सूरह बकरा हिंदी में (पेज 7)​

सूरह बकरा हिंदी में (पेज 7) Surah Al-Baqarah in Hindi

  1. अल्लज़ी-न आतैनाहुमुल्-किता-ब यत्लूनहू हक़्-क़ तिलावतिही, उलाइ-क युअ्मिनू-न बिही, व मंय्यक्फुर बिही फ़-उलाइ-क हुमुल ख़ासिरून○ *
    जिन लोगों को हमने किताब (कुरान) दी है वह लोग उसे इस तरह पढ़ते रहते हैं जो उसके पढ़ने का हक़ है यही लोग उस पर ईमान लाते हैं और जो उससे इनकार करते हैं वही लोग घाटे में हैं।
  2. या बनी इस्-राई लज़्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व अन्नी फज़्ज़ल्तुकुम् अलल् आलमीन
    बनी इसराईल! मेरी उन नेमतों को याद करो जो मैंने तुम को दी हैं और ये कि मैंने तुमको सारे जहान पर फजीलत दी।
  3. वत्तक़ू यौमल्ला-तज्ज़ी नफ़्सुन् अन्नफसिन् शैअंव् वला युक्बलु मिन्हा अदलुंव वला तन्फ़अुहा शफाअतुंव् वला हुम् युन्सरून
    और उस दिन से डरो, जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के कुछ काम नहीं आयेगा और न उसकी तरफ से कोई मुआवज़ा कुबूल किया जाएगा और न कोई सिफारिश ही फायदा पहुचाँ सकेगी और न उनकी कोई सहायता की जायेगी।
  4. व इज़िब्तला इब्राही-म रब्बुहू बि-कलिमातिन् फ़-अ-तम्म- हुन्-न, क़ा-ल इन्नी जाअिलु-क लिन्नासि इमामन्, क़ा-ल व मिन् ज़ुर्रिय्यती, क़ा-ल ला यनालु अह्दिज़्-ज़ालिमीन्
    (ऐ रसूल!) बनी इसराईल को वह वक्त भी याद दिलाओ जब इब्राहीम को उनके परवरदिगार ने चन्द बातों में आज़माया और उन्होंने पूरा कर दिया तो अल्लाह ने फरमाया मैं तुमको (लोगों का) पेशवा बनाने वाला हूँ (हज़रत इब्राहीम ने) अर्ज़ की और मेरी औलाद में से फरमाया (हाँ मगर) मेरे इस अहद पर ज़ालिमों में से कोई शख्स फ़ायज़ नहीं हो सकता।
  5. व इज़् जअल्-नल्-बै-त मसा-बतल् लिन्नासि व अम्-नन्, वत्तख़िज़ू मिम् मक़ामि इब्राही-म मुसल्लन्, व अहिद्ना इला इब्राही-म व इस्माअी-ल अन् तह्हिरा बैति-य लित्ता-इफ़ी-न वल् आकिफ़ी-न वर्रूक्क-अिस्सुजूद
    (ऐ रसूल! वह वक्त भी याद दिलाओ) जब हमने ख़ानए काबा को लोगों के सवाब और पनाह की जगह क़रार दी और हुक्म दिया गया कि इब्राहीम की (इस) जगह को नमाज़ की जगह बनाओ और इब्राहीम व इसमाईल से अहद व पैमान लिया कि मेरे (उस) घर को तवाफ़ और एतक़ाफ़ और रूकू और सजदा करने वालों के वास्ते साफ सुथरा रखो।
  6. व इज़् क़ा-ल इब्राहीमु रब्बिज्अ़ल हाज़ा ब-लदन् आमिनंव्-वरज़ुक़् अहलहू मिनस्-स-मराति मन् आम-न मिन्हुम् बिल्लाहि वलयौमिल आख़िरि, क़ा-ल वमन् क-फ-र फ़-उमत्तिअु़हू क़लीलन सुम्-म अज़्तरर्रूहू इला अज़ाबिन्नारि, व बिअ्सल्-मसीर
    और (ऐ रसूल! वह वक्त भी याद दिलाओ) जब इसमाईल ने दुआ माँगी कि ऐ मेरे परवरदिगार इस (शहर) को पनाह व अमन का शहर बना, और उसके रहने वालों में से जो अल्लाह और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाए उसको तरह-तरह के फल खाने को दें।अल्लाह ने फरमाया (अच्छा मगर) वो कुफ्र इख़तेयार करेगा उसकी दुनिया में चन्द रोज़ (उन चीज़ो से) फायदा उठाने दूंगा फिर (आखेरत में) उसको मजबूर करके दोज़ख़ की तरफ खींच ले जाऊँगा और वह बहुत बुरा ठिकाना है।
  7. व इज़् यरफ़अु़ इब्राहीमुल् क़वाअि-द मिनल बैति व इस्माअीलु, रब्बना तक़ब्बल मिन्ना, इन्न-क अन्तस्समीअुल-अलीम
