26 सूरह अश शुअरा हिंदी में पेज 3

सूरह अश शुअरा हिंदी में | Surat Ash-Shuara in Hindi

  1. इन्ना नत्मअु अंय्यग्फ़ि-र लना रब्बुना ख़तायाना अन् कुन्ना अव्वलल्-मुअ्मिनीन *
    हम चूँकि सबसे पहले इमान लाए है इसलिए ये उम्मीद रखते हैं कि हमारा परवरदिगार हमारी ख़ताएँ माफ़ कर देगा।
  2. व औहैना इला मूसा अन् असि बिअिबादी इन्नकुम मुत्त बअून
    और हमने मूसा के पास वही भेजी कि तुम मेरे बन्दों को लेकर रातों रात निकल जाओ क्योंकि तुम्हारा पीछा किया जाएगा।
  3. फ़- अर्स ल फ़िरऔनु फ़िल्मदाइनि हाशिरीन
    तब फिरआऊन ने (लश्कर जमा करने के ख़्याल से) तमाम शहरों में (धड़ा धड़) हरकारे रवाना किए।
  4. इन् – न हाउला – इ लशिरज़ि – मतुन् क़लीलून
    (और कहा) कि ये लोग मूसा के साथ बनी इसराइल थोड़ी सी (मुट्ठी भर की) जमाअत हैं।
  5. व इन्नहुम् लना लग़ाइजून
    और उन लोगों ने हमें सख़्त गुस्सा दिलाया है।
  6. व इन्ना ल- जमीअुन् हाज़िरून
    और हम सबके सब बा साज़ों सामान हैं।
  7. फ़- अख़्रज्नाहुम् मिन् जन्नातिंव व अुयून
    (तुम भी आ जाओ कि सब मिलकर ताअककुब (पीछा) करें)।
  8. व कुनूजिंव – व मक़ामिन् करीम
    ग़रज़ हमने इन लोगों को (मिस्र के) बाग़ों और चश्मों और खज़ानों और इज़्ज़त की जगह से (यूँ) निकाल बाहर किया।
  9. कज़ालि-क, व औरस्नाहा बनी इस्राईल
    (और जो नाफ़रमानी करे) इसी तरह सज़ा होगी और आखि़र हमने उन्हीं चीज़ों का मालिक बनी इसराइल को बनाया।
  10. फ़-अत्ब अू हुम् मुश्रिकीन
    ग़रज़ (मूसा) तो रात ही को चले गए।
  11. फ़-लम्मा तरा-अल्-जम्आनि का ल अस्हाबु मूसा इन्ना लमुद्-रकून्
    और उन लोगों ने सूरज निकलते उनका पीछा किया तो जब दोनों जमाअतें (इतनी करीब हुयीं कि) एक दूसरे को देखने लगी तो मूसा के साथी (हैरान होकर) कहने लगे।
  12. का-ल कल्ला इन्-न मअि-य रब्बी स-यह्दीन
    कि अब तो पकड़े गए मूसा ने कहा हरगिज़ नहीं क्योंकि मेरे साथ मेरा परवरदिगार है।
  13. फ़-औहैना इला मूसा अनिज्रिब बिअसाकल्-बह्-र, फ़न्फ़-ल-क फका-न कुल्लु फिरकिन् कत्तौदिल् – अ़ज़ीम
    वह फौरन मुझे कोई (मुखलिसी का) रास्ता बता देगा तो हमने मूसा के पास वही भेजी कि अपनी छड़ी दरिया पर मारो (मारना था कि) फौरन दरिया फूट के टुकड़े टुकड़े हो गया तो गोया हर टुकड़ा एक बड़ा ऊँचा पहाड़ था।
  14. फ़-औहैना इला मूसा अनिज्रिब बिअसाकल्-बह्-र, फ़न्फ़-ल-क फका- न कुल्लु फिरकिन् कत्तौदिल्- अ़ज़ीम
    और हमने उसी जगह दूसरे फरीक (फिरौन के साथी) को क़रीब कर दिया।
  15. व अन्जैना मूसा व मम्-म-अ़हू अज्मईन
    और मूसा और उसके साथियों को हमने (डूबने से) बचा लिया।
  16. सुम् – म अग्ररक़्नल् – आ-ख़रीन
    फिर दूसरे फरीक़ (फिरौन और उसके साथियों) को डुबोकर हलाक़ कर दिया।
  17. इन् – न फ़ी ज़ालि-क लआ यतन्, व मा का- न अक्सरुहुम् मुअ्मिनीन
    बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और उनमें अक्सर इमान लाने वाले ही न थे।
  18. व इन-न रब्ब – क लहुवल अज़ीजुर्रहीम *
    और इसमें तो शक ही न था कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है।
  19. वत्लु अ़लैहिम् न-ब-अ इब्राही-म
    और (ऐ रसूल!) उन लोगों के सामने इबराहीम का क़िस्सा बयान करों।
  20. इज् का-ल लि – अबीहि व क़ौमिही मा तअ्बुदून
    जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा।
  21. कालू नअ्बुदु असनामन् फ़-नज़ल्लु लहा आकिफ़ीन
    कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो तो वह बोले हम बुतों की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं।
  22. का – ल हल् यस्मअूनकुम् इज् तद्अून
    इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं।
  23. औ यन्फअूनकुम् औ यजुर्रून
    या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं।
  24. कालू बल् वजद्ना आबा अना कज़ालि क यफ्अलून
    कहने लगे (कि ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि हमने अपने बाप दादाओं को ऐसा ही करते पाया है।
  25. क़ा-ल अ-फ रऐतुम् मा कुन्तुम् तअ्बुदून
    इबराहीम ने कहा क्या तुमने देखा भी कि जिन चीज़ों की तुम परसतिश करते हो।

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