सूरह अद-दुहा कुरान के 30 वें पारा में मौजूद है। यह मक्की सूरह है। इस सूरह का नंबर 93 है और इस मे कुल 11 आयतें हैं।इस सूरह का नाम पहले ही वाक्यांश “कसम है प्रकाशमान दिन (अज-जुहा) की” के शब्द ‘अज़-जुहा’ से लिया गया है।
सूरह अद-दुहा हिंदी में | Surah Ad-Duhaa in Hindi
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
वद दुहा चढ़ते हुए रोशन दिन की क़सम।
वल लैलि इजा सजा और रात की क़सम जब कि उसका सन्नाटा छा जाये।
मा वद दअका रब्बुका वमा क़ला आप के रब ने न आप को छोड़ा और न आप से नाराज़ हुआ।
वलल आखिरतु खैरुल लका मिनल ऊला और बाद में आने वाले हालत आप के लिए पहले वाले हालात से ज़्यादा बेहतर हैं।
व लसौफ़ा युअ’तीका रब्बुका फतरदा और जल्द ही आप का रब आपको इतना प्रदान करेगा कि आप खुश हो जायेंगे।
अलम यजिद्का यतीमन फआवा क्या उसने तुम्हें यतीम पाकर (अबू तालिब की) पनाह न दी (ज़रूर दी)।
व वजदाका दाललन फ हदा आपको रास्ते से अपरिचित पाया तो सीधा मार्ग दिखाया।
व वजदाका आ इलन फअग्ना आप को ग़रीब पाया तो धनी कर दिया।
फ अम्मल यतीमा फ़ला तक्हर अब जो अनाथ है उस पर क्रोध मत करना।
व अम्मस सा इला फ़ला तन्हर और मांगने वाले को झिड़कना नहीं।
व अम्मा बि निअ’मति रब्बिका फ हददिस और जो तुम्हारे रब की अनुकम्पा है, उसे बयान करते रहो।