44 सुरह अद दुख़ान हिंदी में पेज 2

सूरह-दुख़ान हिंदी में | Surah Ad-Dukhan in Hindi

  1. व ल-क़द् नज्जैना बनी इस्राईल मिनल्-अ़ज़ाबिल्-मुहीन 
    और हमने बनी इसराईल को जि़ल्लत के अज़ाब से फिरौन (के पन्जे) से नजात दी।
  2. मिन् फ़िर्-औ़न, इन्नहू का-न आ़लि-यम् मिनल्–मुस् -रिफ़ीन 
    वह बेशक सरकश और हद से बाहर निकल गया था।
  3. व ल- कदिख़्तर्-नाहुम् अ़ला अिल्मिन् अ़लल्-आ़लमीन 
    और हमने बनी इसराईल को समझ बूझ कर सारे जहाँन से बरगुज़ीदा किया था।
  4. व आतैनाहुम् मिनल्-आयाति मा फ़ीहि बलाउम्-मुबीन 
    और हमने उनको ऐसी निशानियाँ दी थीं जिनमें (उनकी) सरीही आज़माइश थी।
  5. इन्-न हाउला-इ ल-यक़ूलून
    ये (कुफ़्फ़ारे मक्का) (मुसलमानों से) कहते हैं।
  6. इन् हि-य इल्ला मौततुनल्-ऊला व मा नह्नु बिमुन्शरीन
    कि हमें तो सिर्फ एक बार मरना है और फिर हम दोबारा (जि़न्दा करके) उठाए न जाएँगे।
  7. फ़क्तू बिआबा – इना इन् कुन्तुम् सादिक़ीन 
    तो अगर तुम सच्चे हो तो हमारे बाप दादाओं को (जि़न्दा करके) ले आओ।
  8. अ-हुम् ख़ैरुन् अम् क़ौमु तुब्बअिंव्-वल्लज़ी – न मिन् क़ब्लिहिम्, अह्लक्नाहुम् इन्नहुम् कानू मुज्रिमीन 
    भला ये लोग (क़ूवत में) अच्छे हैं या तुब्बा की क़ौम और वह लोग जो उनसे पहले हो चुके हमने उन सबको हलाक कर दिया (क्योंकि) वह ज़रूर गुनाहगार थे।
  9. व मा ख़लक़्नस्समावाति वल्अर्ज़ व मा बैनहुमा लाअिबीन
    और हमने सारे आसमान व ज़मीन और जो चीज़े उन दोनों के दरमियान में हैं उनको खेलते हुए नहीं बनाया।
  10. मा ख़लक़्नाहुमा इल्ला बिल्हक़्क़ि व लाकिन् न अक्स रहुम् ला यअ्लमून 
    इन दोनों को हमने बस ठीक (मसलहत से) पैदा किया मगर उनमें के बहुतेरे लोग नहीं जानते।
  11. इन्-न यौमल्-फ़स्लि मीक़ातुहुम् अज्मईन 
    बेशक फ़ैसला (क़यामत) का दिन उन सब (के दोबार जि़न्दा होने) का मुक़र्रर वक़्त है।
  12. यौ-म ला युग़्नी मौलन् अ़म्मौलन् शैअंव-व ला हुम् युन्सरून
    जिस दिन कोई दोस्त किसी दोस्त के कुछ काम न आएगा और न उन की मदद की जाएगी।
  13. इल्ला मर्रहिमल्लाहु, इन्नहू हुवल् अ़ज़ीज़ुर्रहीम
    मगर जिन पर अल्लाह रहम फरमाए बेशक वह (अल्लाह) सब पर ग़ालिब बड़ा रहम करने वाला है।
  14. इन्-न श-ज-रतज़्ज़क़्क़ूम
    (आख़ेरत में) थोहड़ का दरख़्त।
  15. तआ़मुल् – असीम
    ज़रूर गुनेहगार का खाना होगा।
  16. कल्मुहिल यग़्ली फ़िल्बुतून
    जैसे पिघला हुआ तांबा वह पेटों में इस तरह उबाल खाएगा।
  17. क-ग़ल्यिल्-हमीम 
    जैसे खौलता हुआ पानी उबाल खाता है।
  18. ख़ुजूहु फ़अ्तिलूहु इला सवाइल्-जहीम 
    (फ़रिश्तों को हुक्म होगा) इसको पकड़ो और घसीटते हुए दोज़ख़ के बीचों बीच में ले जाओ।
  19. सुम्-म सुब्बू फ़ौ-क़ रअ्सिही मिन् अ़ज़ाबिल्-हमीम 
    फिर उसके सर पर खौलते हुए पानी का अज़ाब डालो फिर उससे ताआनन कहा जाएगा अब मज़ा चखो।
  20. ज़ुक़् इन्न-क अन्तल्-अ़ज़ीज़ुल्-करीम 
    बेशक तू तो बड़ा इज़्ज़त वाला सरदार है।
  21. इन्- न हाज़ा मा कुन्तुम् बिही तम्तरून 
    ये वही दोज़ख़ तो है जिसमें तुम लोग शक किया करते थे।
  22. इन्नल्-मुत्तक़ी न फ़ी मक़ामिन् अमीन 
    बेशक परहेज़गार लोग अमन की जगह।
  23. फ़ी जन्नातिंव्-व अुयून 
    (यानि) बाग़ों और चश्मों में होंगे।
  24. यल्बसू-न मिन् सुन्दुसिंव्-व इस्तब्रक़िम् मु-तक़ाबिलीन 
    रेशम की कभी बारीक और कभी दबीज़ पोशाकें पहने हुए एक दूसरे के आमने सामने बैठे होंगे।
  25. कज़ालि-क, व ज़व्वज्नाहुम् बिहूरिन् ईन
    ऐसा ही होगा और हम बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरों से उनके जोड़े लगा देंगे।
  26. यद्अू न फ़ीहा बिकुल्लि फ़ाकि-हतिन् आमिनीन 
    वहाँ इत्मेनान से हर किस्म के मेवे मंगवा कर खायेंगे।
  27. ला यज़ूक़ू-न फ़ीहल्मौ-त इल्लल्-मौ-ततल्-ऊला व वक़ाहुम् अ़ज़ाबल्- जहीम 
    वहाँ पहली दफ़ा की मौत के सिवा उनको मौत की तलख़ी चख़नी ही न पड़ेगी और अल्लाह उनको दोज़ख़ के अज़ाब से महफूज़ रखेगा।
  28. फ़ज़्लम्-मिर्रब्बि-क, ज़ालि-क हुवल् फ़ौज़ुल्- अ़ज़ीम
    (ये) तुम्हारे परवरदिगार का फज़ल है यही तो बड़ी कामयाबी है।
  29. फ़-इन्नमा यस्सर्नाहु बिलिसानि-क लअ़ल्लहुम् य-तज़क्करून
    तो हमने इस क़़ुरआन को तुम्हारी ज़बान में (इसलिए) आसान कर दिया है ताकि ये लोग नसीहत पकड़ें तो।
  30. फर्-तकिब् इन्नहुम् मुर्-तक़िबून *
    (नतीजे के) तुम भी मुन्तजि़र रहो ये लोग भी मुन्तजि़र हैं।

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