10 सूरह यूनुस हिंदी में पेज 4

सूरह यूनुस हिंदी में | Surat Yunus in Hindi

  1. व मा तकूनु फ़ी शअ्निंव्-व मा तत्लू मिन्हु मिन् क़ुरआनिंव्-व ला तअ्मलू-न मिन् अ-मलिन् इल्ला कुन्ना अलैकुम् शुहूदन् इज़् तुफ़ीज़ू-न फ़ीहि, व मा यअ्ज़ुबु अर्रब्बि-क मिम्-मिस्क़ालि ज़र्रतिन् फ़िल्अर्ज़ि व ला फिस्समा-इ व ला अस्ग़-र मिन् ज़ालि क व ला अक्ब-र इल्ला फ़ी किताबिम् मुबीन
    (और ऐ रसूल!) तुम (चाहे) किसी हाल में हो और क़ुरान की कोई सी भी आयत सुनाते हों और (लोगों) तुम कोई सा भी कर्म कर रहे हो, जब तुम उस काम में मशगूल होते हो हम तुम को देखते रहते हैं और तुम्हारे पालनहार से कण-भर भी कोई चीज़ ग़ायब नहीं रह सकती न ज़मीन में और न आसमान में और न कोई चीज़ ज़र्रे से छोटी है और न उससे बढ़ी, चीज़ मगर वह स्पष्ट किताब लौहे महफूज़ में ज़रुर है।
  2. अला इन्-न औलिया-अल्लाहि ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह़्ज़नून
    सुन लो, इसमें शक नहीं कि अल्लाह के मित्रों को (क़यामत में) न तो कोई डर होगा और न वह शोकाकुल ख़ातिर होगे।
  3. अल्लज़ी-न आमनू व कानू यत्तक़ून
    ये वह लोग हैं जो ईमान लाए और (अल्लाह से) डरते थे।
  4. लहुमुल्बुश्रा फ़िल्हयातिद्दुन्या व फ़िल्-आख़िरति, ला तब्दी-ल लि-कलिमातिल्लाहि, ज़ालि-क हुवल् फ़ौज़ुल अज़ीम
    उन्हीं लोगों के वास्ते सांसारिक जीवन में भी और परलोक में (भी) ख़ुशख़बरी है। अल्लाह की बातों में कोई परिवर्तन  नहीं हुआ करता यही तो बड़ी कामयाबी है।
  5. व ला यह्ज़ुन्-क क़ौलुहुम्, इन्नल्-अिज़्ज़-त लिल्लाहि जमीअन्, हुवस्समीअुल-अलीम
    और (ऐ नबी!) उन (कुफ़्फ़ार) की बात तुम्हें दुखी न करे, इसमें तो शक नहीं कि सारी प्रभुत्व तो सिर्फ अल्लाह ही के लिए है और वह सब कुछ सुनने जानने-वाला है।
  6. अला इन्-न लिल्लाहि मन् फ़िस्समावाति व मन् फ़िलअर्जि, व मा यत्तबिअुल्लज़ी-न यद्अून मिन् दुनिल्लाहि शु-रका-अ, इंय्यत्तबिअू-न इल्लज़्ज़न्-न व इन् हुम् इल्ला यख़्रुसून
    जान रखो! इसमें शक नहीं कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में है (सब कुछ) अल्लाह ही के लिए है और जो लोग अल्लाह को छोड़कर (दूसरों को) पुकारते हैं वह तो (अल्लाह के फर्ज) शरीकों की राह पर भी नहीं चलते बल्कि वह तो सिर्फ अपनी अटकल पर चलते हैं और वह सिर्फ वहमी और ख़्याली बातें किया करते हैं।
  7. हुवल्लज़ी ज-अ-ल लकुमुल्लै-ल लितस्कुनू फ़ीहि वन्नहा-र मुब्सिरन्, इन्-न फ़ी ज़ालि-क लआयातिल् लिक़ौमिंय्यस्मअून
    वही है जिसने तुम्हारे नफा के वास्ते रात को बनाया ताकि तुम इसमें सुख पाओ और दिन को (बनाया) कि उसकी रौशनी में देखो। निःसंदेह उसमें शक नहीं जो लोग सुन लेते हैं उनके लिए इसमें (कुदरत की बहुतेरी) निशानियाँ हैं)।
  8. क़ालुत्त-ख़ज़ल्लाहु व लदन् सुब्हानहू, हुवल्-ग़निय्यु, लहू मा फ़िस्समावाति व मा फ़िलअर्ज़ि, इन् अिन्दकुम् मिन् सुल्तानिम्-बिहाज़ा, अ तक़ूलू-न अ़लल्लाहि मा ला तअ्लमून
    लोगों ने तो कह दिया कि “अल्लाह ने बेटा बना लिया।” वह पवित्र है। वह निस्पृह है। वही स्वामी है उसका, जो अकाशों में तथा धरती में है। तुम्हारे पास इसका कोई प्रमाण नहीं। क्या तुम अल्लाह से जोड़कर वह बात कहते हो, जिसका तुम्हें ज्ञान नहीं?
