52 सूरह अत-तूर हिंदी में पेज 1

52 सूरह अत-तूर | Surah At-Tur

(मक्की) सूरह अत-तूर में 49 आयतें और 2 रुकू हैं। यह सूरह पारा 27 में है। 

इस सूरह का नाम पहले ही शब्द ‘वत्तूर’ (कसम है तूर की) से लिया गया है। यहाँ तूर पर्वत के लिए आया है जिस पर हज़रत मूसा(अलै.) को नबुव्वत दी गई थी।

सूरह अत-तूर हिंदी में | Surah At-Tur in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. वत्तूरि
    शपथ है तूर (पर्वत) की!
  2. व किताबिम् – मस्तूरिन्
    और लिखी हुई किताब की;
  3. फ़ी रक़्क़िम् – मन्शूरिंव्
    जो झिल्ली के खुले पन्नों में लिखी हुई है।
  4. वल्- बैतिल्-मअ्मूर
    और बसा हुआ घर बैतुल मअमूर की;
  5. वस्सक़्फ़िल्-मर् फूअि
    तथा ऊँची छत (आकाश) की!
  6. वल्- बह्रिल् – मस्जूर
    और भड़काये हुए सागर की!
  7. इन्-न अ़ज़ा-ब रब्बि क लवाक़िअ्
    कि तेरे रब की यातना अवश्य होकर रहेगी;
  8. मा लहू मिन् दाफ़िअिंय्
    उसे कोई रोकने वाला नहीं है।
  9. यौ-म तमूरुस्- समा-उ मौरंव्
    जिस दिन आकाश बुरी तरह डगमगाएगा;
  10. व तसीरुल् – जिबालु सैरा
    तथा पर्वत चलेंगे।
  11. फ़वैलुंय्यौ – मइज़िल् – लिल् – मुकज़्ज़िबीन
    तो उस दिन झुठलानेवालों के लिए तबाही है,
  12. अल्लज़ी-न हुम् फ़ी ख़ौ ज़िंय्यल् – अ़बून
    जो बात बनाने में लगे हुए खेल रहे हैं।
  13. यौ-म युदअ्अू -न इला नारि जहन्न-म दअ्आ़
    जिस दिन वे नरक की अग्नि की ओर धक्का दिये जायेंगे।
  14. हाज़िहिन्नारुल्लती कुन्तुम् बिहा तुकज़्ज़िबून
    (उनसे कहा जायेगाः) यही वह नरक है, जिसे तुम झुठला रहे थे।
  15. अ-फ़सिह्-रून् हाज़ा अम् अन्तुम् ला तुब्सिरून
    अब भला (बताओ) यह कोई जादू है या तुम्हें सुझाई नहीं देता?
  16. इस्लौहा फ़स्बिरू औ ला तस्बिरू सवाउन् अ़लैकुम्, इन्नमा तुज्ज़ौ-न मा कुन्तुम् तअ्मलून
    जाओ, झुलसो उसमें! फिर सहन करो या धैर्य से काम न लो; तुम्हारे लिए बराबर है। तुम वही बदला पा रहे हो, जो तुम कर रहे थे।”
  17. इन्नल्-मुत्तकी-न फ़ी जन्नातिंव्-व नईम
    निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और सुखों में होंगे।
  18. फ़ाकिही न बिमा आताहुम् रब्बुहुम् व वक़ाहुम् रब्बुहुम् अ़ज़ाबल्-जहीम
    जो कुछ उनके रब ने उन्हें दिया होगा, उसका आनन्द ले रहे होंगे और इस बात से कि उनके रब ने उन्हें नरक की यातना से बचा लिया।
  19. कुलू वश्रबू हनीअम् – बिमा कुन्तुम् तअ्मलून
    “मज़े से खाओ और पियो उन कर्मों के बदले में जो तुम कर रहे थे।”
  20. मुत्तकिई-न अ़ला सुरुरिम्- मस्फ़ू-फ़तिन् व ज़व्वज्नाहुम् बिहूरिन् ईन
    बराबर बिछे हुए तख़्तों पर तकिया लगाए हुए होंगे और हम बड़ी आँखोंवाली हूरों (परम रूपवती स्त्रियों) से उनका विवाह कर देंगे।
  21. वल्लज़ी-न आमनू वत्त-बअ़त्हुम् ज़ुर्रिय्यतुहुम् बिईमानिन् अल्हक़्ना बिहिम् ज़ुर्रिय्य-तहुम् व मा अलत्नाहुम् मिन् अ़-मलिहिम् मिन् शैइन्, कुल्लुम्-रिइम् बिमा क-स-ब रहीन
    जो लोग ईमान लाए और उनकी सन्तान ने भी ईमान के साथ उनका अनुसरण किया, उनकी सन्तान को भी हम उनसे मिला देंगे, और उनके कर्म में से कुछ भी कम करके उन्हें नहीं देंगे। हर व्यक्ति अपनी कमाई के बदले में बन्धक[अर्थात जो जैसा करेगा वैसा भरेगा] है।
  22. व अम्दद्नाहुम् बिफ़ाकि-हतिंव्-व लह्मिम्-मिम्मा यश्तहून
    और हम उन्हें मेवे और मांस, जिसकी वे इच्छा करेंगे दिए चले जाएँगे।
  23. य-तनाज़अू-न फ़ीहा कअ्सल्-ला लग्वुन् फ़ीहा व ला तअ्सीम
    वे वहाँ आपस में प्याले हाथों हाथ ले रहे होंगे, जिसमें न कोई कोई व्यर्थ होगी और न पाप पर उभारनेवाली कोई बात।
  24. व यतूफ़ु अ़लैहिम् ग़िल्मानुल्-लहुम् क-अन्नहुम् लुअ्लुउम्-मक्नून
    और उनकी सेवा में सुरक्षित मोतियों के समान बालक फिरते होंगे, जो ख़ास उन्हीं (की सेवा) के लिए होंगे।
  25. व अक़्ब-ल बअ्ज़ुहुम् अ़ला बअ्ज़िंय्य-तसा – अलून
    उनमें से कुछ व्यक्ति कुछ व्यक्तियों की ओर हाल पूछते हुए सम्मुख होंगे।

सूरह अत-तूर | Surah At-Tur Video​

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