74 सूरह मुदस्सिर हिंदी में​

74 सूरह मुदस्सिर | Surah Al-Muddaththir

सूरह मुद्दस्सिर का मतलब “कपड़े में लिपटे हुए” होता है। सूरह मुद्दस्सिर कुरान के 29वें पारा में 74वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है। सूरह मुद्दस्सिर मे कुल 56 आयतें और कुल 2 रुकू है।

सूरह मुदस्सिर हिंदी में | Surah Al-Muddaththir in Hindi

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
  1. या अय्युहल मुदस्सिर
    ऐ मेरे कपड़ा ओढ़ने वाले! (नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर प्रथम वह़्यी के पश्चात् कुछ दिनों तक वह़्यी नहीं आई। फिर एक बार आप जा रहे थे कि आकाश से एक आवाज़ सुनी। ऊपर देखा तो वही फ़रिश्ता जो आप के पास ‘ह़िरा’ गुफ़ा में आया था आकाश तथा धरती के बीच एक कुर्सी पर विराजमान था। जिस से आप डर गये। और धरती पर गिर गये। फिर घर आये और अपनी पत्नी से कहाः मुझे चादर ओढ़ा दो, मुझे चादर ओढ़ा दो। उस ने चादर ओढ़ा दी। और अल्लाह ने यह सूरह उतारी।)
  2. कुम फअ्न जुर
    और लोगों को (अज़ाब से) सावधान करो।
  3. व रब्बका फ कब्बिर
    और अपने पालनहार की महिमा का वर्णन करो।
  4. व सियाबका फ तह्हिर
    और अपने कपड़ों को पवित्र रखो।
  5. वर् रुज्ज़ा फह्जुर
    और बुराईयों से बचो।
  6. वला तम्नून तस्तक्सिर
    और किसी पर इस तरह एहसान न करो कि (दूसरे वक्त)ज़्यादा मुआवजा चाहो।
  7. व लिरब्बिका फस्बिर
    और अपने पालनहार की ख़ातिर धैर्य ही से काम लो।
  8. फ इज़ा नुकिरा फिन नाकूर
    फिर जब सूर फूँका(अर्थात प्रलय के दिन) जायेगा।
  9. फ ज़ालिका यौमा इज़िन यौमुं असीर
    तो वह दिन बहुत ज़्यादा मुश्किल दिन होगा।
  10. अलल काफिरीना गैरु यसीर
    काफि़रों (अल्लाह या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) के वास्ते तो बिल्कुल आसान न होगा।
  11. ज़रनी व मन खलक़तु वहीदा
    (ऐ रसूल) अब मुझे और उस शख़्स को छोड़ दो जिसे मैंने अकेला पैदा किया है।
  12. व जअलतु लहु मालन ममदूदा
    फिर उसे अत्यधिक धन दे दिया।
  13. व बनीना शुहूदा
    और उसके पास रहने वाले बेटे दिए,
  14. व मह्हद्तुम लहु तम्हीदा
    और मैंने उसे प्रत्येक प्रकार का संसाधन दिया।
  15. सुम्मा यतमउ अन् अज़ीद
    और फिर भी चाहता है कि और बढ़ोतरी कर दूँ।
  16. कल्ला इन्नहु काना लि आयातिना अनीदा
    कदापि नहीं, ये हमारी आयतों का सख़्त दुश्मन था।
  17. सा उर हिकुहु सऊदा
    तो हम बहुत जल्द उसे दोजख के पहाड़ पर चढ़ाऊंगा।
  18. इन्नहु फक्करा व क़द्दर
    उसने विचार किया और अनुमान लगाया।
  19. फ क़ुतिला कैफा क़द्दर
    तो इसी में मारा गया कि कैसा अनुमान लगाया।
  20. सुम्मा क़ुतिला कैफा क़द्दर
    फिर उसी में तबाह हो गया कि कैसा अनुमान लगाया।
  21. सुम्मा नज़र
    फिर पुनः विचार किया।
  22. सुम्मा अबासा व बसर
    फिर त्योरी चढ़ाकर मुँह बना लिया।
  23. सुम्मा अदबरा वस्तकबर
    फिर (सत्य से) पीछे फिरा और घमंड किया।
  24. फ काला इन हाज़ा इल्ला सिहरुयी युअ् सर
    और आखि़र में कहने लगा कि ये तो एक जादू है जो पुराने ज़माने से चला आ रहा है।
  25. इन हाज़ा इल्ला कौलुल बशर
    ये तो सिर्फ़ इन्सान का कथन है।
  26. स उस्लीही सक़र
    हम बहुत जल्द उसे नरक में झोंक देंगे।
  27. वमा अदराका मा सक़र
    और तुम क्या जानो कि नरक क्या है।
  28. ला तुब्की वला तज़र
    वह किसी को छोड़ने वाला और बाक़ी रखने वाला नहीं है।
  29. लौ वाहतुल् लिल बशर
    बदन को जलाकर स्याह कर देने वाला है।
  30. अलैहा तिस्अता अशर
    इस पर उन्नीस फ़रिश्ते तैनात हैं।
