24 सूरह नूर हिंदी में​

24 सूरह नूर | Surah An-Nur

सूरा अन-नूर इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 24 वां सूरा या अध्याय है। इसमें 64 आयतें हैं। सूरह नूर का अर्थ चमक है। सूरह नूर 18 वे पारा में है?

सूरह अन नूर हमें क्या सिखाती है?
सूरह अन-नूर में, ज़िना की आयतों के तुरंत बाद, अल्लाह हमें एक घर में जाने के अदब के बारे में बताता है। जब आप किसी के घर में प्रवेश करना चाहते हैं, तो अनुमति लें। जब आप प्रवेश करते हैं, तो कुछ चीजें होती हैं जिन्हें आप देख सकते हैं और नहीं देख सकते। खाना परोसने और खाने के बाद, चले जाओ और गपशप करने के लिए मत घूमो।

सूरह नूर पढ़ने के फायदे
और, जो कोई सूरह नूर को बहुत अधिक पढ़ता है, उसके परिवार में कोई व्यभिचार नहीं करेगा और उसकी मृत्यु के बाद, सत्तर फ़रिश्ते उसे उसकी कब्र तक पहुँचाएंगे और प्रार्थना करेंगे और उसके लिए क्षमा माँगेंगे।

सूरह नूर हिंदी में | Surah An-Nur in Hindi

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. सूरतुन् अन्ज़ल्नाहा व फ़रज़्नाहा व अन्ज़ल्ना फ़ीहा आयातिम् बय्यिनातिल् लअ़ल्लकुम् तज़क्करून
    (ये) एक सूरा है जिसे हमने नाज़िल किया है और उस (के एहक़ाम) को फर्ज क़र दिया है और इसमें हमने वाज़ेए व रौशन आयतें नाज़िल की हैं ताकि तुम (ग़ौर करके) नसीहत हासिल करो।
  2. अज़्ज़ानि-यतु वज़्ज़ानी फ़ज्लिदू कुल-ल् वाहिदिम्-मिन्हुमा मि-अ-त जल्दतिंव्-व ला तअ्खुज्कुम् बिहिमा रअ्-फ़तुन फ़ी दीनिल्लाहि इन् कुन्तुम् तुअ्मिनू-न बिल्लाहि वल्यौमिल्-आखिरि वल्यश्-हद् अ़ज़ाबहुमा ताइ-फ़तुम् मिनल्-मुअ्मिनीन
    ज़िना करने वाली औरत और ज़िना करने वाले मर्द इन दोनों में से हर एक को सौ (सौ) कोडे मारो और अगर तुम अल्लाह और रोजे आख़िरत पर ईमान रखते हो तो हुक्मे अल्लाह के नाफिज़ करने में तुमको उनके बारे में किसी तरह की तरस का लिहाज़ न होने पाए और उन दोनों की सज़ा के वक्त मोमिन की एक जमाअत को मौजूद रहना चाहिए।
  3. अज़्जा़नी ला यन्किहु इल्ला जा़नि-यतन् औ मुशरि-कतंव्-वज़्जा़नि-यतु ला यन्किहुहा इल्ला जा़निन् औ मुश्रिकुन् व हुर्रि-म ज़ालि-क अ़लल्-मुअ्मिनीन
    ज़िना करने वाला मर्द तो ज़िना करने वाली औरत या मुशरिका से निकाह करेगा और ज़िना करने वाली औरत भी बस ज़िना करने वाले ही मर्द या मुशरिक से निकाह करेगी और सच्चे ईमानदारों पर तो इस क़िस्म के ताल्लुक़ात हराम हैं।
  4. वल्लज़ी-न यरमूनल् मुह्सनाति सुम्-म लम् यअतू बि-अर्-ब-अ़ति शु-हदा-अ फ़ज्लिदूहुम् समानी-न जल्दतंव्-व ला तक़्बलू लहुम् शहा-दतन् अ-बदन् व उलाइ-क हुमुल्-फ़ासिकून
