40 सूरह अल मोमिन(अल-गाफिर) हिंदी में पेज 3

सूरह अल मोमिन(सूरह अल-गाफिर) हिंदी में | Surah Al-Momin(Surah Ghafir) in Hindi

  1. फ़-वक़ाहुल्लाहु सय्यिआति मा म करू व हा-क़ बि-आलि फ़िर्-औ़-न सूउल्-अ़ज़ाब
    तो अल्लाह ने उसे उनकी तदबीरों की बुराई से महफूज़ रखा और फिरौनयों को बड़े अज़ाब ने ( हर तरफ ) से घेर लिया।
  2. अन्नारु युअ्-रज़ू-न अ़लैहा ग़ुदुव्वंव्-व अ़शिय्यन् व यौ-म तक़ूमुस्सा-अ़तु, अद्ख़िलू आ-ल फ़िर्-औ-न अशद्दल्- अ़ज़ाब
    और अब तो कब्र में दोज़ख़ की आग है कि वह लोग (हर) सुबह व शाम उसके सामने ला खड़े किए जाते हैं और जिस दिन क़यामत बरपा होगी (हुक्म होगा) फिरौन के लोगों को सख़्त से सख़्त अज़ाब में झोंक दो।
  3. व इज़् य-तहाज्जू-न फ़िन्नारि फ़-यक़ूलुज़्-ज़ु-अ़फ़ा-उ लिल्लज़ीनस्तक्बरू इन्ना कुन्ना लकुम् त-बअ़न् फ़-हल् अन्तुम् मुग़्नू-न अ़न्ना नसीबम्-मिनन्नार
    और ये लोग जिस वक़्त जहन्नुम में बाहम झगड़ेंगें तो कम हैसियत लोग बड़े आदमियों से कहेंगे कि हम तुम्हारे ताबे थे तो क्या तुम इस वक़्त (दोज़ख़ की) आग का कुछ हिस्सा हमसे हटा सकते हो।
  4. क़ालल्लज़ीनस्तक्बरू इन्ना कुल्लुन् फ़ीहा इन्नल्ला-ह क़द् ह-क-म बैनल्-अिबाद
    तो बड़े लोग कहेंगे (अब तो) हम (तुम) सबके सब आग में पड़े हैं अल्लाह (को) तो बन्दों के बारे में (जो कुछ) फैसला (करना था) कर चुका।
  5. व क़ालल्लज़ी-न फ़िन्नारि लि-ख़-ज़-नति जहन्न – मद्अू रब्बकुम् युख़फ़्फ़िफ़् अ़न्ना यौमम् मिनल्-अ़ज़ाब
    और जो लोग आग में (जल रहे) होंगे जहन्नुम के दरोग़ाओं से दरख़्वास्त करेंगे कि अपने परवरदिगार से अज्र करो कि एक दिन तो हमारे अज़ाब में तख़फ़ीफ़ कर दें।
  6. क़ालू अ-व लम् तकु तअ्तीकुम् रुसुलुकुम् बिल्बय्यिनाति, क़ालू बला, क़ालू फ़द्अू व मा दुआ़उल्-काफ़िरी-न इल्ला फ़ी ज़लाल
    वह जवाब देंगे कि क्या तुम्हारे पास तुम्हारे पैग़म्बर साफ व रौशन मौजिज़े लेकर नहीं आए थे वह कहेंगे (हाँ) आए तो थे, तब फ़रिश्ते तो कहेंगे फिर तुम ख़़ुद (क्यों) न दुआ करो, हालाँकि काफि़रों की दुआ तो बस बेकार ही है।
  7. इन्ना ल-नन्सुरु रुसु-लना वल्लज़ी-न आमनू फ़िल्हयातिद्-दुन्या व यौ म यक़ूमुल्- अश्हाद
    हम अपने पैग़म्बरों की और इमान वालों की दुनिया की जि़न्दगी में भी ज़रूर मदद करेंगे और जिस दिन गवाह (पैग़म्बर फ़रिश्ते गवाही को) उठ खड़े होंगे।
  8. यौ-म ला यन्फ़ अुज़्ज़ालिमी – न मअ्ज़ि – रतुहुम् व लहुमुल्-लअ्-नतु व लहुम् सूउद्-दार
