20 सूरह ताहा हिंदी में पेज 4

सूरह ताहा हिंदी में | Surat Ta-Ha in Hindi

  1. जन्नातु अद्निन् तज्री मिन् तह़्तिहल्-अन्हारू ख़ालिदी – न फ़ीहा, व ज़ालि क जज़ा-उ मन् तज़क्का *
    वह सदाबहार बाग़ात जिनके नीचे नहरें जारी हैं वह लोग उसमें हमेशा रहेंगे और जो गुनाह से पाक व पाकीज़ा रहे उस का यही सिला है।
  2. व ल – कद् औहैना इला मूसा अन् अस्रि बिअिबादी फ़ज़रिब लहुम् तरीक़न फ़िल्बहरि य – बसल् ला तख़ाफु द-रकंव् – व ला तख़्शा
    और हमने मूसा के पास “वही” भेजी कि मेरे बन्दों (बनी इसराइल) को (मिस्र से) रातों रात निकाल ले जाओ फिर दरिया में (लाठी मारकर) उनके लिए एक सूखी राह निकालो और तुमको पीछा करने का न कोई खौ़फ रहेगा न (डूबने की) कोई दहशत।
  3. फ़-अत्ब-अ़हुम् फ़िरऔ़नु बिजुनूदिही फ़- ग़शि – यहुम् मिनल्- यम्मि मा ग़शि – यहुम्
    ग़रज़ फिरौन ने अपने लशकर समैत उनका पीछा किया फिर दरिया (के पानी का रेला) जैसा कुछ उन पर छाया गया वह छा गया।
  4. व अज़ल्-ल फ़िरऔ़नु क़ौ-महू व मा हदा
    और फिरौन ने अपनी क़ौम को गुमराह (करके हलाक) कर डाला और उनकी हिदायत न की।
  5. या बनी इस्राई-ल क़द् अन्जैनाकुम् मिन् अ़दुव्विकुम् व वाअ़द्नाकुम् जानिबत्तूरिल्-ऐम-न व नज़्ज़ल्ना अ़लैकुमुल्-मन्-न वस्सल्वा
    ऐ बनी इसराइल! हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाजि़ल किया।
  6. कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क़्नाकुम् व ला तत्ग़ौ फ़ीहि फ़-यहिल्-ल अ़लैकुम् ग़-ज़बी व मंय्यहलिल् अ़लैहि ग़-ज़बी फ़-क़द् हवा
    और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी कि़स्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ।
  7. व इन्नी ल ग़फ़्फ़ारूल्-लिमन् ता-ब व आम-न व अ़मि-ल सालिहन् सुम्मह्-तदा
    और जो शख़्स तौबा करे और ईमान लाए और अच्छे काम करे फिर साबित क़दम रहे तो हम उसको ज़रूर बख़्शने वाले हैं।
  8. व मा अअ्ज-ल क अ़न् क़ौमि-क या मूसा
    फिर जब मूसा सत्तर आदमियों केा लेकर चले और खु़द आगे बढ़ आए तो हमने कहा कि (ऐ मूसा तुमने अपनी क़ौम से आगे चलने में क्यों जल्दी की)।
  9. क़ा-ल हुम् उला-इ अ़ला अ-सरी व अ़जिल्तु इलै-क रब्बि लितरज़ा
    अर्ज़ की वह भी तो मेरे ही पीछे चले आ रहे हैं और इसी लिए मैं जल्दी करके तेरे पास इसलिए आगे बढ़ आया हूँ ताकि तू (मुझसे) खु़श रहे।
  10. क़ा-ल फ़-इन्ना क़द् फ़तन्ना क़ौम-क मिम् बअ्दि-क व अज़ल्लहुमुस् – सामिरिय्यु
    फ़रमाया तो हमने तुम्हारे (आने के बाद) तुम्हारी क़ौम का इम्तिहान लिया और सामरी ने उनको गुमराह कर छोड़ा।
  11. फ़-र-ज-अ़ मूसा इला क़ौमिही ग़ज़्बा – न असिफ़न्, का – ल या क़ौमि अलम् यअिद्कुम् रब्बुकुम् वअ्दन् ह -सनन्, अ-फ़ता-ल अ़लैकुमुल्-अ़ह्दु अम् अरत्तुम् अंय्यहिल् – ल अ़लैकुम् ग़-ज़बुम् मिर्रब्बिकुम्फ़ – अख़्लफ़्तुम् मौअिदी
