26 सूरह अश शुअरा हिंदी में पेज 9

सूरह अश शुअरा हिंदी में | Surat Ash-Shuara in Hindi

  1. ला युअ्मिनू – न बिही हत्ता य-रवुल अ़ज़ाबल् – अलीम
    ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर इमान न लाएँगे।
  2. फ़- यअ्ति-यहुम् बग्त-तंव्-व हुम् ला यश्अुरून
    कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडे़गा कि उन्हें ख़बर भी न होगी।
  3. फ़- यकूलू हल् नह्नु मुन्ज़रून
    (मगर जब अज़ाब नाजि़ल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक़्त कुछ) मोहलत मिल सकती है।
  4. अ फ़बि अ़ज़ाबिना यस्तअ्जिलून
    तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं।
  5. अ-फ-रऐ – त इम् मत्तअ्नाहुम् सिनीन
    तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे।
  6. सुम- म जा- अहुम् मा कानू यू-अ़दून
    उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे।
  7. मा अ़ग्ना अ़न्हुम् मा कानू युमत्तअून
    तो जिन चीज़ों से ये लोग चैन किया करते थे कुछ भी काम न आएँगी।
  8. व मा अह़्लक्ना मिन् क़र् – यतिन् इल्ला लहा मुन्ज़िरून
    और हमने किसी बस्ती को बग़ैर उसके हलाक़ नहीं किया कि उसके समझाने को (पहले से) डराने वाले (पैग़म्बर भेज दिए) थे।
  9. ज़िक्रा व मा कुन्ना ज़ालिमीन
    और हम ज़ालिम नहीं है।
  10. व मा तनज़्ज़ – लत् बिहिश्शयातीन
    और इस क़़ुरआन को शयातीन लेकर नाजि़ल नही हुए।
  11. व मा यम्बग़ी लहुम व मा यस्तती अून
    और ये काम न तो उनके लिए मुनासिब था और न वह कर सकते थे।
  12. इन्नहुम् अ़निस्सम्अिल- मअ्जूलून
    बल्कि वह तो (वही के) सुनने से महरुम हैं।
  13. फ़ला तद्अु मअ़ल्लाहि इलाहन् आ – ख़-र फ़-तकू-न मिनल् – मुअ़ज़्ज़बीन
    (ऐ रसूल!) तुम ख़़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे।
  14. व अन्जिर अ़शी-र-तकल् अक्रबीन
    और (ऐ रसूल) तुम अपने क़रीबी रिश्तेदारों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराओ।
  15. वख़्फ़िज़् जना – ह – क लि मनित्त ब-अ़-क मिनल् मुअ्मिनीन
    और जो मोमिनीन तुम्हारे पैरो हो गए हैं उनके सामने अपना बाजू़ झुकाओ।
  16. फ़ – इन् अ़सौ – क फ़कुल इन्नी बरीउम्-मिम्मा त अ्मलून
    (तो वाज़ेए करो) पस अगर लोग तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो तुम (साफ़ साफ़) कह दो कि मैं तुम्हारे करतूतों से बरी उज़ ज़िम्मा हूँ।
  17. व त – वक्कल् अलल् – अज़ीज़र्रहीम
    और तुम उस (ख़ुदा) पर जो सबसे (ग़ालिब और) मेहरबान है।
  18. अल्लज़ी यरा-क ही-न तकूम
    भरोसा रखो कि जब तुम (नमाजे़ तहज्जुद में) खड़े होते हो।
  19. व तक़ल्लु – ब-क फिस्साजिदीन
    और सजदा।
  20. इन्नहू हुवस्समीअुल्-अ़लीम
    करने वालों (की जमाअत) में तुम्हारा फिरना (उठना बैठना सजदा रुकूउ वगै़रह सब) देखता है।
  21. हल् उनब्बिउकुम् अला मन् तनज़्ज़लुश्शयातीन
    बेशक वह बड़ा सुनने वाला वाकि़फ़कार है क्या मै तुम्हें बता दूँ कि शयातीन किन लोगों पर नाजि़ल हुआ करते हैं।
  22. तनज़्ज़लु अ़ला कुल्लि अफ्फ़ाकिन् असीम
    (लो सुनो) ये लोग झूठे बद किरदार पर नाजि़ल हुआ करते हैं।
  23. युल्कू नस्सम्-अ़ व अक्सरुहुम् काज़िबून
    जो (फ़रिश्तों की बातों पर कान लगाए रहते हैं) कि कुछ सुन पाएँ।
  24. वश्शु-अ़रा-उ यत्तबिअुहुमुल्-गावून
    हालाँकि उनमें के अक्सर तो (बिल्कुल) झूठे हैं और शायरों की पैरवी तो गुमराह लोग किया करते हैं।
  25. अलम् त – र अन्नहुम् फ़ी कुल्लि वादिंय् – यहीमून
    क्या तुम नहीं देखते कि ये लोग जंगल जंगल सरगिरदा मारे मारे फिरते हैं।
  26. व अन्नहुम् यकूलू – न मा ला यफ्अ़लून
    और ये लोग ऐसी बाते कहते हैं जो कभी करते नहीं।
  27. इल्लल्लज़ी – न आमनू व अ़मिलुस् – सालिहाति व ज़ करुल्ला – ह कसीरंव् – वन्त – सरू मिम् – बअ्दि मा जुलिमू, व स-यअ् – लमुल्लज़ी – न ज़ – लमू अय् – य मुन्क़ – लबिंय् – यन्क़लिबून*
    मगर (हाँ) जिन लोगों ने इमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और क़सरत से ख़़ुदा का जि़क्र किया करते हैं और जब उन पर ज़़ुल्म किया जा चुका उसके बाद उन्होंनें बदला लिया और जिन लोगों ने ज़ु़ल्म किया है उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि वह किस जगह लौटाए जाएँगें।

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