50 सूरह काफ़ हिंदी में पेज 2

50 सूरह काफ़ हिंदी में | Surah Qaf in Hindi

  1. व क़ा-ल क़रीनुहू हाज़ा मा ल-दय्-य अ़तीद
    उसके साथी ने कहा, “यह है (तेरी सज़ा)! मेरे पास कुछ (सहायता के लिए) मौजूद नहीं।”(साथी से अभिप्राय वह फ़रिश्ता है जो संसार में उस का कर्म लिख रहा था। वह उस का कर्म पत्र उपस्थित कर देगा।)
  2. अल्क़िया फ़ी जहन्न म कुल्-ल कफ़्फ़ारिन् अ़नीददोनों (फ़रिश्तों को आदेश होगा कि) फेंक दो नरक में प्रत्येक काफ़िर (सत्य के) विरोधी को।
  3. मन्नाअिल्- लिल्ख़ैरि मुअ्तदिम्-मुरीबभलाई से रोकनेवाले, सीमा का अतिक्रमण करनेवाले, संदेह करने वाले को।
  4. अल्लज़ी ज-अ़-ल मअ़ल्लाहि इलाहन् आ-ख़-र फ़-अल्क़ियाहु फ़िल्-अ़ज़ाबिश्-शदीद जिसने अल्लाह के साथ दूसरे पूज्य बना लिए, तो दोनों को कड़ी यातना में फेंक दो।
  5. क़ा-ल क़रीनुहू रब्बना मा अत्ग़ैतुहू व लाकिन् का-न फ़ी ज़लालिम्-बईद उसके साथी (शैतान) ने कहाः हे हमारे रब! मैंने इसे कुपथ नहीं किया, बल्कि वह स्वयं ही परले दरजे की गुमराही में था।
  6. क़ा-ल ला तख़्तसिमू ल-दय्-य व क़द् क़द्दम्तु इलैकुम् बिल्-वईदअल्लाह ने कहाः मेरे सामने मत झगड़ो। मैंने तो पहले ही (संसार में) तुम्हारी ओर चेतावनी भेज दी थी।
  7. मा युबद्दलुल्-क़ौलु ल-दय्-य व मा अ-न बिज़ल्लामिल्-लिल्-अ़बीद मेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं अपने बन्दों पर तनिक भी अत्याचार करता हूँ।”
  8. यौ-म नक़ूलु लि-जहन्न-म हलिम्त-लअ्ति व तक़ूलु हल् मिम्-मज़ीदजिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे, “क्या तू भर गई?” और वह कहेगी, “क्या अभी और भी कुछ है?”
  9. व उज़्लि-फ़तिल्-जन्नतु लिल्मुत्तक़ी-न ग़ैर बईदऔर जन्नत डर रखनेवालों के लिए निकट कर जायेगी, वह सदाचारियों से कुछ भी दूर न रही।
  10. हाज़ा मा तू- अ़दू-न लिकुल्लि अव्वाबिन् हफीज़यह है वह चीज़ जिसका तुमसे वादा किया जाता था, प्रत्येक ध्यानमग्न रक्षक[अर्थात जो अल्लाह के आदेशों का पालन करता था] के लिए।
  11. मन् ख़शियर्रह्मा-न बिल्ग़ैबि व जा अ बिक़ल्बिम् – मुनीबजो अत्यंत कृपाशील से बिन देखे डरा तथा लेकर आया ध्यानमग्न दिल।
  12. उद्खुलूहा बि-सलामिन्, ज़ालि-क यौमुल्-ख़ुलूद प्रवेश कर जाओ इसमें (जन्नत में), सलामती के साथ। ये सदैव रहने का दिन है।
  13. लहुम् मा यशाऊ न फ़ीहा व लदैना मज़ीद उनके लिए उसमें वह सब कुछ है जो वे चाहें और हमारे पास इससे भी अधिक है।
  14. व कम् अह्लक्ना क़ब्लहुम् मिन् क़र्रिनन् हुम् अशद्दु मिन्हुम् बत्शन् फ़-नक़्क़बू फिल्-बिलादि, हल् मिम्-महीस उनसे पहले हम कितनी ही नस्लों को विनाश कर चुके हैं। वे लोग शक्ति में उनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे। (पनाह की तलाश में) उन्होंने नगरों को छान मारा, तो क्या कहीं कोई भागने की जगह पा सके?
  15. इन्-न फ़ी ज़ालि क लज़िक्रा लिमन् का-न लहू क़ल्बुन् औ अल्क़स्सम्-अ़ व हु-व शहीद वास्तव में इसमें उस व्यक्ति के लिए शिक्षा है जिसके पास दिल हो या वह (दिल से) उपस्थित रहकर कान लगाए।
  16. व ल-क़द् ख़लक़्नस्समावाति वल्- अर्ज़ व मा बैनहुमा फ़ी सित्तति अय्यमिंव्-व मा मस्सना मिल्लुग़ूब हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है, छः दिनों में पैदा कर दिया और हमें कोई थकान नहीं हुई।
  17. फ़स्बिर् अ़ला मा यक़ूलू-न व सब्बिह् बिहम्दि रब्बि-क क़ब्-ल तुलूअिश्शम्सि व क़ब्लल्-ग़ुरूब तो जो कुछ वे कहते हैं उसपर धैर्य से काम लो और अपने पालनहार की प्रशंसा की तसबीह करो; सूर्य के निकलने से पहले तथा डूबने से पहले।
  18. व मिनल्लैलि फ़-सब्बिहु व अद्बारस् – सुजूद और रात की कुछ भाग में फिर उसकी पवित्रता का वर्णन करें और सजदों के पश्चात भी।
  19. वस्तमिअ् यौ-म युनादिल् – मुनादि मिम्- मकानिन् क़रीब और कान लगाकर सुन लेना जिस दिन पुकारनेवाला अत्यन्त समीप के स्थान से पुकारेगा।
  20. यौ-म यस्मअूनस्-सै-ह-त बिल्हक़्क़ि, ज़ालि क यौमुल्- ख़ुरूज जिस दिन लोग सत्य के साथ भयंकर चीख़ को सुन रहे होंगे। वही निकलने का दिन होगा।
  21. इन्ना नह्नु नुह्यी व नुमीतु व इलैनल् मसीर हम ही जीवन प्रदान करते और मारते हैं और आखिरकार हमारी ही ओर आना है।
  22. यौ-म त-शक़्क़-क़ुल्-अर्ज़ु अ़न्हुम् सिराअ़न् ज़ालि-क हश्रुन् अ़लैना यसीर जिस दिन धरती उनपर से फट जाएगी और वे दौड़ते हुए निकल पड़ेंगे। यह इकट्ठा करना हमारे लिए अत्यन्त सरल है।
  23. नह्नु अअ्लमु बिमा यक़ूलू-न व मा अन्त अ़लैहिम् बि-जब्बारिन् फ़-ज़क्किर् बिल् क़ुर्आनि मंय्यख़ाफ़ु वईद* हम जानते हैं जो कुछ वे कहते हैं, और आप उन्हें बलपूर्वक मनवाने के लिए नहीं हैं। अतः तुम क़ुरान के द्वारा उसे नसीहत करो जो हमारी चेतावनी से डरे।

Surah Qaf Video

Share this:

Leave a Comment

error: Content is protected !!