    और जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाएँ फिर (अपने दावे पर) चार गवाह पेश न करें तो उन्हें अस्सी कोड़ें मारो और फिर (आइन्दा) कभी उनकी गवाही कुबूल न करो और (याद रखो कि) ये लोग ख़ुद बदकार हैं।
  5. इल्लल्लज़ी-न ताबू मिम्-बअ्दि जा़लि-क व अस्लहू फ़-इन्नल्ला-ह ग़फूरूर्रहीम
    मगर हाँ जिन लोगों ने उसके बाद तौबा कर ली और अपनी इसलाह की तो बेशक अल्लाह बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।
  6. वल्लज़ी-न यरमू-न अज़्वाजहुम् व लम् यकुल्लहुम् शु-हदा-उ इल्ला अन्फुसुहुम् फ़-शहा-दतु अ-हदिहिम् अर-बअु शहादातिम्-बिल्लाहि इन्नहू लमिनस्-सादिक़ीन
    और जो लोग अपनी बीवियों पर (ज़िना) का ऐब लगाएँ और (इसके सुबूत में) अपने सिवा उनका कोई गवाह न हो तो ऐसे लोगों में से एक की गवाही चार मरतबा इस तरह होगी कि वह (हर मरतबा) अल्लाह की क़सम खाकर बयान करे कि वह (अपने दावे में) जरुर सच्चा है।
  7. वल्ख़ामि-सतु अन्-न लअ्-नतल्लाहि अ़लैहि इन् का-न मिनल्-काज़िबीन
    और पाँचवी (मरतबा) यूँ (कहेगा) अगर वह झूट बोलता हो तो उस पर अल्लाह की लानत।
  8. व यद्रउ अ़न्हल्-अ़ज़ा-ब अन् तश्ह-द अर्ब-अ़ शहादातिम्-बिल्लाहि इन्नहू लमिनल्-काज़िबीन
    और औरत (के सर से) इस तरह सज़ा टल सकती है कि वह चार मरतबा अल्लाह की क़सम खा कर बयान कर दे कि ये शख्स (उसका शौहर अपने दावे में) ज़रुर झूठा है।
  9. वल्ख़ामि-स-त अन्-न ग-ज़बल्लाहि अ़लैहा इन का-न मिनस्-सादिक़ीन 
    और पाँचवी मरतबा यूँ करेगी कि अगर ये शख्स (अपने दावे में) सच्चा हो तो मुझ पर अल्लाह का ग़ज़ब पड़े।
  10. व लौ ला फ़ज़्लुल्लाहि अ़लैकुम् व रह्मतुहू व अन्नल्ला-ह तव्वाबुन् हकीम*
    और अगर तुम पर अल्लाह का फज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो देखते कि तोहमत लगाने वालों का क्या हाल होता और इसमें शक ही नहीं कि अल्लाह बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला हकीम है।
  11. इन्नल्लज़ी-न जाऊ बिल्-इफ़्कि अुस्बतुम्-मिन्कुम् , ला तह्सबूहु शर्रल्-लकुम , बल् हु-व खै़रुल्-लकुम , लिकुल्लिम्-रिइम्-मिन्हुम् मक्त-स-ब मिनल्-इस्मि वल्लज़ी तवल्ला किब्रहू मिन्हुम् लहू अ़ज़ाबुन् अ़ज़ीम
    बेशक जिन लोगों ने झूठी तोहमत लगायी वह तुम्ही में से एक गिरोह है तुम अपने हक़ में इस तोहमत को बड़ा न समझो बल्कि ये तुम्हारे हक़ में बेहतर है इनमें से जिस शख्स ने जितना गुनाह समेटा वह उस (की सज़ा) को खुद भुगतेगा और उनमें से जिस शख्स ने तोहमत का बड़ा हिस्सा लिया उसके लिए बड़ी (सख्त) सज़ा होगी।
  12. लौ ला इज् समिअ्तुमूहु ज़न्नल्-मुअ्मिनू-न वल्-मुअ्मिनातु बिअन्फुसिहिम् खैरंव्-व कालू हाज़ा इफ़्कुम्-मुबीन
