33 सूरह अल अहज़ाब हिंदी में पेज 4

सूरह अल अहज़ाब हिंदी में | Surat Al-Ahzab in Hindi

  1. मल्अूनी-न ऐ-नमा सुक़िफ़ू उख़िज़ू व क़ुत्तिलू तक़्तीला
    लानत के मारे जहाँ कहीं हत्थे चढ़े पकड़े गए। और फिर बुरी तरह मार डाले गए।
  2. सुन्नतल्लाहि फ़िल्लज़ी-न ख़लौ मिन् क़ब्लु व लन् तजि-द लिसुन्नतिल्लाहि तब्दीला
    जो लोग पहले गुज़र गए उनके बारे में (भी) अल्लाह की (यही) आदत (जारी) रही। और तुम अल्लाह की रीति में कदापि परिवर्तन न पाओगे।
  3. यस् अलुकन्नासु अ़निस्सा-अ़ति, क़ुल् इन्नमा अिल्मुहा अिन्दल्लाहि, व मा युद्री-क लअ़ल्लस्- सा-अ़-त तकूनु क़रीबा
    (ऐ रसूल!) लोग तुमसे प्रलय के बारे में पूछा करते हैं। (तुम उनसे) कह दो कि उसका इल्म तो बस अल्लाह को है। और तुम क्या जानो शायद प्रलय क़रीब ही हो।
  4. यस् अलुकन्नासु अ़निस्सा-अ़ति, क़ुल् इन्नमा अिल्मुहा अिन्दल्लाहि, व मा युद्री-क लअ़ल्लस्- सा-अ़-त तकूनु क़रीबा
    अल्लाह ने क़ाफिरों पर यक़ीनन लानत की है। और उनके लिए भड़कती आग को तैयार कर रखा है।
  5. ख़ालिदी-न फ़ीहा अ-बदन् ला यजिदू-न वलिय्यंव्-व ला नसीरा
    जिसमें वे सदैव आबाद रहेंगे। न किसी को अपना रक्षक पाएँगे न सहायक।
  6. यौ-म तुक़ल्लबु वुजूहुहुम् फ़िन्नारि यक़ूलू-न या लै-तना अतअ्नल्ला-ह व अतअ्नर्रसूला
    जिस दिन उनके मुँह जहन्नुम की आग में उलटे-पलटे  जाएँगें तो उस दिन अफ़सोसनाक लहजे़ में कहेंगे। ऐ काश! हमने अल्लाह का आज्ञापालन की होती और रसूल का कहना माना होता।
  7. व क़ालू रब्बना इन्ना अतअ्ना सा-द-तना व कु-बरा-अना फ़-अज़ल्लूनस् – सबीला
    और कहेंगे कि ऐ हमारे रब! हमने अपने सरदारों और अपने बड़ों की आज्ञा का पालन किया तो उन्हों ही ने हमें मार्ग से भटका दिया।
  8. रब्बना आतिहिम् ज़िअ्फ़ैनि मिनल्-अ़ज़ाबि वल्अ़न्हुम् लअ्नन् कबीरा
    ऐ हमारे रब! (हम पर तो अज़ाब सही है मगर) उन लोगों पर दुगुनी यातना दे कर और उन पर बड़ी से बड़ी लानत कर।
  9. या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तकूनू कल्लज़ी-न आज़ौ मूसा फ़-बर्र-अहुल्लाहु मिम्मा क़ालू, व का-न अिन्दल्लाहि वजीहा
    ऐ ईमान वालों! (ख़बरदार कहीं) तुम लोग भी उनके से न हो जाना जिन्होंने मूसा को तकलीफ दी। तो अल्लाह ने उनकी तोहमतों से मूसा को बरी कर दिया। और मूसा अल्लाह के नज़दीक बड़ा गरिमावान (पैग़म्बर) थे।
  10. या अय्युहल्लज़ी-न आमनुत्तक़ुल्ला-ह व क़ूलू क़ौलन् सदीदा
    ऐ ईमान वालों! अल्लाह से डरते रहो तथा सही और सीधी बात बोलो।
  11. युस्लिहू लकुम् अअ्मा-लकुम् व यग़्फ़िर् लकुम् ज़ुनू-बकुम्, व मंय्युतिअिल्ला-ह व रसूलहू फ़-क़द् फ़ा-ज़ फ़ौज़न् अ़ज़ीमा
    तो अल्लाह तुम्हारे कर्मों को दुरूस्त कर देगा और तुम्हारे गुनाह क्षमा देगा। और जिस शख़्स ने अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करे, तो उसने बड़ी सफलता प्राप्त कर ली।
  12. इन्ना अ़रज़्नल्-अमान-त अ़लस्-समावाति वल्अर्ज़ि वल्जिबालि फ़-अबै-न अंय्यह्मिल्नहा व अश्फ़क़ु-न मिन्हा व ह-म-लहल्-इन्सानु, इन्नहू का-न ज़लूमन् जहूला
    बेशक हमने अपनी अमानत (इताअत इबादत) को सारे आसमान और ज़मीन पहाड़ों के सामने पेश किया। तो उन्होंने उसके उठाने से इन्कार किया और उससे डर गए। और आदमी ने उसे उठा लिया। निश्चय ही इन्सान (अपने हक़ में) बड़ा अत्याचारी और अज्ञान है।
  13. लि-युअ़ज़्ज़िबल्लाहुल्-मुनाफ़िक़ी-न वल्-मुनाफ़िक़ाति वल्- मुश्रिकी-न वल्-मुश्रिकाति व यतूबल्लाहु अ़लल्-मुअ्मिनी-न वल्-मुअ्मिनाति, व कानल्लाहु ग़फ़ूरर्-रहीमा
    इसका नतीजा यह हुआ कि अल्लाह मुनाफिक़ मर्दों और मुनाफिक़ औरतों और मुशरिक मर्दों और मुशरिक औरतों को (उनके किए की) सज़ा देगा। और ईमानदार मर्दों और ईमानदार औरतों की को तथा क्षमा कर दे। और अल्लाह अति क्षमाशील, दयावान  है।

Surah Al-Ahzab Video

Share this:

Leave a Comment

error: Content is protected !!