07 सूरह अल-आराफ़ हिंदी में पेज 6

सूरह अल-आराफ़ हिंदी में | Surat Al-Araf in Hindi

  1. व मा तन्क़िमु मिन्ना इल्ला अन् आमन्ना बिआयाति रब्बिना लम्मा जाअत्-ना, रब्बना अफ्-रिग़ अलैना सब् –रंव्-व तवफ्फ़ना मुस्लिमीन *
    तू हमसे उसके सिवा और काहे की अदावत रखता है कि जब हमारे पास ख़ुदा की निशानियाँ आयी तो हम उन पर ईमान लाए (और अब तो हमारी ये दुआ है कि) ऐ हमारे परवरदिगार हम पर सब्र (का मेंह बरसा)।
  2. व क़ालल्म-लउ मिन् क़ौमि फिरऔ-न अ-त-ज़रू मूसा व क़ौमहू लियुफ्सिदू फिल्अर्ज़ि व य-ज़-र-क व आलि-ह-त-क, क़ा-ल सनुक़त्तिलु अब्-ना-अहुम् व नस्तह़्यी निसा-अहुम्, व इन्ना फ़ौक़हुम् क़ाहिरून
    और हमने अपनी फरमाबरदारी की हालत में दुनिया से उठा ले और फिरौन की क़ौम के चन्द सरदारों ने (फिरौन) से कहा कि क्या आप मूसा और उसकी क़ौम को उनकी हालत पर छोड़ देंगे कि मुल्क में फ़साद करते फिरे और आपके और आपके ख़ुदाओं (की परसतिश) को छोड़ बैठें- फिरौन कहने लगा (तुम घबराओ नहीं) हम अनक़रीब ही उनके बेटों की क़त्ल करते हैं और उनकी औरतों को (लौन्डिया बनाने के वास्ते) जिन्दा रखते हैं और हम तो उन पर हर तरह क़ाबू रखते हैं।
  3. क़ा-ल मूसा लिक़ौमिहिस्तईनू बिल्लाहि वस्बिरू, इन्नल्-अर्-ज़ लिल्लाहि, यूरिसुहा मंय्यशा -उ मिन् अिबादिही, वल्आक़ि-बतु लिल्मुत्तक़ीन
    (ये सुनकर) मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि (भाइयों) ख़ुदा से मदद माँगों और सब्र करो सारी ज़मीन तो ख़ुदा ही की है वह अपने बन्दों में जिसकी चाहे उसका वारिस (व मालिक) बनाए और ख़ातमा बिल ख़ैर तो सब परहेज़गार ही का है।
  4. क़ालू ऊज़ीना मिन् क़ब्लि अन् तअ्ति-यना व मिम्-बअ्दि मा जिअ्तना, क़ा-ल अ़सा रब्बुकुम् अंय्युह़्लि-क अदुव्वकुम् व यस्तख़्लि-फकुम् फ़िल्अर्ज़ि फ़-यन्ज़ु-र कै-फ़ तअ्मलून *
    वह लोग कहने लगे कि (ऐ मूसा) तुम्हारे आने के क़ब्ल (पहले) ही से और तुम्हारे आने के बाद भी हम को तो बराबर तकलीफ ही पहुँच रही है (आखि़र कहाँ तक सब्र करें) मूसा ने कहा अनकरीब ही तुम्हारा परवरदिगार तुम्हारे दुश्मन को हलाक़ करेगा और तुम्हें (उसका जानशीन) बनाएगा फिर देखेगा कि तुम कैसा काम करते हो।
  5. व ल-क़द् अख़ज्-ना आ-ल फ़िरऔ-न बिस्सिनी-न व नक़्सिम् मिनस्स-मराति लअ़ल्लहुम् यज़्ज़क्करून
    और बेशक हमने फिरौन के लोगों को बरसों से कहत और फलों की कम पैदावार (के अज़ाब) में गिरफ्तार किया ताकि वह इबरत हासिल करें।
  6. फ़-इज़ा जाअत्हुमुल ह-स-नतु क़ालू लना हाज़िही, व इन् तुसिब्हुम् सय्यि-अतुंय्यत्तय्यरू बिमूसा व मम्-म-अ़हू, अला इन्नमा ताइरूहुम् अिन्दल्लाहि व लाकिन्-न अक्स-रहुम् ला यअ्लमून
