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Toggleसूरह अल अम्बिया हिंदी में | Surah Al-Anbiya in Hindi
- उफ्फिल् – लकुम् व लिमा तअ्बुदू – न मिन् दूनिल्लाहि, अ- फ़ला तअ्किलून
तुफ़ है तुम पर उस चीज़ पर जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते हो तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते। - क़ालू हर्रिकूहु वन्सुरू आलि – ह – तकुम् इन् कुन्तुम् फ़ाअिलीन
(आखि़र) वह लोग (बाहम) कहने लगे कि अगर तुम कुछ कर सकते हो तो इब्राहीम को आग में जला दो और अपने खु़दाओं की मदद करो। - कुल्ना या नारू कूनी बर्दंव् – व सलामन् अ़ला इब्राहीम
(ग़रज़) उन लोगों ने इबराहीम को आग में डाल दिया तो हमने हुक्म दिया ऐ आग तू इबराहीम पर बिल्कुल ठन्डी और सलामती का बाइस हो जा। - व अरादू बिही कैदन् फ़-जअ़ल्लाहुमुल-अख़्सरीन
(कि उनको कोई तकलीफ़ न पहुँचे) और उन लोगों ने इबराहीम के साथ चालबाज़ी करनी चाही थी तो हमने इन सब को नाकाम कर दिया। - व नज्जैनाहु व लूतन् इलल् – अर्ज़िल्लती बारक्ना फ़ीहा लिल्आ़लमीन
और हम ने ही इबराहीम और लूत को (सरकशों से) सही व सालिम निकालकर इस सर ज़मीन (शाम बैतुलमुक़द्दस) में जा पहुँचाया जिसमें हमने सारे जहाँन के लिए तरह-तरह की बरकत अता की थी। - व व – हब्ना लहू इस्हा – क़ व यअ्कू – ब नाफ़ि – लतन्, व कुल्लन् जअ़ल्ना सालिहीन
और हमने इबराहीम को इनाम में इसहाक़ (जैसा बैटा) और याकू़ब (जैसा पोता) इनायत फरमाया हमने सबको नेक बख़्त बनाया। - व जअ़ल्नाहुम् अ- इम्म तंय्यह्दू-न बिअम्रिना व औहैना इलैहिम् फ़िअ्लल्-ख़ैराति व इकामस्सलाति व ईता अज़्ज़काति व कानू लना आ़बिदीन
और उन सबको (लोगों का) पेशवा बनाया कि हमारे हुक्म से (उनकी) हिदायत करते थे और हमने उनके पास नेक काम करने और नमाज़ पढ़ने और ज़कात देने की “वही” भेजी थी और ये सब के सब हमारी ही इबादत करते थे। - व लूतन् आतैनाहु हुक्मंव् – व अिल्मंव् – व नज्जैनाहु मिनल्- करयतिल्लती कानत् तअ्मलुल् -ख़बाइ-स, इन्नहुम् कानू क़ौ-म सौइन फ़ासिकीन
और लूत को भी हम ही ने फ़हमे सलीम और नबूवत अता की और हम ही ने उस बस्ती से जहाँ के लोग बदकारियाँ करते थे नजात दी इसमें शक नहीं कि वह लोग बड़े बदकार आदमी थे। - व अद्खल्नाहु फी रह्मतिना, इन्नहू मिनस् – सालिहीन*
और हमने लूत को अपनी रहमत में दाखि़ल कर लिया इसमें शक नहीं कि वह नेकोंकार बन्दों में से थे। - व नूहन् इज् नादा मिन् क़ब्लु फ़स्त – जब्ना लहू फनज्जैनाहु व अह़्लहू मिनल् कर्बिल् अ़ज़ीम
और (ऐ रसूल लूत से भी) पहले (हमने) नूह को नबूवत पर फ़ायज़ किया जब उन्होंने (हमको) आवाज़ दी तो हमने उनकी (दुआ) सुन ली फिर उनको और उनके साथियों को (तूफ़ान की) बड़ी सख़्त मुसीबत से नजात दी। - व नसर्नाहु मिनल् – कौमिल्लज़ी – न कज़्ज़बू बिआयातिना, इन्नहुम् कानू क़ौ-म सौइन् फ़-अग्रक़्नाहुम् अज्मईन
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था उनके मुक़ाबले में उनकी मदद की बेशक ये लोग (भी) बहुत बुऱे लोग थे तो हमने उन सबको डुबा मारा। - व नसर्नाहु मिनल् – कौमिल्लज़ी – न कज़्ज़बू बिआयातिना, इन्नहुम् कानू क़ौ-म सौइन् फ़-अग्रक़्नाहुम् अज्मईन
और (ऐ रसूल इनको) दाऊद और सुलेमान का (वाक़्या याद दिलाओ) जब ये दोनों एक खेती के बारे में जिसमें रात के वक़्त कुछ लोगों की बकरियाँ (घुसकर) चर गई थी फैसला करने बैठे और हम उन लोगों के कि़स्से को देख रहे थे (कि बाहम इक़तेलाफ़ हुआ)। - फ़- फ़ह्हम्नाहा सुलैमा-न व कुल्लन् आतैना हुक्मंव् – व अिल्मंव् – व सख़्खरना म-अ़ दावूदल – जिबा ल युसब्बिह् – न वत्तै-र, व कुन्ना फ़ाअिलीन
