जीवनी पैगंबर मुहम्मद पेज 6
हुज़ूर पाक अपनी ज़िम्मेदारी में लगे रहे। “मक्का” के लोग यूँ तो हुज़ूर को जान का नुक़सान नहीं पहुँचा सकते थे पर इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाने…
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हुज़ूर पाक अपनी ज़िम्मेदारी में लगे रहे। “मक्का” के लोग यूँ तो हुज़ूर को जान का नुक़सान नहीं पहुँचा सकते थे पर इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाने…
अब जबकि मुस्लामानों को खुली तबलीग़ (प्रचार ) का आदेश आ चुका था तो इन सब को आगे की मंज़िल तय करनी थी। हुज़ूर अकरम अपने सभी साथियों को लेकर हरम में गए और…
नबूवत मिलने के बाद से ही हुज़ूर हज़रत “मुहम्मद” मुस्तफ़ा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर वो ज़िम्मेदारी आ गयी जो आपसे पहले के नबियों पर थी। अपने दौर के ज़ुल्म…
पैगम्बर मोहम्मद की आयु मुबारक लगभग पैंतीस (35) वर्ष थी। मक्का शहर के लोगों पर पैगम्बर मोहम्मद का आचरण आसमान की तरह साफ़, खुला और उच्च था। लोगों के दिलों में…
अरब लोग रेगिस्तान में रहने वाले क़बाईली थे। पढ़ाई-लिखाई से कोसों दूर, अदब-उसूलों को मानने से इंकार करने वाले। जुआ और शराब के आदी थे। मूर्ति पूजा और हर तरह..
जीवनी पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ: आपका जन्म दिन और संसार का सौभाग्य: हज़रत “आमिना” के घर के आंगन में एक नन्हे मुन्ने बच्चे ने पहली किलकारी मारी। दाई “हलीमा” ने …
तीसरा धर्मयुद्ध:: जब बैतुलमुक़द्दस के फतह की खबर यूरोप पहुंची तो पूरा यूरोप स्तब्ध रह गया। जगह-जगह युद्ध की तैयारी शुरू हो गई। जर्मनी, इटली, फ्रांस और…
जब माननीय इमाम बगदाद पहुंचे तो उनके पैरों में भारी बेड़ियां थीं, जिससे चलना मुश्किल हो गया था। गंभीर रूप से बीमार हो गये , जेल में डाल दिया गया और तीस…
फिर अल्लाह तआला ने आदम (अ.स.) को इल्म अता किया और तमाम चीज़ों के नाम सिखाये। फिर अल्लाह त’आला ने उनकी पीठ पर हाथ फेरा तो क़यामत तक जितने भी इंसान पैदा…
यरमुक की जंग हजरत खालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) की आखिरी जंग थी जिसमें उन्होंने मुस्लिम सेना की कमान सम्भाली थी। इसके बाद उन्होंने हजरत अबु उबैदा के नेतृत्व में…