79 सूरह नाज़िआत हिंदी में​

नाज़िआत का मतलब “खींचनें वाले” होता है। सूरह नाज़िआत कुरान के 30वें पारा में 79वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है। इसमें कुल 46 आयतें, कुल 2 रुकू हैं। 

सूरह नाज़िआत हिंदी में | Surah An Naziat in Hindi​

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
  1. वन्नाज़िआ़ति ग़रक़ंव्
    उन (फरिश्तों) की कसम जो (कुफ्फ़ार की रूह) डूब कर सख्ती से खीच लेते हैं।
  2. वन्नाशिताति नश्तंव्
    और उनकी कसम जो (मोमिन की जान) आसानी से खोल देता हैं।
  3. वस्साबिहाति सब्हन्
    और उन की कसम जो (आसमान जमीन के दरमियान) तैरते हैं।
  4. फ़स्साबिक़ाति सब्क़न्
    फिर दौड़ कर आगे बढ़ने वालों की।
  5. फ़ल्मुदब्बिराति अम्रा
    फिर हुक्म के मुताबिक़ (दुनिया के) इंतेज़ाम करते हैं।
  6. यौ – म तर्जुफर्राजि – फ़तु
    जिस दिन ज़मीन को भूचाल आएगा।
  7. तत्बअुहर् – रादिफ़ह्
    जिसके पीछे ही और ज़लज़ला आएगा।
  8. कुलूबुंय् – यौमइज़िंव् – वाजि – फ़तुन्
    कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे,
  9. अब्सारुहा ख़ाशिअ़ह्
    उन की आँखे (आत्म निन्दा से) झुंकी हुई होंगी।
  10. यकूलू – न अ- इन्ना ल – मरदूदू- न फिल् – हाफ़िरह्
    वे कहते हैं कि क्या हम फिर पहली स्थिति में लाये जायेंगे?
  11. अ- इज़ा कुन्ना अिजा़मन् – नखिरह्
    क्या जब हम खोखली गली हुई हड्डियाँ हो चुके होंगे?
  12. का़लू तिल् – क इज़न् कर्रतुन् ख़ासिरह
    वे कहते हैं, “तब तो यह लौटना बड़े ही घाटे का होगा।”
  13. फ़ – इन्नमा हि – य ज़ज् – रतुंव – वाहि दतुन्
    वह तो बस एक ही झिड़की होगी,
  14. फ़ – इज़ा हुम् बिस्साहिरह्
    फिर वह उस वक्त एक समतल मैदान में (मौजूद होंगे)।
  15. हल् अता – क हदीसु मूसा
    (ऐ रसूल) क्या तुम्हारे पास मूसा का किस्सा भी पंहुचा है?
  16. इज् नादाहु रब्बुहू बिल्वादिला – मुक़द्दसि तुवा
    जब उस को उस के पालनहार ने तुवा के मुक़द्दस वादी में पुकारा।
  17. इज़्हब् इला फ़िरऔ-न इन्नहू तग़ा
    कि “फिरौन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है।
  18. फ़कुल हल्-ल-क इला अन् तज़क्का
    और कहो, क्या तू यह चाहता है कि स्वयं को पाक-साफ़ कर ले,
  19. व अहदि-य-क इला रब्बि-क फ़-तख़्शा
    और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तु (उससे) डरे?
  20. फ-अराहुल आ-यतल्-कुब्रा
    गरज़ मूसा ने उसे असा का बड़ा मोजिज़ा दिखाया।
  21. फ़-कज़्ज़-ब व अ़सा
    तो उसने झुठला दिया और न माना।
  22. सुम्-म अदब-र यस्आ
    फिर पीठ फेर कर के (हक के खिलाफ) जी तोड़ कोशिश किया।
  23. फ़-ह-श-र ,फ़नादा
    फिर (लोगों को) जमा किया और बुलंद आवाज़ से चिल्लाया,
  24. फ़का-ल अ-न रब्बुकुमुल्-अअ्ला
    फिर कहा कि मैं तुम लोंगो का सब से बड़ा रब हूँ।
  25. फ़-अ-ख़ ज़हुल्लाहु नकालल् आखिरति वल्-ऊला
    तो अल्लाह ने उस को दुनिया और परलोक की सजा में पकड़ा।
  26. इन्-न फ़ी ज़ालि-क ल-अिब्-रतल् लिमंय्यख़्शा
    बेशक उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे।
  27. अ-अन्तुम् अशद्दु ख़ल्क़न् अमिस्समा-उ बनाहा
    भला तुम्हारा पैदा करना ज्यादा मुश्किल हैं या आसमान का।
  28. र-फ़-अ़ सम्कहा फ़-सव्वाहा
    उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया;
  29. व अगत-श लैलहा व अख्र-ज जुहाहा
    और उस की रात को अन्धकारमय कर दिया और (दिन को) धूप निकाली।
  30. वल्अर्-ज़ ब-द ज़ालि-क दहाहा
    और उस के बाद जमीन को बिछाया।
  31. अख्र-ज मिन्हा मा-अहा व मरआ़हा
    उस से उस का पानी निकाला और तुम्हारे और तुम्हारे चौपायों के लिए उस का चारा।
  32. वल्-जिबा-ल अर्साहा
    और पहाड़ों को उस (धरती) में जमा दिया।
  33. मताअ़ल्-लकुम् व लि-अन्आ़मिकुम
    तुम्हारे और तुम्हारे चौपायों के लाभ के लिए।
  34. फ़-इज़ा जा-अतित्-ताम्मतुल्-कुब्रा
    तो जब प्रलय आयेगी।
  35. यौ-म य-तज़क्करुल्-इन्सानु मा सआ़
    उस दिन इन्सान अपना करतूत याद करेगा।
  36. व बुर्रि-ज़तिल्-जहीमु लिमंय्यरा
    और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी।
  37. फ़-अम्मा मन् तग़ा
    जिस ने (दुनिया में) सर उठाया था।
  38. व आ-सरल् हयातदुन्या
    और सांसारिक जीवन को प्राथमिक्ता दी।
  39. फ़-इन्नल्-जही-म हि-यल्-मअ्वा
    तो यकीनन उस का ठिकाना जहन्नम है।
  40. व अम्मा मन् ख़ा-फ़ मका़-म रब्बिही व नहन्-नफ्-स अ़निल्-हवा
    और जो अपने पालनहार की महानता से डरा और उस ने रोका अपने दिल को बुरी इच्छा से।
  41. फ़-इन्नल् जन्न-त हि-यल्-मअ्वा
    तो यक़ीनन उस का ठिकाना जन्नत है।
  42. यस्अलू-न-क अ़निस्सा-अ़ति अय्या-न मुरसाहा
    वे आपसे प्रश्न करते हैं कि वह समय कब आयेगा?
  43. फ़ी-म अन्-त मिन् ज़िक्राहा
    तो तुम उस के ज़िक्र से फ़िक्र में हो,
  44. इला रब्बि-क मुन्तहाहा
    उसके होने के समय का ज्ञान तुम्हारे पालनहार के पास है।
  45. इन्नमा अन्-त मुन्ज़िरु मंय्यख़्शाहा
    तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे।
  46. क-अन्नहुम् यौ-म यरौनहा लम् यल्बसू इल्ला अ़शिय्य तन् औ जुहाहा
    जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे हैं।

सूरह नाज़िआत वीडियो | Surah An-Naziat Video

सूरह नाज़िआत का उर्दु तर्जुमा वीडियो

Surah An-Naziat in Arabic

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