सूरह मुल्क, कुरान मजीद के 29 वे पारे में है। सूरह मुल्क मक्का मे नाजिल हुई थी। सूरह मुल्क को पढ़ने के फायदे बहुत ज्यादा हैं और सूरह को पढ़ने का हुक्म हमें हमारे नबी ने दिया है।
सूरह मुल्क हिंदी में
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
- तबा – रकल्लज़ी बि – यदिहिल – मुल्कु व हु – व अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर
जिस (अल्लाह) के कब्ज़े में (सारे जहाँन की) बादशाहत है वह बड़ी बरकत वाला है और वह हर चीज़ की सामर्थ्य रखता है। - अल्लज़ी ख-ल-क़ल-मौ-त वल्हया-त लि-यब्लु-वकुम् अय्युकुम् अहसनु अ़-मलन , व हुवल् अ़जीजुल-गफूर
जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया ताकि तुम्हारी परीक्षा ले कि तुममें से काम में सबसे अच्छा कौन है। और वह प्रभुत्वशाली, अति क्षमा करने वाला है। - अल्लज़ी ख़ – ल – क़ सब् – अ़ समावातिन् तिबाकन् , मा तरा फी ख़ल्किर्रह्मानि मिन् तफावुतिन् , फर्जिअ़िल् – ब – स – र हल् तरा मिन् फुतूर
जिसने सात आसमान तले ऊपर बना डाले। भला तुझे अल्लाह की उत्पत्ति में कोई कसर नज़र आती है। तो फिर ऑंख उठाकर देख भला तुझे कोई दरार नज़र आता है। - सुम्मरजिअिल् – ब – स – र कर्रतैनि यन्क़लिब इलैकल् – ब – सरु ख़ासिअंव् – व हु – व हसीर
फिर दुबारा ऑंख उठा कर देखो तो (हर बार तेरी) नज़र नाकाम और थक कर तेरी तरफ पलट आएगी। - व ल – क़द् ज़य्यन्नस्समाअद् – दुन्या बि – मसाबी – ह व ज – अ़ल्नाहा रुजूमल् – लिश्शयातीनि व अअ्तद्ना लहुम् अ़ज़ाबस्सअ़ीर
और हमने नीचे वाले (पहले) आसमान को (तारों के) चिराग़ों से सजाया है। और हमने उनको शैतानों के मारने का साधन बनाया। और हमने उनके लिए दहकती हुई आग का यातना तैयार कर रखा है। - व लिल्लज़ी – न क – फ़रू बिरब्बिहिम् अ़ज़ाबु जहन्न – म, व बिअ्सल – मसीर
जिन लोगों ने अपने रब के साथ कुफ़्र किया उनके लिए नरक की यातना है और वह (बहुत) बुरा ठिकाना है। - इज़ा उल्कू फ़ीहा समिअू लहा शहीकंव् – व हि – य तफूर
जब ये लोग इसमें डाले जाएँगे तो उसकी बड़ी चीख़ सुनेंगे। और वह खौल रही होगी। - तकादु त – मय्यजु मिनल् – गै़ज़ि , कुल्लमा उल्कि – य फ़ीहा फौ़जुन् स – अ – लहुम् ख़ – ज़ – नतुहा अलम् यअ्तिकुम नज़ीर
प्रतीत होगा मारे जोश के फट पड़ेगी जब उसमें (उनका) कोई समूह डाला जाएगा तो उनसे जहन्नुम के प्रहरी पूछेगें क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला पैग़म्बर नहीं आया था। - कालू बला क़द् जा – अना नज़ीरुन् , फ़ – कज़्ज़ब्ना व कुल्ना मा नज़्ज़लल्लाहु मिन् शैइन् इन् अन्तुम् इल्ला फ़ी ज़लालिन् कबीर
वह कहेंगे: हाँ हमारे पास डराने वाला तो ज़रूर आया था मगर हमने उसको झुठला दिया। और कहा कि अल्लाह ने तो कुछ उतारा ही नहीं है। तुम तो बड़े कुपथ में (पड़े) हो। - व का़लू लौ कुन्ना नस्मअु औ नअ्कि लु मा कुन्ना फी असहाबिस्सअ़ीर
और (ये भी) कहेंगे कि अगर (उनकी बात) सुनते या समझते तब तो (आज) नरक के वासियों में न होते। - फ़ अ -त- रफू बिज़म्बिहिम् फ़ – सुह्क़ल् – लि – अस्हाबिस् – सअ़ीर
तो वह अपने गुनाह स्वीकार कर लेंगे तो नरक वासियों को अल्लाह की रहमत से दूरी है। - इन्नल्लज़ी – न यख़्शौ – न रब्बहुम् बिल्गै़बि लहुम् मग्फ़ि – रतुंव् – व अजरुन् कबीर