    तो जब उन्हें कोई राहत मिलती तो कहने लगते कि ये तो हमारे लिए सज़ावार ही है और जब उन्हें कोई मुसीबत पहुँचती तो मूसा और उनके साथियों की बदशुगूनी समझते देखो उनकी बदशुगूनी तो ख़ुदा के हा (लिखी जा चुकी) थी मगर बहुतेरे लोग नही जानते हैं।
  7. व क़ालू मह़्मा तअ्तिना बिही मिन् आयतिल्-लितस्ह-रना बिहा, फ़मा नह़्नु ल-क बिमुअ्मिनीन
    और फिरौन के लोग मूसा से एक मरतबा कहने लगे कि तुम हम पर जादू करने के लिए चाहे जितनी निशानियाँ लाओ मगर हम तुम पर किसी तरह ईमान नहीं लाएँगें।
  8. फ़-अरसल्ना अलैहिमुत्तूफा-न वल्जरा-द वल्क़ुम्म-ल वज़्ज़फ़ादि-अ वद्द-म आयातिम् मुफ़स्सलातिन्, फ़स्तक्बरू व कानू क़ौमम् मुज्रिमीन
    तब हमने उन पर (पानी को) तूफान और टिड़डियाँ और जुए और मेंढ़कों और खून (का अज़ाब भेजा कि सब जुदा जुदा (हमारी कुदरत की) निशानियाँ थी उस पर भी वह लोग तकब्बुर ही करते रहें और वह लोग गुनहगार तो थे ही।
  9. व लम्मा व-क़-अ अलैहिमुर्रिज्ज़ु क़ालू या मूसद्अु लना रब्ब-क बिमा अहि-द अिन्द-क, ल-इन् कशफ्-त अन्नर्रिज्-ज़ लनुअ्मिनन्-न ल-क व लनुर्सिलन्-न म-अ-क बनी इस्राईल
    (और जब उन पर अज़ाब आ पड़ता तो कहने लगते कि ऐ मूसा तुम से जो ख़ुदा ने (क़बूल दुआ का) अहद किया है उसी की उम्मीद पर अपने ख़ुदा से दुआ माँगों और अगर तुमने हम से अज़ाब को टाल दिया तो हम ज़रूर भेज देगें।
  10. फ़-लम्मा कशफ़्ना अ़न्हुमुर्रिज् ज़ इला अ-जलिन् हुम् बालिग़ूहु इज़ा हुम् यन्कुसून
    फिर जब हम उनसे उस वक़्त के वास्ते जिस तक वह ज़रूर पहुँचते अज़ाब को हटा लेते तो फिर फौरन बद अहदी करने लगते।
  11. फ़न्तक़म्-ना मिन्हुम् फ़-अग़्-र-क़्नाहुम् फिल्यम्मि बिअन्नहुम् कज़्ज़बू बिआयातिना व कानू अ़न्हा ग़ाफ़िलीन
    तब आख़िर हमने उनसे (उनकी शरारत का) बदला लिया तो चूकि वह लोग हमारी आयतों को झुटलाते थे और उनसे ग़ाफिल रहते थे हमने उन्हें दरिया में डुबो दिया।
  12. व औरस् नल् क़ौमल्लज़ी-न कानू युस्तज़्-अफू-न मशारिक़ल् अर्ज़ि व मग़ारि-बहल्लती बारक्ना फ़ीहा, व तम्मत् कलि-मतु रब्बिकल् हुस्-ना अला बनी इस्राई-ल, बिमा स-बरू, व दम्मरना मा का-न यस्बअु फिरऔनु व क़ौमुहू व मा कानू यअ्-रिशून •
    और जिन बेचारों को ये लोग कमज़ोर समझते थे उन्हीं को (मुल्क कयाम की) ज़मीन का जिसमें हमने (ज़रखेज़ होने की) बरकत दी थी उसके पूरब पच्छिम (सब) का वारिस (मालिक) बना दिया और चूकि बनी इसराईल नें (फिरौन के ज़ालिमों) पर सब्र किया था इसलिए तुम्हारे परवरदिगार का नेक वायदा (जो उसने बनी इसराइल से किया था) पूरा हो गया और जो कुछ फिरौन और उसकी क़ौम के लोग करते थे और जो ऊँची ऊँची इमारते बनाते थे सब हमने बरबाद कर दी।
