26 सूरह अश शुअरा हिंदी में पेज 8

सूरह अश शुअरा हिंदी में | Surat Ash-Shuara in Hindi

  1. कज़्ज़-ब अस्हाबुल-ऐ-कतिल् मुर्सलीन
    इसी तरह जंगल के रहने वालों ने (मेरे) पैग़म्बरों को झुठलाया।
  2. इज् का – ल लहुम् शुऐबुन् अला तत्तकून
    जब शुएब ने उनसे कहा कि तुम (अल्लाह से) क्यों नहीं डरते।
  3. इन्नी लकुम् रसूलुन् अमीन
    मै तो बिला शुबाह तुम्हारा अमानदार हूँ।
  4. फत्तकुल्ला – ह व अतीअून
    तो अल्लाह से डरो और मेरी इताअत करो।
  5. व मा अस् अलुकुम् अ़लैहि मिन् अज्रिन् इन् अज्रि – य इल्ला अ़ला रब्बिल्-आ़लमीन
    मै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (अल्लाह) के जि़म्मे है।
  6. औ फुल्कै – ल व ला तकूनू मिनल्- मुख्सिरीन
    तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो।
  7. व ज़िनू बिल – किस्तासिल् – मुस्तक़ीम
    और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो।
  8. व ला तब्ख़सुन्ना स अश्या अहुम् व ला तअ्सौ फ़िलअर्ज़ि मुफ़्सिदीन
    और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज़्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो।
  9. वत्तकुल्लज़ी ख-ल-क कुम् वल् – जिबिल्ल तल अव्वलीन
    और उस (अल्लाह) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलक़त को पैदा किया।
  10. कालू इन्नमा अन् – त मिनल् – मुसह्हरीन
    वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों)।
  11. व मा अन् – त इल्ला ब – शरुम्-मिस्लुना व इन् नजुन्नु – क लमिनल-काज़िबीन
    और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं।
  12. फ – अस्कित् अ़लैना कि- सफम् – मिनस्समा इ इन् कुन् – त मिनस्सादिक़ीन
    तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो।
  13. का – ल रब्बी अअ्लमु बिमा तअ्मलून
    और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है।
  14. फ़ – कज़्ज़बूहु फ़ – अ – ख़ – ज़हुम् अ़ज़ाबु यौमिज़्ज़ुल्लति इन्नहू का-न अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम
    ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख़्त) दिन का अज़ाब था।
  15. इन् – न फ़ी ज़ालि – क लआ यतन्, व मा का-न अक्सरुहुम् मुअमिनीन
    इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे।
  16. व इन् – न रब्ब – क लहुवल अ़ज़ीजुर रहीम *
    और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है।
  17. व इन्नहू ल – तन्ज़ीलु रब्बिल् – आलमीन
    और (ऐ रसूल) बेशक ये (क़़ुरआन) सारी ख़़ुदायी के पालने वाले (अल्लाह) का उतारा हुआ है।
  18. न-ज़-ल बिहिर-रूहुल-अमीन
    जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) साफ़ अरबी ज़बान में लेकर तुम्हारे दिल पर नाजि़ल हुए है।
  19. अ़ला कल्बि-क लि-तकू न मिनल्-मुन्ज़िरीन
    ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह।
  20. अ़ला कल्बि – क लि – तकू न मिनल् – मुन्ज़िरीन
    लोगों को अज़ाबे अल्लाह से डराओ।
  21. व इत्तहू लफ़ी जुबुरिल् – अव्वलीन
    और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है।
  22. अ-व लम् यकुल्लहुम् आ यतन् अंय्यअ्-ल-महू अु-लमा-उ बनी इस्राईल
    क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं।
  23. व लौ नज्ज़ल्नाहु अ़ला बअ्जिल-अअ्-जमीन
    और अगर हम इस क़़ुरआन को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाजि़ल करते।
  24. फ़-क-र अहू अ़लैहिम् मा कानू बिही मुअ्मिनीन
    और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर इमान लाने वाले न थे।
  25. कज़ालि – क सलक्नाहु फ़ी कुलूबिल्-मुज्रिमीन
    इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी।

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