05 सूरह मायदा हिंदी में पेज 6

सूरह मायदा हिंदी में | Surah Al-Maidah in Hindi

  1. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तस्अलू अन् अश्या-अ इन् तुब्-द लकुम् तसुअ्कुम्, व इन् तस्अलू अन्हा ही-न युनज़्ज़लुल-क़ुरआनु तुब्-द लकुम्, अफ़ल्लाहु अन्हा, वल्लाहु ग़फूरून् हलीम
    ऐ ईमान वालों! ऐसी चीज़ों के बारे में (रसूल से) न पूछा करो कि अगर तुमको मालूम हो जाए तो तुम्हें बुरी मालूम हो और अगर उनके बारे में कु़रान नाजि़ल होने के वक़्त पूछ बैठोगे तो तुम पर ज़ाहिर कर दी जाएगी (मगर तुमको बुरा लगेगा जो सवालात तुम कर चुके)। अल्लाह ने तुम्हें क्षमा कर दिया और अल्लाह बड़ा क्षमाशील सहनशील है। इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) कहते हैं कि कुछ लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से उपहास के लिये प्रश्न किया करते थे। कोई प्रश्न करता कि मेरा पिता कौन है? किसी की ऊँटनी खो गई हो तो आप से प्रश्न करता कि मेरी ऊँटनी कहाँ है? इसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारीः4622)
  2. क़द् स-अ-लहा क़ौमुम् मिन् क़ब्लिकुम् सुम्-म अस्बहू बिहा काफ़िरीन
    तुमसे पहले भी लोगों ने इस किस्म की बातें (अपने वक़्त के पैग़म्बरों से) पूछी थीं। फिर (जब बरदाश्त न हो सका तो) उसके मुन्किर हो गए।
  3. मा ज-अलल्लाहु मिम् बही-रतिंव् व ला साइ-बतिंव्-व ला वसीलतिंव्-व ला हामिंव्-व लाकिन्नल्लज़ी-न क-फरू यफ्तरू-न अलल्लाहिल्-कज़ि-ब, व अक्सरूहुम् ल यअ्क़िलून
    अल्लाह ने न तो कोई बहीरा (कान फटी ऊँटनी) मुक़र्रर किया है न सायवा (साँढ़) न वसीला (जुडवा बच्चे) न हाम (बुढ़ा साँढ़़) मुक़र्रर किया है मगर कुफ़्फ़ार अल्लाह पर बिना वजह झूठ (मूठ) दोष लगाते हैं और उनमें के अक्सर नहीं समझते। अरब के मिश्रणवादी देवी- देवता के नाम पर कुछ पशुओं को छोड़ देते थे, और उन्हें पवित्र समझते थे, यहाँ उन्हीं की चर्चा की गई है। बह़ीरा- वह ऊँटनी जिस को उस का कान चीर कर देवताओं के लिये मुक्त कर दिया जाता था, और उस का दूध कोई नहीं दूह सकता था। साइबा- वह पशु जिसे देवताओं के नाम पर मुक्त कर देते थे, जिस पर न कोई बोझ लाद सकता था, न सवार हो सकता था। वसीला- वह ऊँटनी जिस का पहला तथा दूसरा बच्चा मादा हो, ऐसी ऊँटनी को भी देवताओं के नाम पर मुक्त कर देते थे। ह़ाम- नर जिस के वीर्य से दस बच्चे हो जायें, उन्हें भी देवताओं के नाम पर साँड बना कर मुक्त कर दिया जाता था। भावार्थ यह है कि यह अनर्गल चीजें हैं। अल्लाह ने इन का आदेश नहीं दिया है। (बुख़ारीः4624)
  4. व इज़ा क़ी-ल लहुम् तआ़लौ इला मा अन्ज़लल्लाहु व इलर्रसूलि क़ालू हस्बुना मा वजद्ना अलैहि आबा-अना, अ-व लौ का-न आबाउहुम् ला यअ्लमू-न शैअंव्-व ला यह्तदून
    और जब उनसे कहा जाता है कि जो (क़ुरान) अल्लाह ने उतारा है उसकी तरफ और रसूल की आओ (और जो कुछ कहे उसे मानों) तो कहते हैं कि हमने जिस (रंग) में अपने बाप दादा को पाया वही हमारे लिए काफी है क्या (ये लोग लकीर के फकीर ही रहेंगे) हालांकि उनके बाप दादा न कुछ जानते ही हों न संमार्ग पर रहे हों।
