शम्स का मतलब “सूरज“ होता है। सूरह शम्स कुरान के 30वें पारा में मौजूद 91वीं सूरह है। इस सूरह मे कुल 15 आयतें हैं। यह मक्की सूरह है। सूरह का नाम पहले ही शब्द “अश्-शम्स” (सूरज) से लिया गया है।
सूरह अश-शम्स हिंदी में | Surah Ash-Shams in Hindi
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
वश शम्सि व दुहाहा क़सम है सूरज की और उसकी रौशनी की।
वल क़मरि इज़ा तलाहा और चाँद की जब वो सूरज के पीछे निकले।
वन नहारि इज़ा जल लाहा दिन की जब सूरज को ख़ूब चमका कर दे।
वल शम्सि इज़ा यगशाहा रात की जब वो सूरज को ढाँक ले।
वस समाइ वमा बानाहा आसमान की और उसके बनाने वाले की।
वल अरदि वमा तहाहा ज़मीन और उसके बनाने वाले की।
व नफ्सिव वमा सव वाहा और इन्सान की जान की और उस ज़ात की जिस ने उसको ठीक ठीक बनाया।
फ़ अल्हमाहा फुजूरहा व तक्वाहा फिर उसे दुराचार तथा सदाचार का विवेक दिया है।
क़द अफ्लहा मन ज़क्काहा (क़सम है) जिसने उस (जान) को (गनाह से) पाक रखा वह तो कामयाब हुआ।
वक़द खाबमन दस्साहा और जिस ने उसको ख़ाक में मिला दिया (यानि अपनी ख्वाहिशात का गुलाम बना रहा) वह घाटे में रहा।
कज्ज़बत समूदु बितग वाहा समूद की क़ौम ने अपने दुराचार से (सालेह पैग़म्बर को) झुठलाया,
इज़िम बअसा अश क़ाहा जब उनका सब से दुर्भाग्यशाली शख्स उठ खड़ा हुआ।
फ़ क़ाल लहुम रसूलुल लाहि नाक़तल लाहि व सुक्याहा तो अल्लाह के पैग़म्बर(सालेह) ने उन से कहा : ख़बरदार! अल्लाह की ऊंटनी का और उसके पानी पीने का पूरा ख़याल रखना।
फ़ कज्ज़बूहु फ़ अक़रूहा फ़दमदमा अलैहिम रब्बुहुम बिज़म बिहिम फ़सव्वाहा फिर भी उन लोगों ने पैग़म्बर को झुटलाया, और उस ऊंटनी को मार डाला, तो उन के परवरदिगार ने उन के गुनाहों के कारण उन पर अपना यातनी नाज़िल कर दिया और सब को मलियामेट कर के रख दिया।
वला यख़ाफु उक्बाहा और अल्लाह को उसके किसी बुरे अंजाम का कोई खौफ़ नहीं है।