  31. वमा ज अल्ना अस्हाबन नारि इल्ला मलाअिकह, वमा ज अल्ना इद्दतहुम इल्ला फित्नत्ल लिल्लजीना कफरु, लि यस्ततैइक़िनल लज़ीना ऊतुल किताबा व यज़दादल लज़ीना आमनू ईमानौं वला यर्ताबल् लज़ीना ऊतुल किताबा वल मुअ्मिनून, व लियाकूलल लज़ीना फी कुलूबिहिम मरजों वल काफिरूना माज़ा अरादल्लाहु बिहाज़ा मसाला, कज़ालिका युज़िल्लुल्लाहू मइ् यशाउ व यहदी मइ यशाअ, वमा यअ्लमु जुनूदा रब्बिका इल्ला हू, वमा हिया इल्ला ज़िकरा लिल बशर
    और हमने नरक के रक्षक सिर्फ़ फ़रिश्ते ही बनाये हैं और हमने उनकी संख्या को इनकार करनेवालों के लिए मुसीबत और आज़माइश ही बनाकर रखा है। कि वे लोग जिन्हें किताब प्रदान की गई थी को यक़ीन हासिल हो जाये और ईमान वालों के ईमान में बढ़ोतरी हो जाये और जिन लोगों को किताब प्रदान की गई वे और ईमानवाले किसी संशय मे न पड़ें, और जिनके दिलों में रोग है और कुफ़्फ़ार (अल्लाह या उसके हुक्म का इन्कार करने वाले) ये कहने लगें कि आखि़र इस मिसाल का मक़सद क्या है अल्लाह इसी तरह जिसको चाहता है पथभ्रष्ट कर देता है और जिसको चाहता है संमार्ग प्रदान करता है और उसके सेनाओं को उसके अलावा कोई नहीं जानता है और यह तो मनुष्य के लिए मात्र एक शिक्षा-सामग्री है।
  32. कल्ला वल क़मर
    होशियार हमें चाँद की क़सम।
  33. वल्लैली इज़ अदबर
    और जाती हुई रात की क़सम।
  34. वस्सुबही इज़ा अस्फर
    और रौशन सुबह की क़सम।
  35. इन्नहा ल इह्दल कुबर
    ये नरक बड़ी चीजों में से एक चीज़ है। (अर्थात जैसे रात्री के पश्चात दिन होता है उसी प्रकार कर्मों का भी परिणाम सामने आना है। और दुष्कर्मों का परिणाम नरक है।)
  36. नज़ीरल लिल बशर
    लोगों के डराने का ज़रिया।
  37. लिमन शाआ मिन्कुम अइ य्ताकद्दमा औ यता अख्खर
    उनके लिए जो आगे पीछे हटना चाहें।
  38. कुल्लु नफ्सिम बिमा कसाबत रहीनह
    हर शख्स अपने (कुफ़्रिया) आमाल के बदले मे (नरक मे) कैद होगा।
  39. इल्ला अस्हाबल यमीन
    सिवाय दाएँवालों के।
  40. फी जन्नात, यतासा अलून
    वह स्वर्गों में रहकर आपस में सवाल कर रहे होंगे।
  41. अनिल मुजरिमीन
    जुर्म करने वालों के बारे में।
  42. मा सलाककुम फी सकर
    आख़िर तुम्हें किस चीज़ ने नरक में पहुँचा दिया है।
  43. कालू लम नकु मिनल मुसल्लीन
    वह कहेंगे कि हम  नमाज़ियों में से नहीं थे।
  44. वलम नकु नुतइमुल मिस्कीन
    और मोहताज को खाना नहीं खिलाया करते थे।
  45. व कुन्ना नखुजु मअल खाइजीन
    लोगों के बुरे कामों में शामिल हो जाया करते थे।
  46. व कुन्ना नुकज्ज़िबू बि यौमिद्दीन
    और रोजे़ क़यामत को झुठलाते थे।
  47. हत्ता अतानल यकीन
    यहाँ तक कि हमें मौत आ गयी।
  48. फ़मा तन्फ़उहुम शफाअतुश शाफ़िईन
    तो उन्हें सिफ़ारिश करने वालों की सिफ़ारिश भी कोई फ़ायदा न पहुँचायेगी।
  49. फमा लहुम अनित् तज्किरति मुअ् रिजीन
    आखि़र इन्हें क्या हो गया है कि ये अच्छी बातों से मुँह मोड़े हुए हैं।
  50. क अन्नाहुम हुमुरुम मुस्तन्फिरह
    गोया बिदकाये हुए जंगली गधे हैं।
  51. फ़र्रत मिन क़स्वरह
    जो शेर से भाग रहे हैं।
  52. बल युरीदु कुल्लुम रिइम मिन्हुम अयि युअ्ता सुहुफ़म मुनाश्शरह
    वास्तव में इनमें हर आदमी यह चाहता है कि उसे खुली हुई किताबें अता कर दी जायें। (अर्थात वे चाहते हैं कि प्रत्येक के ऊपर वैसे ही पुस्तक उतारी जाये जैसे मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारी गई है। तब वे ईमान लायेंगे। )
  53. कल्ला, बल्ला याखाफूनल् आखिरह
    कदापि ये नहीं हो सकता बल्कि वे परलोक से नहीं डरते हैं।
  54. कल्ला इन्नहू तज्किरह
    निश्चय ये (कुरान) तो एक शिक्षा है।
  55. फमन शा अ ज़ करह
    अब जो चाहे, शिक्षा ग्रहण करे।
  56. वमा यज़्कुरूना इल्ला अइ यशाअल्लाहु, हुबा अह्लुत्तक़्बा व अह्लुल मग्फिरह
    और यह इसे याद न करेंगे मगर ये कि अल्लाह ही चाहे कि वही इस योग्य है कि उसका डर रखा जाए और इस योग्य भी कि क्षमा करे।

सूरह मुदस्सिर वीडियो

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