  5. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू अलैकुम् अन्फु-सकुम्, ला यज़ुर्रूकुम् मन् ज़ल-ल इज़ह्तदैतुम्, इलल्लाहि मर्जिअुकुम् जमीअ़न् फ़युनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् तअ्मलून
    ऐ ईमान वालों! तुम अपनी ख़बर लो, जब तुम सुपथ पर हो तो कोई गुमराह हुआ करे तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता तुम सबको अल्लाह ही की तरफ लौट कर जाना है तब (उस समय नेक व बुरा) जो कुछ (दुनिया में) करते थे वह तुम्हें बता देगा।
  6. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू शहादतु बैनिकुम् इजा ह-ज़-र अ-ह-द कुमुल्मौतु हीनल्-वसिय्यति स्नानि ज़वा अ़द्लिम् मिन्कुम् औ आख़रानि मिन् ग़ैरिकुम् इन अन्तुम् ज़रब्तुम् फ़िल्अर्ज़ि फ़ असाबत्कुम् मुसीबतुल्मौति, तह़्बिसूनहुमा मिम्-बअ्दिस्सलाति फ़युक़्सिमानि बिल्लाहि इनिर्तब्तुम् ला नश्तरी बिही स-मनंव् व लौ का-नज़ा कुर्बा, व ला नक़्तुमु शहा-दतल्लाहि इन्ना इज़ल् लमिनल् आसिमीन
    ऐ ईमान वालों! जब तुममें से किसी (के सर) पर मौत खड़ी हो तो वसीयत के समय तुम (मोमिन) में से दो न्यायप्रिय की गवाही होनी ज़रुरी है और जब तुम संयोग से कहीं का सफर करो और (सफर ही में) तुमको मौत की मुसीबत का सामना हो तो (भी) दो गवाह ग़ैर (मोमिन) सही (और) अगर तुम्हें हक़ हो तो उन दोनों को नमाज़ के बाद रोक लो फिर वह दोनों अल्लाह की क़सम खाएँ कि “हम इसके बदले कोई मूल्य स्वीकार करनेवाले नहीं हैं चाहे कोई नातेदार ही क्यों न हो और न हम अल्लाह की गवाही छिपाते हैं। अगर ऐसा करें तो हम बेशक गुनाहगार हैं।”
  7. फ-इन् अुसि-र अला अन्नहुमस्तहक़्क़ा इस्मन् फ़-आख़रानि यक़ू मानि मक़ा-महुमा मिनल्लज़ी नस् -तहक़्-क़ अलैहिमुल्-औलयानि फयुक़्सिमानि बिल्लाहि ल शहादतुना अहक़्क़ु मिन् शहादतिहिमा व मअ्तदैना, इन्ना इज़ल् लमिनज़्ज़ालिमीन
    अगर इस पर मालूम हो जाए कि वह दोनों (हक़ मारकर {झूठी कसम} से) पाप के अधिकारी हुए हैं, तो दूसरे दो आदमी उन लोगों में से जिनका हक़ दबाया गया है और (मय्यत) के ज़्यादा रिश्तेदार हैं (उनकी तरवीद में) उनकी जगह खड़े हो जाएँ फिर दो नए गवाह अल्लाह की क़सम खाएँ कि पहले दो गवाहों की तुलना मे हमारी गवाही ज़्यादा सच्ची है और हमने (हक़) नहीं छुपाया और अगर ऐसा किया हो तो उस वक़्त बेशक हम ज़ालिम हैं।
  8. ज़ालि-क अद्ना अंय्यअ्तू बिश्शहा-दति अला वज्हिहा औ यख़ाफू अन् तुरद्-द ऐमानुम् बअ् द ऐमानिहिम्, वत्तक़ुल्ला-ह वस्मअू, वल्लाहु ला यह़्दिल् क़ौमल् फ़ासिक़ीन *
    इसमें इसकी अधिक सम्भावना है कि इस तरह पर (आख़ेरत के डर से) ठीक ठीक गवाही दें या (दुनिया की रूसवाई का) अन्देशा हो कि कहीं हमारी क़समें दूसरे पक्ष की क़समों के बाद रद न कर दी जाएँ। मुसलमानों अल्लाह से डरो और (जी लगा कर) सुन लो और अल्लाह बदचलन लोगों को सीधी राह नहीं दिखाता।
  9. यौ-म यज्म अुल्लाहुर्रूसु-ल फ़-यक़ूलु माज़ा उजिब्तुम्, क़ालू ला अिल्-म लना, इन्न-क अन्-त अल्लामुल्- ग़ुयूब
    (उस वक़्त को याद करो) जिस दिन अल्लाह अपने पैग़म्बरों को जमा करके पूछेगा कि (तुम्हारी जातियों की ओर से) क्या जवाब दिया गया तो वे कहेंगे कि हम तो (कुछ स्पष्ट बातों के सिवा) कुछ नहीं जानते। तू ही छिपी बातों को जानता है।
