20 सूरह ताहा हिंदी में पेज 3

सूरह ताहा हिंदी में | Surat Ta-Ha in Hindi

  1. का – ल फ़मा बालुल् – कुरूनिल ऊला
    फ़िरऔन ने पूछा भला अगले लोगों का हाल (तो बताओ) कि क्या हुआ (51)
  2. काल अिल्मुहा अिन् – द रब्बी फ़ी किताबिन् ला यज़िल्लु रब्बी व ला यन्सा
    मूसा ने कहा इन बातों का इल्म मेरे परवरदिगार के पास एक किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है मेरा परवरदिगार न बहकता है न भूलता है (52)
  3. अल्लज़ी ज अ़ – ल लकुमुल्-अर्-ज़ मह्दंव-व स-ल-क लकुम् फ़ीहा सुबुलंव्व अन्ज़-ल मिनस्समा-इ मा-अन्, फ़- अख़रज्ना बिही अज्वाजम् मिन् नबातिन् शत्ता
    वह वही है जिसने तुम्हारे (फ़ायदे के) वास्ते ज़मीन को बिछौना बनाया और तुम्हारे लिए उसमें राहें निकाली और उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर (खु़दा फरमाता है कि) हम ही ने उस पानी के ज़रिए से मुख़्तलिफ़ कि़स्मों की घासे निकाली (53)
  4. कुलू वरऔ़ अन्आ़-मकुम्, इन्- न फ़ी ज़ालि- क लआयातिल् लि – उलिन्नुहा *
    (ताकि) तुम खु़द भी खाओ और अपने चौपायों को भी चराओ कुछ शक नहीं कि इसमें अक़्लमन्दों के वास्ते (क़ुदरते खु़दा की) बहुत सी निशानियाँ हैं (54)
  5. मिन्हा ख़लक़्नाकुम् व फ़ीहा नुअीदुकुम् व मिन्हा नुख्रिजुकुम् ता – रतन् उखरा
    हमने इसी ज़मीन से तुम को पैदा किया और (मरने के बाद) इसमें लौटा कर लाएँगे और उसी से दूसरी बार (क़यामत के दिन) तुमको निकाल खड़ा करेंगे (55)
  6. व ल – कद् अरैनाहु आयातिना कुल्लहा फ़ – कज़्ज़ – ब व अबा
    और मैंने फ़िरऔन को अपनी सारी निशानियाँ दिखा दी इस पर भी उसने सबको झुठला दिया और न माना (56)
  7. का – ल अजिअ्तना लितुख़रि-जना मिन् अरज़िना बिसिहरि – क या मूसा
    (और) कहने लगा ऐ मूसा क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि हम को हमारे मुल्क (मिस्र से) अपने जादू के ज़ोर से निकाल बाहर करो (57)
  8. फ – लनअ् तियन्न – क बिसिहरिम् – मिस्लिही फ़ज्अल् बैनना व बैन – क मौअिदल् ला नुख्लिफुहू नह्नु व ला अन् – त मकानन् सुवा
    अच्छा तो (रहो) हम भी तुम्हारे सामने ऐसा जादू पेश करते हैं फिर तुम अपने और हमारे दरमियान एक वक़्त मुक़र्रर करो कि न हम उसके खि़लाफ करे और न तुम और मुक़ाबला एक साफ़ खुले मैदान में हो (58)
  9. काल मौअिदुकुम यौमुज़्ज़ीनति व अंय्युह्श रन्नासु जुहा
    मूसा ने कहा तुम्हारे (मुक़ाबले) की मीयाद ज़ीनत (ईद) का दिन है और उस रोज़ सब लोग दिन चढ़े जमा किए जाँए (59)
  10. फ़- तवल्ला फ़िरऔनु फ़-ज-म-अ़ कैदहू सुम्-म अता