  9. क़ुल इन्नल्लज़ी न यफ्तरू-न अलल्लाहिल्-कज़ि-ब ला युफ्लिहून
    ऐ रसूल! तुम कह दो कि बेशक जो लोग झूठ मूठ अल्लाह पर झूठ घड़ते हैं, वह कभी कामयाब न होगें।
  10. मताअुन् फ़िद्दुन्या सुम्-म इलैना मर्जिअुहुम् सुम्-म नुज़ीक़ुहुमुल् अ़ज़ाबश्शदी-द बिमा कानू यक्फुरून*
    यह तो सांसारिक सुख है। फिर तो आख़िर हमारी ही तरफ लौट कर आना है तब उनके अविश्वास की सज़ा में हम उनको घोर यातना के मज़े चखाएँगें।
  11. वत्लु अलैहिम न-ब-अ नूहिन • इज़ क़ा-ल लिक़ौमिही या क़ौमि इन् का-न कबु-र अ़लैकुम् मक़ामी व तज़्कीरी बिआयातिल्लाहि फ़-अ़लल्लाहि तवक्कल्तु फ़-अज्मिअू अम्रकुम् व शु-रका-अकुम् सुम्-म ला यकुन् अम्रूकुम् अलैकुम् ग़ुम्म-तन् सुम्मक़्ज़ू इलय्-य वला तुन्ज़िरून
    और (ऐ रसूल!) तुम उनके सामने नूह का वृत्तान्त पढ़ दो जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा, “ऐ मेरी क़ौम अगर मेरा ठहरना और अल्लाह की आयतों का चर्चा करना तुम्हें भारी हो गया है तो मैं सिर्फ अल्लाह ही पर भरोसा रखता हूँ। तो तुम और तुम्हारे साझीदार सब मिलकर अपना काम ठीक कर लो फिर तुम्हारी बात तुम (में से किसी) पर महज़ (छुपी) न रहे; फिर मेरे साथ जो कुछ करना है, कर डालो और गुझे (दम मारने का भी) अवसर न दो।
  12. फ़- इन् तवल्लैतुम् फ़मा सअल्तुकुम् मिन् अज्रिन्, इन् अज्रि-य इल्ला अ़लल्लाहि, व उमिरतु अन् अकू-न मिनल्-मुस्लिमीन
    फिर भी अगर तुम ने (मेरी नसीहत से) मुँह मोड़ा तो मैने तुम से कुछ मज़दूरी तो न माँगी थी-मेरी मज़दूरी तो सिर्फ अल्लाह ही पर है और (उसी की तरफ से) मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं उसके आज्ञाकारी बन्दों में से हो जाऊँ।
  13. फ़-कज़्ज़बूहु फ़-नज्जैनाहु व मम्-म अ़हू फ़िल्फुल्कि व जअ़ल्नाहुम् ख़लाइ-फ़ व अग़्रक़्नल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना, फ़न्ज़ुर् कै-फ़ का-न आ़कि-बतुल् मुन्ज़रीन
    उस पर भी उन लोगों ने उनको झुठलाया तो हमने उनको और जो लोग उनके साथ नौका में (सवार) थे (उनको) बचा लिया और उनको (अगलों का) उत्तराधिकारी बनाया, और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था उनको डुबो मारा। फिर ज़रा ग़ौर तो करो कि जो (अज़ाब से) डराए जा चुके थे उनका क्या (ख़राब) परिणाम हुआ।