बेशक जो लोग अपने परवरदिगार से बेदेखे भाले डरते हैं। उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिफल है। - व असिर्रू कौ़लकुम् अविज् – हरू बिही , इन्नहू अ़लीमुम् बिज़ातिस्सुदूर
और तुम अपनी बात छिपकर कहो या खुल्लम खुल्ला। वह तो दिल के भेद भली-भाँति जानता है। - अला यअ्लमु मन् ख़ – ल – क़ , व हुवल् – लतीफुल – ख़बीर *
भला जिसने पैदा किया वह तो बेख़बर और वह तो बड़ा सूक्ष्मदर्शक सर्व सूचित है। - हुवल्लज़ी ज – अ़ – ल लकुमुल् – अर् – ज़ ज़लूलन् फम्शू फ़ी मनाकिबिहा व कुलू मिर्रिजक़िही, व इलैहिन् – नुशूर
वही तो है जिसने ज़मीन को तुम्हारे लिए नरम (व हमवार) कर दिया। तो उसके क्षेत्रों में चलो फिरो और उसकी (दी हुई) जीविका खाओ। - अ – अमिन्तुम् मन् फिस्समा – इ अंय्यख़्सि – फ़ बिकुमुल् – अर् – ज़ फ़ – इज़ा हि – य तमूर
और फिर उसी की तरफ क़ब्र से उठ कर जाना है क्या तुम उस शख़्श से जो आसमान में (हुकूमत करता है) इस बात से बेख़ौफ़ हो कि तुमको ज़मीन में धॅसा दे। फिर वह एकबारगी उलट पुलट करने लगे। - अम् अमिन्तुम् मन् फिस्समा – इ अंय्युर्सि – ल अ़लैकुम् हासिबन् , फ़ – सतअ्लमू – न कै – फ़ नज़ीर
या तुम इस बात से निर्भय हो कि जो आसमान में (सल्तनत करता) है कि तुम पर पत्थर भरी ऑंधी चलाए तो तुम्हें अनक़रीेब ही मालूम हो जाएगा कि मेरा डराना कैसा है। - व ल – क़द् कज़्ज़ – बल्लज़ी – न मिन् क़ब्लिहिम् फ़कै – फ़ का – न नकीर
और जो लोग उनसे पहले थे उन्होने झुठलाया था तो (देखो) कि मेरी नाख़ुशी कैसी थी। अर्थात मक्का वासियों से पहले आद, समूद आदि जातियों ने। तो लूत (अलैहिस्सलाम) की जाति पर पत्थरों की वर्षा हुई। - अ – व लम् यरौ इलत्तैरि फौ़क़हुम् साफ्फ़ातिंव् – व यक्बिज् – न • मा युम्सिकुहुन् – न इल्लर्रह्मानु , इन्नहू बिकुल्लि शैइम् – बसीर
क्या उन लोगों ने अपने सरों पर चिड़ियों को उड़ते नहीं देखा जो परों को फैलाए रहती हैं और समेट लेती हैं कि अल्लाह के सिवा उन्हें कोई रोके नहीं रह सकता। बेशक वह हर चीज़ को देख रहा है। - अम्मन् हाज़ल्लज़ी हु – व जुन्दुल् – लकुम् यन्सुरुकुम् मिन् दूनिर्रह्मानि , इनिल् – काफ़िरू – न इल्ला फी गुरूर
भला अल्लाह के सिवा ऐसा कौन है जो तुम्हारी फ़ौज बनकर तुम्हारी मदद करे। काफ़िर लोग तो धोखे ही (धोखे) में हैं। भला अल्लाह अगर अपनी (दी हुई) जीविका रोक ले, तो कौन ऐसा है जो तुम्हें जीविका दे। - अम् – मन् हाज़ल्लज़ी यरजुकुकुम् इन् अम् – स – क रिज़्क़हु बल् – लज्जू फ़ी अुतुव्विंव्व – व नुफूर
मगर ये कुफ्फ़ार तो सरकशी और नफ़रत (के भँवर) में फँसे हुए हैं। भला जो शख़्श औंधे मुँह के बाल चले वह ज्यादा मार्गदर्शन पर होगा। - अ – फ़मंय्यम्शी मुकिब्बन् अ़ला वज्हिही अह्दा अम् – मंय्यम्शी सविय्यन् अ़ला सिरातिम् – मुसतक़ीम
या वह शख़्श जो सीधा बराबर राहे रास्त पर चल रहा हो। (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि अल्लाह तो वही है जिसने तुमको नित नया पैदा किया। - कुल् हुवल्लज़ी अन्श – अकुम् व ज – अ़ल लकुमुस्सम् – अ़ वल्अब्सा – र वल् – अफ़इ – द – त , क़लीलम् – मा तश्कुरून
