26 सूरह अश शुअरा हिंदी में पेज 7

सूरह अश शुअरा हिंदी में | Surat Ash-Shuara in Hindi

  1. व ला तुतीअू अमरल मुस्रिफ़ीन
    और ज़्यादती करने वालों का कहा न मानों।
  2. अल्लज़ी – न युफ़्सिदू – न फिल्अर्ज़ि व ला युस्लिहून
    जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते।
  3. कालू इन्नमा अन् – त मिनल्- मुसह्हरीन
    वह लोग बोले कि तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हो)।
  4. मा अन् – त इल्ला ब – शरुम् मिस्लुना फअ्ति बिआ यतिन् इन् – कुन्-त मिनस्सादिक़ीन
    तुम भी तो आखि़र हमारे ही ऐसे आदमी हो पस अगर तुम सच्चे हो तो कोई मौजिज़ा हमारे पास ला (दिखाओ)।
  5. का – ल हाज़िही ना कतुल् – लहा शिरबुंव् – व लकुम् शिरबु यौमिम् – मअलूम
    सालेह ने कहा- यही ऊँटनी (मौजिज़ा) है एक बारी इसके पानी पीने की है और एक मुक़र्रर दिन तुम्हारे पीने का।
  6. व ला तमस्सूहा बिसूइन् फ़-यअ्खु-ज़कुम् अ़ज़ाबु यौमिन् अ़ज़ीम
    और इसको कोई तकलीफ़ न पहुँचाना वरना एक बड़े (सख़्त) ज़ोर का अज़ाब तुम्हे ले डालेगा।
  7. फ़- अ – क़रूहा फ़ – अस्बहू नादिमीन
    इस पर भी उन लोगों ने उसके पाँव काट डाले और (उसको मार डाला) फिर ख़़ुद पशेमान हुए।
  8. फ़-अ-ख़-ज़हुमुल अ़ज़ाबु, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआ-यतन्, व मा का-न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
    फिर उन्हें अज़ाब ने ले डाला-बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले भी न थे।
  9. व इन् – न रब्ब – क लहुवल अ़ज़ीजुर्रहीम *
    और इसमें शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और मेहरबान है।
  10. कज़्ज़ बत् कौमु लूति – निल् – मुर्सलीन
    इसी तरह लूत की क़ौम ने पैग़म्बरों को झुठलाया।
  11. इज् का – ल लहुम् अख़ूहुम् लूतुन् अला तत्तकून
    जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि तुम (अल्लाह से) क्यों नहीं डरते।
  12. इन्नी लकुम् रसूलुन् अमीन
    मै तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ तो अल्लाह से डरो।
  13. फत्तकुल्ला-ह व अतीअून
    और मेरी इताअत करो।
  14. व मा अस् अलुकुम् अ़लैहि मिन् अज्रिन् इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल्-आ़लमीन
    और मै तो तुमसे इस (तबलीगे़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (अल्लाह) पर है।
  15. अ -तअ्तूनज्जु क्रा-न मिनल् -आ़लमीन
    क्या तुम लोग (शहवत परस्ती के लिए) सारे जहाँ के लोगों में मर्दों ही के पास जाते हो।
  16. वत ज़रू-न मा ख़-ल-क लकुम् रब्बुकुम् मिन् अज़्वाजिकुम्, बल् अन्तुम् क़ौमुन् आदून
    और तुम्हारे वास्ते जो बीवियाँ तुम्हारे परवरदिगार ने पैदा की है उन्हें छोड़ देते हो (ये कुछ नहीं) बल्कि तुम लोग हद से गुज़र जाने वाले आदमी हो।
  17. क़ालू ल – इल्लम् तन्तहि या लूतु ल-तकूनन् – न मिनल् मुख़्रजीन
    उन लोगों ने कहा ऐ लूत अगर तुम बाज़ न आओगे तो तुम ज़रुर निकाल बाहर कर दिए जाओगे।
  18. का-ल इन्नी लि-अ मलिकुम् मिनल्-कालीन
    लूत ने कहा मै यक़ीनन तुम्हारी (नाशाइसता) हरकत से बेज़ार हूँ।
  19. रब्बि नज्जिनी व अह़्ली मिम्मा यअ्मलून
    (और दुआ की) परवरदिगार जो कुछ ये लोग करते है उससे मुझे और मेरे लड़कों को नजात दे।
  20. फ़ – नज्जैनाहु व अह़्लहू अज्मईन
    तो हमने उनको और उनके सब लड़कों को नजात दी।
  21. इल्ला अ़जूज़न फ़िल्-ग़ाबिरीन
    मगर (लूत की) बूढ़ी औरत कि वह पीछे रह गयी।
  22. सुम्-म दम्मर्नल आख़रीन
    (और हलाक हो गयी) फिर हमने उन लोगों को हलाक कर डाला।
  23. व अम्तरना अ़लैहिम् म-तरन् फ़सा-अ म-तरुल् – मुन्ज़रीन
    और उन पर हमने (पत्थरों का) मेंह बरसाया तो जिन लोगों को (अज़ाबे अल्लाह से) डराया गया था।
  24. इन्-न फी ज़ालि – क लआ-यतन् व मा का-न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
    उन पर क्या बड़ी बारिश हुयी इस वाकि़ये में भी एक बड़ी इबरत है और इनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे।
  25. व इन्-न रब्ब-क लहुवल् अ़ज़ीजुर रहीम *
    और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सब पर ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है।

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