21 सूरह अल अम्बिया हिंदी में पेज 5

सूरह अल अम्बिया हिंदी में | Surah Al-Anbiya in Hindi

  1. व ज़- करिय्या इज् नादा रब्बहू रब्बि ला तज़रनी फर्दंव् -व अन्-त ख़ैरूल्-वारिसीन
    और ज़करिया (को याद करो) जब उन्होंने (मायूसी की हालत में) अपने परवरदिगार से दुआ की ऐ मेरे पालने वाले मुझे तन्हा (बे औलाद) न छोड़ और तू तो सब वारिसों से बेहतर है।
  2. फ़स्त-जब्ना लहू व व-हब्ना लहू यह़्या व अस्लह़्ना लहू ज़ौजहू, इन्नहुम् कानू युसारिअू-न फ़िल्ख़ैराति व यद्अूनना र ग़बंव्-व र-हबन्, व कानू लना ख़ाशिईन
    तो हमने उनकी दुआ सुन ली और उन्हें यहया सा बेटा अता किया और हमने उनके लिए उनकी बीवी को अच्छी बना दिया इसमें शक नहीं कि ये सब नेक कामों में जल्दी करते थे और हमको बड़ी रग़बत और ख़ौफ के साथ पुकारा करते थे और हमारे आगे गिड़गिड़ाया करते थे।
  3. वल्लती अह् – सनत् फ़र् – जहा फ़-नफ़ख़्ना फ़ीहा मिर्रूहिना व जअ़ल्नाहा वब्नाहा आयतल् लिल्आ़लमीन
    और (ऐ रसूल) उस बीबी को (याद करो) जिसने अपनी अज़मत की हिफाज़त की तो हमने उन (के पेट) में अपनी तरफ से रूह फूँक दी और उनको और उनके बेटे (ईसा) को सारे जहाँन के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी बनाया।
  4. इन् – न हाज़िही उम्मतुकुम् उम्मतंव्वाहि – दतंव् व अ-न रब्बुकुम् फ़अबुदून
    बेशक ये तुम्हारा दीन (इस्लाम) एक ही दीन है और मैं तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो मेरी ही इबादत करो।
  5. व त-क़त्तअू अम्रहुम् बैनहुम्, कुल्लुन् इलैना राजिअून *
    और लोगों ने बाहम (इक़तेलाफ़ करके) अपने दीन को टुकड़े -टुकड़े कर डाला (हालाँकि) वो सब के सब हिरफिर के हमारे ही पास आने वाले हैं।
  6. फ़- मंय्यअ्मल मिनस्सालिहाति व हु – व मुअ्मिनुन् फला कुफरा-न लिसअ्यिही व इन्ना लहू कातिबून
    (उस वक़्त फैसला हो जाएगा कि) तो जो शख़्स अच्छे-अच्छे काम करेगा और वह ईमानवाला भी हो तो उसकी कोशिश अकारत न की जाएगी और हम उसके आमाल लिखते जाते हैं।
  7. व हरामुन् अ़ला क़रयतिन् अह़्लक्नाहा अन्नहुम् ला यर्जिअून
    और जिस बस्ती को हमने तबाह कर डाला मुमकिन नहीं कि वह लोग क़यामत के दिन हिरफिर के से (हमारे पास) न लौटे।
  8. हत्ता इज़ा फुतिहत् यअ्जूजु व मअजूजु व हुम् मिन् कुल्लि ह – दबिंय् – यन्सिलून
    बस इतना (तवक्कुफ़ तो ज़रूर होगा) कि जब याजूद माजूद (हद ऐ सिकन्दरी) की कै़द से खोल दिए जाएँगे और ये लोग (ज़मीन की) हर बुलन्दी से दौड़ते हुए निकल पड़ें।
  9. वक्त – रबल् – वअ्दुल्हक़्कु फ़-इज़ा हि-य शाखि-सतुन् अब्सारूल्लज़ी-न क-फ़रू, या वैलना क़द् कुन्ना फ़ी ग़फ़्लतिम् – मिन् हाज़ा बल् कुन्ना ज़ालिमीन
    और क़यामत का सच्चा वायदा नज़दीक आ जाए तो फिर काफ़िरों की आँखे एक दम से पथरा दी जाएँ (और कहने लगे) हाय हमारी शामत कि हम तो इस (दिन) से ग़फलत ही में (पड़े) रहे बल्कि (सच तो यूँ है कि अपने ऊपर) हम आप ज़ालिम थे।
  10. इन्नकुम् व मा तअ्बुदू – न मिन् दूनिल्लाहि ह – सबु जहन्न-म, अन्तुम् लहा वारिदून
    (उस दिन किहा जाएगा कि ऐ कुफ़्फ़ार) तुम और जिस चीज़ की तुम अल्लाह के सिवा परसतिश करते थे यक़ीनन जहन्नुम की ईधन (जलावन) होंगे (और) तुम सबको उसमें उतरना पड़ेगा।
  11. लौ का-न हाउला – इ आलि – हतम् मा व-रदूहा, व कुल्लुन् फ़ीहा ख़ालिदून
    अगर ये (सच्चे) माबूद होते तो उन्हें दोज़ख़ में न जाना पड़ता और (अब तो) सबके सब उसी में हमेशा रहेंगे।