    और (वह वक्त याद दिलाओ) जब इसमाईल व इसमाईल ख़ानाए काबा की बुनियादें बुलन्द कर रहे थे (और दुआ) माँगते जाते थे कि ऐ हमारे परवरदिगार! हमारी (ये ख़िदमत) कुबूल कर बेशक तू ही (दूआ का) सुनने वाला (और उसका) जानने वाला है।
  8. रब्बना वज्अल्ना मुस्लिमैनि ल-क व मिन् ज़ुर्रिय्यतिना उम्मतम् मुस्लि-मतल् ल-क, व अरिना मनासि-क-ना व तुब् अलैना, इन्न-क अन्तत्तव्वाबुर्-रहीम
    (और) ऐ हमारे पालने वाले! तू हमें अपना फरमाबरदार बन्दा बना। हमारी औलाद से एक गिरोह (पैदा कर) जो तेरा फरमाबरदार हो, और हमको हमारे हज की जगहें दिखा दे और हमारी तौबा कुबूल कर, बेशक तू ही बड़ा तौबा कुबूल करने वाला मेहरबान है।
  9. रब्बना वब्अस् फ़ीहिम् रसूलम् मिन्हुम यत्लू अलैहिम् आयाति-क व युअल्लिमुहुमुल-किता-ब वल-हिक्म-त व-युज़क्कीहिम, इन्न-क अन्तल अज़ीज़ुल-हकीम○* 
    (और) ऐ हमारे पालने वाले! मक्के वालों में उन्हीं में से एक रसूल को भेज जो उनको तेरी आयतें पढ़कर सुनाए और आसमानी किताब तथा ह़िक्मत (सुन्नत) की शिक्षा दे और उन्हें शुद्ध तथा आज्ञाकारी बना दे। बेशक तू ही ग़ालिब और साहिबे तदबीर है।
  10. व मंय्यरग़बु अम्-मिल्लति इब्राही-म इल्ला मन् सफ़ि-ह नफ्सहू, व-ल-क़दिस्तफैनाहु फिद्दुन्या व इन्नहू फ़िल-आख़िरति लमिनस्सालिहीन
    और कौन है जो इब्राहीम के तरीक़े से नफरत करे मगर जो अपने को अहमक़ बनाए और बेशक हमने उनको दुनिया में भी मुन्तिख़ब कर लिया और वह ज़रूर आखेरत में भी अच्छों ही में से होगे।
  11. इज़ क़ा-ल लहू रब्बुहू असलिम्, क़ा-ल अस्लम्तु लि-रब्बिल् आलमीन
    जब उनसे उनके परवरदिगार ने कहा इस्लाम कुबूल करो तो उसने तुरन्त कहाः मैं विश्व के पालनहार का आज्ञाकारी हो गया।
  12. व वस्सा बिहा इब्राहीमु बनीहि व यअ्क़ूबु, या बनिय्-य इन्नल्लाहस्तफ़ा लकुमुद्दी-न फ़ला तमूतुन्-न इल्ला व अन्तुम् मुस्लिमून
    और इसी तरीके क़ी इब्राहीम ने अपनी औलाद से वसीयत की और याकूब ने (भी) कि ऐ फरज़न्दों अल्लाह ने तुम्हारे वास्ते इस दीन (इस्लाम) को पसन्द फरमाया है फ़िर तुम हरगिज़ न मरना मगर मुसलमान ही होकर।
  13. अम् कुन्तुम् शु-हदा-अ इज़् ह-ज़-र
    यअ्क़ूबल्-मौतु, इज़् क़ा-ल लि-बनीहि मा तअ्बुदू-न मिम्-बअ्दी, क़ालू नअ्बुदु इलाह-क व इला-ह आबाइ-क इब्राही-म व इस्माअी़-ल व इस्हा-क़ इलाहंव्-वाहिदंव्-व नह्नु लहू मुस्लिमून

    (ऐ यहूद!) क्या तुम उस वक्त मौजूद थे जब याकूब के सर पर मौत आ खडी हुई। उस वक्त उन्होंने अपने बेटों से कहा कि मेरे बाद किसी की इबादत करोगे, कहने लगे हम आप के माबूद और आप के बाप दादाओं इब्राहीम व इस्माइल व इसहाक़ के माबूद व यकता अल्लाह की इबादत करेंगे और हम उसके फरमाबरदार हैं।
  14. तिल्-क उम्मतुन् क़द् ख़लत् लहा मा क-सबत् व लकुम् मा क-सब्तुम् व ला तुस्अ्लू-न अम्मा कानू यअ्मलून
    (ऐ यहूद!) वह लोग थे जो चल बसे जो उन्होंने कमाया उनके आगे आया और जो तुम कमाओगे तुम्हारे आगे आएगा और जो कुछ भी वह करते थे उसकी पूछगछ तुमसे नहीं होगी।
  15. व क़ालू कूनू हूदन् औ नसारा तह्तदू, क़ुल बल् मिल्ल-त इब्राही-म हनीफ़न्, व मा का-न मिनल् – मुश्रिकीन
