55 सूरह रहमान​ हिन्दी में पेज 1

इस सूरह की शुरुआत अल्लाह के अच्छे नाम(रहमान) से हुआ है। इसलिये इस का नाम सूरह रहमान है। सूरह रहमान मदनी है और इस में 78 आयतें हैं इस सुरह में हमारी रोज़ाना की ज़िन्दगी में आने वाली परेशानी और मुश्किलात का हल मौजूद है। यह सूरह पारा नंबर 27 मे है।

इस सूरे में अल्लाह ताला ने जो नेमते हम लोगो को दी है उसको याद दिलाया है, हम लोगो को चाहिए की अल्लाह की दी हुई नेमतों का शुक्र अदा करे जैसे की शुक्र अदा करने का हक़ है

इस की शुरू की आयतों में रहमान (अत्यंत कृपाशील) की सब से बड़ी दया का वर्णन हुआ है कि उस ने मनुष्य को कुरआन का इल्म दिया और उसे बात करने की ताकत दी जो उस का खास खूबियां है।

  • फिर आयत 12 तक धरती तथा आकाश की विचित्र चीज़ों का वर्णन कर के यह प्रश्न किया गया है कि तुम अपने पालनहार के किन-किन उपकारों तथा गुणों को नकारोगे?
  • इस की आयत 13 से 30 तक जिन्नों तथा मनुष्यों की उत्पत्ति, दो पूर्व तथा पश्चिमों की दूरी, दो सागरों का संगम तथा इस प्रकार की अन्य विचित्र निशानियों और अल्लाह की दया की ओर ध्यान दिलाया गया है।
  • आयत 31 से 45 तक मनुष्यों तथा जिन्नों को उन के पापों पर कड़ी चेतावनी दी गई है कि वह दिन आ ही रहा है जब तुम्हारे किये का दुःखदायी दण्ड तुम्हें मिलेगा।
  • अन्त में उन का शुभ परिणाम बताया गया है जो अल्लाह से डरते रहे। और फिर स्वर्ग के सुखों की एक झलक दिखायी गई है।
  • सूरह रहमान कैंसर, एचसीवी, ब्लडप्रेशर, दिल की बीमारियाँ और कई दूसरी बीमारियों का इलाज है । अगर रोजाना सूरह रहमान को सुना जाये तो अल्लाह तआला के फ़ज़ल से मरीज इंशा अल्लाह ठीक हो जाएगा।

सूरह रहमान हिन्दी में

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है

  1. अर रहमान
    वही बेहद मेहरबान अल्लाह है
  2. अल लमल कुरआन
    जिसने कुरान की तालीम दी
  3. खलक़ल इंसान
    उसी ने इंसान को पैदा किया
  4. अल लमहुल बयान
    और उसको बोलना सिखाया
  5. अश शम्सु वल कमरू बिहुस्बान
    सूरज और चाँद एक ख़ास हिसाब के पाबन्द हैं
  6. वन नज्मु वश शजरू यस्जुदान
    तारे और दरख़्त ( पेड़ ) सब सजदे में हैं
  7. वस समाअ रफ़ाअहा व वदअल मीज़ान
    उसी ने आसमान को बलंद किया और तराज़ू क़ायम की
  8. अल्ला ततगव फिल मीज़ान
    ताकि तुम तौलने में कमी बेशी न करो
  9. व अक़ीमुल वज्ना बिल किस्ति वला तुख सिरुल मीज़ान
    इन्साफ के साथ ठीक ठीक तौलो और तौल में कमी न करो
  10. वल अरदा वदअहा लिल अनाम
    और ज़मीन को उसने मख्लूक़ के लिए बनाया है
  11. फ़ीहा फाकिहतुव वन नख्लु ज़ातुल अक्माम
    जिसमें मेवे और खजूर के दरख़्त हैं, जिनके खोशों पर गिलाफ़ चढ़े हुए हैं
  12. वल हब्बु जुल अस्फि वर रैहान
    और जिसमें भूसे वाला अनाज और ख़ुशबूदार फूल होता है
  13. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  14. खलक़ल इन्सान मिन सल सालिन कल फख्खार
    उसने इंसान को ठीकरे जैसी खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा किया
  15. व खलक़ल जान्ना मिम मारिजिम मिन नार
    और जिन्नात को आग के शोले से पैदा फ़रमाया है
  16. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  17. रब्बुल मश रिकैनि व रब्बुल मगरिबैन
    वही दोनों मशरिकों और दोनों मगरिबों का भी रब है
  18. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  19. मरजल बह रैनि यल तकियान
    उसने दो ऐसे समंदर जारी किये, जो आपस में मिलते हैं
  20. बैनहुमा बरज़खुल ला यब गियान
    लेकिन उन दोनों के दरमियान एक रुकावट है कि दोनों एक दुसरे की तरफ़ बढ़ नहीं सकते
  21. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  22. यख रुजु मिन्हुमल लुअ लूऊ वल मरजान
    उन दोनों से बड़े बड़े और छोटे छोटे मोती निकलते हैं
  23. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  24. वलहुल जवारिल मून शआतु फिल बहरि कल अअ’लाम
    और उसी के कब्जे में रवां दवा वो जहाज़ हैं जो समंदर में पहाड़ों की तरह ऊंचे खड़े हैं
  25. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  26. कुल्लू मन अलैहा फान
    जो कुछ भी ज़मीन पर है सब फ़ना होने (मिटने) वाला है
  27. व यब्का वज्हु रब्बिका जुल जलालि वल इकराम
    और सिर्फ़ आप के रब की ज़ात बाक़ी रहेगी जो बड़ी इज्ज़त व करम व करम वाली होगी
  28. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  29. यस अलुहू मन फिस समावाति वल अरज़ि कुल्ला यौमिन हुवा फ़ी शअन
    आसमानों ज़मीन में जो लोग भी हैं, वो सब उसी से मांगते हैं हर रोज़ उस की एक शान है
  30. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  31. सनफ रुगु लकुम अय्युहस सक़लान
    ए इंसान और जिन्नात ! अनक़रीब हम तुम्हारे हिसाबो किताब के लिए फारिग़ हो जायेंगे
  32. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  33. या मअशरल जिन्नि वल इन्सि इनिस त तअतुम अन तन्फुजु मिन अक तारिस सामावती वल अरज़ि फनफुजू ला तन्फुजूना इल्ला बिसुल तान
    ए इंसानों और जिन्नातों की जमात ! अगर तुम आसमान और ज़मीन की हदों से निकल भाग सकते हो तो निकल भागो मगर तुम बगैर ज़बरदस्त कुव्वत के नहीं निकल सकते
  34. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  35. युरसलू अलैकुमा शुवाज़ुम मिन नारिव व नुहासून फला तन तसिरान
    तुम पर आग के शोले और धुवां छोड़ा जायेगा फिर तुम मुकाबला नहीं कर सकोगे
  36. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
  37. फ़इजन शक़ क़तिस समाउ फकानत वर दतन कद दिहान
    फिर जब आसमान फट पड़ेगा और तेल की तिलछट की तरह गुलाबी हो जायेगा
  38. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
    तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

सूरह रहमान वीडियो | Surah Ar-Rahman Video

सूरह रहमान उर्दू तर्जुमा के साथ

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