  13. व जावज़्ना बि-बनी इस्राईलल्-बह़्-र फ-अतौ अ़ला कौमिंय्यअ्कुफू-न अ़ला अस्-ना मिल्लहुम्, क़ालू या मूसज् अल्-लना इलाहन् कमा लहुम् आलि-हतुन्, क़ा-ल इन्नकुम् क़ौमुन् तज्हलून
    और हमने बनी ईसराइल को दरिया के उस पार उतार दिया तो एक ऐसे लोगों पर से गुज़रे जो अपने (हाथों से बनाए हुए) बुतों की परसतिश पर जमा बैठे थे (तो उनको देख कर बनी ईसराइल से) कहने लगे ऐ मूसा जैसे उन लोगों के माबूद (बुत) हैं वैसे ही हमारे लिए भी एक माबूद बनाओ मूसा ने जवाब दिया कि तुम लोग जाहिल लोग हो।
  14. इन्-न हाउला-इ मुतब्बरूम् मा हुम् फ़ीहि व बातिलुम् मा कानू यअ्मलून
    (अरे कमबख़्तो!) ये लोग जिस मज़हब पर हैं (वह यक़ीनी बरबाद होकर रहेगा) और जो अमल ये लोग कर रहे हैं (वह सब मिटिया मेट हो जाएगा)।
  15. क़ा-ल अग़ैरल्लाहि अब्ग़ीकुम् इलाहंव्-व हु-व फज़्ज़-लकुम् अलल्-आलमीन
    (मूसा ने ये भी) कहा क्या तुम्हारा ये मतलब है कि ख़ुदा को छोड़कर मै दूसरे को तुम्हारा माबूद तलाश करू।
  16. व इज़् अन्जैनाकुम् मिन् आलि फ़िरऔ-न यसूमूनकुम् सूअल्-अ़ज़ाबि, युक़त्तिलू-न अब्-ना-अकुम् व यस्तह्यू-न निसा-अकुम्, व फ़ी जालिकुम् बलाउम् मिर्रब्बिकुम् अज़ीम *
    हालाकि उसने तुमको सारी खुदाई पर फज़ीलत दी है (ऐ बनी इसराइल वह वक़्त याद करो) जब हमने तुमको फिरौन के लोगों से नजात दी जब वह लोग तुम्हें बड़ी बड़ी तकलीफें पहुचाते थे तुम्हारे बेटों को तो (चुन चुन कर) क़त्ल कर डालते थे और तुम्हारी औरतों को (लौन्डिया बनाने के वास्ते जि़न्दा रख छोड़ते) और उसमें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे (सब्र की) सख़्त आज़माइश थी।
  17. व वाअ़द्-ना मूसा सलासी-न लै-लतंव्-व अत्मम्-ना हा बिअ़श्रिन् फ-तम्-म मीक़ातु रब्बिही अरबई-न लै-लतन्, व क़ा-ल मूसा लिअख़ीहि हारूनख़्लुफ़्नी फ़ी क़ौमी व अस्लिह् व ला तत्तबिज् सबीलल्-मुफ्सिदीन
    और हमने मूसा से तौरैत देने के लिए तीस रातों का वायदा किया और हमने उसमें दस रोज़ बढ़ाकर पूरा कर दिया ग़रज़ उसके परवरदिगार का वायदा चालीस रात में पूरा हो गया और (चलते वक़्त) मूसा ने अपने भाई हारून कहा कि तुम मेरी क़ौम में मेरे जानशीन रहो और उनकी इसलाह करना और फसाद करने वालों के तरीक़े पर न चलना।
