75 सूरह अल-क़ियामह हिंदी में

सूरह क़ियामह का मतलब “क़ियामत” होता है। सूरह क़ियामह कुरान के 29वें पारा में 75वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है।

सूरह अल-क़ियामह हिंदी में | Surah Al-Qiyamah in Hindi

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
  1. ला उक्सिमु बि यौमिल क़ियामह
    मैं क़यामत के दिन की क़सम खाता हूँ।
  2. वला उक्सिमु बिन्नफ्सिल लौ वामह
    तथा शपथ लेता हूँ निन्दा करने वाली अन्तरात्मा की। (मनुष्य के अन्तरात्मा की यह विशेषता है कि वह बुराई करने पर उस की निन्दा करती है।)
  3. अ यह्सबुल इंसानु अल्लन नज’म अ अिजामह
    क्या इन्सान ये ख्याल करता है (कि हम उसकी हड्डियों को सड़ गल जाने के बाद) जमा न करेंगे।
  4. बला क़ादिरीना अला अन नु स्वविया बनानह
    हाँ (ज़रूर करेंगें) हम इस पर क़ादिर हैं कि हम उसकी उंगलियों की पोर पोर दुरूस्त करें।
  5. बल युरीदुल इंसानु लियफ्जुरा अमामह
    बल्कि मनुष्य चाहता है कि वह कुकर्म करता रहे अपने आगे भी। (अर्थात वह प्रलय तथा ह़िसाब का इन्कार इस लिये करता है ताकि वह पूरे जीवन कुकर्म करता रहे।)
  6. यस’अलु अयैया’न यौमुल क़ियामह
    पूछता है कि क़यामत का दिन कब होगा।
  7. फ इज़ा बरिक़ल बसर
    तो जब ऑंखे चुंधिया जाएँगी।
  8. व ख़सफल क़मर
    और चाँद में ग्रहण लग जाएगा।
  9. व जुमिअश् शम्सु वल क़मर
    और सूरज और चाँद इकट्ठा कर दिए जाएँगे।
  10. यकूलुल इंसानु यौमा इज़िन अयैनल मफ़र
    तो इन्सान कहेगा, आज भाग कर कहाँ जाऊँ?
  11. कल्ला ला वज़र
    यक़ीन जानों कहीं शरण-स्थल नहीं।
  12. इला रब्बिका यौमा इज़िनिल मुस्तक़र
    उस रोज़ तुम्हारे पालनहार ही के पास ठिकाना है।
  13. युनब्बाउल इंसानु यौमा इज़िम बिमा क़द्दमा व अख्खर
    उस दिन आदमी को जो कुछ उसके आगे पीछे किया है बता दिया जाएगा।
  14. बलिल इंसानु अला नफ्सिही बसीरह
    चाहे वह कितने ही बहाने बनाये।
  15. वलौ अल्क़ा मआज़ीरह
    बल्कि इन्सान तो अपने ऊपर आप गवाह है।
  16. ला तुहर्रिक बिही लि सानका लि तअ्जला बिही
    (ऐ रसूल) वही के जल्दी याद करने वास्ते अपनी ज़बान को हरकत न दो।
  17. इन्ना अलैना जम् अहू व क़ुरआनह
    हमारे ज़िम्मे है उसे जमा करना और उसे सुनाना।
  18. फ इजा क़रानाहु फत्तबिअ् क़ुरआनह
    तो जब हम उसको (जिबरील की ज़बानी) पढ़ें तो तुम भी (पूरा) सुनने के बाद इसी तरह पढ़ा करो।
  19. सुम्मा इन्ना अलैना बयानह
    फिर उस (के मुश्किलात) का समझा देना भी हमारे ज़िम्में है।
  20. कल्ला बल तुहिब्बूनल आजिलह
    मगर (लोगों) हक़ तो ये है कि तुम लोग दुनिया को दोस्त रखते हो।
  21. व तज़ारूनल आखिरह
    और आख़ेरत को छोड़े बैठे हो।
  22. वुजूहुइ यौमाइजिन नाजिरह
    उस रोज़ बहुत से चेहरे तो तरो ताज़ा और प्रफुल्लित होंगे।
  23. इला रब्बिहा नाज़िरह
    (और) अपने परवरदिगार (की नेअमत) को देख रहे होंगे।
  24. व वुजूहुइ यौमा इजिम बासिरह
    और बहुतेरे मुँह उस दिन उदास होंगे।
  25. त’जुन्नु अयै’युफअला बिहा फाक़िरह
    समझ रहें हैं कि उन पर मुसीबत पड़ने वाली है कि कमर तोड़ देगी।
  26. कल्ला इज़ा बलागतित तराक़ी
    सुन लो जब जान (बदन से खिंच के) हँसली तक आ पहुँचेगी।
  27. व क़ीला मन..राक़
    और कहा जाएगा कि (इस वक्त) क़ोई झाड़ फूँक करने वाला है।
  28. व जन्ना अन्नहुल फिराक़
    और मरने वाले ने समझा कि अब (सबसे) जुदाई है।
  29. वल तफ्फतिस साकु बिस्साक़
    और (मौत की तकलीफ़ से) पिन्डली से पिन्डली लिपट जाएगी।
  30. इला रब्बिका यौमा इजिनिल मसाक़
    उस दिन तुमको अपने पालनहार की बारगाह में चलना है।
  31. फला सद्दक़ा वला सल्ला
    तो उसने न तो सत्य माना न नमाज़ पढ़ी।
  32. वलाकिन् कज्ज़बा वतावल्ला
    मगर झुठलाया और (ईमान से) मुँह फेरा।
  33. सुम्मा ज़हबा इला अहलिही यता मत्ता
    अपने घर की तरफ इतराता हुआ चला।
  34. औला लका फ औला
    अफसोस है तुझ पर, फिर अफसोस है तुझ पर।
  35. सुम्मा औला लका फ औला
    तुझ पर फिर अफसोस है।
  36. अ यह्सबुल इंसानु अयैयुतरका सुद
    क्या इन्सान ये समझता है कि वह यूँ ही छोड़ दिया जाएगा।
  37. अलम यकु नुत्फतम्म मिम मनियिइ युमना
    क्या वह नहीं था वीर्य की बूंद, जो (गर्भाशय में) बूँद-बूँद गिराई जाती है?
  38. सुम्मा काना अलाकतन फ ख ल का फ सव्वा
    फिर लोथड़ा हुआ फिर अल्लाह ने उसे बनाया।
  39. फजा अ ला मिन्हुज़ ज़ुजैनिज़ जकारा वल उन्सा
    फिर उसे दुरूस्त किया फिर उसकी दो किस्में बनायीं (एक) मर्द और (एक) औरत।
  40. अलैसा ज़ालिका बि क़ादिरिन अला अय्यियुह’इयल मौता
    क्या इस पर क़ादिर नहीं कि (क़यामत में) मुर्दों को ज़िन्दा कर दे।

सूरह अल-क़ियामह वीडियो

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