    (तो मूसा) गुस्से में भरे पछताए हुए अपनी क़ौम की तरफ पलटे और आकर कहने लगे ऐ मेरी (कमबक़्त) क़ौम क्या तुमसे तुम्हारे परवरदिगार ने एक अच्छा वायदा (तौरेत देने का) न किया था तुम्हारे वायदे में अरसा लग गया या तुमने ये चाहा कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार का ग़ज़ब टूंट पड़े कि तुमने मेरे वायदे (खु़दा की परसतिश) के खि़लाफ किया।
  12. कालू मा अख़्लफ्ना मौअि-द-क बिमल्किना व लाकिन्ना हुम्मिल्ना औज़ारम् मिन् ज़ीनतिल् -क़ौमि फ – क़ज़फ़्नाहा फ़- कज़ालि- क अल्क़स् – सामिरिय्यु
    वह लोग कहने लगे हमने आपके वायदे के खिलाफ नहीं किया बल्कि (बात ये हुई कि फिरौन की) क़ौम के ज़ेवर के बोझे जो (मिस्र से निकलते वक़्त) हम पर लद गए थे उनको हम लोगों ने (सामरी के कहने से आग में) डाल दिया फिर सामरी ने भी डाल दिया।
  13. फ़- अख़्र – ज लहुम् अिज़्लन् ज – सदल् – लहू खुवारून् फ़क़ालू हाज़ा इलाहुकुम् व इलाहु मूसा फ़ – नसि – य
    फिर सामरी ने उन लोगों के लिए (उसी जे़वर से) एक बछड़े की मूरत बनाई जिसकी आवाज़ भी बछड़े की सी थी उस पर बाज़ लोग कहने लगे यही तुम्हारा (भी) माबूद और मूसा का (भी) माबूद है मगर वह भूल गया है।
  14. अ फ़ला यरौ-न अल्ला यरजिअु इलैहिम् कौलंव् – व ला यम्लिकु लहुम् ज़ररंव – व ला नफ्आ़*
    भला इनको इतनी भी न सूझी कि ये बछड़ा न तो उन लोगों को पलट कर उन की बात का जवाब ही देता है और न उनका ज़रर ही उस के हाथ में है और न नफ़ा।
  15. व ल – क़द् का – ल लहुम् हारूनु मिन् क़ब्लु या क़ौमि इन्नमा फुतिन्तुम् बिही व इन् – न रब्बकुमुर् रह़्मानु फत्तबिअूनी व अतीअू अम्री
    और हारून ने उनसे पहले कहा भी था कि ऐ मेरी क़ौम तुम्हारा सिर्फ़ इसके ज़रिये से इम्तिहान किया जा रहा है और इसमें शक नहीं कि तम्हारा परवरदिगार (बस खु़दाए रहमान है) तो तुम मेरी पैरवी करो और मेरा कहा मानो।
  16. कालू लन् नब्र – ह अ़लैहि आ़किफ़ी – न हत्ता यर्जि – अ़ इलैना मूसा
    तो वह लोग कहने लगे जब तक मूसा हमारे पास पलट कर न आएँ हम तो बराबर इसकी परसतिश पर डटे बैठे रहेंगे।
  17. का-ल या हारूनु मा म-न अ़-क इज् रऐ – तहुम् जल्लू
    मूसा ने हारून की तरफ खि़ताब करके कहा ऐ हारून जब तुमने उनको देख लिया था गमुराह हो गए हैं।
  18. अल्ला तत्तबि-अ़नि, अ-फ़ अ़सै-त अम्री
    तो तुम्हें मेरी पैरवी (क़ता) करने को किसने मना किया तो क्या तुमने मेरे हुक्म की नाफ़रमानी की।
  19. का – ल यब्नउम् – म ला तअ्खुज् बिलिह़् यती व ला बिरअ्सी इन्नी ख़शीतु अन् तकू-ल फ़र्रक्-त बै-न बनी इस्राई-ल व लम् तरकुब् क़ौली
    हारून ने कहा ऐ मेरे माँजाए (भाई) मेरी दाढ़ी न पकडिऐ और न मेरे सर (के बाल) मैं तो उससे डरा कि (कहीं) आप (वापस आकर) ये (न) कहिए कि तुमने बनी इसराईल में फूट डाल दी और मेरी बात का भी ख़्याल न रखा।
  20. का-ल फ़मा ख़त्बु- क या सामिरिय्यु
    तब सामरी से कहने लगे कि ओ सामरी तेरा क्या हाल है।
  21. का – ल बसुरतु बिमा लम् यब्सुरू बिही फ़-क़बज्तु क़ब्ज़ – तम् मिन् अ- सरिर्रसूलि फ़- नबज्तुहा व कज़ालि- क सव्वलत् ली नफ़्सी
