10 सूरह यूनुस हिंदी में पेज 3

सूरह यूनुस हिंदी में | Surat Yunus in Hindi

  1. व इन् कज़्ज़बू – क फ़कुल ली अ-मली व लकुम् अ-मलुकुम् अन्तुम् बरीऊ-न मिम्मा अअ्मलु व अ-न बरीउम् -मिम्मा तअ्मलून
    और अगर वह तुम्हे झुठलाए तो तुम कह दो कि हमारे लिए हमारी कार गुजारी है और तुम्हारे लिए तुम्हारी कारस्तानी जो कुछ मै करता हूँ उसके तुम जि़म्मेदार नहीं।
  2. व मिन्हुम् मंय्यस्तमिअू-न इलै-क, अ-फ़ अन्-त तुस्मिअुस्सुम् – म व लौ कानू ला यअ्किलून
    और जो कुछ तुम करते हो उससे मै बरी हूँ  और उनमें से बाज़ ऐसे हैं कि तुम्हारी ज़बानों की तरफ कान लगाए रहते हैं तो (क्या) वह तुम्हारी सुन लेगें हरगिज़ नहीं अगरचे वह कुछ समझ भी न सकते हो तुम कही बहरों को कुछ सुना सकते हो।
  3. व मिन्हुम मंय्यन्जु रू इलै – क, अ- फ़अन् त तह्दिल -अुम् -य व लौ कानू ला युब्सिरून
    और बाज़ उनमें से ऐसे हैं जो तुम्हारी तरफ (टकटकी बाँधे) देखते हैं तो (क्या वह इमान लाएँगें हरगिज़ नहीं) अगरचे उन्हें कुछ न सूझता हो तो तुम अन्धे को राहे रास्त दिखा दोगे।
  4. इन्नल्ला – ह ला यज्लिमुन्ना – स शैअंव् – व लाकिन्नन् – ना – स अन्फु – सहुम् यज़्लिमून
    ख़ुदा तो हरगिज़ लोगों पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं करता मगर लोग खुद अपने ऊपर (अपनी करतूत से) जुल्म किया करते है।
  5. व यौ-म यह़्शुरूहुम् क- अल्लम् यल्बसू इल्ला सा – अतम् मिनन्नहारि य तआरफू – न बैनहुम्, कद् खसिरल्लज़ी – न कज़्ज़बू बिलिका – इल्लाहि व मा कानू मुह्तदीन
    और जिस दिन ख़़ुदा इन लोगों को (अपनी बारगाह में) जमा करेगा तो गोया ये लोग (समझेगें कि दुनिया में) बस घड़ी दिन भर ठहरे और आपस में एक दूसरे को पहचानेंगे जिन लोगों ने ख़ुदा की बारगाह में हाजि़र होने को झुठलाया वह ज़रुर घाटे में हैं और हिदायत याफता न थे।
  6. व इम्मा नुरियन्न – क ब अअ्ज़ल्लज़ी नअिदुहुम् औ न-तवफ़्फ़ यन्न -क फ़ – इलैना मर्जिअुहुम् सुम्मल्लाहु शहीदुन् अला मा यफ़अलून
    ऐ रसूल हम जिस जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा कर चुके हैं उनमें से बाज़ ख़्वाहा तुम्हें दिखा दें या तुमको (पहले ही दुनिया से) उठा ले फिर (आखि़र) तो उन सबको हमारी तरफ लौटना ही है फिर जो कुछ ये लोग कर रहे हैं ख़ुदा तो उस पर गवाह ही है।
  7. व लिकुल्लि उम्मतिर्रसूलुन फ़-इज़ा जा-अ रसूलुहुम् कुज़ि – य बैनहुम् बिल्किस्ति व हुम् ला युज़्लमून
    और हर उम्मत का ख़ास (एक) एक रसूल हुआ है फिर जब उनका रसूल (हमारी बारगाह में) आएगा तो उनके दरम्यिान इन्साफ़ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा बराबर ज़़ुल्म न किया जाएगा।
  8. व यकूलू – न मता हाज़ल – वअ्दु इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
    ये लोग कहा करते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आखि़र) ये (अज़ाब का वायदा) कब पूरा होगा।
  9. कुल् ला अम्लिकु लिनफ़्सी ज़र्रव् – व ला नफ्अन् इल्ला मा शा – अल्लाहु, लिकुल्लि उम्मतिन् अ- जलुन्, इज़ा जा-अ अ-जलुहुम् फला यस्तअ्खिरू-न सा अ़तंव् – व ला यस्तक्दिमून
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै खुद अपने वास्ते नुकसान पर क़ादिर हूँ न नफा पर मगर जो ख़ुदा चाहे हर उम्मत (के रहने) का (उसके इल्म में) एक वक़्त मुक़र्रर है-जब उन का वक़्त आ जाता है तो न एक घड़ी पीछे हट सकती हैं और न आगे बढ़ सकते हैं।
  10. कुल अ – रऐतुम् इन् अताकुम् अ़ज़ाबुहू बयातन् औ नहारम् माज़ा यस्तअ्जिलु मिन्हुल मुज्रिमून
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या तुम समझते हो कि अगर उसका अज़ाब तुम पर रात को या दिन को आ जाए तो (तुम क्या करोगे) फिर गुनाहगार लोग आखि़र काहे की जल्दी मचा रहे हैं।
