19 सूरह मरियम हिंदी में​ पेज 1

सूरह मरियम कुरान के 16वें पारा में 19वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है। इस सूरह मे कुल 98 आयतें और कुल 6 रुकू है।

सूरह मरियम हिंदी में | Surah Maryam in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. काफ़ हा या ऐन साद
    काफ़0 हा0 या0 ऐन0 साद0
  2. ज़िकरू रहमति रब्बिका अब्दहू ज़-करिय्या
    वर्णन है तेरे रब की दयालुता का, जो उसने अपने बन्दे ज़करीया पर दर्शाई,
  3. इज़ नादा रब्बहू निदाअन ख़फिय्या
    जबकि उसने अपने रब को चुपके से पुकारा।
  4. क़ाला रब्बि इन्नी व-हनल अज्मु मिन्नी वश तअल रअ’सु शैबौ वलम अकुम बिदुआइ-क रब्बि शक़िय्या
    उसने कहा, “मेरे रब! मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो गईं और सिर बुढ़ापे से भड़क उठा। और मेरे रब! तुझे पुकारकर मैं कभी बेनसीब नहीं रहा।
  5. व इन्नी खिफ्तुल मवालिया मिव वराई व कानतिम रअती आक़िरन फ़हब ली मिल लदुनका वलिय्या
    मुझे अपने पीछे अपने भाई-बन्धुओं की ओर से भय है और मेरी पत्नी बाँझ है। अतः तू मुझे अपने पास से एक उत्तराधिकारी प्रदान कर,
  6. य रिसुनी व यरिसु मिन आलि यअ’क़ूब वज अल्हु रब्बि रदिय्या
    जो मेरा भी उत्तराधिकारी हो और याक़ूब के वशंज का भी उत्तराधिकारी हो। और उसे मेरे रब! वांछनीय बना।”
  7. या ज़ करिय्या इन्ना नुबश शिरुका बि गुलामि निसमुहु यहया लम नजअल लहू मिन क़ब्लु समिय्या
    (उत्तर मिला,) “ऐ ज़करीया! हम तुझे एक लड़के की शुभ सूचना देते हैं, जिसका नाम यह्या होगा। हमने उससे पहले किसी को उसके जैसा नहीं बनाया।”
  8. क़ाला रब्बि अन्ना यकूनु ली गुलामुव व कानतिम रअती आक़िरौ वक़द बलग्तू मिनल कि-बरि इतिय्या
    उसने कहा, “मेरे रब! मेरे लड़का कहाँ से होगा, जबकि मेरी पत्नी बाँझ है और मैं बुढ़ापे की अन्तिम अवस्था को पहुँच चुका हूँ?”
  9. क़ाला कज़ालिका क़ाला रब्बुका हुवा अलय्या हय्यिनुव वक़द खलक तुका मिन क़ब्लु वलम तकु शैआ
    कहा, “ऐसा ही होगा। तेरे रब ने कहा है कि यह मेरे लिए सरल है। इससे पहले मैं तुझे पैदा कर चुका हूँ, जबकि तू कुछ भी न था।”
  10. क़ाला रब्बिज अल ली आयह, काला आयतुका अल्ला तुकल्लिमन नासा सलासा लयालिन सविय्या
    उसने कहा, “मेरे रब! मेरे लिए कोई निशानी निश्चित कर दे।” कहा, “तेरी निशानी यह है कि तू भला-चंगा रहकर भी तीन रात (और दिन) लोगों से बात न करे।”
  11. फ़ ख़राजा अला क़ौमिही मिनल मिहराबि फ़औहा इलैहिम अन सब्बिहू बुकरतौ व अशिय्या
    अतः वह मेहराब से निकलकर अपने लोगों के पास आया और उनसे संकेतों में कहा, “प्रातः काल और सन्ध्या समय तसबीह करते रहो।”
  12. या यहया खुज़िल किताबा बिकुव्वह, व आतैनाहुल हुक्मा सबिय्या
    “ऐ यह्या! किताब को मज़बूत थाम ले।” हमने उसे बचपन ही में निर्णय-शक्ति प्रदान की,
