हजरत अबु बकर (रज़ी अल्लाहू अनहू) सीरिया में रोमियो से जंग का फैसला
इराक़ में जब जंग जारी था, तो तभी सीरिया में भी मुसलमानों का रोमियो के साथ जंग जारी था। पहले तो मदीना की एक छोटी सी सेना ही वहाँ लड़ रही थी। लेकिन जब जंग एक जगह से कई जगह होने लगी और मुस्लिम सेना सीरिया के अंदर घुस रहे थे, तब मुसलमानों को और ज्यादा सेना की जरूरत थी। खलीफा हजरत अबु बकर (रज़ी अल्लाहू अनहू) ने 12 हिजरी में हज के बाद अरब के प्रांतों की सेना इकठ्ठा की और सीरिया में भेजा, मुसलमान सेना जंग जीत रहीं थीं लेकिन उनकी सैन्य संख्या अब भी बहुत कम थी। मुस्लिम सेना सीमावर्ती इलाके में ज्यादा लड़ रहे थे, अभी किसी बड़ी शहर में जंग नहीं लड़ी गयी थी, लेकिन मुस्लिम सेना जिस तरह से आगे बढ़ रहे थे, इससे रोमियो को पता लग गया था कि मुस्लिम सेना जल्द ही बड़े शहरों में भी जंग करके कब्जा करने आयेंगे। मुस्लिम सेना की कई टुकड़ियां, रोमियो के साथ विभिन्न जगह में लड़ रही थीं। हजरत अम्र बिन आस (रज़ी अल्लाहू अनहू) नेतृत्व में एक सेना यरूशलम पर हमला करने गए थे। और इसी बीच उन्हें एक बहुत बड़ी रोमी सेना के आने की खबर मिली।
बाज़ंटाइन सम्राट, हेराक्लियस ने अब बड़े पैमाने पर एक जबर्दस्त हमले की योजना बनाई। उन्होंने अजनादीन में एक लाख से अधिक की संख्या में सेना जुटाई। इस खबर से सीरिया में प्रवेश करने वाली चार छोटी मुसलमानों वाहिनी के लिए स्थिति महत्वपूर्ण हो गई, हजरत अम्र बिन आस (रज़ी अल्लाहू अनहू) यरूशलम की लड़ाई लड़ रहे थे और वो वहां से जल्द नहीं आ सकते थे। छोटी मुस्लिम सेना के पास बाज़ंटाइन की इतनी बड़ी सेना के लिए, कोई मुकाबला नहीं था। हजरत अबू उबैदा (रज़ी अल्लाहू अनहू) ने हजरत अबू बकर (रज़ी अल्लाहू अनहू) को पत्र लिखकर हालात की खबर दी। खलीफा हजरत अबु बकर (रज़ी अल्लाहू अनहू) ने अब नयी सेनाएं भेजने शुरू किया और हजरत खालिद बिन वालिद (रज़ी अल्लाहू अनहू) को इराक से सीरिया भेजने का फैसला किया।