिल्काफ़िरीन
    जो शख्स अल्लाह और उसके फरिश्तों और उसके रसूलों और (ख़ासकर) जिबरील व मीकाइल का दुश्मन हो तो बेशक अल्लाह भी (ऐसे) काफ़िरों का दुश्मन है।
  19. व लक़द् अन्ज़ल्ना इलै-क आयातिम् बय्यिनातिन्, वमा यक्फुरू बिहा इल्लल्-फ़ासिक़ून
    और (ऐ रसूल!) हमने तुम पर ऐसी निशानियाँ नाज़िल की हैं जो वाजेए और रौशन हैं और ऐसे नाफरमानों के सिवा उनका कोई इन्कार नहीं कर सकता।
  20. अ-व कुल्लमा आ-हदू अह्दन् न-ब-ज़हू फ़रीक़ुम् मिन्हुम, बल अक्सरूहुम् ला युअ्मिनून
    और उनकी ये हालत है कि जब कभी कोई अहद किया तो उनमें से एक फरीक़ ने तोड़ डाला बल्कि उनमें से अक्सर तो ईमान ही नहीं रखते।

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