    उसने (जवाब में) कहा मुझे वह चीज़ दिखाई दी जो औरों को न सूझी (जिबरील घोड़े पर सवार जा रहे थे) तो मैंने जिबरील फरिश्ते (के घोड़े) के निशाने क़दम की एक मुट्ठी (ख़ाक) की उठा ली फिर मैंने (बछड़े के क़ालिब में) डाल दी (तो वह बोलेने लगा और उस वक़्त मुझे मेरे नफ्स ने यही सुझाया।
  22. क़ा – ल फ़ज़्हब् फ़ – इन् – न ल-क फ़िल्हयाति अन् तकू – ल ला मिसा – स व इन् – न ल-क मौअिदल् लन् तुख़्ल – फ़हू वन्जुर इला
    इलाहि – कल्लज़ी ज़ल्- त अ़लैहि आ़किफन्, लनु – हर्रिकन्नहू सुम् – म ल – नन्सिफ़न्नहू फ़िल्यम्मि नस्फ़ा
    मूसा ने कहा चल (दूर हो) तेरे लिए (इस दुनिया की) जि़न्दगी में तो (ये सज़ा है) तू कहता फि़रेगा कि मुझे न छूना (वरना बुख़ार चढ़ जाएगा) और (आखि़रत में भी) यक़ीनी तेरे लिए (अज़ाब का) वायदा है कि हरगिज़ तुझसे खि़लाफ़ न किया जाएगा और तू अपने माबूद को तो देख जिस (की इबादत) पर तू डट बैठा था कि हम उसे यक़ीनन जलाकर (राख) कर डालेंगे फिर हम उसे तितिर बितिर करके दरिया में उड़ा देगें।
  23. इन्नमा इलाहुकुमुल्लाहुल्लज़ी ला इला – ह इल्ला हु – व वसि – अ़ कुल् – ल शैइन् अिल्मा
    तुम्हारा माबूद तो बस वही ख़ुदा है जिसके सिवा कोई और माबूद बरहक़ नहीं कि उसका इल्म हर चीज़ पर छा गया है।
  24. कज़ालि- क नकुस्सु अ़लैक मिन् अम्बा – इ मा क़द् स-ब-क व कद् आतैना – क मिल्लदुन्ना ज़िक्रा
    (ऐ रसूल!) हम तुम्हारे सामने यूँ वाक़ेयात बयान करते हैं जो गुज़र चुके और हमने ही तुम्हारे पास अपनी बारगाह से कु़रआन अता किया।
  25. मन् अअ्र – ज़ अन्हु फ़ – इन्नहू यह्मिलु यौमल् – क़ियामति विज़्रा
    जिसने उससे मुँह फेरा वह क़यामत के दिन यक़ीनन (अपने बुरे आमाल का) बोझ उठाएंगे।
  26. ख़ालिदी-न फ़ीहि व सा अ लहुम् यौमल क़ियामति हिम्ला
    और उसी हाल में हमेशा रहेंगे और क्या ही बुरा बोझ है क़यामत के दिन ये लोग उठाए होंगे।
  27. यौ-म युन्फ़खु फिस्सूरि व नह्शुरूल् – मुज्रिमी – न यौमइज़िन् जुरका
    जिस दिन सूर फूँका जाएगा और हम उस दिन गुनाहगारों को (उनकी) आँखें मैली (अन्धी) करके (आमने-सामने) जमा करेंगे।
  28. य – तख़ाफ़तू – न बैनहुम् इल्लबिस्तुम् इल्ला अश्रा
    (और) आपस में चुपके-चुपके कहते होंगे कि (दुनिया या क़ब्र में) हम लोग (बहुत से बहुत) नौ दस दिन ठहरे होंगे।
  29. नह्नु अअ्लमु बिमा यकूलू – न इज् यकूलु अम्सलुहुम् तरी – कतन् इल्लबिस्तुम् इल्ला यौमा *
    जो कुछ ये लोग (उस दिन) कहेंगे हम खू़ब जानते हैं कि जो इनमें सबसे ज़्यादा होशियार होगा बोल उठेगा कि तुम बस (बहुत से बहुत) एक दिन ठहरे होगे।
  30. व यस् अलून – क अ़निल् – जिबालि फ़कुल यन्सिफुहा रब्बी नस्फ़ा
    (और ऐ रसूल!) तुम से लोग पहाड़ों के बारे में पूछा करते हैं (कि क़यामत के रोज़ क्या होगा) तो तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार बिल्कुल रेज़ा रेज़ा करके उड़ा डालेगा।

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