56 सूरह वाकिया​ हिन्दी में पेज 3

  1. सुम्मा इन्नकुम अय्युहज़ ज़ाल्लूनल मुकज़्ज़िबून
    फिर ए गुमराहों और ए झुटलाने वालों ! यक़ीनन तुम।
  2. ल आकिलूना मिन शजरिम मिन ज़क़्क़ूम
    यक़ीनन ज़क्कूम के वृक्ष से खाओगे।
  3. फ मालिऊना मिन्हल बुतून
    और इसी से पेट भरोगे।
  4. फ शारिबूना अलैहि मिनल हमीम
    फिर उस पर खौलता हुआ पानी पियोगे।
  5. फ शारिबूना शुरबल हीम
    और पियोगे भी प्यासे ऊंटों की तरह।
  6. हाज़ा नुज़ुलुहुम यौमद् दीन
    प्रलय के दिन यही उन की अतिथि सत्कार होगी।
  7. नहनु खलक़्नाकुम फलौला तुसद्दिक़ू
    हम ने ही तुम को पैदा किया तो फिर तुम (दोबारा जिंदा किये जाने को) सच क्यूँ नहीं मानते हो?
  8. अफा रअय्तुम मा तुम्नून
    भला देखो तो सही, जो वीर्य तुम (औरतों के गर्भाशयों में) डालते हो।
  9. अ अन्तुम तख्लुक़ूनहु अम नहनुल खालिक़ून
    उस को तुम इंसान बनाते हो या हम बनाने वाले हैं।
  10. नहनु क़द्दरना बय्नकुमुल मौता वमा नहनु बिमस्बूक़ीन
    हम ने ही तुम्हारे लिए मरना तय किया है (कि हर शख्स पर मौत आती है) और हम उस बात से विवश होने वाले नहीं हैं।
  11. अला अन नुबददिला अम्सालकुम व नुन्शिअकुम फ़ी माला तअ’लमून
    कि तुम्हारी जगह तुम्हारे जैसे किसी और को ले आयेंगे और तुम को वहां उठा खड़ा करेंगे, जिसे तुम जानते नहीं।
  12. व लक़द अलिम्तुमुन नश अतल ऊला फलौला तज़क करून
    और तुम तो प्रथम उत्पत्ति को जानते ही हो तो क्यूँ सबक़ नहीं लेते।
  13. अफा रअय्तुम मा तहरुसून
    देखो तो सही कि तुम जो कुछ बोते हो।
  14. अ अन्तुम तज़्-र नहू अम नहनुज़ ज़ारिऊन
    उसको तुम उगाते हो या हम उगाते हैं।
  15. लौ नशाऊ लजा अल्नाहु हुतामन फज़ल् तुम तफक्कहून
    अगर हम चाहें तो उसको चूर-चूर कर डालें फिर तुम बातें बनाते रह जाओ।
  16. इन्ना ल मुग़्रमून
    वस्तुतः, हम दण्डित कर दिये गये।
  17. बल नहनु महरूमून
    बल्कि हम बड़े बदनसीब हैं।
  18. अफा रअय्तुमुल माअल्लज़ी तशरबून
    फिर बताओ तो सही कि जिस पानी को तुम पीते हो।
  19. अ अन्तुम अन्ज़ल्तुमूहु मिनल् मुज्नि अम् नहनुल मुन्ज़िलून
    उसको बादल से तुंम बरसाते हो या हम बरसाते हैं।
  20. लौ नशाऊ ज अल्नाहू उजाजन फलौला तश्कुरून
    अगर हम चाहें तो उसको खारा कर दें फिर तुम कृतज्ञता क्यों नहीं दिखाते।
  21. अफा रअय्तुमुन नारल् लती तूरून
    फिर देखो तो सही जो आग तुम सुलगाते हो।
  22. अ अन्तुम अनश’अतुम शजरतहा अम नहनुल् मुन्शिऊन
    उसके दरख़्त को तुम ने पैदा किया है या हम ने?
  23. नहनु जअल्नाहा तज़्किरतव् व मताअल् लिल मुक़्वी
    हम ने उसको शिक्षाप्रद तथा यात्रियों के लाभदायक बनाया है।
  24. फ़सब्बिह बिस्मि रब्बिकल अज़ीम
    तो आप अपने महान परवरदिगार के नाम की पवित्रता का वर्णन करें।
  25. फला उक़्सिमु बि मवाक़िइन नुजूम
    तो अब मैं उन जगहों की क़सम खाकर कहता हूँ जहाँ सितारे गिरते हैं।

सूरह वाकिया वीडियो | Surah Al-Waqiah Video

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