18 सूरा अल कहफ़ हिंदी में पेज 4

सूरा अल कहफ़ हिंदी में | Surah Al-Kahf in Hindi

  1. फ़ – लम्मा ब – लगा़ मज्म – अ़ बैनिहिमा नसिया हूतहुमा फत्त – ख – ज़ सबीलहू फ़िल्बहरि स – रबा 
    ख्वाह (अगर मुलाक़ात न हो तो) बरसों यूँ ही चलता जाऊँगा फिर जब ये दोनों उन दोनों दरियाओं के मिलने की जगह पहुँचे तो अपनी (भुनी हुई) मछली छोड़ चले तो उसने दरिया में सुरंग बनाकर अपनी राह ली।
  2. फ़ – लम्मा जा – वज़ा का – ल लि – फ़ताहु आतिना ग़दा – अना , ल – क़द् लकी़ना मिन् स – फ़रिना हाज़ा न – सबा
    फिर जब कुछ और आगे बढ़ गए तो मूसा ने अपने जवान (वसी) से कहा (अजी हमारा नाश्ता तो हमें दे दो हमारे (आज के) इस सफर से तो हमको बड़ी थकन हो गई।
  3. का – ल अ – रऐ – त इज् अवैना इलस्सख़्रति फ़ – इन्नी नसीतुल – हू – त वमा अन्सानीहु इल्लश्शैतानु अन् अज़्कु – रहु वत्त – ख़ – ज़ सबी – लहू फ़िल्बहरि अ़ – जबा
    (यूशा ने) कहा क्या आप ने देखा भी कि जब हम लोग (दरिया के किनारे) उस पत्थर के पास ठहरे तो मै (उसी जगह) मछली छोड़ आया और मुझे आप से उसका ज़िक्र करना शैतान ने भुला दिया और मछली ने अजीब तरह से दरिया में अपनी राह ली।
  4. का – ल ज़ालि – क मा कुन्ना नब्गि फ़रतद्दा अ़ला आसारिहिमा क़ – ससा
    मूसा ने कहा वही तो वह (जगह) है जिसकी हम जुस्तजू (तलाश) में थे फिर दोनों अपने क़दम के निशानों पर देखते देखते उलटे पॉव फिरे।
  5. फ़ – व – जदा अब्दम् – मिन् अिबादिना आतैनाहु रह़्म – तम् मिन् अिन्दिना व अ़ल्लम्नाहु मिल्लदुन्ना अिल्मा
    तो (जहाँ मछली थी) दोनों ने हमारे बन्दों में से एक (ख़ास) बन्दा खिज्र को पाया जिसको हमने अपनी बारगाह से रहमत (विलायत) का हिस्सा अता किया था।
  6. का – ल लहू मूसा हल अत्तबिअु – क अ़ला अन् तुअ़ल्लि – मनि मिम्मा अुल्लिम् – त रूश्दा
    और हमने उसे इल्म लदुन्नी (अपने ख़ास इल्म) में से कुछ सिखाया था मूसा ने उन (ख़िज्र) से कहा क्या (आपकी इजाज़त है कि) मै इस ग़रज़ से आपके साथ साथ रहूँ।
  7. का़ – ल इन्न – क लन् तस्तती – अ़ मअि – य सब्रा
    कि जो रहनुमाई का इल्म आपको है (अल्लाह की तरफ से) सिखाया गया है उसमें से कुछ मुझे भी सिखा दीजिए खिज्र ने कहा (मै सिखा दूँगा मगर) आपसे मेरे साथ सब्र न हो सकेगा।
  8. व कै – फ़ तस्बिरू अला मा लम् तुह्ति बिही खुब्रा
    और (सच तो ये है) जो चीज़ आपके इल्मी अहाते से बाहर हो।
  9. का – ल स – तजिदुनी इन्शा – अल्लाहु साबिरंव् – व ला अअ्सी ल – क अम्रा
    उस पर आप सब्र क्योंकर कर सकते हैं मूसा ने कहा (आप इत्मिनान रखिए) अगर अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे साबिर आदमी पाएँगें।
  10. का – ल फ़ – इनित्त – बअ्तनी फ़ला तसअल्नी अ़न् शैइन् हत्ता उह्दि – स ल – क मिन्हु ज़िक्रा*
    और मै आपके किसी हुक्म की नाफरमानी न करुँगा खिज्र ने कहा अच्छा तो अगर आप को मेरे साथ रहना है तो जब तक मै खुद आपसे किसी बात का ज़िक्र न छेड़ूँ।
  1. फन्त – लका , हत्ता इज़ा रकिबा फ़िस्सफ़ी – नति ख – र – कहा, का – ल अ – ख़रक्तहा लितुग्रि – क़ अह़्लहा ल – क़द् जिअ् – त शैअन् इम्रा
    आप मुझसे किसी चीज़ के बारे में न पूछियेगा ग़रज़ ये दोनो (मिलकर) चल खड़े हुए यहाँ तक कि (एक दरिया में) जब दोनों कश्ती में सवार हुए तो ख़िज्र ने कश्ती में छेद कर दिया मूसा ने कहा (आप ने तो ग़ज़ब कर दिया) क्या कश्ती में इस ग़रज़ से सुराख़ किया है।
  2. का – ल अलम् अकुल इन्न – क लन् तस्तती – अ़ मअि – य सब्रा
    कि लोगों को डुबा दीजिए ये तो आप ने बड़ी अजीब बात की है-ख़िज्र ने कहा क्या मैने आप से (पहले ही) न कह दिया था।
  3. क़ा – ल ला तुआख़िज़्नी बिमा नसीतु वला तुरहिक्नी मिन् अम्री अु़सरा
    कि आप मेरे साथ हरगिज़ सब्र न कर सकेगे-मूसा ने कहा अच्छा जो हुआ सो हुआ आप मेरी गिरफत न कीजिए और मुझ पर मेरे इस मामले में इतनी सख्ती न कीजिए।
  4. फ़न्त – लका , हत्ता इज़ा लक़िया गुलामन् फ़ – क – त – लहू का़ – ल अ – क़तल् – त नफ़्सन् ज़किय्य – तम् बिगै़रि नफ़्सिन्, ल – क़द् जिअ् – त शैअन् नुकरा
    (ख़ैर ये तो हो गया) फिर दोनों के दोनों आगे चले यहाँ तक कि दोनों एक लड़के से मिले तो उस बन्दे अल्लाह ने उसे जान से मार डाला मूसा ने कहा (ऐ माज़ अल्लाह) क्या आपने एक मासूम शख़्श को मार डाला और वह भी किसी के (ख़ौफ के) बदले में नहीं आपने तो यक़ीनी एक अजीब हरकत की। (पारा 15 समाप्त)

