18 सूरा अल कहफ़ हिंदी में पेज 5

सूरा अल कहफ़ हिंदी में | Surah Al-Kahf in Hindi

  1. फ़ – अरद्ना अंय्युब्दि लहुमा रब्बुहुमा खै़रम् – मिन्हु ज़कातंव् – व अक्र – ब रूहमा
    तो हमने चाहा कि (हम उसको मार डाले और) उनका परवरदिगार इसके बदले में ऐसा फरज़न्द अता फरमाए जो उससे पाक नफ़सी और पाक कराबत में बेहतर हो।
  2. व अम्मल् – जिदारू फ़का – न लिगुलामैनि यतीमैनि फिल् – मदीनति व का – न तह्तहू कन्जुल् – लहुमा व का – न अबूहुमा सालिहन् फ़ – अरा – द रब्बु – क अंय्यब्लुगा अशुद्दहुमा व यस्तख्रिजा कन्ज़हुमा रहमतम् मिर्रब्बि – क व मा फ़अ़ल्तुहू अ़न् अम्री , ज़ालि – क तअ्वीलु मा लम् तस्तिअ् अ़लैहि सब्रा*
    और वह जो दीवार थी (जिसे मैंने खड़ा कर दिया) तो वह शहर के दो यतीम लड़कों की थी और उसके नीचे उन्हीं दोनों लड़कों का ख़ज़ाना (गड़ा हुआ था) और उन लड़कों का बाप एक नेक आदमी था तो तुम्हारे परवरदिगार ने चाहा कि दोनों लड़के अपनी जवानी को पहुँचे तो तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से अपना ख़ज़ाने निकाल ले और मैंने (जो कुछ किया) कुछ अपने एख्तियार से नहीं किया (बल्कि अल्लाह के हुक्म से) ये हक़ीक़त है उन वाक़यात की जिन पर आपसे सब्र न हो सका।
  3. व यस्अलून – क अ़न् ज़िल्क़रनैनि , कुल स – अत्लू अ़लैकुम् मिन्हु ज़िक्रा
    और (ऐ रसूल) तुमसे लोग ज़ुलक़रनैन का हाल (इम्तेहान) पूछा करते हैं तुम उनके जवाब में कह दो कि मैं भी तुम्हें उसका कुछ हाल बता देता हूँ।
  4. इन्ना मक्कन्ना लहू फ़िल्अर्जि व आतैनाहु मिन् कुल्लि शैइन् स – बबा
    (अल्लाह फरमाता है कि) बेशक हमने उनको ज़मीन पर कुदरतें हुकूमत अता की थी और हमने उसे हर चीज़ के साज़ व सामान दे रखे थे।
  5. फ़ – अत्ब – अ़ स – बबा
    वह एक सामान (सफर के) पीछे पड़ा।
  6. हत्ता इज़ा ब – ल – ग़ मग्रिबश्शम्सि व – ज – दहा तग़्रुबु फ़ी अै़निन् हमि – अतिंव् – व व – ज – द अि़न्दहा क़ौमन् , कुल्ना या ज़ल्करनैनि इम्मा अन् तुअ़ज़्ज़ि – ब व इम्मा अन् तत्तखि – ज़ फ़ीहिम् हुस्ना
    यहाँ तक कि जब (चलते-चलते) आफताब के ग़ुरूब होने की जगह पहुँचा तो आफताब उनको ऐसा दिखाई दिया कि (गोया) वह काली कीचड़ के चश्में में डूब रहा है और उसी चश्में के क़रीब एक क़ौम को भी आबाद पाया हमने कहा ऐ जुलकरनैन (तुमको एख्तियार है) ख्वाह इनके कुफ्र की वजह से इनकी सज़ा करो (कि ईमान लाए) या इनके साथ हुस्ने सुलूक का शेवा एख्तियार करो (कि खुद ईमान क़ुबूल करें)।
  7. का – ल अम्मा मन् ज़ – ल – म फ़सौ – फ़ नुअ़ज्जिबुहू सुम् – म युरद्दु इला रब्बिही फ़युअ़ज़्ज़िबुहू अ़ज़ाबन् नुक्रा
    जुलकरनैन ने अर्ज़ की जो शख्स सरकशी करेगा तो हम उसकी फौरन सज़ा कर देगें (आख़िर) फिर वह (क़यामत में) अपने परवरदिगार के सामने लौटाकर लाया ही जाएगा और वह बुरी से बुरी सज़ा देगा।
  8. व अम्मा मन् आम – न व अ़मि – ल सालिहन् फ़ – लहू जज़ा – अ निल्हुस्ना व स – नकूलु लहू मिन् अम्रिना युस्रा
    और जो शख्स ईमान कुबूल करेगा और अच्छे काम करेगा तो (वैसा ही) उसके लिए अच्छे से अच्छा बदला है और हम बहुत जल्द उसे अपने कामों में से आसान काम (करने) को कहेंगे।
  9. सुम् – म अत्ब – अ़ स – बबा
    फिर उस ने एक दूसरी राह एख्तियार की।
  10. हत्ता इज़ा ब – ल – ग़ मत्लिअ़श्शम्सि व – ज – दहा तत्लुअु अ़ला कौ़मिल् – लम् नज्अ़ल् – लहुम् मिन् दूनिहा सितरा
