34 सूरह सबा हिंदी में पेज 3

सूरह सबा हिंदी में | Surah Saba in Hindi

  1. क़ालू सुब्हान-क अन्-त वलिय्युना मिन् दूनिहिम् बल् कानू यअ्बुदूनल्-जिन्-न अक्सरुहुम् बिहिम् मुअ्मिनून
    तू ही हमारा मालिक है न ये लोग (ये लोग हमारी नहीं) बल्कि जिन्नात (खबाएस भूत-परेत) की परसतिश करते थे कि उनमें के अक्सर लोग उन्हीं पर ईमान रखते थे।
  2. फ़ल्यौ-म ला यम्लिकु बअ्ज़ुकुम् लि-बअ्ज़िन् नफ़्अंव्-व ला ज़र्रन्, व नक़ूलु लिल्लज़ी-न ज़-लमू ज़ूक़ू अ़ज़ाबन्-नारिल्लती कुन्तुम् बिहा तुकज़्ज़िबून
    तब (अल्लाह फरमाएगा) आज तो तुममें से कोई न दूसरे के फायदे ही पहुँचाने का इख़्तेयार रखता है और न ज़रर का और हम सरकशों से कहेंगे कि (आज) उस अज़ाब के मज़े चखो जिसे तुम (दुनिया में) झुठलाया करते थे।
  3. व इज़ा तुत्ला अ़लैहिम् आयातुना बय्यिनातिन् क़ालू मा हाज़ा इल्ला रजुलुंय् – युरीदु अंय्यसुद्दकुम् अ़म्मा का-न यअ्बुदु आबाउकुम् व क़ालू मा हाज़ा इल्ला इफ़्कुम् मुफ़्तरन्, व क़ालल्लज़ी-न क-फ़रू लिल्हक़्क़ि लम्मा जा- अहुम् इन् हाज़ा इल्ला सिह्-रुम्- मुबीन
    और जब उनके सामने हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें पढ़ी जाती थीं तो बाहम कहते थे कि ये (रसूल) भी तो बस (हमारा ही जैसा) आदमी है ये चाहता है कि जिन चीज़ों को तुम्हारे बाप-दादा पूजते थे (उनकी परसतिश) से तुम को रोक दें और कहने लगे कि ये (क़ुरान) तो बस निरा झूठ है और अपने जी का गढ़ा हुआ है और जो लोग काफि़र हो बैठो जब उनके पास हक़ बात आयी तो उसके बारे में कहने लगे कि ये तो बस खुला हुआ जादू है।
  4. व मा आतैनाहुम् मिन् कुतुबिंय्-यद्रुसूनहा व मा अर्सल्ना इलैहिम् क़ब्ल-क मिन् नज़ीर
    और (ऐ रसूल!) हमने तो उन लोगों को न (आसमानी) किताबें अता की तुम्हें जिन्हें ये लोग पढ़ते और न तुमसे पहले इन लोगों के पास कोई डरानेवाला (पैग़म्बर) भेजा (उस पर भी उन्होंने क़द्र न की)।
  5. व कज़्ज़बल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिहिम् व मा ब-लग़ू मिअ्शा-र मा आतैनाहुम् फ़-कज़्ज़बू रुसुली, फ़कै-फ़ का-न नकीर
    और जो लोग उनसे पहले गुज़र गए उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया था हालांकि हमने जितना उन लोगों को दिया था ये लोग (अभी) उसके दसवें हिस्सा को (भी) नहीं पहुँचे उस पर उन लोगों न मेरे (पैग़म्बरों को) झुठलाया था तो तुमने देखा कि मेरा (अज़ाब उन पर) कैसा सख़्त हुआ।
  6. क़ुल इन्नमा अअिज़ुकुम् बिवाहि-दतिन् अन् तक़ूमू लिल्लाहि मस्ना व फ़ुरादा सुम्-म त-तफ़क्करू, मा बिसाहिबिकुम् मिन् जिन्नतिन्, इन् हु-व इल्ला नज़ीरुल्-लकुम् बै-न यदै अ़ज़ाबिन् शदीद