    उसके बाद फ़िरऔन (अपनी जगह) लौट गया फिर अपने चलत्तर (जादू के सामान) जमा करने लगा फिर (मुक़ाबले को) आ मौजूद हुआ (60)
  11. का – ल लहुम् मूसा वै-लकुम ला तफ़्तरू अ़लल्लाहि कज़िबन् फ्युस्हि – तकुम् बि – अ़ज़ाबिन व क़द्ख़ा – ब मनिफ़्तरा
    मूसा ने (फ़िरऔनयो से) कहा तुम्हारा नास हो खु़दा पर झूठी-झूठी इफ़्तेरा पर्वाज़ियाँ न करो वरना वह अज़ाब (नाजि़ल करके) इससे तुम्हारा मलया मेट कर छोड़ेगा और (याद रखो कि) जिसने इफ़्तेरा पर्वाज़ियाँ की वह यकी़नन नामुराद रहा (61)
  12. फ़- तनाज़अू अम् – रहुम् बैनहुम् व अ-सर्रुन्नज्वा
    इस पर वह लोग अपने काम में बाहम झगड़ने और सरगोशियाँ करने लगे (62)
  13. कालू इन् हाज़ानि लसाहिरानि युरीदानि अंय्युख्रिजाकुम् मिन् अर्जिकुम् बिसिहरिहिमा व यज़्हबा बि-तरी-क़ति-कुमुल्-मुस्ला
    (आखि़र) वह लोग बोल उठे कि ये दोनों यक़ीनन जादूगर हैं और चाहते हैं कि अपने जादू (के ज़ोर) से तुम लोगों को तुम्हारे मुल्क से निकाल बाहर करें और तुम्हारे अच्छे ख़ासे मज़हब को मिटा छोड़ें (63)
  14. फ़- अज्मिअू कैदकुम् सुम्मअ्तू सफ़्फ़न् व कद् अफ़्ल – हल्यौ – म मनिस्तअ्ला
    तो तुम भी खू़ब अपने चलत्तर (जादू वग़ैरह) दुरूस्त कर लो फिर परा (सफ़) बाँध के (उनके मुक़ाबले में) आ पड़ो और जो आज डर रहा हो वही फायज़ुल मराम रहा (64)
  15. क़ालू या मूसा इम्मा अन् तुल्कि – य व इम्मा अन् नकू न अव्व-ल मन् – अल्क़ा
    ग़रज़ जादूगरों ने कहा (ऐ मूसा) या तो तुम ही (अपने जादू) फेंको और या ये कि पहले जो जादू फेंके वह हम ही हों (65)
  16. क़ा – ल बल् अल्कू फ़-इज़ा हिबालुहुम् व अिसिय्युहुम् युख़य्यलु इलैहि मिन् सिहरिहिम् अन्नहा तस्आ
    मूसा ने कहा (मैं नहीं डालूँगा) बल्कि तुम ही पहले डालो (ग़रज़ उन्होंने अपने करतब दिखाए) तो बस मूसा को उनके जादू (के ज़ोर से) ऐसा मालूम हुआ कि उनकी रस्सियाँ और उनकी छडि़याँ दौड़ रही हैं (66)
  17. फ़- औज – स फ़ी नफ्सिही ख़ी फ़तम् – मूसा
    तो मूसा ने अपने दिल में कुछ दहशत सी पाई (67)
  18. कुल्ना ला तख़फ् इन्न-क अन्तल्-अअ्ला
    हमने कहा (मूसा) इस से डरो नहीं यक़ीनन तुम ही वर रहोगे (68)
  19. व अल्कि मा फ़ी यमीनि – क तल्क़फ् मा स-नअू, इन्नमा स-नअू कैदु साहिरिन्, व ला युफ्लिहुस्साहिरू हैसु अता
    और तुम्हारे दाहिने हाथ में जो (लाठी) है उसे डाल तो दो कि जो करतब उन लोगों ने की है उसे हड़प कर जाए क्योंकि उन लोगों ने जो कुछ करतब की वह एक जादूगर की करतब है और जादूगर जहाँ जाए कामयाब नहीं हो सकता (ग़रज़ मूसा की लाठी ने) सब हड़प कर लिया (ये देखते ही) (69)