    यहाँ तक कि जब चलते-चलते आफताब के तूलूउ होने की जगह पहुँचा तो (आफताब) से ऐसा ही दिखाई दिया (गोया) कुछ लोगों के सर पर उस तरह तुलूउ कर रहा है जिन के लिए हमने आफताब के सामने कोई आड़ नहीं बनाया था।
  1. कज़ालि – क व क़द् अ – हत्ना बिमा लदैहि खुब्रा
    और था भी ऐसा ही और जुलक़रनैन के पास वो कुछ भी था हमको उससे पूरी वाकफ़ियत थी।
  2. सुम् – म अत्ब – अ़ स – बबा
    (ग़रज़) उसने फिर एक और राह एख्तियार की।
  3. हत्ता इज़ा ब – ल – ग बैनस्सद्दैनि व – ज – द मिन् दूनिहिमा कौमल् – ला यकादू – न यफ़्क़हू – न कौला
    यहाँ तक कि जब चलते-चलते रोम में एक पहाड़ के (कंगुरों के) दीवारों के बीचो बीच पहुँच गया तो उन दोनों दीवारों के इस तरफ एक क़ौम को (आबाद) पाया तो बात चीत कुछ समझ ही नहीं सकती थी।
  4. कालू या ज़ल्करनैनि इन् – न यअ्जू – ज व मअ्जू – ज मुफ्सिदू – न फ़िल्अर्जि फ़ – हल् नज्अलु ल – क ख़र्जन् अ़ला अन् तज्अ़ – ल बैनना व बैनहुम् सद्दा
    उन लोगों ने मुतरज्जिम के ज़रिए से अर्ज़ की ऐ ज़ुलकरनैन (इसी घाटी के उधर याजूज माजूज की क़ौम है जो) मुल्क में फ़साद फैलाया करते हैं तो अगर आप की इजाज़त हो तो हम लोग इस ग़र्ज़ से आपसे पास चन्दा जमा करें कि आप हमारे और उनके दरमियान कोई दीवार बना दें।
  5. का़ – ल मा मक्कन्नी फ़ीहि रब्बी खै़रून् फ़ – अअ़ीनूनी बिकुव्वतिन् अज्अ़ल् बैनकुम् व बैनहुम् रदमा
    जुलकरनैन ने कहा कि मेरे परवरदिगार ने ख़र्च की जो कुदरत मुझे दे रखी है वह (तुम्हारे चन्दे से) कहीं बेहतर है (माल की ज़रूरत नहीं) तुम फक़त मुझे क़ूवत से मदद दो तो मैं तुम्हारे और उनके दरमियान एक रोक बना दूँ।
  6. आतूनी जु – बरल् – हदीदि , हत्ता इज़ा सावा बैनस्स – दफ़ैनि का़लन्फुखू हत्ता इज़ा ज – अ़ – लहू नारन् का – ल आतूनी उफ़्रिग् अ़लैहि कितरा
    (अच्छा तो) मुझे (कहीं से) लोहे की सिले ला दो (चुनान्चे वह लोग) लाए और एक बड़ी दीवार बनाई यहाँ तक कि जब दोनो कंगूरो के दरमेयान (दीवार) को बुलन्द करके उनको बराबर कर दिया तो उनको हुक्म दिया कि इसके गिर्द आग लगाकर धौको यहां तक उसको (धौंकते-धौंकते) लाल अंगारा बना दिया।
  7. फ़ – मस्ताअू अंय्यज़्हरूहु व मस्तताअू लहू नक़्बा
    तो कहा कि अब हमको ताँबा दो कि इसको पिघलाकर इस दीवार पर उँडेल दें (ग़रज़) वह ऐसी ऊँची मज़बूत दीवार बनी कि न तो याजूज व माजूज उस पर चढ़ ही सकते थे और न उसमें नक़ब लगा सकते थे।
  8. का – ल हाज़ा रह़्मतुम् – मिर्रब्बी फ़ – इज़ा – जा – अ वअ्दु रब्बी ज – अ़ – लहू दक्का – अ व का – न वअ्दु रब्बी हक़्क़ा
    जुलक़रनैन ने (दीवार को देखकर) कहा ये मेरे परवरदिगार की मेहरबानी है मगर जब मेरे परवरदिगार का वायदा (क़यामत) आयेगा तो इसे ढहा कर हमवार कर देगा और मेरे परवरदिगार का वायदा सच्चा है।
  9. व तरक्ना बअ् – ज़हुम् यौमइजिंय्यमूजु फ़ी बअ्ज़िंव् – व नुफ़ि – ख़ फ़िस्सूरि फ़ – जमअ्नाहुम् जम्आ
    और हम उस दिन (उन्हें उनकी हालत पर) छोड़ देंगे कि एक दूसरे में (टकरा के दरिया की) लहरों की तरह गुड़मुड़ हो जाएँ और सूर फूँका जाएगा तो हम सब को इकट्ठा करेंगे।
  10. व अ़रज्ना जहन्न – म यौमइज़िल् – लिल्काफ़िरी – न अरज़ा
    और उसी दिन जहन्नुम को उन काफिरों के सामने खुल्लम खुल्ला पेश करेंगे।