  14. सुम्-म बअ़स्-ना मिम्-बअ्दिही रूसुलन् इला क़ौमिहिम् फ़जाऊहुम् बिल्बय्यिनाति फ़मा कानू लियुअ्मिनू बिमा कज़्ज़बू बिही मिन् क़ब्लु, कज़ालि-क नत्बअु अ़ला क़ुलूबिल्-मुअ्तदीन
    फिर हमने नूह के बाद और रसूलों को अपनी जाति के पास भेजा, तो वह पैग़म्बर उनके पास खुली निशानियाँ (तर्क) लेकर आए इस पर भी जिस चीज़ को ये लोग पहले झुठला चुके थे उस पर ईमान (न लाना था) न लाए। हम यू ही हद से गुज़र जाने वालों के दिलों पर खुद मुहर कर देते हैं।
  15. सुम्-म ब अ़स्-ना मिम्बअ्दिहिम् मूसा व हारू-न इला फ़िरऔ-न व म-लइही बिआयातिना फ़स्तक्बरू व कानू क़ौमम्-मुज्रिमीन
    फिर हमने इन पैग़म्बरों के बाद मूसा व हारुन को अपनी निशानियाँ (मौजिज़े) लेकर फिरौन और उस (की क़ौम) के सरदारों के पास भेजा तो उन्होंने अभिमान किया और ये लोग थे ही कुसूरवार।
  16. फ़-लम्मा जा-अहुमुल्-हक़्क़ु मिन् अिन्दिना क़ालू इन्- न हाज़ा लसिह्-रूम् मुबीन
    फिर जब उनके पास हमारी तरफ से हक़ बात (सत्य) आ गया, तो कहने लगे कि ये तो वास्तव में खुला  जादू है।
  17. क़ा-ल मूसा अ-तक़ूलू-न लिल्हक़्क़ि लम्मा जा-अकुम्, असिह्-रून् हाज़ा, व ला युफ्लिहुस्साहिरून
    मूसा ने कहा: क्या जब (सत्य) तुम्हारे पास आया तो उसके बारे में कहते हो कि क्या ये जादू है? और जादूगर लोग कभी कामयाब न होगें।
  18. क़ालू अजिअ्-तना लितल्फ़ि-तना अ़म्मा वजद्-ना अ़लैहि आबा-अना व तकू-न लकुमल्-किब्रिया-उ फ़िल्अर्ज़ि, व मा नह्नु लकुमा बिमुअ्मिनीन
    वह लोग कहने लगे कि (ऐ मूसा!) क्यों तुम हमारे पास उस वास्ते आए हो कि जिस दीन पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया उससे तुम हमे बहका दो और सारी ज़मीन में ही तुम दोनों की बढ़ाई स्थापित हो जाए? और ये लोग तुम दोनों पर ईमान लाने वाले नहीं।
  19. व क़ा-ल फिरऔनुअ्तूनी बिकुल्लि साहिरिन् अ़लीम
    और फिरौन ने हुक्म दिया, “हर कुशल जादूगर को मेरे पास लाओ।”
  20. फ़-लम्मा जाअस्स-ह-रतु क़ा-ल लहुम् मूसा अल्क़ू मा अनतुम्-मुल्क़ून
    फिर जब जादूगर लोग (मैदान में) आ मौजूद हुए तो मूसा ने उनसे कहा कि तुमको जो कुछ फेंकना हो फेंको।

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