  20. फ़- उल्कियस्स ह – रतु सुज्ज – दन् कालू आमन्ना बिरब्बि हारू – न व मूसा
    वह सब जादूगर सजदे में गिर पड़े (और कहने लगे) कि हम मूसा और हारून के परवरदिगार पर ईमान ले आए (70)
  21. का – ल आमन्तुम् लहू कब् – ल अन् आज़ – न लकुम् इन्नहू ल कबीरू कुमुल्लज़ी अल्ल म कुमुस्- सिह्-र फ़-ल – उक़त्तिअ़न् – न ऐदि यकुम् व अर्जु – लकुम् मिन् खिलाफिंव् – व ल – उसल्लिबन्नकुम् फी जुजूअिन्नखलि व ल – तअ्लमुन् न अय्युना अशद्दु अ़ज़ाबंव् – व अब्का
    फ़िरऔन ने उन लोगों से कहा (हाए) इससे पहले कि हम तुमको इजाज़त दें तुम उस पर ईमान ले आए इसमें शक नहीं कि ये तुम सबका बड़ा (गुरू) है जिसने तुमको जादू सिखाया है तो मैं तुम्हारे एक तरफ़ के हाथ और दूसरी तरफ़ के पाँव ज़रूर काट डालूँगा और तुम्हें खु़रमों की शाख़ों पर सूली चढ़ा दूँगा और उस वक़्त तुमको (अच्छी तरह) मालूम हो जाएगा कि हम (दोनों) फरीक़ों से अज़ाब में ज़्यादा बढ़ा हुआ कौन और किसको क़याम ज़्यादा है (71)
  22. कालू लन् नुअ्सि-र-क अ़ला मा जा अना मिनल् – बय्यिनाति वल्लज़ी फ़-त-रना फ़क्ज़ि मा अन्-त काज़िन्, इन्नमा तक़्ज़ी हाज़िहिल्- हयातद् – दुन्या
    जादूगर बोले कि ऐसे वाजे़ए व रौशन मौजिज़ात जो हमारे सामने आए उन पर और जिस (खु़दा) ने हमको पैदा किया उस पर तो हम तुमको किसी तरह तरजीह नहीं दे सकते तो जो तुझे करना हो कर गुज़र तू बस दुनिया की (इसी ज़रा)सी जि़न्दगी पर हुकूमत कर सकता है (72)
  23. इन्ना आमन्ना बिरब्बिना लिय्गफ़ि – र लना ख़तायाना व मा अक्रह्तना अ़लैहि मिनस्सिहरि, वल्लाहु ख़ैरूंव् – व अब्का
    (और कहा) हम तो अपने परवरदिगार पर इसलिए ईमान लाए हैं ताकि हमारे वास्ते सारे गुनाह माफ़ कर दे और (ख़ास कर) जिस पर तूने हमें मजबूर किया था और खु़दा ही सबसे बेहतर है और (उसी को) सबसे ज़्यादा क़याम है(73)
  24. इन्नहू मंय्यअ्ति रब्बहू मुजरिमन् फ़ – इन् – न लहू जहन्न-म, ला यमूतु फ़ीहा व ला यह़्या
    इसमें शक नहीं कि जो शख़्स मुजरिम होकर अपने परवरदिगार के सामने हाजि़र होगा तो उसके लिए यक़ीनन जहन्नुम (धरा हुआ) है जिसमें न तो वह मरे ही गा और न जि़न्दा ही रहेगा (74)
  25. व मंय्यअ्तिही मुअ्मिनन् कद् अ़मिलस्सालिहाति फ़ – उलाइ – क लहुमुद् द रजातुल अुला
    (सिसकता रहेगा) और जो शख़्स उसके सामने ईमानदार हो कर हाजि़र होगा और उसने अच्छे-अच्छे काम भी किए होंगे तो ऐसे ही लोग हैं जिनके लिए बड़े-बड़े बुलन्द रूतबे हैं (75)

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