    (ऐ रसूल!) तुम कह दो कि मैं तुमसे नसीहत की बस एक बात कहता हूँ (वह) ये (है) कि तुम लोग बाज़ अल्लाह के वास्ते एक-एक और दो-दो उठ खड़े हो और अच्छी तरह ग़ौर करो तो (देख लोगे कि) तुम्हारे रफीक़ (मोहम्मद स0) को किसी तरह का जुनून नहीं वह तो बस तुम्हें एक सख़्त अज़ाब (क़यामत) के सामने (आने) से डराने वाला है।
  7. क़ुल् मा सअल्तुकुम् मिन् अज्रिन् फ़हु-व लकुम्, इन् अज्रि-य इल्ला अ़लल्लाहि व हु-व अ़ला कुल्लि शैइन् शहीद
    (ऐ रसूल!) तुम (ये भी) कह दो कि (तबलीख़े रिसालत की) मैंने तुमसे कुछ उजरत माँगी हो तो वह तुम्हीं को (मुबारक) हो मेरी उजरत तो बस अल्लाह पर है और वही (तुम्हारे आमाल अफआल) हर चीज़ से खू़ब वाकि़फ है ।
  8. क़ुल इन्-न रब्बी यक़्ज़िफ़ु बिल्हक़्क़ि अ़ल्लामुल्-ग़ुयूब
    (ऐ रसूल!) तुम उनसे कह दो कि मेरा बड़ा गै़बवाँ परवरदिगार (मेरे दिल में) दीन हक़ को बराबर ऊपर से उतारता है।
  9. क़ुल जा-अल्हक़्क़ु व मा युब्दिउल्- बातिलु व मा युईद
    (अब उनसे) कह दो दीने हक़ आ गया और इतना तो भी (समझो की) बातिल (माबूद) शुरू-शुरू कुछ पैदा करता है न (मरने के बाद) दोबारा जि़न्दा कर सकता है।
  10. क़ुल् इन् ज़लल्तु फ़-इन्नमा अज़िल्लु अ़ला नफ़्सी व इनिह्तदैतु फ़-बिमा यूही इलय्-य रब्बी, इन्नहू समीअुन् क़रीब
    (ऐ रसूल!) तुम ये भी कह दो कि अगर मैं गुमराह हो गया हूँ तो अपनी ही जान पर मेरी गुमराही (का वबाल) है और अगर मैं राहे रास्त पर हूँ तो इस “वही” के तुफ़ैल से जो मेरा परवरदिगार मेरी तरफ़ भेजता है बेशक वह सुनने वाला (और बहुत) क़रीब है।
  11. व लौ तरा इज़् फ़ज़िअू फ़ला फ़ौ-त व उख़िज़ू मिम्-मकानिन् क़रीब
    और (ऐ रसूल!) काश तुम देखते (तो सख़्त ताज्जुब करते) जब ये कुफ्फार (मैदाने हशर में) घबराए-घबराए फिरते होंगे तो भी छुटकारा न होगा।
  12. व क़ालू आमन्ना बिही व अन्ना लहुमुत्-तनावुशु मिम्-मकानिम् – बईद
    और आस ही पास से (बाआसानी) गिरफ्तार कर लिए जाएँगे और (उस वक़्त बेबसी में) कहेंगे कि अब हम रसूलों पर ईमान लाए और इतनी दूर दराज़ जगह से (ईमान पर) उनका दसतरस (पहुँचना) कहाँ मुमकिन है।
  13. व क़द् क-फ़रू बिही मिन् क़ब्लु व यक़्ज़िफ़ू-न बिल्ग़ैबि मिम्-मकानिम्- बईद
    हालांकि ये लोग उससे पहले ही जब उनका दसतरस था इन्कार कर चुके और (दुनिया में तमाम उम्र) बे देखे भाले (अटकल के) तके बड़ी-बड़ी दूर से चलाते रहे।
  14. व ही-ल बैनहुम् व बै-न मा यश्तहू-न कमा फ़ुअि-ल बिअश्याअिहिम् मिन् क़ब्लु, इन्नहुम् कानू फ़ी शक्किम् मुरीब
    और अब तो उनके और उनकी तमन्नाओं के दरमियान (उसी तरह) पर्दा डाल दिया गया है जिस तरह उनसे पहले उनके हमरंग लोगों के साथ (यही बरताव) किया जा चुका इसमें शक नहीं कि वह लोग बड़े बेचैन करने वाले शक में पड़े हुए थे।

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