  13. व हनानम मिल लदुन्ना व ज़कातव व काना तक़िय्या
    और अपने पास से नरमी और शौक़ और आत्मविश्वास। और वह बड़ा डरनेवाला था।
  14. व बर्रम बि वालिदैहि वलम यकुन जब्बारन असिय्या
    और अपने माँ-बाप का हक़ पहचाननेवाला था। और वह सरकश अवज्ञाकारी न था ।
  15. व सलामुन अलैहि यौमा वुलिदा व यौमा यमूतु व यौमा युब असु हय्या
    “सलाम उस पर, जिस दिन वह पैदा हुआ और जिस दिन उसकी मृत्यु हो और जिस दिन वह जीवित करके उठाया जाए!”
  16. वज्कुर फ़िल किताबि मरयम, इजिन त-बज़त मिन अहलिहा मकानन शर क़िय्या
    और इस किताब में मरयम की चर्चा करो, जबकि वह अपने घरवालों से अलग होकर एक पूर्वी स्थान पर चली गई।
  17. फत त-खज़त मिन दूनिहिम हिजाबन फ़ अरसलना इलैहा रूहना फ़ तमस्सला लहा ब-शरन सविय्या
    फिर उसने उनसे परदा कर लिया। तब हमने उसके पास अपनी रूह (फ़रिश्ते) को भेजा और वह उसके सामने एक पूर्ण मनुष्य के रूप में प्रकट हुआ।
  18. क़ालत इन्नी अऊजु बिर रहमानि इन कुन्ता तक़िय्या
    वह बोल उठी, “मैं तुझसे बचने के लिए रहमान की पनाह माँगती हूँ; यदि तू (अल्लाह का) डर रखनेवाला है (तो यहाँ से हट जाएगा) ।”
  19. क़ाला इन्नमा अना रसूलु रब्बिकि लि अ-हबा लकि गुलामन ज़किय्या
    उसने कहा, “मैं तो केवल तेरे रब का भेजा हुआ हूँ, ताकि तुझे नेकी और भलाई से बढ़ा हुआ लड़का दूँ।”
  20. क़ालत अन्ना यकूनु ली गुलामुव वलम यम्सस्नी ब-शरुव वलम अकु बगिय्या
    वह बोली, “मेरे कहाँ से लड़का होगा, जबकि मुझे किसी आदमी ने छुआ तक नहीं और न मैं कोई बदचलन हूँ?”
  21. क़ाला कज़ालिका क़ाला रब्बुका हुवा अलैया हय्यिन, व लिनज अ-लहू आयतल लिन नासि वरह मतम मिन्ना, वकान अमरम मक़ दिय्या
    उसने कहा, “ऐसा ही होगा। रब ने कहा है कि यह मेरे लिए सहज है। और ऐसा इसलिए होगा (ताकि हम तुझे) और ताकि हम उसे लोगों के लिए एक निशानी बनाएँ और अपनी ओर से एक दयालुता। यह तो एक ऐसी बात है जिसका निर्णय हो चुका है।”
  22. फ़ हमलत्हु फन त-बज़त बिही मकानन क़सिय्या
    फिर उसे उस (बच्चे) का गर्भ रह गया और वह उसे लिए हुए एक दूर के स्थान पर अलग चली गई।
  23. फ़ अजा अहल मख़ादु इला जिज़इन नख्लह क़ालत या लैतनी मित्तु क़ब्ला हाज़ा व कुन्तु नस्यम मन्सिय्या
    अन्ततः प्रसव पीड़ा उसे एक खजूर के तने के पास ले आई। वह कहने लगी, “क्या ही अच्छा होता कि मैं इससे पहले ही मर जाती और भूली-बिसरी हो गई होती!”
  24. फ़ नादाहा मिन तह्तिहा अल्ला तह्ज़नी क़द ज-अला रब्बुकि तहतकि सरिय्या
    उस समय उसे उसके नीचे से पुकारा, “शोकाकुल न हो। तेरे रब ने तेरे नीचे एक स्रोत प्रवाहित कर रखा है।
  25. व हुज़ज़ी इलैकि बिजिज़ इन नख्लति तुसाक़ित अलैकि रु-तबन जनिय्या
    तू खजूर के उस वृक्ष के तने को पकड़कर अपनी ओर हिला। तेरे ऊपर ताज़ा पकी-पकी खजूरें टपक पड़ेंगी।

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