    और जब तुम लोगो ने उसको सुना था तो उसी वक्त ईमानदार मर्दों और ईमानदार औरतों ने अपने लोगों पर भलाई का गुमान क्यो न किया और ये क्यों न बोल उठे कि ये तो खुला हुआ बोहतान है।
  13. लौ ला जाऊ अ़लैहि बि-अर्-ब-अ़ति शु-हदा-अ फ़-इज् लम् यअ्तू बिश्शु-हदा-इ फ़-उलाइ-क अिन्दल्लाहि हुमुल-काज़िबून
    और जिन लोगों ने तोहमत लगायी थी अपने दावे के सुबूत में चार गवाह क्यों न पेश किए फिर जब इन लोगों ने गवाह न पेश किये तो अल्लाह के नज़दीक यही लोग झूठे हैं।
  14. व लौ ला फ़ज़्लुल्लाहि अ़लैकुम् व रह्मतुहू फ़िद्दुन्या वल्-आख़िरति ल-मस्सकुम् फ़ीमा अफज़्तुम् फ़ीहि-अ़ज़ाबुन् अज़ीम
    और अगर तुम लोगों पर दुनिया और आख़िरत में अल्लाह का फज़ल (व करम) और उसकी रहमत न होती तो जिस बात का तुम लोगों ने चर्चा किया था उस की वजह से तुम पर कोई बड़ा (सख्त) अज़ाब आ पहुँचता।
  15. इज् तलक़्कौ़नहू बिअल्सि-नतिकुम् व तकूलू-न बिअफ़्वाहिकुम् मा लै-स लकुम् बिही अ़िल्मुंव्-व तहसबूनहू हय्यिनंव्-व हु-व अ़िन्दल्लाहि अ़ज़ीम 
    कि तुम अपनी ज़बानों से इसको एक दूसरे से बयान करने लगे और अपने मुँह से ऐसी बात कहते थे जिसका तुम्हें इल्म व यक़ीन न था (और लुत्फ ये है कि) तुमने इसको एक आसान बात समझी थी हॉलाकि वह अल्लाह के नज़दीक बड़ी सख्त बात थी।
  16. व लौ ला इज् समिअ्तुमूहु कुल्तुम् मा यकूनु लना अन् न-तकल्ल-म बिहाज़ा सुब्हान-क हाज़ा बुह्तानुन् अ़ज़ीम
    और जब तुमने ऐसी बात सुनी थी तो तुमने लोगों से क्यों न कह दिया कि हमको ऐसी बात मुँह से निकालनी मुनासिब नहीं सुबहान अल्लाह ये बड़ा भारी बोहतान है।
  17. यअिजुकुमुल्लाहु अन् तअूदू लिमिस्लिही अ-बदन् इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन
    अल्लाह तुम्हारी नसीहत करता है कि अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़बरदार फिर कभी ऐसा न करना।
  18. व युबय्यिनुल्लाहु लकुमुल्-आयाति , वल्लाहु अ़लीमुन् हकीम
    और अल्लाह तुम से (अपने) एहकाम साफ साफ बयान करता है और अल्लाह तो बड़ा वाक़िफकार हकीम है।
  19. इन्नल्लज़ी-न युहिब्बू-न अन् तशीअ़ल्-फ़ाहि-शतु फ़िल्लज़ी-न आमनू लहुम् अ़ज़ाबुन् अलीमुन् फ़िद्दुन्या वल्-आख़िरति , वल्लाहु यअ्लमु व अन्तुम् ला तअ्लमून
    जो लोग ये चाहते हैं कि ईमानदारों में बदकारी का चर्चा फैल जाए बेशक उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है और अल्लाह (असल हाल को) ख़ूब जानता है और तुम लोग नहीं जानते हो।
  20. व लौ ला फ़ज़्लुल्लाहि अ़लैकुम् व रह्मतुहू व अन्नल्ला-ह रऊफुर-रहीम*
    और अगर ये बात न होती कि तुम पर अल्लाह का फ़ज़ल (व करम) और उसकी रहमत से और ये कि अल्लाह (अपने बन्दों पर) बड़ा शफीक़ मेहरबान है।

सूरह नूर वीडियो

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