    (यहूदी ईसाई मुसलमानों से) कहते हैं कि यहूद या नसरानी हो जाओ तो राहे रास्त पर आ जाओगे (ऐ रसूल! उनसे) कह दो कि हम इब्राहीम के तरीक़े पर हैं जो बातिल से कतरा कर चलते थे और मुशरेकीन से न थे।
  16. क़ूलू आमन्ना बिल्लाहि वमा उन्ज़ि-ल इलैना वमा उन्ज़ि-ल इला इब्राही-म व इस्माअी-ल व इस्हा-क़ व यअ्क़ू-ब वल्-अस्बाति वमा ऊति-य मूसा व अीसा वमा ऊतियन्नबिय्यू-न मिर्रब्बिहिम्, ला नुफ़र्रिक़ु बै-न अ-हदिम्-मिन्हुम् व नह्नु लहू मुस्लिमून
    (और ऐ मुसलमानों! तुम ये) कहो कि हम तो अल्लाह पर ईमान लाए हैं और उस पर जो हम पर नाज़िल किया गया (कुरान) और जो सहीफ़े इब्राहीम व इसमाईल व इसहाक़ व याकूब और औलादे याकूब पर नाज़िल हुए थे (उन पर) और जो किताब मूसा व ईसा को दी गई (उस पर) और जो और पैग़म्बरों को उनके परवरदिगार की तरफ से उन्हें दिया गया (उस पर) हम तो उनमें से किसी (एक) में भी तफरीक़ नहीं करते और हम तो अल्लाह ही के फरमाबरदार हैं।
  17. फ़-इन् आमनू बिमिस्लि मा आमन्तुम् बिही फ़-क़दिह्तदौ, व इन तवल्लौ फ-इन्नमा हुम् फ़ी शिक़ाक़िन् फ़-स-यक्फी-कहुमुल्लाहु व-हुवस्समीअुल अलीम
    पस अगर ये लोग भी उसी तरह ईमान लाए हैं जिस तरह तुम तो अलबत्ता राहे रास्त पर आ गए और अगर वह इस तरीके से मुँह फेर लें तो बस वह सिर्फ तुम्हारी ही ज़िद पर है तो (ऐ रसूल!) उन के शर से (बचाने को) तुम्हारे लिए अल्लाह काफ़ी होगा और वह (सबकी हालत) खूब जानता (और) सुनता है।
  18. सिब-ग़तल्लाहि, व मन् अह्सनु मिनल्लाहि सिब-ग़तंव् व नह्नु लहू आबिदून
    (मुसलमानों से कहो कि) रंग तो अल्लाह ही का रंग है जिसमें तुम रंगे गए और खुदाई रंग से बेहतर कौन रंग होगा और हम तो उसी की इबादत करते हैं।
  19. क़ुल अतुहाज्जू-नना फ़िल्लाहि व हुव रब्बुना व रब्बुकुम् व लना अअ्मालुना व लकुम् अअ्मालुकुम, व नह्नु लहू मुख़्लिसून
    (ऐ रसूल!) तुम उनसे पूछो कि क्या तुम हम से अल्लाह के बारे मे झगड़ते हो हालाँकि वही हमारा (भी) परवरदिगार है (वही) तुम्हारा भी (परवरदिगार है) हमारे लिए है हमारी कारगुज़ारियाँ और तुम्हारे लिए तुम्हारी कारसतानियाँ और और हम तो बस निरे उसी के हैं।
  20. अम् तकूलू-न इन्-न इब्राही-म व इस्माअी-ल व इस्हा-क़ व यअ्क़ू-ब वल्-अस्बा-त कानू हूदन औ नसारा, क़ुल अ-अन्तुम् अअ्लमु अमिल्लाहु व मन् अ़ज़्लमु मिम्मन् क-त-म शहा-दतन् अिन्दहू मिनल्लाहि, व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून
    क्या तुम कहते हो कि इब्राहीम व इसमाईल व इसहाक़ व आलौदें याकूब सब के सब यहूदी या नसरानी थे (ऐ रसूल! उनसे) पूछो तो कि तुम ज्यादा वाक़िफ़ हो या अल्लाह और उससे बढ़कर कौन ज़ालिम होगा जिसके पास अल्लाह की तरफ से गवाही (मौजूद) हो (कि वह यहूदी न थे) और फिर वह छिपाए और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उससे बेख़बर नहीं।
  21. तिल-क उम्मतुन् क़द् ख़लत् लहा मा क-सबत् व लकुम् मा क-सब्तुम् वला तुस्अलू-न अम्मा कानू यअ्मलून○ *
    ये वह लोग थे जो सिधार चुके जो कुछ कमा गए उनके लिए था और जो कुछ तुम कमाओगे तुम्हारे लिए होगा और जो कुछ वह कर गुज़रे उसकी पूछताछ तुमसे न होगी। (पारा १ समाप्त)

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