  1. अल्लज़ी – न कानत् अअ्युनुहुम् फ़ी गिताइन् अन् ज़िक्री व कानू ला यस्ततीअू – न सम्आ *
    और उसी (रसूल की दुश्मनी की सच्ची बात) कुछ भी सुन ही न सकते थे।
  2. अ – फ़ – हसिबल्लज़ी – न क – फ़रू अंय्यत्तख़िजू अिबादी मिन् दूनी औलिया – अ , इन्ना अअ्तद्ना जहन्न – म लिल्काफ़िरी – न नुजुला
    तो क्या जिन लोगों ने कुफ्र एख्तियार किया इस ख्याल में हैं कि हमको छोड़कर हमारे बन्दों को अपना सरपरस्त बना लें (कुछ पूछगछ न होगी) (अच्छा सुनो) हमने काफिरों की मेहमानदारी के लिए जहन्नुम तैयार कर रखी है।
  3. कुल हल नुनब्बिउकुम् बिल् – अख़्सरी – न अअ्माला
    (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या हम उन लोगों का पता बता दें जो लोग आमाल की हैसियत से बहुत घाटे में हैं।
  4. अल्लज़ी – न ज़ल् – ल सअ्युहुम् फ़िल् – हयातिद्दुन्या व हुम् यह्सबू – न अन्नहुम् युह्सिनू – न सुन्आ
    (ये) वह लोग (हैं) जिन की दुनियावी ज़िन्दगी की राई (कोशिश सब) अकारत हो गई और वह उस ख़ाम ख्याल में हैं कि वह यक़ीनन अच्छे-अच्छे काम कर रहे हैं।
  5. उलाइ – कल्लज़ी – न क – फ़रू बिआयाति रब्बिहिम् व लिका़इही फ़ – हबितत् अअ्मालुहुम् फ़ला नुकीमु लहुम् यौमल् – कियामति वज़्ना
    यही वह लोग हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार की आयातों से और (क़यामत के दिन) उसके सामने हाज़िर होने से इन्कार किया तो उनका सब किया कराया अकारत हुआ तो हम उसके लिए क़यामत के दिन मीजान हिसाब भी क़ायम न करेंगे।
  6. ज़ालि – क जज़ाउहुम् जहन्नमु बिमा क – फ़रू वत्त – ख़जू आयाती व रूसुली हुजुवा
    (और सीधे जहन्नुम में झोंक देगें) ये जहन्नुम उनकी करतूतों का बदला है कि उन्होंने कुफ्र एख्तियार किया और मेरी आयतों और मेरे रसूलों को हँसी ठठ्ठा बना लिया।
  7. इन्नल्लज़ी – न आमनू व आ़मिलुस – सालिहाति कानत् लहुम् जन्नातुल – फ़िरदौसि नुजुला
    बेशक जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किये उनकी मेहमानदारी के लिए फिरदौस (बरी) के बाग़ात होंगे जिनमें वह हमेशा रहेंगे।
  8. ख़ालिदी – न फ़ीहा ला यब्गू – न अ़न्हा हि – वला
    और वहाँ से हिलने की भी ख्वाहिश न करेंगे।
  9. कुल् लौ कानल् – बहरू मिदादल लि – कलिमाति रब्बी ल – नफ़िदल् – बहरू क़ब् – ल अन् तन्फ़ – द कलिमातु रब्बी व लौ जिअ्ना बिमिस्लिही म – ददा
    (ऐ रसूल उन लोगों से) कहो कि अगर मेरे परवरदिगार की बातों के (लिखने के) वास्ते समन्दर (का पानी) भी सियाही बन जाए तो क़ब्ल उसके कि मेरे परवरदिगार की बातें ख़त्म हों समन्दर ही ख़त्म हो जाएगा अगरचे हम वैसा ही एक समन्दर उस की मदद को लाँए।
  10. कुल् इन्नमा अ – न ब – शरूम् – मिस्लुकुम् यूहा इलय् – य अन्नमा इलाहुकुम् इलाहुंव् – वाहिदुन् फ़ – मन का – न यरजू लिका़ – अ रब्बिही फ़ल्यअ्मल् अ़ – मलन् सालिहंव् – व ला युश्रिक् बिअिबादति रब्बिही अ – हदा*
    (ऐ रसूल) कह दो कि मैं भी तुम्हारा ही ऐसा एक आदमी हूँ (फर्क़ इतना है) कि मेरे पास ये वही आई है कि तुम्हारे माबूद यकता माबूद हैं तो वो शख्स आरज़ूमन्द होकर अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होगा तो उसे अच्छे काम करने चाहिए और अपने परवरदिगार की इबादत में किसी को शरीक न करें।

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