07 सूरह अल-आराफ़ हिंदी में पेज 5

सूरह अल-आराफ़ हिंदी में | Surat Al-Araf in Hindi

  1. तिल्कल्कुरा नकुस्सु अ़लै-क मिन् अम्बा-इहा व ल-कद् जाअत्हुम् रूसुलूहुम् बिल्बय्यिनाति फ़मा कानू लियुअ्मिनू बिमा कज़्ज़बू मिन् कब्लु, कज़ालि-क यत्बअुल्लाहु अला कुलूबिल् काफ़िरीन
    (ऐ रसूल) ये चन्द बस्तियाँ हैं जिन के हालात हम तुमसे बयान करते हैं और इसमें तो शक ही नहीं कि उनके पैग़म्बर उनके पास वाजे़ए व रौशन मौजिज़े लेकर आए मगर ये लोग जिसके पहले झुठला चुके थे उस पर भला काहे को इमान लाने वाले थे ख़ुदा यू काफिरों के दिलों पर अलामत मुकर्रर कर देता है (कि ये इमान न लाएँगें) (101)
  2. व मा वजद्ना लिअक्सरिहिम् मिन् अह़्दिन व इंव् -वजद्ना अक्स – रहुम् लफ़ासिक़ीन
    और हमने तो उसमें से अक्सरों का एहद (ठीक) न पाया और हमने उनमें से अक्सरों को बदकार ही पाया (102)
  3. सुम् -म बअ़स्ना मिम् -बअ्दिहिम् मूसा बिआयातिना इला फ़िरऔ-न व म-ल इही फ़-ज़-लमू बिहा फन्जुर् कै-फ़ का-न आकि – बतुल मुफ्सिदीन
    फिर हमने (उन पैग़म्बरान मज़कूरीन के बाद) मूसा को फिरौन और उसके सरदारों के पास मौजिज़े अता करके (रसूल बनाकर) भेजा तो उन लोगों ने उन मौजिज़ात के साथ (बड़ी बड़ी) शरारते की पस ज़रा ग़ौर तो करो कि आख़िर फसादियों का अन्जाम क्या हुआ (103)
  4. व का -ल मूसा या फ़िरऔनु इन्नी रसूलुम् मिर्रब्बिल – आलमीन
    और मूसा ने (फिरौन से) कहा ऐ फिरौन! में यक़ीनन परवरदिगारे आलम का रसूल हूँ (104)
  5. हक़ीकुन् अला अल्ला अकू-ल अ़लल्लाहि इल्लल्हक् -क, कद् जिअ्तुकुम् बिबय्यि -नतिम् मिर्रब्बिकुम् फ़-अरसिल् मअि-य बनी इस्राईल
    मुझ पर वाजिब है कि ख़ुदा पर सच के सिवा (एक हुरमत भी झूठ) न कहूँ मै यक़ीनन तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वाजेए व रोशन मौजिज़े लेकर आया हूँ (105)
  6. का -ल इन् कुन् -त जिअ् -त बिआयतिन् फ़अ्ति बिहा इन् कुन्-त मिनस्सादिक़ीन
    तो तू बनी ईसराइल को मेरे हमराह करे दे फिरौन कहने लगा अगर तुम सच्चे हो और वाक़ई कोई मौजिज़ा लेकर आए हो तो उसे दिखाओ (106)
  7. फ़अल्क़ा अ़साहु फ़-इज़ा हि-य सुअ्बानुम् मुबीन
    (ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी पस वह यकायक (अच्छा खासा) ज़ाहिर बज़ाहिर अजदहा बन गई (107)
  8. व न -ज़ –अ य- दहू-फ़ इज़ा हि-य बैज़ा -उ लिन्नाज़िरीन *
    और अपना हाथ बाहर निकाला तो क्या देखते है कि वह हर शख़्स की नज़र मे जगमगा रहा है (108)
  9. कालल्म – लउ मिन् कौमि फिरऔ़-न इन्- न हाज़ा लसाहिरून् अ़लीम
    तब फिरौन के क़ौम के चन्द सरदारों ने कहा ये तो अलबत्ता बड़ा माहिर जादूगर है (109)
  10. युरीदु अंय्युखरि जकुम् मिन् अर्जिकुम् फ़-माज़ा तअ्मुरून
    ये चाहता है कि तुम्हें तुम्हारें मुल्क से निकाल बाहर कर दे तो अब तुम लोग उसके बारे में क्या सलाह देते हो (110)
  11. कालू अरजिह् व अख़ाहु व अरसिल फ़िल्मदाइनि हाशिरीन
    (आखि़र) सबने मुत्तफिक़ अलफाज़ (एक ज़बान होकर) कहा कि (ऐ फिरौन) उनको और उनके भाई (हारून) को चन्द दिन कै़द में रखिए और (एतराफ़ के) शहरों में हरकारों को भेजिए (111)