    (उस दिन भी) जिस दिन ज़ालिमों को उनकी माज़ेरत कुछ भी फायदे न देगी और उन पर फिटकार (बरसती) होगी और उनके लिए बहुत बुरा घर (जहन्नुम) है।
  9. व ल-क़द् आतैना मूसल्हुदा व औरस्ना बनी इस्राईलल्-किताब
    और हम ही ने मूसा को हिदायत (की किताब तौरेत) दी और बनी इसराईल को (उस) किताब का वारिस बनाया।
  10. हुदंव्-व ज़िक्रा लि-उलिल्-अल्बाब
    जो अक़्लमन्दों के लिए (सरतापा) हिदायत व नसीहत है।
  11. फ़स्बिर् इन्- न वअ्दल्लाहि हक़्क़ुंव् – वस्तग़्फ़िर् लि-ज़म्बि-क व सब्बिह् बिहम्दि रब्बि-क बिल्अ़शिय्यि वल्-इब्कार
    (ऐ रसूल!) तुम (उनकी शरारत) पर सब्र करो बेशक अल्लाह का वायदा सच्चा है, और अपने (उम्मत की) गुनाहों की माफी माँगो और सुबह व शाम अपने परवरदिगार की हम्द व सना के साथ तसबीह करते रहो।
  12. इन्नल्लज़ी-न युजादिलू-न फ़ी आयातिल्लाहि बिग़ैरि सुल्तानिन् अताहुम् इन् फ़ी सुदूरिहिम् इल्ला किब्रुम्-मा हुम् बिबालिग़ीहि फ़स्तअिज़् बिल्लाहि, इन्नहू हुवस्समीअुल्-बसीर
    जिन लोगों के पास (अल्लाह की तरफ से) कोई दलील तो आयी नहीं और (फिर) वह अल्लाह की आयतों में (ख़्वाह मा ख़्वाह) झगड़े निकालते हैं, उनके दिल में बुराई (की बेजां हवस) के सिवा कुछ नहीं हालाँकि वह लोग उस तक कभी पहुँचने वाले नहीं। तो तुम बस अल्लाह की पनाह माँगते रहो बेशक वह बड़ा सुनने वाला (और) देखने वाला है।
  13. ल-ख़ल्क़ुस्समावाति वल्अर्ज़ि अक्बरु मिन् ख़ल्क़िन्नासि व लाकिन्-न अक्सरन्नासि ला यअ्लमून
    सारे आसमान और ज़मीन का पैदा करना लोगों के पैदा करने की ये निस्बत यक़ीनी बड़ा (काम) है मगर अक्सर लोग (इतना भी) नहीं जानते।
  14. व मा यस्तविल्-अअ्मा वल्बसीरु वल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्सालिहाति व लल्- मुसी-उ, क़लीलम् – मा त-तज़क्करून
    और अँधा और आँख वाला (दोनों) बराबर नहीं हो सकते और न मोमिनीन जिन्होने अच्छे काम किए और न बदकार (ही) बराबर हो सकते हैं। बात ये है कि तुम लोग बहुत कम ग़ौर करते हो, कयामत तो ज़रूर आने वाली है।
  15. इन्नस्सा-अ़-त लआति-यतुल्-ला रै-ब फ़ीहा व लाकिन्-न अक्सरन्नासि ला युअ्मिनून
    इसमें किसी तरह का संदेह नहीं मगर अक्सर लोग (इस पर भी) ईमान नहीं रखते।
  16. व क़ा-ल रब्बुकुमुद्-अूनी अस्तजिब् लकुम्, इन्नल्लज़ी-न यस्तक्बिरू-न अ़न् अिबादती स-यद्ख़ुलू-न जहन्न-म दाख़िरीन
    और तुम्हारा परवरदिगार इरशाद फ़रमाता है कि तुम मुझसे दुआएं माँगों मैं तुम्हारी (दुआ) क़ुबूल करूँगा जो लोग हमारी इबादत से अकड़ते हैं वह अनक़रीब ही ज़लील व ख़्वार हो कर यक़ीनन जहन्नुम वासिल होंगे।
