जीवनी पैगंबर मुहम्मद पेज 16
सुराक़ा द्वारा पीछा: ‘क़ुरैश’ के लोगों ने आस-पास बात फैलवा दी थी कि जो शख्स ‘मुहम्मद’ मुस्तफ़ा या ‘अबू बक्र’ रज़िअल्लाह अन्हु को गिरफ्तार करके हमें देगा…
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सुराक़ा द्वारा पीछा: ‘क़ुरैश’ के लोगों ने आस-पास बात फैलवा दी थी कि जो शख्स ‘मुहम्मद’ मुस्तफ़ा या ‘अबू बक्र’ रज़िअल्लाह अन्हु को गिरफ्तार करके हमें देगा…
हज़रत ‘उम्मे सलमा’ रज़िअल्लाह अन्हा कहती हैं- मेरे शौहर अबू ‘सलमा’ रज़िअल्लाह अन्हु ने हिजरत का इरादा किया और मुझे ऊँट पर बैठा दिया। मेरी गोद में मेरा…
नबूवत के ग्यारह साल में हज के दिनों की बात है। हुजूर अकरम ने रात के अंधेरे में “मक्का” शहर से कुछ दूर पर एक जगह “उक़्बा” पर लोगों को बातें करते सुना। इस …
मक्का में वापस आकर नबी मुहम्मद मुस्तफ़ा ने अब ऐसा करना शुरू किया कि अलग-अलग क़बीलो़ के आवास में तशरीफ़ ले जाते। या “मक्का” से बाहर चले जाते और जो कोई…
इस्लाम जैसे-जैसे बढ़ रहा था वैसे-वैसे हालात और सख़्त होते जा रहे थे। ऐसे में नबूवत के दसवें साल हुज़ूर अकरम के चाचा “अबू तालिब” जो आपका मजबूत सहारा थे…
“मक्का” के काफ़िर देखते थे कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद इस्लाम हर दिन बढ़ता जा रहा था “उमर” और “हमज़ा” रज़िअल्लाह अन्हु जैसे लोग भी मुस्लमान हो चुके थे।
हज़रत “उमर” रज़िअल्लाह अन्हु की उम्र सत्ताईस(27) वर्ष थी हुजूर अकरम ने अपनी नबूवत का ऐलान किया। हज़रत “उमर” रज़िअल्लाह अन्हु के चाचा “ज़ैद” रज़िअल्लाह…
लम्बे अंतराल तक जुल्मो-सितम सहने के बाद अब वह समय आ गया था कि नबी करीम ने सहाबा को अनुमति दे दी कि जो चाहे अपनी जान और ईमान को बचाने के लिए “हबश” चला जाए।
क़ुरैश के लोगों ने जब देखा कि “मुहम्मद” हमारी बात नहीं मानेंगे तो उन्होंने उन ग़रीबों पर ग़ुस्सा उतारा जो उनके गुलाम वगैरह थे। जब दोपहर की गर्मी से अरब की …
“मक्का” के मुश्रिकों को एक के बाद एक नाकामी झेलनी पड़ रही थी। हर तरकीब हर बात खराब हो रही थी। इसके लिए उन सबने तय किया कि एक बार हम सब मिल कर एक साथ …