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सज्दा तिलावत एक ही होता है। जैसे नमाज मे दो होते है वैसे नही। सज्दे तिलावत एक ही होता है। आप एक ही बार करेगे जैसे तरावीह मे एक ही बार सज्दा होता है। नमाज मे होता है तो अल्लाह हो अकबर के साथ होता है। और नमाज के बाहर सीधा ही होता है बगैर अल्लाह हो अकबर के। कुछ बोलने की जरूरत नही है उसमे।
बेहतर तरीका यह है कि कुरान की तिलवत करते हुए जैसे ही सजदे की आयत आए, कुरान को बन्द करके फ़ौरन सजदा कर लिया जाये। एक दूसरा तरीका यह है कि कुरान की तिलावत करते हुए सज्दे की आयत आई, हमने पूरा पारा कर लिया उसके बाद फ़िर सजदा कर लिया। ये भी बेहतर है।
लेकिन पढ़ने के बाद अगर सज्दे वाली आयत आये फ़िर भी अगर सज्दा ना करे या कई दिन बाद सज्दा करे तो यह मकरूहे तनजीही है। यानी गुनाह है।
कुरान में सजदे के स्थान
नंबर. | पारा नंबर. | सूरह | आयत नंबर. |
---|---|---|---|
1 | 9 | 7. सूरह आराफ | 206 |
2 | 13 | 13. सूरह राअद | 15 |
3 | 14 | 16. सूरह नहल | 50 |
4 | 15 | 17. सूरह इस्राईल | 109 |
5 | 16 | 19. सूरह मरियम | 58 |
6 | 17 | 22. सूरह हज | 18 |
7 | 17 | 22. सूरह हज | 77 |
8 | 19 | 25. सुरह फुरकान | 60 |
9 | 19 | 27. सूरह नम्ल | 26 |
10 | 21 | 32. सूरह सज्दा | 15 |
11 | 23 | 38. सूरह स्वाद | 24 |
12 | 24 | 41. सूरह हा मीम | 38 |
13 | 27 | 53. सूरह नज्म | 62 |
14 | 30 | 84. सूरह इंशिकाक | 21 |
15 | 30 | 96. सूरह अलक | 19 |
सजदा कैसे किया जाये
बेहतर और मुस्तहब तरीक़ा सज्दा के लिए पहले खड़े हो जाए, फिर अल्लाह हू अकबर कहते हुए बगैर हाथ उठाए सज्दे मे चले जाना है। फ़िर सजदे मे ३ या 5 या 7 बार) सुबहाना रब्बी यल आला पढ़ेंगे। फ़िर ‘अल्लाह हू अकबर’ कहते हुए सीधे खडे हो जाना है। ये है बेहतर और मुस्तहब तरीक़ा।
लेकिन अगर आप बैठ कर कुरान पढ़ रहे थे, और फ़िर कुरान को बन्द करके बैठे बैठे आप सजदे मे चले गए और सजदे से उठने के बाद फ़िर बैठ गए तब भी सजदा हो जायेगा। लेकिन मुसतहब तरीका वही है कि खडे हो कर पढ़ा जाये।
लेकिन ये ध्यान रहे कि सजदे से खड़े होने के बाद ना सलाम फेरना है ना अत्ताहियात पढ़ना है। ना आप को हाथ उठाना है।
ये भी समझ ले कि एक आयत के सजदे पर एक ही सजदा वाजिब है, दो सजदे वाजिब नही है। ये सारे नियम मर्द और औरत दोनो पर लागू होते है।