पारा 16 शुरू

  1. का – ल अलम् अकुल् – ल – क इन्न – क लन् तस्तती – अ़ मअि – य सब्रा खिज्र ने कहा कि मैंने आपसे (मुक़र्रर) न कह दिया था कि आप मेरे साथ हरगिज़ नहीं सब्र कर सकेगें।
  2. का – ल इन् सअल्तु – क अ़न् शैइम् बअ् – दहा फ़ला तुसाहिब्नी क़द् बलग् – त मिल्लदुन्नी अुज्रा मूसा ने कहा (ख़ैर जो हुआ वह हुआ) अब अगर मैं आप से किसी चीज़ के बारे में पूछगछ करूँगा तो आप मुझे अपने साथ न रखियेगा बेशक आप मेरी तरफ से माज़रत (की हद को) पहुँच गए।
  3. फ़न्त – लका़ , हत्ता इज़ा अ – तया अह् – ल कर् – यति – निस्तत् – अ़मा अह़्लहा फ़ – अबौ अंय्युज़य्यिफूहुमा फ़ – व – जदा फ़ीहा जिदारंय्युरीदु अंय्यन्कज् – ज़ फ़ – अकामहू, का – ल लौ शिअ् – त लत्त – खज् – त अ़लैहि अज्रा ग़रज़ (ये सब हो हुआ कर फिर) दोनों आगे चले यहाँ तक कि जब एक गाँव वालों के पास पहुँचे तो वहाँ के लोगों से कुछ खाने को माँगा तो उन लोगों ने दोनों को मेहमान बनाने से इन्कार कर दिया फिर उन दोनों ने उसी गाँव में एक दीवार को देखा कि गिरा ही चाहती थी तो खिज्र ने उसे सीधा खड़ा कर दिया उस पर मूसा ने कहा अगर आप चाहते तो (इन लोगों से) इसकी मज़दूरी ले सकते थे।
  4. का – ल हाज़ा फ़िराकु बैनी व बैनि – क स – उनब्बिउ – क बितअ्वीलि मा लम् तस्ततिअ् अ़लैहि सब्रा (ताकि खाने का सहारा होता) खिज्र ने कहा मेरे और आपके दरमियान छुट्टम छुट्टा अब जिन बातों पर आप से सब्र न हो सका मैं अभी आप को उनकी असल हक़ीकत बताए देता हूँ।
  5. अम्मस्सफी – नतु फ़ – कानत् लि – मसाकी – न यअ्मलू – न फ़िल्बहरि फ़ – अरत्तु अन् अअी़ – बहा व का – न वरा – अहुम् मलिकुंय्यअ्खुजु कुल – ल सफी़ – नतिन् ग़स्बा (लीजिए सुनिये) वह कश्ती (जिसमें मैंने सुराख़ कर दिया था) तो चन्द ग़रीबों की थी जो दरिया में मेहनत करके गुज़ारा करते थे मैंने चाहा कि उसे ऐबदार बना दूँ (क्योंकि) उनके पीछे-पीछे एक (ज़ालिम) बादशाह (आता) था कि तमाम कश्तियां ज़बरदस्ती बेगार में पकड़ लेता था।
  6. व अम्मल् – गुलामु फ़का – न अ – बवाहु मुअ्मिनैनि फ़ – ख़शीना अंय्युरहि – क़हुमा तुग्यानंव् – व कुफ्रा और वह जो लड़का जिसको मैंने मार डाला तो उसके माँ बाप दोनों (सच्चे) ईमानदार हैं तो मुझको ये अन्देशा हुआ कि (ऐसा न हो कि बड़ा होकर) उनको भी अपने सरकशी और कुफ़्र में फँसा दे।

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