नात: कंकर से कलमा पढ़वाओ, फिर कहना, हम जैसे थे!
नात: कंकर से कलमा पढ़वाओ, फिर कहना, हम जैसे थे!, डूबे सूरज को लौटाओ, फिर कहना, हम जैसे थे!, तुम भी ज़रा मेराज को जाओ, फिर कहना, हम जैसे थे!, जाओ नमाज़ें ले …
नात ए शरीफ उर्दू और फारसी में इस्लामी साहित्य में एक पद्य रूप है, जिसमें पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब की तारीफ लिखी जाती है। इस पद्य रूप को बडे अदब से गाया जाता है। नात ए शरीफ़ लिखने वाले शायर को नात गो शायर कहते हैं और गाने वाले को नात ख्वां कहते हैं।
नात ख्वानी का रिवाज भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में है। पश्तो, बंगाली, उर्दू और पंजाबी भाषा में नात ख्वानी प्रसिद्ध है। नात ख्वां तुर्की, फ़ारसी, अरबी, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, अंग्रेज़ी, कश्मीरी और सिंधी भाशाओं में आम है।
नात: कंकर से कलमा पढ़वाओ, फिर कहना, हम जैसे थे!, डूबे सूरज को लौटाओ, फिर कहना, हम जैसे थे!, तुम भी ज़रा मेराज को जाओ, फिर कहना, हम जैसे थे!, जाओ नमाज़ें ले …
नात: सोचता हूँ मैं वो घड़ी, क्या अजब घड़ी होगी, जब दर-ए-नबी पर हम सब की हाज़री होगी, आरज़ू है सीने में, घर बने मदीने में,र, हो करम जो बंदे पबंदा-परवरी होगी, …
नात: याद-ए-मुस्तफ़ा ऐसी बस गई है सीने में, जिस्म हो कहीं अपना, दिल तो है मदीने में, याद-ए-मुस्तफ़ा ऐसी बस गई है सीने में, जिस्म तो यहीं है अपना, दिल तो है …
नात: तमन्ना मुद्दतों से है, जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ, इमामुल-अम्बिया देखूँ, हबीब-ए-किब्रिया देखूँ, वो जिन के दम-क़दम से सुब्ह ने भी रौशनी पाई, मुनव्वर कर …
नात: मुस्तफ़ा! आप के जैसा कोई आया ही नहीं!, आता भी कैसे! जब अल्लाह ने बनाया ही नहीं!, कोई सानी न है रब का, न मेरे आक़ा का,एक का जिस्म नहीं, एक का साया ही …
नात: काबे की रौनक़ काबे का मंज़र अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर, देखूँ तो देखे जाऊँ बराबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, हैरत से ख़ुद को कभी देखता हूँ और देखता …
नात: फलक से दुरूदो सलाम आ रहा है,जुबां पर मुहम्मद नाम आ रहा है,मुझे मिल गयी है दो आलम की शाही,मेरा उनके मंगतों में नाम आ रहा है,जो दस्तूरे आखिर …
नात: ठंडी ठंडी हवा रहमतों की चली, बन के मौज-ए-करम मुस्तफ़ा आ गए, हल मेरी हो गईं ख़ुद-ब-ख़ुद मुश्किलें, सारे ‘आलम के मुश्किल-कुशा आ गए, आ गए! आ गए! मुस्तफ़ा …
नात: मदीना आने वाला है: संभल जा ए दिले मुजतर मदीना आने वाला है, लुटा ए चश्मे तर ग़ौहर मदीना आने वाला है, क़दम बन जाए मेरा सर मदीना आने वाला है, बिछूं …
नात: दुआओं में मेरी ख़ुदाया असर दे, मेरी काविशों का मुझे तू समर दे, करूँ अहल-ए-दुनिया के ग़म का मदावा, मेरे हाथ में कोई ऐसा हुनर दे, भटकता फिरा हूँ मैं …