और तुम्हारे वास्ते कान और ऑंख और दिल बनाए (मगर) तुम तो बहुत कम शुक्र अदा करते हो। - कुल् हुवल्लज़ी ज़ – र – अकुम् फ़िल्अर्जि व इलैहि तुह्शरून
कह दो कि वही तो है जिसने तुमको ज़मीन में फैला दिया और उसी के सामने जमा किए जाओगे। - व यकूलू – न मता हाज़ल् – वअ्दु इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
और कुफ्फ़ार कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आख़िर) ये वायदा कब (पूरा) होगा। - कुल इन्नमल् – अ़िल्मु अिन्दल्लाहि व इन्नमा अ – न नज़ीरुम् – मुबीन
(ऐ रसूल!) तुम कह दो कि (इसका) इल्म तो बस अल्लाह ही को है और मैं तो सिर्फ साफ़ साफ़ (अज़ाब से) डराने वाला हूँ। - फ़ – लम्मा रऔहु जुल्फ़ – तन् सी – अत् वुजूहुल्लज़ी – न क – फ़रू व की – ल हाज़ल्लज़ी कुन्तुम् बिही तद्द – अून
तो जब ये लोग उसे समीप से देख लेंगे (ख़ौफ के मारे) काफिरों के चेहरे बिगड़ जाएँगे। और उनसे कहा जाएगा ये वही है जिसकी तुम माँग कर रहे थे। - कुल् अ – रऐतुम् इन् अह़्ल – कनियल्लाहु व मम् – मअि – य औ रहि – मना फ़ – मंय्युजीरुल् – काफ़िरी – न मिन् अ़ज़ाबिन अलीम
(ऐ रसूल!) तुम कह दो भला देखो तो कि अगर अल्लाह मुझको और मेरे साथियों को नाश कर दे। या हम पर दया करे तो काफ़िरों को दुःखदायी यातना से कौन पनाह देगा। - कुल् हुवर् – रह्मानु आमन्ना बिही व अ़लैहि तवक्कलना फ़ – स – तअ्लमू – न मन् हु – व फी ज़लालिम् – मुबीन
तुम कह दो कि वही (अल्लाह) बड़ा रहम करने वाला है जिस पर हम ईमान लाए हैं। और हमने तो उसी पर भरोसा कर लिया है। तो शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि कौन खुले कुपथ में (पड़ा) है। - कुल् अ – रऐतुम् इन् अस्ब – ह मा – उकुम् गौरन् फ़ – मंय्यअ्तीकुम् बिमाइम् – मअ़ीन *
ऐ रसूल! तुम कह दो कि भला देखो तो कि अगर तुम्हारा पानी ज़मीन के अन्दर चला जाए तो कौन ऐसा है जो तुम्हारे लिए पानी का चश्मा बहा लाए।
सूरह मुल्क वीडियो | Surah Mulk Video
सूरह मुल्क की फ़ज़ीलत हिंदी में
इस सूरह को पढ़ने वाले की मगफिरत होगी। सूरह मुल्क पढ़ने वाले को बक्श दिया जाएगा। सूरह मुल्क इसे पढ़ने वाले की मगफिरत की सिफारिश अल्लाह से करेगी। कब्र का आजाब से महफूज रहेगा। चेहरे पर नूर आएगा।
सूरह मुल्क उर्दु तर्जुमा
सूरह मुल्क को पढ़ने का फायदे
यह सूरह हमारे नबी पढ़ा करते थे। तो ऐसे में इस सुबह की तिलावत करना हमारे लिए सुन्नत है और जो इस सुरह की तिलावत करेगा उसे सवाब मिलेगा। एक हदीस में, यह उल्लेख किया गया था कि पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने हर रात सोने से पहले सूरह मुक पढ़ने की सिफारिश की थी। ऐसा करने से कहा जाता है कि कब्र में होने वाली पीड़ा से आपकी रक्षा होगी।
इस सूरह के अर्थ को गहराई से समझने में क़ाबिल होने का गुमान करें और हर रात बिस्तर पर जाने से पहले इसका पाठ करें। आप अल्लाह के करीब होंगे और अपनी रात की शुरुआत सच्चे इरादों के साथ करेंगे, जिसमें आपका दिल सही जगह पर होगा।
इस सूरह को पढ़ने वाले की मगफिरत होगी। सूरह मुल्क पढ़ने वाले को बक्श दिया जाएगा। क्योकि सूरह मुल्क, इसे पढ़ने वाले की मगफिरत की सिफारिश अल्लाह से करेगी। इस सूरह को पढ़ने वाला कब्र के अज़ाब से महफूज रहेगा। उसके चेहरे पर नूर आ जायेगा।