  17. अल्लाहुल्लज़ी ज-अ़-ल लकुमुल्लै-ल लितस्कुनू फ़ीहि वन्नहा-र मुब्सिरन्, इन्नल्ला-ह लज़ू फ़ज़्लिन् अ़लन्नासि व लाकिन्-न अक्सरन्नासि ला यश्कुरून
    अल्लाह ही तो है जिसने तुम्हारे वास्ते रात बनाई ताकि तुम उसमें आराम करो। और दिन को रौशन (बनाया) तकि काम करो बेशक अल्लाह लोगों परा बड़ा फज़ल व करम वाला है, मगर अक्सर लोग उसका शुक्र नहीं अदा करते।
  18. ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बुकुम् ख़ालिक़ु कुल्लि शैइन्. ला इला-ह इल्ला हु-व फ़-अन्ना तुअ्फ़कून
    यही अल्लाह तुम्हारा परवरदिगार है जो हर चीज़ का ख़ालिक़ है, और उसके सिवा कोई माबूद नहीं, फिर तुम कहाँ बहके जा रहे हो।
  19. कज़ालि-क युअ्-फ़कुल्लज़ी-न कानू बिआयातिल्लाहि यज्हदून
    जो लोग अल्लाह की आयतों से इन्कार रखते थे वह इसी तरह भटक रहे थे।
  20. अल्लाहुल्लज़ी ज-अ़-ल लकुमुल्-अर्-ज़ क़रारंव्-वस्समा-अ बिनाअंव्-व सव्व रकुम् फ़ अह्स-न सु-व-रकुम् व र-ज़- क़कुम् मिनत्तय्यिबाति, ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बुकुम् फ़-तबा-रकल्लाहु रब्बुल्-आ़लमीन
    अल्लाह ही तो है जिसने तुम्हारे वास्ते ज़मीन को ठहरने की जगह और आसमान को छत बनाया और उसी ने तुम्हारी सूरतें बनायीं तो अच्छी सूरतें बनायीं और उसी ने तुम्हें साफ सुथरी चीज़ें खाने को दीं। यही अल्लाह तो तुम्हारा परवरदिगार है। तो अल्लाह बहुत ही मुतबर्रिक है जो सारे जहाँन का पालने वाला है।
  21. हुवल्-हय्यु ला इला-ह इल्ला हु-व फ़द्अूहु मुख़्लिसी – न लहुद्दी-न, अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल्-आ़लमीन
    वही (हमेशा) जि़न्दा है और उसके सिवा कोई माबूद नहीं तो निरी खरी उसी की इबादत करके उसी से ये दुआ माँगो, सब तारीफ अल्लाह ही को सज़ावार है और जो सारे जहाँन का पालने वाला है।
  22. क़ुल् इन्नी नुहीतु अन् अअ्बुदल्लज़ी-न तद्अू-न मिन् दूनिल्लाहि लम्मा जा अनियल् बय्यिनातु मिर्रब्बी व उमिर्तु अन् उस्लि-म लि-रब्बिल्-आ़लमीन
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि जब मेरे पास मेरे परवरदिगार की बारगाह से खुले हुए मौजिज़े आ चुके तो मुझे इस बात की मनाही कर दी गयी है कि अल्लाह को छोड़ कर जिनको तुम पूजते हो मैं उनकी परसतिश करूँ और मुझे तो यह हुक्म हो चुका है कि मैं सारे जहाँन के पालने वाले का फरमाबरदार बनु।

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