55 सूरह रहमान​ हिन्दी में पेज 2

सूरह रहमान हिन्दी में

  1. फयौम इज़िल ला युस अलु अन ज़मबिही इन्सुव वला जान
    फिर उस दिन न किसी इंसान से उस के गुनाह के बारे में पुछा जायेगा न किसी जिन से
  2. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  3. युअ रफुल मुजरिमूना बिसीमाहुम फ़युअ खजु बिन नवासी वल अक़दाम
    उस दिन गुनाहगार अपने चेहरे से ही पहचान लिए जायेंगे, फिर वो पेशानी के बालों और पांव से पकड़ लिए जायेंगे
  4. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  5. हाज़िही जहन्नमुल लती युकज्ज़िबू बिहल मुजरिमून
    यही वो जहन्नम है जिसको मुजरिम लोग झुटलाया करते थे
  6. यतूफूना बैनहा व बैन हमीमिन आन
    वो दोज़ख़ और खौलते हुए पानी के दरमियान चक्कर लगायेंगे
  7. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  8. व लिमन खाफ़ा मक़ामा रब्बिही जन नतान
    और जो अपने रब के सामने खड़े होने से डरता था उसके लिए दो जन्नते हैं
  9. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  10. ज़वाता अफ्नान
    दोनों बाग़ बहुत सी टहनियों वाले (घने) होंगे
  11. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  12. फीहिमा ऐनानि तजरियान
    दोनों में दो चश्मे बह रहे होंगे
  13. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  14. फीहिमा मिन कुल्लि फकिहतिन ज़वजान
    उन बाग़ों में हर मेवे दो दो किस्मों के होंगे
  15. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  16. मुततकि ईना अला फुरुशिम बताईनुहा मिन इस्तबरक़ वजनल जन्नतैनी दान
    ( जन्नती लोग ) ऐसे बिस्तरों पर आराम से तकिया लगाये होंगे जिन के अस्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों के फ़ल (क़रीब ही) झुके हुए होंगे
  17. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  18. फ़ी हिन्ना कासिरातुत तरफि लम यतमिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
    उन में नीची नज़र रखने वाली हूरें होंगी, जिन को उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने
  19. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  20. क अन्न हुन्नल याकूतु वल मरजान
    वो हूरें ऐसी होंगी जैसे वो याकूत और मोती हों
  21. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  22. हल जज़ा उल इहसानि इल्लल इहसान
    भला अहसान ( नेक अमल ) का बदला अहसान ( बेहतर अज्र ) के सिवा कुछ और भी हो सकता है
  23. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  24. वमिन दूनिहिमा जन नतान
    और उन दो बाग़ों के अलावा दो और बाग़ भी होंगे
  25. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  26. मुद हाम मतान
    जो दोनों गहरे सब्ज़ रंग के होंगे
  27. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  28. फीहिमा ऐनानि नज्ज़ा खतान
    उन दोनों बाग़ों में दो उबलते हुए चश्मे भी होंगे
  29. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  30. फीहिमा फाकिहतुव व नख्लुव वरुम मान
    उन में मेवे, खजूर, और अनार होंगे
  31. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  32. फिहिन्ना खैरातुन हिसान
    उन में नेक सीरत ख़ूबसूरत औरतें भी होंगी
  33. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  34. हूरुम मक्सूरातुन फिल खियाम
    खेमों में महफूज़ गोरी रंगत वाली हूरें भी होंगी
  35. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  36. लम यत मिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
    उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने
  37. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  38. मुत तकि ईना अला रफ़रफिन खुजरिव व अब्क़रिय यिन हिसान
    ( जन्नती लोग ) सब्ज़ तकियों और खूबसूरत कालीनों पर टेक लगाये होंगें
  39. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  40. तबा रकस्मु रब्बिका ज़िल जलाली वल इकराम
    आप के परवरदिगार, जो बड़े जलाल व अज़मत वाले हैं, उन का नाम बड़ा ही बा बरकत है

सूरह रहमान वीडियो | Surah Ar-Rahman Video

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