  10. इज़् क़ालल्लाहु या ईसब्-न मरयमज़्कुर् निअ्मती अलै-क व अला वालिदति-क. इज़् अय्यत्तु-क बिरूहिल्क़ुदुसि, तुकल्लिमुन्ना-स फ़िल्मह्दि व कह्-लन्, व इज़् अल्लम्तुकल् किता-ब वल्हिक्म त वत्तौरा-त वल्इन्जी-ल, व इज़् तख़्लुक़ु मिनत्तीनि कहै-अतित्तैरि बि-इज़्नी फ़तन्फुख़ु फ़ीहा फ़-तकूनु तैरम् बि-इज़्नी व तुब्रिउल्-अक्म-ह वल्अब्र-स बि-इज़्नी, व इज़् तुख़्रिजुल्मौता बि-इज़्नी, व इज़् कफ़फ्तु बनी इस्राई-ल अन्-क इज़् जिअ्तहुम् बिल्बय्यिनाति फक़ालल्लज़ी-न क-फरू मिन्हुम् इन् हाज़ा इल्ला सिहरूम् मुबीन
    (वह वक़्त याद करो) जब अल्लाह फरमाएगा कि ऐ मरियम के बेटे ईसा! हमने जो पुरस्कार तुम पर और तुम्हारी माँ पर किये, उन्हे याद करो। जब हमने पवित्रात्मा (जिबरील) द्वारा तुझे समर्थन दिया कि तुम झूले में (पड़े पड़े) और बड़ी आयु में लोगों से बातें कर रहा था और जब हमने तुम्हें लिखना और अक़ल व हिकमत की बातें और तौरेत व इन्जील सिखायी और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी से चिडि़या की मूरत बनाते फिर उसमें फूँकते तो वह मेरे हुक्म से (सचमुच) चिडि़या बन जाती थी और मेरे हुक्म से पैदायशी अंधे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जब तुम मेरे हुक्म से मुर्दों को जि़न्दा (करके क़ब्रों से) निकाल खड़ा करते थे और जिस वक़्त तुम बनी इसराईल के पास मौजिज़े लेकर आए और मैंने बनी इस्राईल से तुझे बचाया था, तो उनमें से बाज़ इनकार करनेवाले कहने लगे ये तो बस खुला हुआ जादू है।
  11. व इज़् औहैतु इलल्-हवारिय्यी-न अन् आमिनू बी व बि -रसूली, क़ालू आमन्ना वश्हद् बिअन्नना मुस्लिमून
    और जब मैने हवारियों से इलहाम किया कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ तो कहने लगे हम ईमान लाए और तू गवाह रहना कि हम तेरे आज्ञाकारी बन्दे हैं।
  12. इज़ क़ालल-हवारिय्यू-न या ईसब् न मर् य-म हल् यस्ततीअु रब्बु-क अंय्युनज़्ज़ि-ल अलैना माइ-दतम् मिनस्समा-इ, क़ालत्तक़ुल्ला-ह इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन
    (वह वक़्त याद करो) जब हवारियों ने ईसा से अर्ज़ की कि ऐ मरियम के बेटे ईसा! क्या आप का पालनहार ये कर सकता है कि हम पर आसमान से (नेअमत की) खाने से भरा थाल उतार सकता है? ईसा ने कहा अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो अल्लाह से डरो (ऐसी फरमाइश जिसमें इम्तेहान मालूम हो न करो)।
  13. क़ालू नुरीदु अन् नअ्कु-ल मिन्हा व तत्मइन्-न क़ुलूबुना व नअ्ल-म अन् क़द् सदक़्तना व नकू-न अलैहा मिनश्शाहिदीन
    वे बोले, हम चाहते हैं कि उनमें से खाएँ और हमारे दिल को (आपकी रिसालत का पूरा पूरा) इत्मेनान हो जाए और यक़ीन कर लें कि आपने हमसे (जो कुछ कहा था) सच कहा था और हम लोग इस पर गवाह रहें।
  14. क़ा-ल ईसब्नु मरयमल्लाहुम्-म रब्बना अन्ज़िल् अलैना माइ-दतम् मिनस्समा-इ तकूनु लना ईदल् लि-अव्वलिना व आख़िरिना व आयतम्-मिन् क, वरज़ुक्ना व अन्-त ख़ैरू र्राज़िक़ीन
    (तब) मरयम के बेटे ईसा ने कहा, ऐ अल्लाह, हमारे रब! हमपर आकाश से खाने से भरा थाल उतार, कि वह दिन हम लोगों के लिए हमारे अगलों के लिए और हमारे पिछलों के लिए ईद का करार पाए (और हमारे हक़ में) तेरी तरफ से एक बड़ी निशानी हो और तू हमें रोज़ी दे और तू सबसे अच्छा प्रदान करनेवाला है।