  12. लहुम् फीहा ज़फ़ीरूंव्-व हुम् फ़ीहा ला यस्मअून
    उन लोगों की दोज़ख़ में चिंघाड़ होगी और ये लोग (अपने शोर व ग़ुल में) किसी की बात भी न सुन सकेंगे।
  13. इन्नल्लज़ी-न स-बक़त् लहुम् मिन्नल्-हुस्ना उलाइ-क अन्हा मुब् अ़दून
    ज़बान अलबत्ता जिन लोगों के वास्ते हमारी तरफ से पहले ही भलाई (तक़दीर में लिखी जा चुकी) वह लोग दोज़ख़ से दूर ही दूर रखे जाएँगे।
  14. ला यस्मअू-न हसी-सहा व हुम् फ़ी मश्त-हत् अन्फुसुहुम् ख़ालिदून
    (यहाँ तक) कि ये लोग उसकी भनक भी न सुनेंगे और ये लोग हमेशा अपनी मनमाँगी मुरादों में (चैन से) रहेंगे।
  15. ला यह्जुनुहुमुल फ़-ज़अुल अक्बरू व त-तलक़्क़ाहुमुल – मलाइ – कतु, हाज़ा यौमुकुमुल्लज़ी कुन्तुम् तूअ़दून
    और उनको (क़यामत का) बड़े से बड़ा ख़ौफ़ भी दहशत में न लाएगा और फ़रिश्ते उन से खु़शी-खु़शी मुलाक़ात करेंगे और ये खु़शख़बरी देंगे कि यही वह तुम्हारा (खु़शी का) दिन है जिसका (दुनिया में) तुमसे वायदा किया जाता था।
  16. यौ-म नत्विस्-समा-अ क-तय्यिस सिजिल्लि लिल्कुतुबि, कमा बदअ्ना अव्व-ल ख़ल्किन् नुईदुहू, वअ्दन् अ़लैना, इन्ना कुन्ना फ़ाअिलीन
    (ये) वह दिन (होगा) जब हम आसमान को इस तरह लपेटेंगे जिस तरह ख़तों का तूमार लपेटा जाता है जिस तरह हमने (मख़लूक़ात को) पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) दोबारा (पैदा) कर छोड़ेगें (ये वह) वायदा (है जिसका करना) हम पर (लाजि़म) है और हम उसे ज़रूर करके रहेंगे।
  17. व ल-क़द् कतब्ना फिज़्ज़बूरि मिम्-बअ्दिज़्ज़िकरि अन्नल् अर्-ज़ यरिसुहा अिबादि-यस्सालिहून
    और हमने तो नसीहत (तौरेत) के बाद यक़ीनन जुबूर में लिख ही दिया था कि रूए ज़मीन के वारिस हमारे नेक बन्दे होंगे।
  18. इन्-न फी हाज़ा ल-बलाग़ल् लिक़ौमिन् आबिदीन
    इसमें शक नहीं कि इसमें इबादत करने वालों के लिए (एहकामें अल्लाह की) तबलीग़ है।
  19. व मा अर्सल्ना-क इल्ला रह्म-तल्-लिल्आ़लमीन
    और (ऐ रसूल) हमने तो तुमको सारे दुनिया जहाँन के लोगों के हक़ में अज़सरतापा रहमत बनाकर भेजा।
  20. कुल् इन्नमा यूहा इलय्-य अन्नमा इलाहुकुम् इलाहुंव्वाहिदुन् फ़ हल अन्तुम् मुस्लिमून
    तुम कह दो कि मेरे पास तो बस यही “वही” आई है कि तुम लोगों का माबूद बस यकता अल्लाह है तो क्या तुम (उसके) फरमाबरदार बन्दे बनते हो।
  21. फ़- इन् तवल्लौ फ़कुल आज़न्तुकुम् अ़ला सवा-इन्, व इन् अद्री अ-क़रीबुन् अम् बईदुम् मा तूअ़दून
    फिर अगर ये लोग (उस पर भी) मुँह फेरें तो तुम कह दो कि मैंने तुम सबको यकसाँ ख़बर कर दी है और मैं नहीं जानता कि जिस (अज़ाब) का तुमसे वायदा किया गया है क़रीब आ पहुँचा या (अभी) दूर है।
  22. इन्नहू यअ्लमुल्-जह्-र मिनल्-क़ौलि व यअ्लमु मा तक्तुमून
    इसमें शक नहीं कि वह उस बात को भी जानता है जो पुकार कर कही जाती है और जिसे तुम लोग छिपाते हो उससे भी खू़ब वाकि़फ है।
  23. व इन् अद्री लअ़ल्लहू फ़ित् नतुल्लकुम् व मताअुन् इला हीन
    और मैं ये भी नहीं जानता कि शायद ये (ताख़ीरे अज़ाब तुम्हारे) वास्ते इम्तिहान हो और एक मोअययन मुद्दत तक (तुम्हारे लिए) चैन हो।
  24. का-ल रब्बिह्कुम् बिल्हक्कि व रब्बुनर्रहमानुल- मुस्तआ़नु अ़ला मा तसिफून *
    (आखि़र) रसूल ने दुआ की ऐ मेरे पालने वाले तू ठीक-ठीक मेरे और काफिरों के दरम्यिान फैसला कर दे और हमार परवरदिगार बड़ा मेहरबान है कि उसी से इन बातों में मदद माँगी जाती है जो तुम लोग बयान करते हो।

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