  12. यअ्तू – क बिकुल्लि साहिरिन् अलीम
    कि तमाम बड़े बड़े जादूगरों का जमा करके अपके पास दरबार में हाजि़र करें (112)
  13. व जाअस्स- ह-रतु फ़िरऔ-न कालू इन -न लना लअज्रन् इन् कुन्ना नह़्नुल् गालिबीन
    ग़रज़ जादूगर सब फिरौन के पास हाजि़र होकर कहने लगे कि अगर हम (मूसा से) जीत जाए तो हमको बड़ा भारी इनाम ज़रुर मिलना चाहिए (113)
  14. का -ल न -अम् व इन्नकुम् लमिन्ल मुकर्रबीन
    फिरौन ने कहा (हा इनाम ही नहीं) बल्कि फिर तो तुम हमारे दरबार के मुक़र्रेबीन में से होगें (114)
  15. कालू या मूसा इम्मा अन् तुल्कि -य व इम्मा अन्नकू – न नह़्नुल – मुल्क़ीन
    और मुक़र्रर वक़्त पर सब जमा हुए तो बोल उठे कि ऐ मूसा या तो तुम्हें (अपने मुन्तसिर (मंत्र)) या हम ही (अपने अपने मंत्र फेके) (115)
  16. का-ल अल्कू फ़-लम्मा अल्कौ स-हरू अअ्युनन्नासि वस्तर हबूहुम् व जाऊ बिसिह़रिन अ़ज़ीम
    मूसा ने कहा (अच्छा पहले) तुम ही फेक (के अपना हौसला निकालो) तो तब जो ही उन लोगों ने (अपनी रस्सियाँ) डाली तो लोगों की नज़र बन्दी कर दी (कि सब सापँ मालूम होने लगे) और लोगों को डरा दिया (116)
  17. व औहैना इला मूसा अन् अल्कि असा-क फ़-इज़ा हि- य तल्कफु मा यअ्फिकून
    और उन लोगों ने बड़ा (भारी जादू दिखा दिया और हमने मूसा के पास वही भेजी कि (बैठे क्या हो) तुम भी अपनी छड़ी डाल दो तो क्या देखते हैं कि वह छड़ी उनके बनाए हुए (झूठे साँपों को) एक एक करके निगल रही है (117)
  18. फ़-व-क़अ़ल-हक्कु व ब-त-ल मा कानू यअ्मलून
    अल किस्सा हक़ बात तो जम के बैठी और उनकी सारी कारस्तानी मटियामेट हो गई (118)
  19. फ़गुलिबू हुनालि-क वन्क-लबू साग़िरीन
    पस फिरौन और उसके तरफदार सब के सब इस अखाड़े मे हारे और ज़लील व रूसवा हो के पलटे (119)
  20. व उल्कियस्स-ह-रतु साजिदीन
    और जादूगर सब मूसा के सामने सजदे में गिर पड़े (120)
  21. कालू आमन्ना बिरब्बिल्-आ़लमीन
    और (आजिज़ी से) बोले हम सारे जहाँन के परवरदिगार पर ईमान लाए (121)
  22. रब्बि मूसा व हारून
    जो मूसा व हारून का परवरदिगार है (122)
  23. का -ल फ़िरऔनु आमन्तुम् बिही कब् – ल अन् आज़ – न लकुम् इन् – न हाज़ा लमक़रूम् – मकर तुमू हु फ़िल्मदीनति लितुख़रिजू मिन्हा अह़्लहा फ़सौ-फ़ तअ्लमून
    फिरौन ने कहा (हाए) तुम लोग मेरी इजाज़त के क़ब्ल (पहले) उस पर ईमान ले आए ये ज़रूर तुम लोगों की मक्कारी है जो तुम लोगों ने उस शहर में फैला रखी है ताकि उसके बाशिंदों को यहाँ से निकाल कर बाहर करो पस तुम्हें अन क़रीब ही उस शरारत का मज़ा मालूम हो जाएगा (123)
  24. ल -उक़त्तिअ़न् न ऐदियकुम् व अर्जु – लकुम् मिन् खिलाफ़िन सुम् – म ल – उसल्लिबन्नकुम् अज्मईन
    मै तो यक़ीनन तुम्हारे (एक तरफ के) हाथ और दूसरी तरफ के पाव कटवा डालूगा फिर तुम सबके सब को सूली दे दूगा (124)
  25. कालू इन्ना इला रब्बिना मुन्कलिबून
    जादूगर कहने लगे हम को तो (आखि़र एक रोज़) अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना (मर जाना) है (125)

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