  18. व लम्मा जा-अ मूसा लिमीक़ातिना व कल्ल-महू रब्बुहु, क़ा-ल रब्बि अरिनी अन्ज़ुर् इलै-क, क़ा-ल लन् तरानी व लाकिनिन्ज़ुर् इलल्-ज-बलि फ़-इनिस्त-क़र्-र मकानहू फ़सौ-फ तरानी, फ़-लम्मा तजल्ला रब्बुहू लिल्जबलि ज-अ़-लहू दक्कंव्-व खर्-र मूसा सअिकन्, फ़-लम्मा अफ़ा-क़ क़ा-ल सुब्हान-क तुब्तु इलै-क व अ-ना अव्वलुल-मुअ्मिनीन
    और जब मूसा हमारा वायदा पूरा करते (कोहेतूर पर) आए और उनका परवरदिगार उनसे हम कलाम हुआ तो मूसा ने अर्ज किया कि ख़ुदाया तू मेझे अपनी एक झलक दिखला दे कि मैं तूझे देखूँ, ख़ुदा ने फरमाया तुम मुझे हरगिज़ नहीं देख सकते मगर हा उस पहाड़ की तरफ देखो (हम उस पर अपनी तजल्ली डालते हैं) पस अगर (पहाड़) अपनी जगह पर क़ायम रहे तो समझना कि अनक़रीब मुझे भी देख लोगे (वरना नहीं) फिर जब उनके परवरदिगार ने पहाड़ पर तजल्ली डाली तो उसको चकनाचूर कर दिया और मूसा बेहोश होकर गिर पड़े फिर जब होश में आए तो कहने लगे ख़़ुदा वन्दा तू (देखने दिखाने से) पाक व पाकीज़ा है-मैने तेरी बारगाह में तौबा की और मै सब से पहले तेरी अदम रवायत का यक़ीन करता हूँ।
  19. क़ा-ल या मूसा इन्निस्तफैतु-क अलन्नासि बिरिसालाती व बि-कलामी, फख़ुज़् मा आतैतुक व कुम् मिनश्शाकिरीन
    ख़ुदा ने फरमाया ऐ मूसा! मैने तुमको तमाम लोगों पर अपनी पैग़म्बरी और हम कलामी (का दरजा देकर) बरगूज़ीदा किया है तब जो (किताब तौरैत) हमने तुमको अता की है उसे लो और शुक्रगुज़ार रहो।
  20. व कतब्-ना लहू फ़िल्-अल्वाहि मिन् कुल्लि शैइम् मौअि-ज़तंव् व तफ्सीलल्-लिकुल्लि शैइन्, फ़ख़ुज्हा बिक़ुव्वतिंव् वअ्मुर् क़ौम-क यअ्ख़ुज़ू बिअह़्सनिहा, सउरीकुम् दारल्फ़ासिक़ीन
    और हमने (तौरैत की) तख़्तियों में मूसा के लिए हर तरह की नसीहत और हर चीज़ का तफसीलदार बयान लिख दिया था तो (ऐ मूसा) तुम उसे मज़बूती से तो (अमल करो) और अपनी क़ौम को हुक्म दे दो कि उसमें की अच्छी बातों पर अमल करें और बहुत जल्द तुम्हें बदकिरदारों का घर दिखा दूँगा (कि कैसे उजड़ते हैं)।
  21. सअस् रिफु अन् आयातियल्लज़ी-न य-तकब्बरू-न फिल्अर्ज़ि बिग़ैरिल्-हक़्क़ि, व इंय्यरौ कुल-ल आयतिल् ला युअ्मिनू बिहा, व इंय्यरौ सबीलर्रुश्दि ला यत्तख़िज़ूहु सबीलन्, व इंय्यरौ सबीलल्-ग़य्यि यत्तख़िज़ूहु सबीलन्, ज़ालि-क बिअन्नहुम् कज़्ज़बू बिआयातिना व कानू अन्हा ग़ाफ़िलीन
    जो लोग (ख़ुदा की) ज़मीन पर नाहक़ अकड़ते फिरते हैं उनको अपनी आयतों से बहुत जल्द फेर दूगा और मै क्या फेरूगा ख़ुदा (उसका दिल ऐसा सख़्त है कि) अगर दुनिया जहान के सारे मौजिज़े भी देखते तो भी ये उन पर इमान न लाएगें और (अगर) सीधा रास्ता भी देख पाए तो भी अपनी राह न जाएगें और अगर गुमराही की राह देख लेगें तो झटपट उसको अपना तरीक़ा बना लेगें ये कजरवी इस सबब से हुयी कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया और उनसे ग़फलत करते रहे।