तो हमने सुलेमान को (इसका सही फ़ैसला समझा दिया) और (यूँ तो) सबको हम ही ने फहमे सलीम और इल्म अता किया और हम ही ने पहाड़ों को दाऊद का ताबेए कर दिया था था कि उनके साथ (अल्लाह की) तस्बीह किया करते थे और परिन्दों को (भी ताबेए कर दिया था) और हम ही (ये अजाऐब) किया करते थे। - व अ़ल्लम्नाहु सन् अ़-त लबूसिल् – लकुम् लितुह्सि – नकुम् मिम् – बअ्सिकुम् फ़ – हल् अन्तुम् शाकिरून
और हम ही ने उनको तुम्हारी जंगी पोशिश (जि़राह) का बनाना सिखा दिया ताकि तुम्हें (एक दूसरे के) वार से बचाए तो क्या तुम (अब भी) उसके शुक्रगुज़ार न बनोगे। - व लिसुलैमानर्री ह आ़सि-फ़तन् तज्री बिअम्रिही इलल् – अर्जिल्लती बारक्ना फ़ीहा, व कुन्ना बिकुल्लि शैइन् आ़लिमीन
और (हम ही ने) बड़े ज़ोरों की हवा को सुलेमान का (ताबेए कर दिया था) कि वह उनके हुक्म से इस सरज़मीन (बैतुलमुक़द्दस) की तरफ चला करती थी जिसमें हमने तरह-तरह की बरकतें अता की थी और हम तो हर चीज़ से खू़ब वाकि़फ़ थे (और) है। - व मिनश्शयातीनि मंय्यगूसू-न लहू व यअ्मलू-न अ़-मलन् दू – न ज़ालि – क व कुन्ना लहुम् हाफ़िज़ीन
और जिन्नात में से जो लोग (समन्दर में) ग़ोता लगाकर (जवाहरात निकालने वाले) थे और उसके अलावा और काम भी करते थे (सुलेमान का ताबेए कर दिया था) और हम ही उनके निगेहबान थे। - व अय्यू-ब इज् नादा रब्बहू अन्नी मस्सनियज् – जुरू व अन्-त अरहमुर् राहिमीन
(कि भाग न जाएँ) और (ऐ रसूल) अय्यूब (का कि़स्सा याद करो) जब उन्होंने अपने परवरदिगार से दुआ की कि (ख़ुदा वन्द) बीमारी तो मेरे पीछे लग गई है और तू तो सब रहम करने वालो से (बढ़ कर है मुझ पर तरस खा)। - फ़स्त जब्ना लहू फ़- कश़फ़्ना मा बिही मिन् जुरिंव् – व आतैनाहु अह़्लहू व मिस्लहुम् म अ़हुम रह्म तम् मिन् अिन्दिना व ज़िक्रा लिल् आ़बिदीन
तो हमने उनकी दुआ कु़बूल की तो हमने उनका जो कुछ दर्द दुख था रफ़ा कर दिया और उन्हें उनके लड़के बाले बल्कि उनके साथ उतनी ही और भी महज़ अपनी ख़ास मेहरबानी से और इबादत करने वालों की इबरत के वास्ते अता किए। - व इस्माई – ल व इद्री-स व ज़ल्किफ्लि, कुल्लुम् मिनस्साबिरीन
और (ऐ रसूल) इसमाईल और इदरीस और जु़लकिफ़ली (के वाक़यात से याद करो) ये सब साबिर बन्दे थे। - व अद्ख़ल्नाहुम् फी रह्मतिना, इन्नहुम् मिनस्सालिहीन
और हमने उन सबको अपनी (ख़ास) रहमत में दाखि़ल कर लिया बेशक ये लोग नेक बन्दे थे। - व ज़न्नूनि इज् ज़-ह-ब मुग़ाज़िबन् फ़-ज़न्-न अल्लन् नक्दि-र अ़लैहि फ़नादा फिज़्ज़ुलुमाति अल्-ला इला-ह इल्ला अन् – त सुब्हान – क इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन
और ज़वालऐ नून (यूनुस को याद करो) जबकि गुस्से में आकर चलते हुए और ये ख़्याल न किया कि हम उन पर रोज़ी तंग न करेंगे (तो हमने उन्हें मछली के पेट में पहुँचा दिया) तो (घटाटोप) अँधेरे में (घबराकर) चिल्ला उठा कि (परवरदिगार) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है बेशक मैं कुसूरवार हूँ। - व ज़न्नूनि इज् ज़-ह-ब मुग़ाज़िबन् फ़-ज़न्-न अल्लन् नक्दि-र अ़लैहि फ़नादा फिज़्ज़ुलुमाति अल्-ला इला-ह इल्ला अन् – त सुब्हान – क इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन
तो हमने उनकी दुआ कु़बूल की और उन्हें रंज से नजात दी और हम तो ईमानवालों को यूँ ही नजात दिया करते हैं।
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