  15. क़ालल्लाहु इन्नी मुनज़्ज़िलुहा अलैकुम्, फ़-मंय्यक्फुर् बअ्दु मिन्कुम् फ़-इन्नी उअ़ज़्ज़िबुहू अ़ज़ाबल्-ला उअ़ज़्ज़िबुहू अ-हदम् मिनल-आलमीन *
    अल्लाह ने कहा, मैं उसे तुमपर उतारूँगा, फिर उसके पश्चात तुममें से जो कोई अविश्वास करेगा तो मैं अवश्य उसे ऐसा दण्ड दूँगा जो सम्पूर्ण संसार में किसी को न दूँगा।
  16. व इज़् क़ालल्लाहु या ईसब्-न मर-य-म अ-अन्-त क़ुल्-त लिन्नासित्तख़िज़ूनी व उम्मि-य इलाहैनि मिन् दुनिल्लाहि, क़ा-ल सुब्हान-क मा यकूनु ली अन् अक़ूल मा लै-स ली, बिहक़्क़िन्, इन् कुन्तु क़ुल्तुहू फ़-क़द् अलिम्तहू, तअ्लमु मा फ़ी नफ़्सी व ला अअ्लमु मा फ़ी नफ्सि-क, इन्न-क अन्-त अल्लामुल्-ग़ुयूब
    और (वह वक़्त भी याद करो) जब क़यामत में ईसा से अल्लाह फरमाएग कि (क्यों) ऐ मरियम के बेटे ईसा! क्या तुमने लोगों से ये कह दिया था कि अल्लाह को छोड़कर मुझ को और मेरी माँ को अल्लाह बना लो। ईसा अर्ज़ करेगें, अल्लाह! तू पवित्र है, मेरी तो ये मजाल न थी कि मै ऐसी बात मुँह से निकालूँ जिसका मुझे कोई हक़ न हो।(अच्छा) अगर मैने कहा होगा तो तुझको ज़रुर मालूम ही होगा क्योंकि तू मेरे दिल की (सब बात) जानता है और मैं तेरे मन की बात नहीं जानता। (क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि तू ही परोक्ष की बातें ख़ूब जानता है।
  17. मा क़ुल्तु लहुम् इल्ला मा अमर्तनी बिही अनिअ्बुदुल्ला-ह रब्बी व रब्बकुम्, व कुन्तु अलैहिम् शहीदम् मा दुम्तु फ़ीहिम्, फ़-लम्मा तवफ्फ़ैतनी कुन-त अन्तर्रक़ी-ब अलैहिम्, व अन्-त अला कुल्लि शैइन् शहीद
    तूने मुझे जो कुछ हुक्म दिया उसके सिवा तो मैने उनसे कुछ भी नहीं कहा। यही कि अल्लाह ही की इबादत करो जो मेरा और तुम्हारा सबका पालने वाला है और जब तक मैं उनमें रहा, उन की देखभाल करता रहा फिर जब तूने मुझे (दुनिया से) उठा लिया तो तू ही उनका निरीक्षक था और तू तो ख़ुद हर चीज़ का गवाह (मौजूद) है।
  18. इन् तुअ़ज़्ज़िब्हुम् फ़-इन्नहुम् अिबादु-क, व इन् तग़्फिर लहुम् फ़-इन्न-क अन्तल् अज़ीज़ुल् हकीम
    तू अगर उन पर यातना करेगा तो (तू मालिक है) ये तेरे बन्दे हैं और अगर उन्हें क्षमा कर देगा तो (कोई तेरा हाथ नहीं पकड़ सकता क्योंकि) बेशक तू अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
  19. क़ालल्लाहु हाज़ा यौमु यन्फ़अुस्सादिक़ी-न सिद्क़ुहुम्, लहुम् जन्नातुन् तज्री मिन् तह़्तिहल्-अन्हारू ख़ालिदी – न फ़ीहा अ-बदन्, रज़ियल्लाहु अन्हुम् व रज़ू अन्हु, ज़ालिकल फौज़ुल् अज़ीम
    अल्लाह कहेगाः कि ये वह दिन है कि सच्चे बन्दों को उनकी सच्चाई (आज) काम आएगी उनके लिए (हरे भरे स्वर्ग के) वह बाग़ है जिनके (पेड़ों के) नीचे नहरे जारी हैं (और) वह उसमें सदा रहेंगे, अल्लाह उनसे प्रसन्न और वह अल्लाह से खुश, यही बहुत बड़ी कामयाबी है।
  20. लिल्लाहि मुल्कुस्समावाति वल्अर्ज़ि व मा फ़ीहिन्-न, व हु-व अला कुल्लि शैइन् क़दीर*
    सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उनमें है सब अल्लाह ही की सल्तनत है और वह जो चाहे, कर सकता है।

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