  22. वल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना व लिक़ाइल आख़ि-रति हबितत् अअ्मालुहुम्, हल युज्ज़ौ-न इल्ला-मा कानू यअ्मलून *
    और जिन लोगों ने हमारी आयतों को और आखि़रत की हुज़ूरी को झूठलाया उनका सब किया कराया अकारत हो गया, उनको बस उन्हीं आमाल की जज़ा या सज़ा दी जाएगी जो वह करते थे।
  23. वत्त-ख़-ज़ क़ौमु मूसा मिम्-बअ्दिही मिन् हुलिय्यिहिम् अिज्लन् ज-सदल्लहू खुवारून्, अलम् यरौ अन्नहू ला युकल्लिमुहुम् व ला यह्दीहिम सबीला • इत्त ख़ज़ूहु व कानू ज़ालिमीन
    और मूसा की क़ौम ने (कोहेतूर पर) उनके जाने के बाद अपने जे़वरों को (गलाकर) एक बछड़े की मूरत बनाई (यानि) एक जिस्म जिसमें गाए की सी आवाज़ थी (अफसोस) क्या उन लोगों ने इतना भी न देखा कि वह न तो उनसे बात ही कर सकता और न किसी तरह की हिदायत ही कर सकता है (खुलासा) उन लोगों ने उसे (अपनी माबूद बना लिया)।
  24. व लम्मा सुक़ि-त फ़ी ऐदीहिम् व रऔ अन्नहुम् क़द् ज़ल्लू, क़ालू ल-इल्लम् यर्हम्-ना रब्बुना व यग़्फिर लना ल-नकूनन्-न मिनल्ख़ासिरीन
    और आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते थे और जब वह पछताए और उन्होने अपने को यक़ीनी गुमराह देख लिया तब कहने लगे कि अगर हमारा परदिगार हम पर रहम नहीं करेगा और हमारा कुसूर न माफ़ करेगा तो हम यक़ीनी घाटा उठाने वालों में हो जाएगें।
  25. व लम्मा र-ज-अ मूसा इला क़ौमिही ग़ज़्बा-न असिफ़न्, क़ा-ल बिअ्-समा ख़लफ्तुमूनी मिम् बअ्दी, अ-अ़जिल्तुम् अम्-र रब्बिकुम्, व अल्क़ल्-अल्वा-ह व अ-ख़-ज़ बिरअ्सि अख़ीहि यजुर्रूहू इलैहि, क़ालब्-न उम्-म इन्नल् क़ौमस्तज़्अ़ फूनी व कादू यक़्तुलू-ननी, फला तुश्मित् बियल्-अअ्दा-अ व ला तज्अ़ल्नी मअ़ल् क़ौमिज़्-ज़ालिमीन
    और जब मूसा पलट कर अपनी क़ौम की तरफ आए तो (ये हालत देखकर) रंज व गुस्से में (अपनी क़ौम से) कहने लगे कि तुम लोगों ने मेरे बाद बहुत बुरी हरकत की-तुम लोग अपने परवरदिगार के हुक्म (मेरे आने में) किस कदर जल्दी कर बैठे और (तौरैत की) तख़्तियों को फेंक दिया और अपने भाई (हारून) के सर (के बालों को पकड़ कर अपनी तर फ खींचने लगे) उस पर हारून ने कहा ऐ मेरे मांजाए (भाई) मै क्या करता क़ौम ने मुझे हक़ीर समझा और (मेरा कहना न माना) बल्कि क़रीब था कि मुझे मार डाले तो मुझ पर दुश्मनों को न हॅसवाइए और मुझे उन ज़ालिम लोगों के साथ न करार दीजिए।

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