61 सूरह सफ़ हिंदी में​

61 सूरा अस-सफ्फ | Surah As-Saf

सूरा अस-सफ्फ का मतलब “मोर्चा बंदी” होता है। सूरह सफ़ कुरान के 28वें पारा में, 61वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है। इसमें कुल आयतें 14 और कुल रुकू 2 है।

इसका विषय है मुसलमानों को ईमान में विशुद्धता को अंगीकार करने और अल्लाह के मार्ग में जान लड़ाने पर उभारना। इसमें कमज़ोर ईमान वाले मुसलमानों को भी सम्बोधित किया गया है, और उन लोगों को भी जो ईमान का झूठा दावा करके इस्लाम में दाख़िल हो गए थे और उनको सम्बोधित किया गया है।

इमाम मुहम्मद अल-बाक़िर (a.s.) ने कहा है कि जो व्यक्ति इस सूरह को पढ़ता है उसे क़यामत के दिन फ़रिश्ते और पैग़म्बर के समूह में रखा जाएगा। यदि इस सुरा को एक खतरनाक यात्रा के दौरान लगातार पढ़ा जाता है, तो पाठक तब तक सुरक्षित रहता है जब तक वह अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच जाता।

सूरह सफ़ हिंदी में | Surah As-Saf in Hindi

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
  1. सब्-ब-ह लिल्लाहि म फिस् समावाति वमा फिल् अर्ज़ी व हुवल अ़ज़ीज़ुल् हकीम◌
    अल्लाह की पवित्रता का गान करती है हर चीज़ जो आसमानों और ज़मीन में है। वह प्रभुत्वशाली और गुणी है।
  2. या अय्युहल् लज़ीना आमनू लिमा तक़ुलूना मा ला तफ़्अलून
    ऐ ईमान वालो, तुम ऐसी बात क्यों कहते हो जो तुम करते नहीं।◌
  3. कबुरा मक़्तन अि़न्दल्लाहि अन् तकूलू, मा ला तफ़्अलून
    अल्लाह के नज़दीक यह बात बहुत अप्रिय है कि तुम ऐसी बात कहो जो तुम करो नहीं।
  4. इन्नल् लाहा युहिब्बुल् लज़ीना युक़ातिलूना फ़ी सबीलिही सफ्फन क अन् नहुम बुन्यानुम् मर्सू़स़
    अल्लाह तो उन लोगों को पसंद करता है जो उसके रास्ते में इस तरह मिलकर लड़ते हैं जैसे कि वे एक सीसा पिलाई हुई दीवार हैं।
  5. व इज़ क़ा-ल मूसा लिक़ौमिही या क़ौमी लिमा तुअ्ज़ू-ननी व क़त् तअ्लमूना अन्नी रसूलुल्लाहि इलैकुम, फ़-लम्मा ज़ागू़ अज़ाग़ल् लाहु क़ुलू-बहुम्, वल्लाहु ला यह्दिल् क़ौमल् फ़ासिक़ीन
    और जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ मेरी क़ौम, तुम लोग क्‍यों मुझे सताते हो, हालांकि तुम्हें मालूम है कि मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का भेजा हुआ रसूल हूं। फिर जब वे फिर गए तो अल्लाह ने उनके दिलों को फेर दिया। और अल्लाह नाफ़रमान लोगों को संमार्ग नहीं दिखाता।
  6. व इज़् क़ा-ल अ़ी-सब्नु मर्यमा या-बनी इस्राईला इन्नी रसूलुल्लाहि इलैकुम मुस़द्दीक़ल लिमा बय्ना य-दय्या मिनत् तौराति व मुबश्शिरम् बि-रसूलिइं याती मिम् बअ्दिस्-मुहू अहमद, फ़-लम्मा जाआहुम् बिल बय्यिनाती क़ालू हाज़ा सिह्-रुम मुबीन
    और जब ईसा बिन मरयम ने कहा कि ऐ बनी इस्राईल! मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का भेजा हुआ रसूल हूं, पुष्टि करने वाला हूं उस तौरात की जो मुझसे पहले से मौजूद है, और ख़ुशख़बरी देने वाला हूं एक रसूल की जो मेरे बाद आएगा, उसका नाम अहमद होगा | फिर जब वह उनके पास खुले प्रमाण लेकर आया तो उन्होंने कहा, यह तो खुला हुआ जादू है।
