- व यस्सिर ली अम्री
और मेरा काम मेरे लिए आसान कर दे 26 - वह्लुल् अुक्द – तम् मिल्- लिसानी
और मेरी ज़बान से लुक़नत की गिरह खोल दे (27) - यफ़्क़हू क़ौली
ताकि लोग मेरी बात अच्छी तरह समझें और (28) - वज्अ़ल् ली वज़ीरम् – मिन् अह़्ली
मेरे कुनबे वालो में से मेरे भाई हारून (29) - हारू – न अखि
को मेरा वज़ीर बोझ बटाने वाला बना दे (30) - शदुद् बिही अजूरी
उसके ज़रिए से मेरी पुश्त मज़बूत कर दे (31) - व अश्रिक्हु फ़ी अमरी
और मेरे काम में उसको मेरा शरीक बना (32) - कै नुसब्बि-ह-क कसीरंव्
ताकि हम दोनों (मिलकर) कसरत से तेरी तसबीह करें (33) - व नज़्कु – र – क कसीरा
और कसरत से तेरी याद करें (34) - इन्न – क कुन्त बिना बसीरा
तू तो हमारी हालत देख ही रहा है (35) - का – ल क़द् ऊती – त सुअ्ल-क या मूसा
फ़रमाया ऐ मूसा तुम्हारी सब दरख़्वास्तें मंज़ूर की गई (36) - व ल – क़द् मनन्ना अ़लै-क मर्रतन् उख्रा
और हम तो तुम पर एक बार और एहसान कर चुके हैं (37) - इज़ औहैना इला उम्मि- क मा यूहा
जब हमने तुम्हारी माँ को इलहाम किया जो अब तुम्हें “वही” के ज़रिए से बताया जाता है (38) - अनिक्ज़ि फीहि फित्ताबूति फक्ज़ि फ़ीहि फ़िल्यम्मि फल्युल्किहिल्- यम्मु बिस्साहिलि यअ्खुज्हु अदुव्वुल्ली व अदुव्वुल्लहू, व अल्कैतु अ़लै – क म-हब्बतम् – मिन्नी व लितुस्न- अ़ अ़ला ऐनी
कि तुम इसे (मूसा को) सन्दूक़ में रखकर सन्दूक़ को दरिया में डाल दो फिर दरिया उसे ढकेल कर किनारे डाल देगा कि मूसा को मेरा दुशमन और मूसा का दुशमन (फ़िरऔन) उठा लेगा और मैंने तुम पर अपनी मोहब्बत को डाल दिया जो देखता (प्यार करता) ताकि तुम मेरी ख़ास निगरानी में पाले पोसे जाओ (39) - इज् तम्शी उख़्तु – क फ़-तकूलु हल् अदुल्लुकुम् अ़ला मंय्यक्फुलुहू फ़- रजअ्ना – क इला उम्मि-क कै तकर् र ऐनुहा व ला तहज़ न, व क़तल् – त नफ़्सन् फ़-नज्जैना क मिनल् – ग़म्मि व फ़तन्ना क फुतूनन्, फ़ – लबिस् त सिनी – न फ़ी अह़्लि मद य – न सुम् – म जिअ् – त अला क़ – दरिंय् या मूसा
(उस वक़्त) जब तुम्हारी बहन चली (और फिर उनके घर में आकर) कहने लगी कि कहो तो मैं तुम्हें ऐसी दाया बताऊँ कि जो इसे अच्छी तरह पाले तो(इस तदबीर से) हमने फिर तुमको तुम्हारी माँ के पास पहुँचा दिया ताकि उसकी आँखें ठन्डी रहें और तुम्हारी (जुदाई पर) कुढ़े नहीं और तुमने एक शख़्स (ख़बती) को मार डाला था और सख़्त परेशान थे तो हमने तुमको (इस) ग़म से नजात दी और हमने तुम्हारा अच्छी तरह इम्तिहान कर लिया फिर तुम कई बरस तक मदीने के लोगों में जाकर रहे ऐ मूसा फिर तुम (उम्र के) एक अन्दाजे़ पर आ गए नबूवत के क़ायल हुए (40) - वस्त – नअ्तु – क लिनफ़्सी
और मैंने तुमको अपनी रिसालत के वास्ते मुन्तख़ब किया (41) - इज्हब् अन् – त व अखू क बिआयाती व ला तनिया फ़ी ज़िक्री
तुम अपने भाई समैत हमारे मौजिज़े लेकर जाओ और (देखो) मेरी याद में सुस्ती न करना (42) - इज्हबा इला फ़िरऔ-न इन्नहू तग़ा
तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ बेशक वह बहुत सरकश हो गया है (43) - फ़कूला लहू कौलल् – लय्यिनल् – लअ़ल्लहू य – तज़क्करू औ यख़्शा
फिर उससे (जाकर) नरमी से बातें करो ताकि वह नसीहत मान ले या डर जाए (44) - क़ाला रब्बना इन्नना नख़ाफु अंय्यफरू – त अ़लैना औ अंय्यत्ग़ा
दोनों ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले हम डरते हैं कि कहीं वह हम पर ज़्यादती (न) कर बैठे या और ज़्यादा सरकशी कर ले (45) - का – ल ला तख़ाफ़ा इन्ननी म अ़कुमा अस्मअु व अरा
फ़रमाया तुम डरो नहीं मैं तुम्हारे साथ हूँ (सब कुछ) सुनता और देखता हूँ (46) - फ़अ्तियाहु फ़कूला इन्ना रसूला रब्बि – क फ़ – अर्सिल् म- अ़ना बनी इस्राई – ल व ला तुअ्ज्जिब्हुम्, कद् जिअ्ना – क बिआयतिम्
मिर्रब्बि-क, वस्सलामु अ़ला मनित्त – बअ़ल्- हुदा
ग़रज़ तुम दोनों उसके पास जाओ और कहो कि हम आप के परवरदिगार के रसूल हैं तो बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए और उन्हें सताइए नहीं हम आपके पास आपके परवरदिगार का मौजिज़ा लेकर आए हैं और जो राहे रास्त की पैरवी करे उसी के लिए सलामती है (47) - इन्ना कद् ऊहि – य इलैना अन्नल अज़ा-ब अला मन् कज़्ज़ – ब व तवल्ला
हमारे पास खु़दा की तरफ से ये “वही” नाजि़ल हुई है कि यक़ीनन अज़ाब उसी शख़्स पर है जो (खु़दा की आयतों को) झुठलाए और उसके हुक्म से मुँह मोड़े(48) - का – ल फ़-मर्रब्बुकुमा या मूसा
(ग़रज़ गए और कहा) फ़िरऔन ने पूछा ऐ मूसा आखि़र तुम दोनों का परवरदिगार कौन है (49) - क़ा – ल रब्बुनल्लज़ी अअ्ता कुल् ल शैइन् ख़ल्क़हू सुम् – म हदा
मूसा ने कहा हमारा परवरदिगार वह है जिसने हर चीज़ को उसके (मुनासिब) सूरत अता फरमाई फिर उसी ने जि़न्दगी बसर करने के तरीक़े बताए(50)
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