  11. अ- सुम्-म इज़ा मा व-क-अ आमन्तुम् बिही, आल्आ-न व कद् कुन्तुम् बिही तस्तअ़जिलून
    फिर क्या जब (तुम पर) आ चुकेगा तब उस पर इमान लाओगे (आहा) क्या अब (इमान लाए) हालाकि तुम तो इसकी जल्दी मचाया करते थे।
  12. सुम्-म की-ल लिल्लज़ी -न ज़-लमू जूकू अ़ज़ाबल – खुल्दि हल तुज्ज़ौ-न इल्ला बिमा कुन्तुम् तक्सिबून
    फिर (क़यामत के दिन) ज़ालिम लोगों से कहा जाएगा कि (अब हमेशा के अज़ाब के मजे़ चखो (दुनिया में) जैसी तुम्हारी करतूतें तुम्हें (आखि़रत में) वैसा ही बदला दिया जाएगा।
  13. व यस्तम्बिऊन – क अ – हक़्कुन् हु- व कुल ई व रब्बी इन्नहू ल-हक़्कुन्, व मा अन्तुम् बिमुअ्जिज़ीन *
    (ऐ रसूल) तुम से लोग पूछतें हैं कि क्या (जो कुछ तुम कहते हो) वह सब ठीक है तुम कह दो (हाँ) अपने परवरदिगार की कसम ठीक है और तुम (ख़ुदा को) हरा नहीं सकते।
  14. व लौ अन् – न लिकुल्लि नफ्सिन् ज़-लमत् मा फ़िल्अर्जि लफ़्त – दत् बिही, व अ -सर्रून्नदाम-त लम्मा र-अवुल् – अ़ज़ा-ब व कुज़ि-य बैनहुम् बिल्क़िस्ति व हुम् ला युज़्लमून
    और (दुनिया में) जिस जिसने (हमारी नाफरमानी कर के) ज़ुल्म किया है (क़यामत के दिन) अगर तमाम ख़ज़ाने जो जमीन में हैं उसे मिल जाएँ तो अपने गुनाह के बदले ज़रुर फिदया दे निकले और जब वह लोग अज़ाब को देखेगें तो इज़हारे निदामत करेगें (शर्मिंदा होंगें) और उनमें बाहम इन्साफ़ के साथ हुक्म दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा (बराबर ज़ुल्म न किया जाएगा।
  15. अला इन् – न लिल्लाहि मा फिस्समावाति वल्अर्जि, अला इन् – न वअ्दल्लाहि हक़्कुंव – व लाकिन्-न अक्स – रहुम् ला यअ्लमून
    आगाह रहो कि जो कुछ आसमानों में और ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही का है आग़ाह राहे कि ख़ुदा का वायदा यक़ीनी ठीक है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं।
  16. हु – व युह़्यी व युमीतु व इलैहि तुर्जअन
    वही जि़न्दा करता है और वही मारता है और तुम सब के सब उसी की तरफ लौटाए जाओगें।
  17. या अय्युहन्नासु कद् जाअत्कुम् मौअि – ज़तुम् – मिर्रब्बिकुम् व शिफाउल्लिमा फिस्सुदूरि व हुदंव व रह़्मतुल लिल्मुअ्मिनीन
    लोगों तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से नसीहत (किताबे ख़़ुदा आ चुकी और जो (मरज़ शिर्क वगै़रह) दिल में हैं उनकी दवा और ईमान वालों के लिए हिदायत और रहमत।
  18. कुल् बिफ़ज़्लिल्लाहि व बिरह्मतिही फ़बिज़ालि – क फल्यफ्रहू, हु- व खैरूम् – मिम्मा यज्मअून
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (ये क़़ुरान) ख़़ुदा के फज़ल व करम और उसकी रहमत से तुमको मिला है (ही) तो उन लोगों को इस पर खुश होना चाहिए और जो कुछ वह जमा कर रहे हैं उससे कहीं बेहतर है।
  19. कुल् अ-रऐतुम् मा अन्ज़लल्लाहु लकुम् मिर्रिज्किन् फ़-जअ़ल्तुम् मिन्हु हरामंव् – व हलालन्, कुल् आल्लाहु अज़ि-न लकुम् अम् अ़लल्लाहि तफ्तरून
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम्हारा क्या ख़्याल है कि ख़ुदा ने तुम पर रोज़ी नाजि़ल की तो अब उसमें से बाज़ को हराम बाज़ को हलाल बनाने लगे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या ख़ुदा ने तुम्हें इजाज़त दी है या तुम ख़ुदा पर बोहतान बाँधते हो।
  20. व मा जन्नुल्लज़ी-न यफ्तरू-न अलल्लाहिल -कज़ि-ब यौमल् – कियामति, इन्नल्ला-ह लजू फ़ज्लिन् अलन्नासि व लाकिन- न अक्स – रहुम् ला यश्कुरून *
    और जो लोग ख़ुदा पर झूठ मूठ बोहतान बाधा करते हैं रोजे़ क़यामत का क्या ख़्याल करते हैं उसमें शक नहीं कि ख़़ुदा तो लोगों पर बड़ा फज़ल व (करम) है मगर उनमें से बहुतेरे शुक्र गुज़ार नहीं हैं

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