  7. व मन् अज़्लमु मिम्मनिफ़्-तरा अ़लल्लाहिल् कज़िबा व हुवा युद्आ़ इलल् इस्लाम, वल्लाहु ला यह्दिल् कौमज़् ज़ालिमीन
    और उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो अल्लाह पर झूठ घड़े हालांकि वह इस्लाम की तरफ़ बुलाया जा रहा हो, और अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्गदर्शन नहीं देता।
  8. युरिदूना लियुत्फ़िऊ नूरल्लाहि बि-अफ़्वाहिहिम्, वल्लाहु मु-तिम्मु नूरिही व-लौ क-रि-हल् काफ़िरून
    वे चाहते हैं कि अल्लाह की रोशनी को अपने मुंह से बुझा दें, हालांकि अल्लाह अपनी रोशनी को पूरा करके रहेगा, चाहे काफ़िरों को यह कितना ही बुरा लगे।
  9. हुबल् लज़ी अर्-सला रसू-लहू बिल हुदा व दीनिल् हक़्क़ी लि युज्हिरहू अ़लद् दीनि कुल्लिही व लौ करिहल् मुश्-रिकून
    वही है जिसने भेजा अपने रसूल को संमार्ग तथा सत्धर्म के साथ ताकि उसे सब धर्मो पर प्रभुत्व प्रदान कर दे चाहे मुश्रिकों (बहुदेववादियों) को यह कितना ही नागवार हो।
  10. या अय्युहल् लज़ीना आमनू हल् अदुल्लुकुम् अ़ला तिजारतिन तुन्जीकुम् मिन् अज़ाबिन अलीम
    ऐ ईमान वालो! क्या मैं तुम्हें एक ऐसी व्यापार बताऊं जो तुम्हें एक दुःखदायी यातना से बचा ले।
  11. तुअ्मिनूना बिल्लाहि व रसूलिही व तुजाहिदूना फ़ी सबीलिल्लाहि बि-अम्वालिकुम व अन्फुसिकुम, जालिकुम् खैरुल् लकुम् इन् कुन्तुम् तअ्लमूना
    तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ और अल्लाह की राह में अपने माल और अपने जान से जिहाद (जिद्दोजहद) करो, यह तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम जानो।
  12. यग्फिर् लकुम् ज़ुनूबकुम व युद्खिल्कुम जन्नातिन तज्री मिन् तह्तिहल् अन्हारु व मसाकिना तय्यबतन फ़ी जन्नाति अ़दन्, ज़ालिकल् फौजुल अ़ज़ीम
    अल्लाह तुम्हारे गुनाह माफ़ कर देगा और तुम्हें ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी, और अच्छे मकानों में जो हमेशा रहने के बाग़ों में होंगे, यह बड़ी कामयाबी है।
  13. व उख़रा तुहिब्बू-नहा, नस्रुम मिनाल्लाहि व फत्हून् क़रीब, व बश्शिरिल मुअ्मिनीन
    और एक और चीज़ भी जिसकी तुम प्रेम रखते हो, वह अल्लाह की सहायता तथा शीघ्र विजय है तथा शुभ सूचना सुना दो ईमान वालों को।
  14. या अय्युहल् लज़ीना आ मनू कूनू अन्सा़रल्लाहि कमा क़ा-ल अ़ी-सब्नु मर्यमा लिल्-हवारीयीना मन् अंसा़री इ-लल्लाह, क़ा-लल् हवारीयूना नह्नु अन्स़ारुल् लाही फ़ आमनत् त़ाअिफ़तुम् मिम् बनी इस्राईला व क-फ़-रत् त़ाअिफ़त, फ़ अय्यद् नल् लज़ीना आ मनू अ़ला अ़दूविहिम् फ़ अस्ब़हू ज़ाहिरीन
    ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह के मददगार बनो, जैसा कि ईसा बिन मरयम ने साथियों से कहा, कौन अल्लाह के वास्ते मेरा मददगार बनता है। साथियों ने कहा हम हैं अल्लाह के मददगार, तो बनी इस्राईल में से कुछ लोग ईमान लाए और कुछ लोगों ने इंकार किया। फिर हमने ईमान लाने वालों की उनके दुश्मनों के मुक़ाबले में मदद की, तो वही विजयी रहे।

सूरह सफ़ वीडियो

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